मंगलवार, जुलाई 31, 2007

ये क्या कर रहे हो चिट्ठाकारों

यहां मैं एक सवाल उठा रहा हूं. किसी को नाराज करने के लिए नहीं सिर्फ सवाल करने के लिए सवाल उठा रहा हूं.
विभिन्न एग्रीगेटरों पर हाल में जो शीर्षक मुझे दिखे हैं उनमें से कुछ नीचे मैं दे रहा हूं, आप भी पढ़िये-
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maiN bujh gayaa to hamesha ko bujh hi jaaungaa...
DATING VERSUS DATES OF BILLS
Discussion
Colourful paintings - रँग बिरँगी तस्वीरें - Quadri colorati
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O PIYAA
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अब आप बताईये यह सब क्या हो रहा है? क्या यह हिन्दी चिट्ठाकारी के लिहाज से ठीक है? एक तरफ हमारे आलोक भैया हैं नई-नई हिन्दी शब्दावली का श्रृजन करते रहते हैं. अब देखिए आज ही उनकी पोस्ट आयी है शब्दकोष गूगल पट्टी में. और दूसरी तरफ वे लोग भी हैं जिन्हें हिन्दी में शीर्षक देने से भी परहेज हो रहा है.

हम ऐसा क्यों कर रहे हैं?

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7 टिप्‍पणियां:

  1. अब ये तो लिखने वाले ही बेहतर बता सकते है।

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  2. हिंदी चिटठा समुदाय अगर इग्लिश मे टाइटिल दे तो नेट पर ज्यादा सर्च मे उनका ब्लोग आयेगा । हिंदी को आगे लाए जाने के लिये इंग्लिश का बहिष्कार ना करके उसका उपयोग करें तो क्या ज़्यादा बेहतर नही होगा

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  3. रचना जी,
    यह गलत है, एक भ्रम है।
    हिन्दी खोज भी होती है। कोई चाहे तो में सिध कर सकता हूँ हिन्दी जाल स्थल को गूगल धड़ाधड़ हिन्दी खोज से traffic देता है।
    हिन्दी को कतई अंग्रेज़ी घोड़े की जरूरत नहीं है
    विपुल

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  4. Rachna Singh ने कहा... "हिंदी चिटठा समुदाय अगर इग्लिश मे टाइटिल दे तो नेट पर ज्यादा सर्च मे उनका ब्लोग आयेगा । हिंदी को आगे लाए जाने के लिये इंग्लिश का बहिष्कार ना करके उसका उपयोग करें तो क्या ज़्यादा बेहतर नही होगा"

    Vipul Jain ने कहा...
    रचना जी,
    यह गलत है, एक भ्रम है।
    हिन्दी खोज भी होती है। कोई चाहे तो में सिध कर सकता हूँ हिन्दी जाल स्थल को गूगल धड़ाधड़ हिन्दी खोज से traffic देता है।
    हिन्दी को कतई अंग्रेज़ी घोड़े की जरूरत नहीं है
    विपुल

    आप दोनो का कहना सही है पर ज्यादातर खोज अंग्रेजी से ही होती है. हिन्दी मे भी होती है पर कम. और ये बात मैंने गूगल एनालिटिक्स मे देखी है. वैसे मेरा विचार है कि दोनो भाषाओं मे शीर्षक देने से हिंदी और अंग्रेजी दोनो से ही सर्च इंजनो के द्वारा लोग आयेंगे.

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  5. जिन्‍हें खुद पर ही भरोसा नहीं वे अपनी भाषा पर क्‍या भरोसा करेंगे ?

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  6. इस विषय पर मैं काफी शोध कर चुका हूँ।

    पहली बात कि हिन्दी पोस्ट का शीर्षक अंग्रेजी में दिया जाना न तो स‌ुन्दर लगता है और न ही इसका कोई तुक है।

    रही गूगल स‌र्च की बात तो अंग्रेजी में शीर्षक रखने स‌े SEO की दृष्टि स‌े भले ही स‌ही लगता हो लेकिन इससे कोई प्रैक्टिकल फायदा नहीं होता। काहे कि अगर कोई बंदा उन कीवर्ड्स को स‌र्च करे तो भी हिन्दी की ब्लॉग पोस्ट हजारों नंबर पर आती है, जहाँ तक कि बंदा जाएगा नहीं। इसकी बजाय हिन्दी की स‌र्च में वो ऊपर आएगी।

    शीर्षक हिन्दी में ही रखना उचित है, अपनी बात को स‌मझाने के लिए जल्द ही एक पोस्ट लिखूँगा।

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  7. श्रीश जी, आपकी बात मे दम लगता है. लिखिये पोस्ट. हमे भी इसके संबंध में जानकारी चहिये.

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