सोमवार, अप्रैल 06, 2009

एक दीवाना नेट पे कविता लिखकर फ़ूट लिया


पंकज उपाध्याय
पंकज उपाध्याय का जन्मदिन बीत गया। इस मौके उन्होंने एक प्रयोग कर डाला। काफ़ी और सिगरेट के साथ जन्मदिन मना डाला। एक मूड नियंत्रण मशीन की कल्पना भी कर डाली! पता नहीं कब बनेगी ऐसी मशीन फ़िलहाल तो पंकज को जन्मदिन मुबारक!

इधर एक ब्लाग का भी जन्मदिन मनाया जा रहा है। हिंदी ब्लाग टिप्स आशीष खण्डेलवाल का ब्लाग है। उसका एक साल पूरा हुआ। हिमांशु ने सभी ब्लागरों की भावनाओं का इजहार करते हुये अपनी शुभकामनायें दी हैं:
हिन्दी ब्लॉग टिप्स का आविर्भाव ब्लॉगरों के कल्याण के लिये हुआ था, और वह इसमें सफल हुआ है ।
आपके इस ब्लॉग की जितनी भी सराहना करुं, मन न भरेगा ।
निरन्तर गतिशील रहे यह, इसी कामना के साथ जन्मदिन की बधाई ।


कल तरुण ने अशोक पाण्डेय के ब्लाग खेतीबाड़ी की चर्चा की। अशोक पाण्डेय अपने गाँव में खेती करने के साथ एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक के लिए इलाकाई खबरें भेजते हैं!

तरुण से सवाल जबाब के दौरान अशोक पाण्डेय ने किसानों से जुड़ीं अपनी भावनायें जाहिर कीं:
  • इस देश में भगवान और किसान को सबसे अधिक बेवकूफ समझा जाता है और उन्‍हें सबसे अधिक छला जाता है। कृषिप्रधान देश होने के बावजूद यहां सबसे अधिक उपेक्षित कृषि और किसान ही हैं।

  • किसान की जुबान का ताला खोल दो, उसके हाथों में इतनी ताकत है कि वह अपनी किस्‍मत खुद संवार लेगा।

  • हम तो भीड़ में रहना पसंद करते हैं। मेरा वश चले तो मैं हॉलीवुड, बॉलीवुड, पॉलीवुड सभी को बुला लूं और कहूं कि खेत की मेड़ पर घूमते हुए मटर की हरी-हरी छेमियां खाते हैं और चांदनी रात में खलिहान में बैठकर चैता, कजरी का आनंद लेते हैं।


  • संयोगवश कल ही अरविन्द मिश्रजी ने चिट्ठाकार चर्चा के तहत कुश के बारे में लिखा। कुश एक बेहतरीन इंसान, नित नये अंदाज में प्रस्तुति के लिये प्रयास करने वाले लोकप्रिय ब्लागर हैं। मुंह देखी बात न करने के बावजूद उनसे किसी का मनमुटाव नहीं है। अजातशत्रु टाइप का बच्चा है कुश। रचना सिंह जी तो कुश को सबसे अच्छा चर्चाकार मानती हैं और बताती भी हैं। जिस दिन कुश चर्चा करते हैं पाठक संख्या बढ़ जाती है।

    बहरहाल अरविन्दजी ने कुश के बारे में चर्चा की। इसके पहले भी मिश्रजी ने कई चिट्ठाकारों की चर्चा की है। उनका अपना अंदाज है। उस पर सवाल उठाना उचित नहीं होगा। लेकिन एक पाठक की हैसियत से जो मैंने महसूस किया वह यह है कि उनके प्रस्तुतिकरण में चिट्ठाकार से उनका खुद का तुलनात्मक वर्णन प्रमुखता लिये रहता है। अगले की तारीफ़ करने के लिये अपनी बुराई करना जरूरी तो नहीं। किसी को बुद्धिबली, प्रतापी बताने के लिये खुद को बुड़बक, भकुआ सा जाहिर करना जरूरी है क्या?

