शनिवार, मई 05, 2007

जो पढतव्यं सो मरतव्यं । जो न पढतव्यं सो भी मरतव्यं ।

लो भई फिर आ गए हम दिमाग चाटने ।इधर बहुत दिनो से हम आस्तिक आस्थावान {:)}, धार्मिक {?} और अन्धविसवासी {:)} होते जा रहे हैं । क्या कहें सनीचर का दिन हमें चिट्ठाचर्चा करना पडता है तो करेजा मूँ को आता है ,दैव कोप से हम घब्डारए हुए हैं ।सच्ची ! ये तो नारद के चिट्ठे है सो धरम का काम मान कर कर लेते हैं । राम भली करें { रामदेव जी } !

तो पहिले तो बिलागर भाई सबरे चिट्ठे इहाँ देख लेवें 4 मई वाले ।

तो सबसे पहिले काम की बात है कि अपना भाषा ज्ञान नारद पर रह कर निरंतर समृद्ध हो रहा है । बस लिखने का ठोडा आलस बचा रह गया है । का करें हमें लक्षमी गुप्ता ने अवधी मुहाविरा कोश दिया तो भी हमें "लिखे लिखास ना आवे "। और उस पर ओझा जी, जिन्होने एक बार लिखने की कोशिश की थीं और कमल जी जितना ही लिखने का प्रयास करते हैं उतना ही अज़दक भाई हमें बुरी हिन्दी लिखने की प्ररणा और टिप्स दे देकर कबाडा किये दे रहे हैं । तबही तो ना रोज़नामचा जी वर्ल्ड टूर को ;वर्ड टूर लिख रहे हैं :)
पत्नी ने कहा : जिन्दगी की जद्दोजहद में हम कभी घूम फिर न सके। मैं तो वर्ड दूर
करना चाहती हूँ।देवी ने कहा तथास्तु और दो वर्ड दूर के पैकेज प्रकट हो गए
और दूसरी तरफ राकेश जैन की भाषा समस्या ही विचित्र है। वे देवनागरी मे लिखना नही पा रहे और रोमन मे लिखा पढने मे हम जी चुराते हैं। फिर भी जीवट वाले कविजन इन -उन समस्याओं से अनजान काव्य रस कीए निष्पत्ति कर रहे हैं ।सुनिता तो मीरा की याद दिलाते कह रही है -

मैं वीणा तुम स्वर हो मेरे,
मैं पुष्प तुम सुगंध हो स्वामी,
मन वीणा को झंकित
करके , कहाँ गये तुम श्याम-सखा...

और मिश्रा जी स्नेल पर शोध कर रहे हैं । मनीष को हॉस्टल याद आ रहा है ।कमल जी पता नही कैसे कैसे कबूतर बाज़ो से जेहल मे बतिया कर उनकी भ्रष्ट रचनाएँ छाप रहे है :) देखिए -
भारत मेरा देश है लेकिन बदनाम करने के लिए। समस्त भारतीय मेरे क्लायंट हैं विदेश जाने के लिए। समस्त महिलाएं मेरी बीबियां हैं और उनके बच्चे मेरे कबूतर।
उधर कार्यकर्ता की डायरी पर कोई टिप्पणी नही देता । तो वहीं हसन जमाल की टिप्पणियो पर अभी तक पैरवी हो रही है जिसका जवाब मसिजीवी दे रहे हैं

अब दुनिया के नौ अजूबे दिखा दिये ललित मोहन ने । नौ पोस्ट डाल कर।भैय्ये , पहिले एक दो ही डाल देते । रहम करते। वैसे पाठक लोग भी बहुत रसिया हुई गये हैं ।ललित की मन्दिरा वाली फोटुओ पर तो 28 हिट दे मारे बाकी अभी 0,7,8 पर ही टें बोल गयीं। और गजब कि मन्दिरा पर टिपियाया कोन्हू भी नही । अभी उनका हैप्पी होली ही चल रहा है । ज़रा देखिये जाकर ।

वैसे मेहमानों की गश्त और रसोई के कारोबार के बावजूद भी यह कर दिखाए हैं हम। बीच मे ही देबाशीष भाई की चर्चा देखी। वे निराश हो गये होंगे कि आज नोतपैड कुछ नही करेंगी। पर देखिये। कुछ तो हुआ है। अब टिप्पणी मारिये जल्दी जल्दी वर्ना शने महाराज...समझे ना !

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8 टिप्‍पणियां:

  1. देखिये इसको खाली हमारा टिपियाना ना समझा जाये ,आप एक बात समझ ले कि चिट्ठा चर्चा मे अगर आप हमारी चर्चा के बगैर छापेगे तो हम यही समझेगे कि आप हमे पंगा लेने खातिर उकसियाय रहे है अगर हम कुछ नही लिखे है तो आप यही लिख दे की हम ने कुछ नही लिखा है पर आप ऐसा करेगे तो हमे आप वैसा ही करते पावेगे आप समझ गये ना हम दुबारा समझाने नही आवेगे

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  2. बहुत सरस चर्चा रही नोटपैड जी ।
    घुघूती बासूती

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  3. दन्त कटाकटेति किम कर्तव्यम?

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  4. भली चर्चा रही, बधाई
    भैया अरुण, देखो न ऊपर हैडिंग और उसके नीचे लिखे के बीच की खाली जगह...वो आपके ही लिए लिखी गई। :)

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  5. शनि महाराज कृपा बनाये रखें-टिपिया दिये हैं. :)

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  6. नत्वां सुजाता देवि, quote us नमोस्तुते,
    ब्लागर पीड़ा शीताय, टिप्पणीयं लिख्यते

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  7. बहुत अच्छे हमे तो आपने मीरा जी की उपाधै दे डाली है आज श्याम यदइ मिल जाए तो हम भी बन ही जाएंगे मीरा।
    सुनीता(शानू)

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