मंगलवार, जुलाई 31, 2007

लो चन्द बातें

शिकार,जंगल औ सूखी धरती

वे लिख रहे हैं ये चन्द बातें

तो कोई तन्हाईयां बस सजाकर

सवाल करते बिताता रातें



कहीं दिशायें सवाल करतीं

तो कोई दुनिया के रू-ब-रू है

यहाँ रफ़ी की है याद जीवित

हैं साथ भूली औ' बिसरी बातें



कमाले शाहरुख जो कह न पाये

वे पूछते हैं, हूँ कौन मैं भी

ये न्यूज चैनल का जो नजरिया,

की हैं बताते असल की बातें



जो चीर देता है हर युवा को

कहां चमकता है बोलो सूरज

कुछ ऐसे लेकर सवाल मन में

पखेरू करता है तुमसे बातें



यों बात तो हैं हजार लेकिन

न वक्त इतना बतायें सारी

यहाँ क्लिक कर अगर पढ़ेंगे

तो पढ़ सकेंगे हज़ार बातें



अगर न मैं ये लिखूँ जनमदिन

तुम्हें मुबारक ओ लाल साहब

न तुम कहोगे कुछ पर ये दुनिया

उठायेगी दस हज़ार बातें

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4 टिप्‍पणियां:

  1. पढ़ ली चन्द बातें. मजा भी लूट लिया. मुबारकबाद भी धर ली और धन्यवाद यह रहा. :)

    बधाई शार्ट एन्ड स्वीट चर्चा के लिये.

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  2. देर आये, दुरूस्त लाये.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढिया चंद बातें कही हैं।बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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