रविवार, जुलाई 22, 2007

धड़ाधड़ फ्राड पर तीरेनजर

तकनीकी व चिट्ठाई लेखन में दो मुद्दे और तीन-चार पोस्‍टें। पहले सागरभाई ने एक पोस्‍ट लिखी थी जिसमें क्लिक की गैर ईमानदारी की चर्चा थी- हमारा क्‍या है हो गए प्रेरित और लिख दिया-

दरअसल इन्‍हीं फ्राडों के चलते गूगल अर्थव्‍यवस्‍था पर ही एक संकट सा आ गया है, क्‍योंकि अब विज्ञापनदाता प्रति क्लिक भुगतान करने के स्‍थान पर अब साईनअप या सेल्‍स पर ही भुगतान करने वाले मॉडल को वरीयता देने लगे हैं।

पर ऐसे विषयों पर रविजी को पढ़ने का अपना आनंद है और हम तो कहते हैं कि फ्राड मानें तो मानें पर आपको इन्‍हें पढ़ना चाहिए और एकाध विज्ञापन भी क्लिक कर देखना चाहिए इससे हाथ से हाथ बढ़ा का जज्‍बा पैदा होता है। है कि नहीं- खैर इस विषय पर उन्‍होंने लिखा-

एडसेंस मिसयूज़ का किस्सा तो एडसेंस के आरंभ से ही चला आ रहा है, हालाकि अब हालात काफी कुछ सुधर गए हैं. मुझे याद आ रहा है सात आठ साल पहले का वाकया जब यहाँ रतलाम में भी किसी नेटवर्क कंपनी ने लोगों को किश्तों में पीसी बांटे थे और उन लोगों को इंटरनेट पर कुछ खास साइटों के विज्ञापनों को क्लिक करते रहने होते थे और बदले में बहुत सा पैसा मिलने का झांसा दिया गया था. उनके पीसी को हर हफ़्ते फ़ॉर्मेट किया जाता था ताकि कुकीज वगैरह से पहचान स्थापित दुबारा नहीं की जा सके. शायद तब आईपी पते से पहचानने की सुविधा नहीं जोड़ी गई रही हो.

ओह रतलाम की कंप्‍यूटर क्रांति गूगलफ्राड से आई है :)

दूसरा मुद्दा हुआ है चिट्ठाजगत की दुनिया का जहॉं की जा रही रेटिंग पर तरुण भाईसा ने चंद सवाल उठाए हैं दिक्‍कत दोनों ही रैंकिंग से है। विपुलजी ने भी वहीं पहुँच के जबाव दिए हैं हम प्रतिक्रिया दे आए हैं आप भी जाकर दे आएं। चाहते थे कि कॉपी पेस्‍ट कर यहॉं बता देते कि तर्क की दिशा क्‍या है पर क्‍या करें इन गीकों ने भी न... पता नहीं क्‍या जुगाड़ है कि नकल करता हूँ टेक्‍स्‍ट और होता है लिंक- हम उसी सिद्धांत पर कि भई खुद टाईप तो करेंगे नहीं कह रहे हैं कि जाकर ही देख लें। :)

मूल चर्चा पर वापस जाने के लिए क्लिक करें

Post Comment

Post Comment

4 टिप्‍पणियां:

  1. गीक का पृष्ठ ऑपेरा मे खोलिये :)

    जवाब देंहटाएं
  2. गीक का पृष्ठ फायरफोक्स में भी खोल सकते हैं ;)

    जवाब देंहटाएं
  3. गीक का इलाज गीकहि जाने :)

    जवाब देंहटाएं
  4. ये सही कहा- गीक का इलाज गीक ही जाने.

    अपने तो मुहाने पर बैठे रहो. हम भी बैठे हैं मुहाने पर-चलो तनिक बतियाया जाये. :)

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative