मंगलवार, जुलाई 22, 2008

जो कुछ भी हुआ हो गुरु सरकार बच गई

डील डील


गरिमा जी ने अपनी कहानी का अगला भाग आज पेश किया। सुनावत सुनावत उनका निन्नी आ गईल सो वे सूत गयीं। अगला भाग अब कल पेश होगा। गरिमाजी की पिछली पोस्ट आत्म हत्या क्यों जनाब? पठनीय व उद्धरणीय है। उनके लेख के कुछ निष्कर्ष हैं:

१. यकीन सिर्फ़ खुद पर करें। क्योंकि एक आप ही है जो खुद को सबसे ज्यादा समझते हैं, कोई और भी आपको समझ सकता है, इस तरह की खुशफ़हमी ना पालें।

२. अगर को आप पर भरोसा करता है तो उसके सोच का सम्मान करे।

३.ये हमेशा मान के चलना चाहिये की जिंदगी दो पाटो मे बँटी है, पास या फ़ेल होना लगा रहता है।

४. किसी के लिये खुद को इतना भी न बदल दे कि अपनी पहचान ही खो जाये, क्योंकि जब वो आपको किसी कारणवश छोडेगा तो फ़िर आपके पास अपने लिये कुछ नही रहेगा।

अभिनव अभिनव


अभिनव काफ़ी दिन बाद दिखे/लिखे। सरकार बची उनकी लेखनी चली। कहतेहैं:
जो कुछ भी हुआ हो गुरु सरकार बच गई,
लगता था डूब जायगी मंझधार, बच गई,

मुद्दे को डीप फ्राई कर न पाई भाजपा,
हो तेल बचा या न बचा धार बच गई,


लेकिन जिस मुद्दे पर कल सरकार बची उसके बारे में बहुतों को हवा न होगी। लेकिन अंकुर तो हैं न! वे बता रहे हैं- आइये जाने क्या है न्यूक्लियर डील

काफ़ी विद कुश के पिछ्ले भाग में लावण्याजी सेमुलाकात हुई थी। न देखें हों तो देख लें।

पल्लवी पल्लवी

पल्लवी आज अपनी असफ़लताओं का जिक्र कर रही हैं| अंत में वे लिखती हैं:
हांलाकि ये बहुत छोटी बातें हैं लेकिन फिर भी मैंने कभी किसी से ये बात शेयर नहीं की...आज इन बातों को यहाँ लिखकर बहुत हल्का महसूस कर रही हूँ...शायद इन छोटी बातों के बाद कभी बड़ी असफलताओं का भी साहस और सहजता से सामना कर पाऊँ!


गीतकलश से आज छलक रहा है:


शब्दकोश के जिन शब्दों ने अधर तुम्हारे चूम लिये थे
आज उन्ही शब्दों को मेरी कलम गीत कर के लाई है


दिनेशजी का यात्रा विवरण बांचिये मजा आयेगा यात्रा का।

दुनिया के सबसे मेहनती लोग देखिये राजभाटिया के सौजन्य से।
अभिषेक ओझा अभिषेक ओझा

अभिषेक ओझा का लेख पढ़ने और समझने के लिये आपको गणित जानने की बिल्कुल जरूरत नहीं होती। आप बस पढ़ना शुरु कीजिये। पढ़ते जायेंगे। प्रस्तुति बेहतरीन, लाजबाब। काबिले तारीफ़। :)

आज वे बताते हैं:-
फ़र्मैट ने एक बात कही की ऐसा नहीं हो सकता.
- तानियामा ने कहा की दो बिल्कुल ही अलग गणितीय चीजें जो देखने में तो बिल्कुल अलग हैं लेकिन ध्यान से देखो तो एक ही है.
- फ़्रे और जीन पिएरे ने कहा की भाई अगर तानियामा सही हैं तो फ़र्मैट भी सही है.


1. "सीज़ फायर" - कैसे चलायेंगे जी?!: पहले आग लगायें, फ़िर फ़ायर ब्रिगेड को बुलायें। चलवायें फ़िर नहायें।

2. कंट्रेक्ट के संबंध में 'कपट' क्या है ?: समझिये और फ़टाक से अमल करिये।

3.आवहू बिजली भगावहि भाई : तोहरे बिन कटिया कौन फ़ंसाई?

