अगर आप चिट्ठाकार मिलन पर कुछ पढ़ना चाहें तो च्वाइस है कि हमारे यहॉं जाकर दिल्ली मीट की बात करें या सत्य की घाटी में जाकर उमाशंकरजी के साथ इस बैठक का एंजेंडा तय करें या फिर चाहें तो फुरसतिया जी के चिट्ठे पर जाकर बाकायदा एक मीट का वर्णन पढ़ें । तस्वीरें टंडनजी पहले ही दिखा चुके हैं। यक्ष अनुत्तरित प्रश्न रहा
डा.टंडन ने सवाल दागा- आप इतना लिखने की फ़ुर्सत कैसे निकाल लेते हैं?
हमारे पास कोई जवाब न था। हमने मुस्करा के बात टालने की कोशिश की लेकिन उसी घराने के सवाल वे बराबर उछालते गये।
अगर भाषाबाजी करनी हो, भाषाखोरी करनी हो सिर्फ भाषावाद करना हो तो आपके पास कुछ च्वाइस हैं मसलन आप प्रमोद के साथ सुकुमार हिंदी की सवारी कर सकते हैं, मोहल्ला में इस भाषा की बीमारू होने पर चल रही बहस में हिस्सा ले सकते हैं, लाल्टू के यहॉं इस भाषा में लिखने की उनकी परेशानियॉं सुन सकते हैं, हरिराम के यहॉं वाक्यांश कोश की जरूरत पर विचार देख सकते हैं और नहीं तो ज्ञानदत्तजी द्वारा भाषा का खतम इस्तेमाल देख सकते हैं। यानि इस मामले में आपके पास च्वाइस ही च्वाइस है।
• हिन्दी वाले खतम हैं.
• अरुण अरोड़ा खतम पन्गेबाज हैं.
• फ़ुरसतिया एकदम खतम ब्लागर हैं.
• समीर लाल की टिप्पणियां खतमतम होती हैं.
• अभय तिवारी ने अछूतों पर एक खतम शोध किया है.
• इन्फ़ोसिस के नारायणमूर्ति एक खतम व्यक्तित्व हैं.
• आप बिल्कुल खतम आदमी हैं.
लगता है पंगाशास्त्र पढकर इन्होंने कई लागों से एकसाथ पंगे ले लिए हैं।
पर असली च्वाइस तो है कविता पढ़ने में- दीपक की कविता रंग बदलता सौंदर्य महसूसें या फिर योगेशजी के यहॉं झुलसा कबीर पढ़ें
अपनी किस्मत, अपना हिस्सा,
सबका अपना अपना किस्सा,
कोई बडी जमीं का मालिक
कोई बोये बिस्सा बिस्सा,
बिरहन भक्तिन श्रेयार्चन की कविता कान्हां के भावों में खो जाएं, मान्या की कविता तुम्हारा आईना हूँ मैं पढ़ें जहॉं (भी) समीर ने 'सुंदर कविता' टाईप टिप्पणी की है। हिंद युग्म व गुरनाम सिंह जी की भी कविताएं हैं।
पर ये सब आपके लिए राईट च्वाइस नहीं रहीं हैं क्योंकि आप गीकटाईप हैं या बनना चाहते हैं तो आप जाहिर है तकनीक पर नजर डालेंगे तो हुजुर मेरे झोले में आपके लिए भी काफी च्वाइस हैं- आप फिलिप महोदय के यहॉं चिट्ठाचोरों से बचने के उपाय देखें या देखें कुछ मुक्त साफ्टवेयर । आई फोन पर राजेश को सुनें, देवाशीष नए वर्डप्रेस की समीक्षा कर रहे हैं और वर्च्युल टीम्स पर ईस्वामी कर रहे हैं चर्चा।
अब च्वाइस देखने और न देखने की। सबसे पहले फिर से पूछा गया कि चिट्ठाजगत देखा कि नहीं, फिर सुजाता ने कहा कि अनदेखा करें... फिर थोड़ी ही देर में कहा कि अनदेखा न करें- शास्त्रीजी ने सही ही कहा है कि ये अनदेखा करें...कहना ठीक नहीं है। वैसे ठीक तो ये भी नहीं है कि बिजली बेकार यूँ ही जलती रहे। पर ये आपको पंकजजी के यहॉं जाकर ही देखना पड़ेगा क्योंकि हमारे यहॉं तो उनका ये लिंक आज खुल नहीं रहा।
कुछ देखने की भी च्वाइस हैं- प्रतिबिंब पर, मिश्राजी के यहॉं भी पर हम दिखा रहे हैं एक तस्वीर हनुमानजी के ऑंसू रविजी के यहॉं से।
और अब आपके पास भी च्वाइस है चाहें तो नीचे टिप्पणी दें नहीं तो भी नीचे टिप्पणी दें
एक दिन में 57 पोस्ट - हिन्दी चिट्ठों के लिखे जाने की गति में त्वरण बढ़ने लगा है. अब एक दिन में 100 के आंकड़े का इंतजार है. देखते हैं कितनी जल्दी पूरा होता है...
जवाब देंहटाएंचर्चा अच्छी बन पडी है ।साधुवाद्!
जवाब देंहटाएंनोटपैड ने हमारी भाषा में वैसे तो कह ही दिया है फिर भी-वाकई चर्चा अच्छी बन पडी है..और साधुवाद के लिये मैं भी उनका समर्थन करता हूँ. :)
जवाब देंहटाएंभाइ हमारा नाम भी आया है,तो हम तो बहुत बहुत बढिया बतायेगे ही.नही वाकई मे अच्छी है जी
जवाब देंहटाएंचिट्ठाजगत से यहॉं पढ़ें (कुल 57 पोस्ट) (ध्यान रखें कि ये अक्सर सर्वर डाउन पाया जाता है, हमें दोष न दें, टीथिंग प्राब्लम हैं, सहयोग करें)
जवाब देंहटाएंजनाब चिट्ठाजगत को launch होनें दें, अभी official launch नहीं हुआ है। कुछ लोगों को पता चला और बात फैल गई। इस लिए updates के लिए सरवर रोकना पडता है।