    अरविन्दजी का यह आत्मप्रक्षेपण का अंदाज उनकी हर चिट्ठाकार चर्चा में मैंने देखा है। जैसा महसूस किया वह बता रहा हूं। बावजूद कल अखबार में पढ़े विनोद कुमार शुक्ल (कवि/कथाकार) के इस सवाल जबाब के:
    सवाल: पाठक वर्ग की आम शिकायत है कि कवितायें दिन-ब-दिन दुरूह होती जा रही हैं, इसीलिये लोग कविताओं से जुड़ नहीं पा रहे हैं, इस पर आपके क्या विचार है?
    जबाब: कविता पाठक की डिमांड पर नहीं लिखी जाती। पाठक को कौन जानता है? कविता को कविता की तरह ही लिखा जाना चाहिये। जो कविता है उसे अनुवादित कर लिखने की जरूरत नहीं होनी चाहिये कि कवि जो कविता लिख सकता है उसे पाठकों के कारण से अनुवादित करे।


    ममताजी आप अपने छोटे बच्चे के कार्यक्रम की वीडियो दिखा रही हैं। देखिये और उनको बधाई दीजिये।

    प्रीति बड़थ्वाल कहती हैं:

    सोज़ तुम्ही मेरा, साज़ भी तुम हो,
    मेरे दिल की हर बात भी तुम हो,
    सांसों से जो दिल तक जाती,
    वो हसरत, वो चाहत भी तुम हो।


    ये पीड़ा भी देख लीजिये सर्किट की:
    रोते रोते जूते घिसते थे
    पिताश्री फिर आकर खड़े हो जाते थे,
    सच मानिए, हम तुंरत ही रोना बंद कर देते थे
    और जाकर अपना बस्ता सजाते थे !

    जब हमारा सारथी सड़क पर खड़े होकर चीखता था
    तब हम शान से बस्ता ले जा कर उसे थमा देते थे,
    आखिर तब हम नवाब हुआ करते थे
    रिक्शे से स्कूल जाया करते थे !



    प्रवासियों के बारे में लिखते हुये कभी जीतेन्द्र के ब्लाग पर पढ़ा था:
    हम उस डाल के पन्क्षी है जो चाह कर भी वापस अपने ठिकाने पर नही पहुँच सकते या दूसरी तरह से कहे तो हम पेड़ से गिरे पत्ते की तरह है जिसे हवा अपने साथ उड़ाकर दूसरे चमन मे ले गयी है,हमे भले ही अच्छे फूलो की सुगन्ध मिली हो, या नये पंक्षियो का साथ, लेकिन है तो हम पेड़ से गिरे हुए पत्ते ही, जो वापस अपने पेड़ से नही जुड़ सकता.


    कविता जी ने प्रवासी साहित्य पर एक परिचर्चा शुरू की है। इसी परिचर्चा में प्राप्त कुछ प्रतिक्रियायें आप यहां पढ़ सकते हैं।

    लावण्याजी के ब्लाग पर खूबसूरत घरेलू फ़ोटुयें देखिये।

    चलते-चलते सुन लीजिये एक सस्ता शेर:

    दारू छनती बड़ी जगह ,पर नम्बर वन तो सोलन है ,
    सस्ता - शेर कोई ब्लॉग नहीं ये तो इक आन्दोलन है


    एक लाईना


    1. पराठे वाली गली का मजा लीजिए : गली का क्या मजा लें? पराठा खिलाओ!

