रविवार, जुलाई 22, 2007

पत्रकारिता का भटियारापन और वैज्ञानिक का भटकता मन

विर्मशात्मक पोस्‍टों में से मैं दो पोस्‍टों की चर्चा करना चाहूँगा - पहली और वाकई दमदार पोस्‍ट है नीरज रोहिल्‍ला की विज्ञान और प्राद्योगिकी में एक गालीय घोड़े की परिकल्‍पना। क्‍या बात है- सौभाग्‍य से हम चिट्ठाकारों में नीरज, मिश्राजी, लाल्‍टू, शास्‍ती्रजी जैसे संवेदनशील वैज्ञानिक हैं और वे तो इस लेख से जुड़ाव स्‍वाभाविक रूप से महसूस करेंगे ही पर हम भी इस वाकई मौजूं लेखन मानते हैं। खासकर छटपटाहट की अभिव्‍यक्ति -

जिस गति से शोधपत्र छप रहे हैं उसके लिहाज से आप कभी भी विषय पर पूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते । आपको कहीं न कहीं रेखा खींचनी पडेगी और अपना मौलिक कार्य प्रारम्भ करना पडेगा ।

तथा

मैने वास्तव में गोलीय घोडों जैसी अवधारणायें मानकर महत्वपूर्ण विषयों पर शोधकार्य होते देखा है । कई बार ऐसी हास्यास्पद परिकल्पनायें वास्तविक जीवन की समस्याओं (Real World Problems) को सुलझाने में सक्षम होती हैं । Pure Science के क्षेत्र में भले ही आपको ऐसी अवधारणाओं की आवश्यकता न पडे लेकिन व्यवहारिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Applied Science and Technology) के क्षेत्र में लगभग रोज ही ऐसी अवधारणाओं पर शोधकार्य किया जा रहा है ।

दूसरी पोस्‍ट सेलेब्रिटी पत्रकार रवीश की अपने लेखन के श्रेय को एनडीटीवी की झोली में पटकती हुई पोस्‍ट है।

हिंदी पत्रकारिता अपने भटियारेपन से गुज़र रही है। देखा जाना चाहिए कि क्या यह सब पत्रकारों की नाकामी से हो रहा है। क्या टीआरपी सिर्फ भूत प्रेत से आएगी ? जिस तरह से आजतक ने नकली दवाओं का पर्दाफाश किया उससे टीआरपी, बाज़ार और पत्रकारिता का रास्ता नहीं दिखता? करोड़ों लोगों की ज़िंदगी से समझौता करने वाली नकली दवाईयां। उसे तो दस दिन तक लगातार दिखाना चाहिए। या फिर ऐसी खोजी पत्रकारिता की सीमा है? रोज़ नहीं मिल सकती? रोज़ हासिल करने के लिए भूत तांत्रिकों को लाना होगा?

विमर्श वाल भी पोस्‍टें तो बहुत हैं पर हम कोई तांत्रिक थोड़े ही हैं कि सब बता पाएंगे कुछ मेहनत आप भी करें :)

मूल चर्चा पर वापसी के लिए क्लिक करें

Post Comment

Post Comment

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह मजा आ गया,
    इस बार तो हमें भी खूब फ़ुटेज मिल गयी :-)

    बहुत बहुत धन्यवाद,

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके सफल ब्लॉग के लिए साधुवाद!
    हिंदी भाषा-विद एवं साहित्य-साधकों का ब्लॉग में स्वागत है.....
    कृपया अपनी राय दर्ज कीजिए.....
    टिपण्णी/सदस्यता के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें....
    http://pgnaman.blogspot.com
    हरियाणवी बोली के साहित्य-साधक अपनी टिपण्णी/सदस्यता के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें....
    http://haryanaaurharyanavi.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative