हम अपनी इस खुदकुशी का मातम, सजा के चिट्ठे में लिख रहे हैं
कभी तो कविता भटक गई है, मिली अगर तो वो टूटी फ़ूटी
बिठा तश्तरी उसे उड़ा कर, वो आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
कहीं पे नौटंकियां हुईं हैं, कहीं हवाई सफ़र का चर्चा
उधर वो दुम की कथा उठाकर के आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
जमाना गुजरा जुगाड़ करते, मगर न दाढ़ी बढ़ी जरा भी
मगर ये उसकी बड़ी महत्ता को आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
जो बात करते तो वक्त रुकता, जो न करें तो हैं खुद को भूले
अजीब है बेकसी का आलम, जो आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
लिखे बहुत गीत तो प्यार के अब, चलो नई धुन कोई बजाओ
ये हसरतें दिल की वे सजाकर के आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
ब्लागरों ने जो मिल के बैठे, लिये हैं कैसे , कहां पे पंगे
उसी के फोटो सजा सजा कर ये आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
लिये बसन्ती नये तराने, है शुक्रिया भी, औ' कुछ है शिकवा
उधर वे खबरी की ही खबरिया क्प आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
लगे जो चर्चा के हमको काबिल, इन्हीं की हमने करी है चर्चा
लिखोगे तुम, ये लगी है कैसी. जो आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
श्री मोहिन्दर जी ने व्यक्तिगत अनुभव
बताये कि पहले पत्र पत्रिकायें जिन लेखकों की
रचनायें अस्वीकृत कर देतीं थीं पर
ब्लागिंग के बाद ब्लागर्स के लेखन की मांग होने
लगी है .
सुश्री सुनीता शानू ने इस तरह की बैठक के
सुखद माहौल देखते हुये एक
निश्चित अन्तराल पर करते रहने पर जोर दिया. रंजना भाटिया रंजु ने ब्लागर एवं
टिप्पणियो के महत्व को रेखांकित किया . इस विषय पर श्री समीर लाल जी के ब्लागर्स को
प्रोत्साहन को विशेष रूप से रेखांकित किया गया. सुश्री रंजु भाटिया ने कविता
में
रदीफ, काफिया और मीटर के महत्व पर भी चुटकी ली.
लगता है हमे चिट्ठा चरचा मे शामिल होने के लिये चिट्ठा चरचा वालो की दुम दबानी ही पडेगी हर बार हमे बिना देखे गुजर जाते है ,नोट पैड हो या लिंकित मन,या खंडेलवाल जी सब अपने अपने अडोस पडोस से बाहर नही निकलते सही भी है
जवाब देंहटाएंतू मेरी खुजा मै तेरी और भाइ हम अपनी कमर खुद ही खुजाने का जुगाड मे लगे रहते है,लगता है समीर भाइ से कोई क्रैश कोर्स करना ही पडेगा
:)
जवाब देंहटाएंबढ़िया कवित्तमय चर्चा पढ़कर आनन्द आ गया. बधाई!!
जवाब देंहटाएंक्या भाई अरुण, दिख तो रही है दुम की कथा चर्चा में..!!! लगता है पहले वाली टिप्पणी पहले से बनाकर रख ली थी. हा हा :)
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जवाब देंहटाएंअरुणजी
जवाब देंहटाएंकरें न चर्चा तो है शिकायत, करी है चर्चा तो भी गिला है
बरसता आंखों से अब है सावन, ये आज चिट्ठे में लिख रहे हैं
पहले उत्तर में वर्तनी की त्रुटियां थीं