कौन सही है कौन गलत है मुश्किल है ये भी कह पाना
कौन यहां निर्णयकर्ता है, और कौन वादी-प्रतिवादी
इन सब से हो परे, हाशिये पर हमको कर्त्तव्य निभाना
कल था पितॄ-दिवस, तो आओ याद करें हर एक पिता को
इक मुद्दे पर मसिजीवी ने एक और है प्रश्न उठाया
दर्द भरी यह आशंका है एक रोज यह देश बिकेगा
बनिये जरा सरल, यह फ़ुरसतियाजी ने सबको समझाया
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छू गुलाबी रात का शीतल सुखद तन
आज मौसम ने सभी आदत बदल दी,
ओस कण से दूब की गीली बरौनी,
छोड़ कर अब रिमझिमें किस ओर चल दीं,
किस सुलगती प्राण धरती पर नयन के,
यह सजलतम मेघ बरबस बन गए हैं अब विराने।
प्रात की किरणें कमल के लोचनों में
और शशि धुंधला रहा जलते दिये में,
रात का जादू गिरा जाता इसी से
एक अनजानी कसक जगती हिये में,
टूटते टकरा सपन के गृह-उपगृह,
जब कि आकर्षण हुए हैं सौर-मण्डल के पुराने।
स्वर तुम्हारे पास पहुंचे या न पहुंचे कौन जाने!---------
छू गुलाबी रात का शीतल सुखद तन
आज मौसम ने सभी आदत बदल दी,
ओस कण से दूब की गीली बरौनी,
छोड़ कर अब रिमझिमें किस ओर चल दीं,
किस सुलगती प्राण धरती पर नयन के,
यह सजलतम मेघ बरबस बन गए हैं अब विराने।
प्रात की किरणें कमल के लोचनों में
और शशि धुंधला रहा जलते दिये में,
रात का जादू गिरा जाता इसी से
एक अनजानी कसक जगती हिये में,
टूटते टकरा सपन के गृह-उपगृह,
जब कि आकर्षण हुए हैं सौर-मण्डल के पुराने।
स्वर तुम्हारे पास पहुंचे या न पहुंचे कौन जाने!---------
नहीं व्यर्थ की चर्चा है जो , लिखा साधवी रितु ने देखें
आने वाले कल में आशा और निराशा दोनों शामिल
शुभ्रा की रचना में बहती एक अनूठी सहज भावना
बारिश के मौसम का पंगेबाज चुकाने वाले हैं बिल
अभिनव की बेताबी बढ़ती, वापिस जाने को हैं आतुर
मेरी कलम याद करती है भीगे मौसम की फ़ुहार को
अद्भुत भाव शब्द में ढाले हैं रंजन राजीव देखिये
महावीरजी बहा रहे हैं सावन की मादक बयार को
तेरे लिये नई आशायें लाई कलम आज बेजी की
कैसा है अनुभव विकास का, उनसे जाकर आप पूछिये
तीन काव्य रचना, रचना की,व्यथा,रेख व शब्द मौन की
और शेष चिट्ठों को चाहें आप जहां पर आज ढूँढिये
एक और आशा संजीवित रह रह कर आश्वासन देती
संभव है इस बार द्वेष के घिरे हुए बादल खुल जायें
एक बार फिर खुलें खिड़कियां , बंद विचारों के कक्षों की
फिर फ़ागुन की रंगीं उमंगें, चिट्ठों की दुनिया पर छायें
बहुत वेदना के साथ यथार्थ चर्चा की है.मन भर आया.शयद लोग समझें कि यह क्या हो रहा है...क्या यही ब्लॉगिंग है!! हद हो रही है हर बात की.आपको बधाई जो संयमित रुप में आपने अपनी बात कही, मैं सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंthank you for including my poems
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