    2. ...धुत्त इनको तो ट्रेन में चलने का सेन्से नहीं है :चढ़ने के पहिले टिकट लेने गये हैं

    3. किसकी संगत कर ली, यार!! :अब करी तो झेलो, रोना है बेकार

    4. भारत को डूबते हुए देखते रहिए.. : इत्ती उमर बीत गयी देखते -देखते डूबता ही नहीं

    5. थका-हारा, लस्त-पस्त कौवा कितने कंकड़ ला सकता था ? :बूझो तो जानें

    6. चार कॉलम के नीतीश और सिंगल कॉलम के जॉर्ज : मिलाकर हो गये पांच कालम चौपट

    7. लंगड़ा आम कि लूला पान- क्या है रजा बनारस : कुछ तो बूझो, बताओ, बकुरो! बोलते काहे नहीं?

    8. एक दीवाना नेट पे... :कविता लिखकर फ़ूट लिया

    9. जागो नेता जागो : भाषण देकर फ़िर खर्राटे भरना

    10. काश !! हमारा सपना दिल्‍ली में एक कोठी लेने का ही होता:अब क्या सपना देखना, पूरी करिये मन की मुराद

    11. गीत भी हँस पड़े :कोलगेटिया हंसी



    और अंत में

    आज कविताजी कुछ व्यस्त थीं इसलिये चर्चा का काम हमको करना पड़ा। कल विवेक का दिन है लेकिन बजरंगबली भक्त का मानना है चर्चा में दो दिन जाते हैं एक चर्चा करने में एक दिन प्रतिक्रियायें देखने में। विवेक को अपने आगे की पढ़ाई के लिये इम्तहान की तैयारी भी करनी है इसीलिये वे अपने ब्लाग पर दुबारा अभी तक सक्रिय नहीं हुये हैं। देखिये कल चर्चा का मन बना पाते हैं या नहीं। जैसा होगा वे बतायेंगे।

    शिवकुमार मिश्र भी आजकल ब्लाग वैराग्य के दौर से गुजर रहे हैं। जीतेन्द्र चौधरी ने शायद एक पोस्ट लिखी थी जिसमें उन्होंने बताया था कि ब्लागर कैसी-कैसी मन:स्थितियों से गुजरता हूं। यह शायद ब्लागर की दस मन:स्थितियों में से पहली या दूसरी स्थिति है जब कुछ लिखने का मन करता। वैसे कुछ लोगों ने अप्रैल फ़ूल वाले लफ़ड़े के बारे में शिवकुमार जी से पूछा है कि क्या सही में कुछ मनमुटाव है ज्ञानभैया से। हमने उनसे कहा कि खंडन जारी कर दो तो उन्होंने कहा खंडन जारी करने का मतलब इसे सच साबित करना है। हमने कहा कि तब फ़िर यही लिख दो कि हम इस लिये खंडन जारी नहीं कर रहे हैं क्योंकि उससे भ्रम फ़ैलेगा। मतलब वे न हां कह रहे हैं न न! यथास्थिति बरकरार है।

    फ़िलहाल इतना ही।आपका हफ़्ता चकाचक शुरू हो। ओपेनिंग अच्छी होगी तो बीतेगा भी अच्छा। है न!

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    25 टिप्‍पणियां:

    1. पंकज उपाध्याय को जन्मदिन की (belated) बधाई और आशीष खण्डेलवाल जी को ब्लाग के जन्मदिन पर शुभकामनाये

      Regards

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    2. पंकज जी को जन्मदिन की हर्दिक बधाई.

      रामराम.

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    3. आशीष खंडेलवाल के हिंदी टिप्स ब्लाग को भी अनन्त बधाई. आशीष जी ने कई लोगों की मुश्किले हनुमान जी की तरह दूर की हैं और आगे भी वो हनुमान जी बने रहें इन ब्लागिवुड की तकनीकी संकटॊं से निजात दिलाने मे. यही विनती है.

      रामराम.

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    4. अब खुद से किसी की तुलना न करके अनूप शुक्ल जी से किया करूंगा ! सारी दुनिया का दुःख दर्द अपने ऊपर ले रहा हूँ फिर भी दुनिया है कि कहर ढा रही है !

