अब भाई लोग तरस खाएं,क्योंकि पारा 45 से ऊपर है पास रखा कूलर, हीटर हो गया लगता है। और माना कि चिट्ठा चर्चाकार हो जाना हमारे सद्य सशक्तिकरण का प्रमाण है पर फिर भी इससे ज्यादा इंक ब्लॉगिंग में हमारा दम फूल रहा है और वैसे भी कॉपी पेस्ट से उद्धरण देना अभी हमें इंक ब्लॉगिंग में आता नहीं हैं इसलिए कविताओं की चर्चा टाईप करके ही की जा रही है। ऊपर के हिस्से में भी यदि कोई लिंक गड़बडा गया तो हमें 'सशक्त अनाड़ी' समझ क्षमा करें।
हॉं तो काव्यचर्चा: गर्मी में कविताएं खूब लिखी जाती हैं और पढ़ भी ली जाती हैं- पढ़ें तो टिप्पणी भी करें कैसे ये बताया है हिंद-युग्म पर, सीखें और फिर तुषार की कविता दान पर टिप्पणी करें। अतीत की गहराईयों में खोना चाहें तो युनुस के साथ मेंहदी हसन व गुलाम अली या विजेंद्र के साथ जावेद अख्तर का आनंद लें।
मै बंजारा,
वक्त के कितने शहरो से गुजरा हूँ
लेकिन,
वक्त के इक शहर से जाते जाते
मुडके देख रहा हूँ
सोच रहा हूँ
तुमसे मेरा ये नाता भी टूट रहा है
तुमने मुझको छोडा था जिस शहर मे आके
वक्त का अब वो शहर भी मुझसे छूट रहा है..
या फिर सुनें गज़लें मुनीर न्याजी की, बहादुर शाह जफ़र की या निज़ाम रामपुरी की।
आज की चर्चा में बस इतना ही। भूल-चूक लेनी देनी।
बहुत खूब! यह सही है। मसिजीवी के नाम रही पहली मसिचिट्ठाचर्चा। बधाई! राइटिंग भी बढ़िया है। वर्ना डाक्टर लोग चाहे वे दवा वाले हों या पी.एच.डी. वाले जानबूझकर अपनी राइटिंग बिगाड़ लेते हैं ताकि उनका इम्प्रेशन अच्छा पड़े। कार्टून भी अच्छा बनाये हो। अब देखो कल ही ज्ञानजी आपके ऊपर पूरे अढ़ाई सौ शब्दों की बौछार करते हैं। बचके रहियेगा। :)
जवाब देंहटाएंअनूप >...अब देखो कल ही ज्ञानजी आपके ऊपर पूरे अढ़ाई सौ शब्दों की बौछार करते हैं।
जवाब देंहटाएंमसिजीवी मसिब्लॉगिंग बढ़िया कर गये! और हिसाब कल थोड़े पूरा करेंगे. धीरे-धीरे टिपेरते हुये इनके ब्लॉग पर उतारेंगे भड़ास! :)
अरे वाह, बहुत अच्छे, चिट्ठाचर्चा में मसीचर्चा।
जवाब देंहटाएंवाह मसीजीवी जी जी आपने अपने मसीजीवी नाम को सार्थक कर चिट्ठा छापा है कार्टून भी खुब बनाये
जवाब देंहटाएंभगवान करे आपका की बोर्ड खराब खराब हो जाये आप रोज हाथ से पोस्ट कार्टून के साथ स्केन करे और पढवाये
बहुत सही!
जवाब देंहटाएंलगता है इंकब्लॉगिग का भूत सभी पर सवार हो गया है, अच्छा है।
हमरा लिखा, जब हम ही नही पढ सकते तो इंकब्लॉगिंग का खाक करिबै? लेकिन आपका फ़्यूचर ब्राइट दिख रहा है, लगे रहिए।
(ठेके पर भी इंक ब्लॉगिंग करते है क्या?)
बोले तो झक्कास!
जवाब देंहटाएंमजा आ गया, मगर ये लिखे पर लिंक का मामला समझ नहीं आया, ज़रा प्रकाश डालें।
वाह भई वाह!! चिट्ठाचर्चा को यह नया आयाम देने के लिये बहुत साधुवाद. :) बहुत सुंदर बन पड़ी है...हा हा, मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंवाह यह खूब रही। मजेदार रही पहली मसिचर्चा।
जवाब देंहटाएंआपकी कार्टून कला तो धुँआधार है.
जवाब देंहटाएंमस्त चर्चा. :)