4.क्रिया की प्रतिक्रिया का नतीजा हैं दादा सोमनाथ : मतलब न्यूटनजी यहां भी जमें पड़े हैं।

5. विश्वास मत: फ़िल्म की कहानी का अंत बता दूँ?: चलने दो स्टोरी का पूरा मजा लेने दो।

6.चैनल अपनी गरिमा को खोते : हर कोई हल्का होना चाहता है जी।

7.आडवाणी ने बड़ा मौका खो दिया :लपक लो जी आप!

8.दुखी कैसे हों के कुछ सरल टिप्‍स.. : शुरुआत सुख से समर्थन वापस लेकर करें।

9. डांस की थकान: शूटिंग करके दूर करें।

10. लाफ्टर शो में क्यों नहीं जाते लालू?: पांच मिनट उनके लिये बहुत कम हैं!

11.तुम ऐसा लिखना जो सबकी समझ में आए : चाहे समझने में सर के बाल उड़ जायें।

12.सुंदरियाँ जल चढ़ा रही है और भोले साइकिल सीख रहे हैं… : सावन का महीना है यही होगा।

13. रेल के डिब्बे में स्नॉबरी: ब्लाग में भी पहुंच गयी।

14.जीत ऐसी जो सिर शर्म से झुका दे : सर झुका लेकिन पगड़ी तो बच गयी।

15. मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती: सबसे खतरनाक होता है अपने सांसद का हाथ से निकल जाना।


16.मैं भारत का भावी प्रधानमंत्री बोल रहा हूँ, मगर… : बोल ही नहीं पा रहा हूं।

17. ये चुनने का हक़ तुम्हें: चुनो या चूना लगवाओ।

मेरी पसंद


आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा

आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें

कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी

देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा .

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

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8 टिप्‍पणियां:

  1. सरकार जीत गई, राजनेता जीते-हारे पर भारत और जनता का क्या हुआ?
    गुट निरपेक्षता बची या फौत हुई?

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  2. आप हर ब्लॉग पर परमाणु करार का समर्थन कर रहे हैं और सकारात्मक टिप्पणियां भी दे रहे हैं.

    आज आपसे इसी बारे में एक पोस्ट चाहूँगा. आप इस लिंक पर और इस लिंक पर जाकर पढ़ें, फ़िर बताएं की आप अपने विचारों पर अब भी कायम हैं.............

    और मैं मुसलमानों, समाजवादियों. मायावती के लग्गू भग्गुओं, और गद्दार वामपंथियों की विचारधारा से कोई इत्तेफाक नहीं रखता. पर तथ्यों को छिपाने और देश, जनता, अर्थव्यस्था और जनस्वास्थ्य को गिरवी रखने से अवश्य रखता हूँ.

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  3. सरकार तो बच गई, पर बीच में टीवी पर प्रसारण बंद हो गया था, उस बीच क्या चर्चा हुई, कुछ जुगाड़ हो तो ले आइये :-)

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  4. कृपया ध्यान दें,
    एक विचारणीय विचार रख रहे हैं, विचार जी !
    पर है दमदार तरीके से...

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  5. बेहतरीन चर्चा- एक लाइन हमारी भी:

    हाय रे, ये जी का जंजाल!! http://udantashtari.blogspot.com/2008/07/blog-post_22.html -ये बना कर छोड़ेगा दिमाग से कंगाल

    ---आपसे कट पेस्ट में मेनु स्क्रिप्ट में ही रह गया, तो हम ले आये.

    :)

    जारी रहें.मेरी पसंद वाली कविता जबरदस्त है.

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  6. गरिमा जी का लेख हमें भी बहुत अच्छा लगा, सरकार और विपक्ष दोनों ही चोर चोर मौसेरे भाई, किसका जश्न मनाएं और किसका शोक, मेरी पसंद वाली कविता हमेशा की तरह मन को भायी

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  7. अभिनव की पोस्ट अच्छी थी।
    लोग अच्छा लिख रहे हैं आजकल।

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