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    5. दोनों को बधाई हम दे चुके हैं। यह चर्चा भी अदालती लगती है। अदालत का जज छुट्टी जाता है, लिंक कोर्ट केवल अर्जेंट काम निपटा कर बाकी मुकदमों में तारीख बदल देती है।

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    6. सब समेट लिया आपने चर्चा में। बखूबियत के लिए आभार। मुद्दों से सहमति।

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    7. अच्छी चर्चा ..सहमत हूँ आपसे मुद्दों पर

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    8. This is a quote from Dr Arvinds post
      अब जहाँ कुश हैं वहां "लव " को तो होना ही है -और इसकी जानकारी एक दिन मुझे अनायास ही हो गयी ! ऐसे ही एक दिन मैं अंतर्जाल पर था -एक खिड़की सहसा खुल आयी -अचानक कुछ रम पम पम सा और आती क्या खंडाला टाईप ध्वनियाँ (ओह उस दिन मेरा स्पीकर भी काफी लाउड था ) आने लगीं -देखा चैट की एक खडकी खुली है और कुश अपनी करामत पर हैं -मैं अकस्मात कुछ समझ नही पाया तो कुश को हेलो किया -कुछ क्षण अप्रत्याशित शान्ति छाई रही और फिर कुश ने एपोलोजायिज किया और अंतर्ध्यान हो गए ! तो यह क्रॉस चैटिंग का मामला था ! आज भी वह दस्तावेज मेरे पास अभिलेखित है निजी हैं इसलिए शेयर नही कर रहा हूँ -पर सच मानिये बहुत मजा आया -मगर फिर थोड़ी कोफ्त हुयी ख़ुद पर -इतना जल्दी रिएक्ट करने की क्या जरूरत थी ? कुछ वोयेरिज्म का आनंद मैं भी उठाता !
      http://www.urbandictionary.com/define.php?term=voyarism


      voyarism has been defined as
      Having sex with a girl and broadcasting it late at night for your friends to watch.

      अब डॉ अरविन्द को कुश के वोयेरिस्म आनद लेने से क्यूँ वंचित होना पडा इसका जवाब मुझसे बेहतर कुश ही देगे .

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    9. चर्चा अच्छी रही । धन्यवाद ।
      अभी-अभी रचना जी ने वोयेरिस्म का अर्थ बता दिया है । कुछ अनर्थ न हो ।

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    10. पंकज उपाध्याय को जन्मदिन की (belated) बधाई और आशीष खण्डेलवाल जी को ब्लाग के जन्मदिन पर शुभकामनाये........

      अंत में...
      शब्द ज्ञान में बढोत्तरी के लिए धन्यवाद

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    11. सस्ता - शेर कोई ब्लॉग नहीं ये तो इक आन्दोलन है
      बहुत लगे थे फुलस्टाप., पर यहाँ तो कोलन है!!!!:)

      >कविताजी को मुद्दों से सहमति है. पर हमें तो मुद्दत से सहमति रही:)
      >अंग्रेज़ी हमारी कच्ची है इसलिए हम किसी शब्दकोशी चर्चा से परहेज़ करेंगे:)

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    12. सहमत हूँ,
      अपने को विनम्र दिखलाने के प्रयास में अरविन्द जी ऎसा करते होंगे ।
      आपका इस प्रकार का संकेत यहाँ रखना, मार्गदर्शन की एक अच्छी दिशा है..
      स्वागत है, ऎसी चर्चा का !
      पण गुरु.. ?
      अपुन के साथ यही तो गड़बड़ है, कि .. ससुरे किन्तु-परन्तु खर दूषण-की तरह साथ टँगें घूमते हैं ..
      तो गुरु, कहीं पर कुछ अच्छा देख कर ईर्ष्याग्रस्त ( जल भुन ) हो जाया करने का क्या मायने समझा जाये ।
      बेहतर करने का प्रयास किया जाये, या ईर्ष्याग्रस्त होकर.... ?

