हिंदी की चिट्ठाकारी में 'जारी' साधुवाद युग की ही तरह राष्ट्रपति भवन में ही ऐसा ही युग जारी था कलाम गए तो राहत की सांस ली गई। बिहारी बाबू और खुलासा कर बता रहे हैं-
अब आप ही बताइए न शुचिता, ईमानदारी, पवित्रता, विद्वता ... औरो न जाने केतना कुछ ... एतना भारी भरकम शब्द सब कलाम से जुड़ल था कि राष्ट्रपति भवन में समाइए नहीं पाता था। परिणाम ई हो गया कि देश का बाकी नेता सब इंफीरियरिटी काम्प्लेक्स से ग्रस्त हो गया था औरो मानसिक तौर पर बीमार रहने लगा था।
हमारे यहॉं तो एक्के नेता हैं- समीर भाई और वे चकाचक हैं :)। इस देश के लिए दाग बहुत अच्छे हैं- हम सहमत हैं-
दाग अच्छे हैं इसलिए, काहे कि यह पता नहीं चलने देता कि के राजा है, के रंक। काजल की कोठरिया में सब बस काला भूत होता है। अगर कलाम दागी होते, तो दो सूटकेश लेकर राष्ट्रपति भवन से विदा नहीं होते औरो यही तो अखरने वाली बात है! जिस देश में चपरासी का भाई मुखमंतरी बनता हो औरो करोड़पति होकर मुखमंतरी निवास से विदा होता हो... एमसीडी की टीचर मुखमंतरी बनती हो औरो अरबपति होकर मुखमंतरी निवास से विदा होती हो, वैसन देश में कलाम जैसन लोगों होना ठीक नहीं।
व्यंग्य के हमाम में आज दूसरी पोस्ट है एक विश्वदीपक की एक हास्य कविता
अब हंसने की मेरी बारी है,
बड़ी मुश्किल से ताड़ी है,
थोड़ी रोनी सूरत डालो भी,
हर रोम-रोम खंगालो भी।
तेरे ट्रेंड, गर्लफ्रेंड की महिमा से
तेरा यूँ काया-कल्प हुआ,
लव-लाईफ तो धुमिल हुई हीं
और
शर्ट चेंज करोगे कहाँ कहो,
मेरी नज़रों में मेरे यार अहो-
सक्सेश-परसेंटेज अल्प हुआ।
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हमारे यहॉं तो एक्के नेता हैं- समीर भाई और वे चकाचक हैं :)
जवाब देंहटाएं-जय हो नेता जी की. :)