बुधवार, मई 16, 2007

मध्यान्हचर्चा दिनांक: 16-3-2007

धृतराष्ट्र तथा संजय आमने-सामने बैठे थे. संजय की नज़रें लैपटॉप की स्क्रीन पर जमी हुई थी. धृतराष्ट्र ने कोफि का घूँट भरते हुए पूछा...

धृतराष्ट्र : लगता है चिट्ठा दंगल में जिस प्रकार रोज नए महारथी आ रहे है, उनका हाल सुनाना तुम्हारे वश का काम नहीं रहेगा.

संजय : महाराज जहाँ तक देख सकूँगा सुनाऊँगा....बाकी....

धृतराष्ट्र : ठीक है सुनाओ.

संजय : महाराज, पुराने महारथी तो अपना कौशल दिखा ही रहे हैं, कुछ नए शामिल हुए यौद्धा भी प्रभावी लग रहे है. इनमें आलोक पुराणिक जी छोटे मगर प्रभावी व्यंग्य लेख लिख रहे है.

काकेश पंगेबाज की पोशाक में अरूणजी भी उत्साही चिट्ठाकार के रूप में उभरे है. एक हलचल सी बनी रहती है.

इधर सारथी बने शास्त्रीजी प्रोजेक्ट पाणिनी पर मुहिम चला रखी है.

धृतराष्ट्र : काम तो सराहनीय है मगर ऐसी मुहिम इससे पहले भी चल चुकि है. अतः साथी इनकी सहायता करे तथा जितना काम हो चुका है, उसके पीछे समय खराब न कर इसे आगे बढ़ायें. अब तुम आगे बढ़ो....

संजय : जी, महाराज. आर्थिक मामलो को लेकर चिट्ठाजगत लगभग सुना-सा था. जगदीश भाटीयाजी जरूर कुछ लिखते रहते थे. मगर अब कमल शर्मा जी खास इसी विषय पर वाह मनी लेकर आए हैं. तो कोमोडिटी मित्र जबरदस्त मोलतोल कर रहें हैं.

धृतराष्ट्र : अब कोई नहीं कह सकता हिन्दी चिट्ठों द्वारा माल बनाने के अवसर नहीं है.

फिर हँसते हुए काफि का घूँट भरा.

संजय : कवियों को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं. नए साथी के रूपमें हिन्दी-युग्म पर डो. कुमार विश्वास का स्वागत करें.

महाराज बाकि धुरंधर तो कूँजी-पटल खटखटा ही रहें है. सागर चन्द नाहरजी का पुनरागमन भी हुआ है.

नारदजी सब पर नजर रखे है, कृपया नारदजी का बिल्ला अपने चिट्ठे पर चिपकाए रखे.

 इधर हिन्दी चिट्ठो की नई निर्देशिका पर भी चिट्ठा महारथी अपने चिट्ठे पंजिकृत करवा रहें हैं.

संजय ने कोफी की आखरी चुस्की ली और लोग-आउट हो गए.

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7 टिप्‍पणियां:

  1. इस अंदाज में कुछ तो बात है जो पढ़वाता है…। अच्छी चर्चा!!!

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  2. बहुत बढ़िया. संजय भाई पुनः अवतरीत हुए.

    शिर्षक में आदिकाल की दिनाँक है जब आपने आखिरी चर्चा की थी?? (शायद)

    चर्चा बेहतरीन रही!!

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  3. बडे दिनो बाद दूर द्रष्टि वाले सन्जय भाई दिखाइ दिये. छोटी और अच्छी चर्चा रही.

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  4. चलिये अच्छा हुआ आप आ गये वरना लग रहा था
    कि पांडवों की सहानुभूति में धॄतराष्ट्र खांडवप्रस्थ तो नहीं चले गये ???

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  5. अंदाजे बयां बहुत अच्छा है।

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