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    13. शुक्ल जी, हर व्यक्ति के सोचने का नजरिया अलग अलग होता है। जरूरी नहीं कि अरविंद जी भी आपके अनुसार ही दूसरों का आकलन करें।

      ----------
      तस्‍लीम
      साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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    14. सस्ता शेर पसन्द आया। पेश है -
      गुल खिले, गुलशन खिले, और खिले गुलदस्ते।
      शेर सुनाने के पहले आप सब को मेरी नमस्ते!

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    15. पंकज उपाध्याय को जन्मदिन की बधाई और आशीष खण्डेलवाल जी को ब्लाग के जन्मदिन पर शुभकामनाये हमारी भी !
      आप चर्चा मेँ बखूबी बहुत कुछ समेट लेते हैँ .......


      - लावण्या

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    16. हमारी चर्चा आप उधार में करते रहिए ! परीक्षा के बाद सब ब्याज सहित चुका देंगे :)

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    17. 'Voyeurism' (not voyarism) is derived from voyeur.Oxford Advanced Learners Dictionary explains the word `voyeur' as: 1.a person who gets pleasure from secretly watching other people have sex. 2.a person who enjoys watching the problems and private lives of others.

      A detailed psychological explanation is given here
      http://www.psychnet-uk.com/dsm_iv/voyerism_disorder.htm

      some exerpts...

      Voyeurism is a disorders of sexual arousal. It involves the act of observing unsuspecting individuals, usually strangers, who may be naked or in the process of disrobing. A variation of voyeurism entails listening to erotic conversations; e.g. telephone sex.

      In current Society a certain amount of voyeurism is considered normal, such as watching x-rated movies, as well as graphic magazines. You may have even been sexually aroused when you noticed by accident someone who was undressing, naked, or having sex.

      However, the key factor here is that unless you seek out these experiences, you are not a true voyeur.

      ऊपर का विवरण बताता है कि जिस दर्शनरति का उल्लेख अरविन्द जी ने अपनी पोस्ट में किया है उस प्रकार का अवसर मिलने पर कोई सन्त महात्मा भी मुंह नहीं फेर लेगा। जिस हल्के-फुल्के विनोदपूर्ण शैली में यह बात लिखी गयी थी उसे ऊपर की एक टिप्पणी ने बदरंग बनाने का प्रयास किया है।

      यहाँ भी वही प्रवृत्ति काम करती दिखी जिससे महिला अन्तरिक्ष यात्रियों की चर्चा के बीच अचानक ‘कुतिया’ विवाद छेड़कर अर्थ का अनर्थ बना दिया गया था। इस प्रकार का छिद्रान्वेषण किस प्रकार की तृप्ति प्रदान करता है यह मनोवैज्ञानिक अध्ययन का विषय होना चाहिए। देहात में जिसे ‘लंठई’ कहा जाता है वह तो यह कत्तई नहीं है।

      मन के भीतर कोई कुंठा पालकर रहने वाला व्यक्ति कभी प्रसन्न नहीं रह सकता। यदि अरविन्द जी अपने निजी अनुभव को मुक्त भाव से अपने ब्लॉग पर व्यक्त करते हैं और उसमें किसी के लिए गाली या आपत्तिजनक बात नहीं है तो उसका उसी रूप में आस्वादन किया जाना चाहिए। फिर भी असहमति व्यक्त करने की छूट तो सबको है। और यही ब्लॉगरी की सबसे अनूठी बात है।

      कुल मिलाकर चिठ्ठाचर्चा बड़ी मस्त हुई जा रही है। शुक्रिया।

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    18. आज की चर्चा कविता जी को करनी थी लेकिन अनूप जी आ गये। फिर भी चर्चा पर चर्चा वैसी ही चल रही है जैसी झमाझम चर्चा कविता जी आमन्त्रित कर लेती हैं। रचना जी एक बार फिर अपनी खोजी नजर से ऐसा मसाला ढूँढने में सफल रही हैं जो बात का बतंगड़ बना ही दे। इस मुद्दे पर और क्या कहें ऊपर बहुत कुछ सलीके से कहा जा चुका है।

