हिंदी चिट्ठों की बढ्ती संख्या से हिंदी के देसी पंडित का सवाल पिछले दिनों उठाया गया ! सच है कि चिट्ठाकारी बढेगी तो इसके पाठक के लिए अपनी पसंद के चिट्ठे तक पहुंच पाना मुश्किल होता जाएगा ! चिट्ठाचर्चा जैसे मंचों को अपनी निष्क्रिय भूमिका त्यागकर चिट्ठा- समीक्षा और वर्गीकरण के लिए कमर कसनी होगी ! चिट्ठों की वर्गीकृत करके ही उनकी समीक्षा और चर्चा संभव हो पाएगी ! एसे में चिट्ठाचर्चाकार या चिट्ठा-समीक्षाकार की चयन कुशलता मायने रखेगी और उसका दायित्व बोध भी बढ जाएगा ! हम नहीं जानते कि हिंदी चिट्ठाकारिता भविष्य क्या होगा किंतु अनुमान तो लगा ही सकते हैं न ! और हमारा अनुमान है वर्गीकृत चिट्ठों को विषयानुरूप विशेषज्ञता वाले चिट्ठाचर्चाकार की जरूरत होगी !
तो आइए आज की चिट्ठाचर्चा के बहाने कुछ भविष्य की चिट्ठाचर्चा शैली की प्रेक्टिस हो जाए आज हमने एक नहीं पॉच चर्चाएं की है और हर में केवल दो तीन ही पोस्टों को लिया है वर्गीकरण विषय व रुचि के अनुसार है इसलिए नीचे की पॉंच चर्चाओं में से अपनी पसंद की चर्चा पढें और अपनी पसंद की चर्चा पर ही टिप्पणी भी करें। पर इस मॉडल पर टिप्पणी यहॉं या कहीं भी कर डालें चाहें। चर्चाएं हैं-
कविता की रसधार में कविताई
जहॉं गद्य ललित है कोमल है ललित गद्य
दाग अच्छे हैं- व्यंग्य पोस्टें
धड़धड़ फ्राड पर तीरे नजर - तकनीक व चिट्ठाई
पत्रकारिता का भटियारापन और वैज्ञानिक का भटकता मन - विमर्श व चिंतन
पर पहले सारी पोस्टों के लिए नारद पर यहॉं देखें, चिट्ठाजगत पर यहॉं देखें, ब्लॉगवाणी पर यहॉं देखें।
वैसे हम फोटोब्लॉग की कैटेगरी से भी कुछ देना चाहते थे पर फिर सामूहिक संसाधन के इस सामूहिक इस्तेमाल की भी बात थी। तो आनंद ले चिट्ठों का और चर्चा(ओं) का।
आपने बहुत उम्दा तरीका खोजा है ।वास्तव मे चिट्ठो की चर्चा यही है और भविष्योन्मुख चर्चा ऐसी ही हो सकती है । कल चर्चा करते हुए मै इस सन्कट से जूझी थी कि हर चिट्टःए के साथ न्यायपूर्ण चर्चा कैसे हो ?समय एक महत्वपूर्ण कारक है । अपने दैनिक कार्यो मे से हम ४-५ घण्टे क्या अबाधित चर्चा कर सकते है ? अवश्य ही आपने इतना समय तो लगाया ही होगा ।
जवाब देंहटाएंघुमावदार चर्चा अच्छी है. जिसकी जैसी पसंद उस कोठरी में सीधे जा सकता है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर.
एक बेहतरीन, सर्वथा नया, स्तुत्य प्रयास.
जवाब देंहटाएंसंभवतः भविष्य में सभी चर्चाएँ इन्हीं मानदंडों पर हों. और ऐसे ही हों तो ज्यादा अच्छा.
हालाकि आपने साधुवाद समाप्त होने का क़यास लगाया था, फिर भी, आपको साधुवाद!
क्या रवि जी आप भी काकेशजी की ही तरह पहचान में गड़बड़ कर रहे हैं- साधुवाद के अंत की घोषणा वाले नीत्शे मसिजीवी हैं उसके लिए हमें जिम्मेदार न माना जाए। :)
जवाब देंहटाएंचर्चा का मॉडेल आपको पसंद आया इसके लिए शुक्रिया, इस साधुवाद को जरूर हम मसिजीवी के साथ शेयर कर लेगे क्योंकि ये हमारी उनकी सहमति से पनपा :)
बेहतरीन. हम बिना कन्फ्यूज हुए साधुवाद कह रहे हैं. :)
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा तरीका है चिट्ठाचर्चा का,
जवाब देंहटाएंआगे भी ऐसे ही प्रयास होते रहें तो चिटठाचर्चा की उपयोगिता बढेगी,
साभार,
चिठ्ठाकारिता के संबंध में मेरे जैसे कइ लोग ऐसे हैं, जिनको चिठ्ठाकारिता के कइ गुर सिखने हैं. ऐसे में ईस क्षेत्र में हिन्दी के प्रसार प्रचार हेतु नये चिठ्ठाकारों को चिठ्ठाकारिता के रहस्य उजागर करने की हर कोशिष सार्थक ही सिद्ध होगी...
जवाब देंहटाएं- विजयकुमार दवे