इंटरनेट पर उपलब्ध तमाम चिट्ठों में से 25 सर्वाधिक प्रसिद्ध चिट्ठों को छांटा गया है. जाहिर है इसमें हिन्दी चिट्ठे तो आने वाले दो-चार सालों में भी नहीं आ पाएंगे - वजह है पाठकों की अत्यंत सीमित संख्या. उदाहरण के लिए, पंचम स्थान प्राप्त बोइंगबोइंग के चार लाख से ऊपर नियमित फ़ीडबर्नर सब्सक्राइबर हैं!
इस सूची में कुछ जाहिरा तौर पर प्रसिद्ध चिट्ठे तो हैं ही जैसे कि क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थल पर गिज़्मोडो.कॉम तथा एंगेज़ेट्स है जिसमें कि नए-नए गॅज़ेट्स और उपकरणों के बारे में तमाम ब्लॉग पोस्ट लिखे जाते हैं. नए गॅज़ेट्स हर किसी को आकर्षित करते हैं! है ना?
बोइंग-बोइंग का नाम भी इसमें है तो लाइफ़-हैकर भी 6 वें क्रमांक पर है. टेकक्रंच को दसवें स्थान पर रहकर संतोष करना पडा है. ऑटो-ब्लॉग भी 13 वें स्थान पर घुसने में कामयाब रहा है जो यह बताता है कि लोगों का कारों और मोबाइक का आकर्षण कभी भी खत्म नहीं होगा. यू-ट्यूब के वीडियो से भरा पूरा क्रुक्स एंड लायर्स 17 वें स्थान पर है जो दिखाता है कि लोग लाफ़्टर चैलेंज जैसी चीजों को अच्छी खासी तरजीह देते हैं. आर्सटेक्निका तथा माशेबल क्रमशः 19 वें तथा 24 वें स्थान पर हैं जिन्हें मैं नियमित पढ़ता हूँ. पेरिज़ हिल्टन नाम का सेलिब्रिटी ब्लॉग 15 वें स्थान पर है जो यह दिखाता है कि अपने बॉलीवुड की तरह फ़िल्मों के हीरो हीरोइनों के बारे में भी जानने को जनता उत्सुक रहती है और इन ब्लॉगों को खूब पढ़ती है.
आपके कथन से पूर्णतः सहमत । हिंदी ज़रा धीमी गति से चलती है । पर पहुँचेगी अवश्य । विश्वास तो किया ही जाना चाहिए । अच्छी और प्रेरणादायक जानकारी के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंचिट्ठा चर्चा की नई परम्परा का स्वागत है..
जवाब देंहटाएंहमारी मातृभाषा का प्रसार आंग्ल भाषा जितना नही है; इसका असर तो पडेगा ही। हमारी मातृभाषा को शक्तिशाली बनाने हेतु हमें ही परिश्रम करना है। दूसरे हिन्दी ब्लोगिंग की यह तो आरम्भिक अवस्था है, भविष्य किसने देखा है?
जवाब देंहटाएंबचपन मे सुनीं और पढ़ी कहानी तो यही कहती है कि कछुवा ही दौड़ में विजयी होता है।
जवाब देंहटाएंवैसे चिट्ठाचर्चा का यह नया अंदाज़ अच्छा है।
हम होंगे कामयाब एक दिन!!! मन में है विश्वास.
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