      अनूप जी की नसीहत काबिले गौर है।“उनके प्रस्तुतिकरण में चिट्ठाकार से उनका खुद का तुलनात्मक वर्णन प्रमुखता लिये रहता है। अगले की तारीफ़ करने के लिये अपनी बुराई करना जरूरी तो नहीं। किसी को बुद्धिबली, प्रतापी बताने के लिये खुद को बुड़बक, भकुआ सा जाहिर करना जरूरी है क्या?...अरविन्दजी का यह आत्मप्रक्षेपण का अंदाज उनकी हर चिट्ठाकार चर्चा में मैंने देखा है।”

      इसपर तो मैं यही कहूंगा कि अपने ब्लॉग पर हम जो कुछ भी लिख रहे हैं वह हमारे व्यक्तित्व का एक विस्तार ही तो है। यहाँ हमें जो स्वतंत्रता मिली हुई है उसका प्रयोग यदि दूसरों के लिए आपत्तिजनक हुए बगैर हम अपने मन, शरीर, और आत्मा से निःसृत भावों को मुक्त रुप से कहने में करते हैं तो इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। कर तो अनेक रहे हैं इस काम को। लेकिन कोई शास्त्रीय कलाकार की भाँति सुघड़ तरीके से कर रहा है तो कोई लोकरंग की मस्ती में नहाया हुआ थोड़ा अनगढ़ ही रह जाता है। लेकिन मजा दोनो का लिया जा सकता है।

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    19. हिंदी ब्लॉग टिप्स को उसके १ वर्ष पूरा होने पर "प्राची के पार..." की टीम से ढेरों बधाई , और ५६ कमेंट्स (अब तक ५६) के लिए भी...

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    20. धन्यवाद अनूप जी, धन्यवाद चिट्ठा चर्चा और धन्यवाद आप सब का। आप सब लोग बहुत प्यारे है। कोति कोति प्रनाम॥

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    21. मस्‍त चर्चा। आशीष जी और पंकज उपाध्‍याय को बधाई।

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    22. voyeur -का मतलब दृश्यरतिक होता है (कृपया देंखे फादर कामिल बुल्के की अंग्रेजी -हिन्दी कोष ).कृपया ऐसे शब्दों का सही अर्थ प्रस्तुत किया जाय ,इसे अश्लीलता से न जोड़ा जाय .डॉ अरविन्द जी ने इस शब्द का सही प्रयोग किया है .

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    23. हम भी ऊपर दी गुप्ता जी की टिप्पणी से सहमत, रचना जी को व्योरिस्म का अर्थ फ़िर से देखना चाहिए। एक अर्थ गुप्ता जी ने बता दिया और एक हम विकेपिडिया से दे रहे हैं रचना जी ध्यान दें
      voyeurism is the sexual interest in or practice of spying on people engaged in intimate behaviors, such as undressing, sexual activity, or other activity usually considered to be of a private nature.[1][2] In popular imagination the term is used in a more general sense to refer to someone who habitually observes others without their knowledge, and there is no necessary implication of any sexual interest.

      Voyeurism can take several forms, but its principle characteristic is that the voyeur does not normally relate directly with the subject of his or her interest, who is often unaware of being observed. The voyeur may observe the subject from a distance, or use stealth to observe the subject with the use of two-way mirrors, camera, videos etc.

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    24. पंकज जी को देर से ही सही लेकिन मेरी शुभकामनाएं और हिन्दी ब्लोग टिप्स के तो हम भी कद्रदान हैं ये हनुमान यूँ ही अपना प्रसाद बांटता रहे। एक लाइना सभी मस्त , सबसे मस्त
      भारत को डूबते हुए देखते रहिए.. : इत्ती उमर बीत गयी देखते -देखते डूबता ही नहीं

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