अभिषेक
अभिषेक नियमित रूप से गणित की बातें रुचिकर तरीके से बताते रहते हैं। सह्ज लेखन और सरल अंदाज उनके लेख को उन लोगों के लिये भी पठनीय बनाता है जिनके गणित के नाम से पसीने छूटते हैं। आज उन्होंने महिला गणितज्ञ सोफ़ी जर्मेन के बारे में जानकारी दी। अभिषेक के लेख से ही पता चला कि आर्किमीडीज अपनी स्वाभाविक मौत नहीं मरे थे। उनकी मौत का कारण उनके और एक सिपाही के बीच के गणित के प्रेम का अन्तर था।
आर्कीमिडिज (Archimedes) को एक सिपाही ने उस समय मार दिया जब वो ज्यामिति की कुछ संरचनाओं में लीन थे और उन्होंने सिपाही के सवालों का उत्तर देने की जरुरत नहीं समझी. शहर पर हमला हुआ था और वो गणित में लीन थे.
अरविन्द मिश्र
अरविन्द मिश्र ने दो दिन पहले सौन्दर्य यात्रा करते हुये नारी नितम्बों पर चर्चा की। उस लेख के पक्ष और विपक्ष पर रोचक प्रतिक्रियायें आयीं। कुछ से तो अरविन्द जी किंकर्तव्यविमूढ भी हुये। लेकिन उनकी यात्रा जारी रही वे अपनी यात्रा का दूसरा भाग भी लेकर आ गये। जिसका ज्ञानजी इन्तजार कर रहे थे जैसा उन्होंने कहा-
मैं तो आपके ग्रिट (grit - धैर्य) का नमूना देखने आया था।
ब्लॉगिंग में आपको डीरेल करने वाले अनेक हैं!!! पर अपना बैलेंस तो खुद बनाना होता है।
अरविन्दजी ने परसों बताया कि कल नासा की जन्मदिन की अर्धशती थी। उसी दिन संयोग से समीरलालजी का जन्मदिन था। दोनों को बधाई।
अब बाकी समाचार फ़िर कभी। फ़िलहाल चंद एक लाइना:
यह भय कि कहने को कुछ भी न बचेगा?: सिवाय इन टिप्पणियों के।
सिर्फ लाल रंग के शब्दों को ही पढे : फिर पोस्ट काली काहे की?
ये सॉलिड तरीका हाथ लगा!!! : तो क्या इसे हाथ में ही लिये रहेंगे?
और उस दिन भारत एक महाशक्ति के रूप में उभरेगा: बस्स एक दिन के लिये ही।
ईदगाह के हामिद पर भारी हैरी पॉटर: हैरी पाटर को अपने वजन का ख्याल रखना चाहिये।
अरविंद जी को धैर्य रखना चाहिए। उन के नारी सौन्दर्य के बारे में जो आलेख आए हैं वे ज्ञानवर्धक और वैज्ञानिक जानकारी से भरपूर हैं। जानबूझ कर की गई अज्ञात टिप्पणिकारों से प्रभावित होने की बिलकुल आवश्यकता नहीं है। कुछ टिप्पणियाँ भावनात्मक रूप से भी की जाती हैं जिन का उत्तर दिया जा सकता है। मैं ने अभिषेक जी के आलेख पर टिप्पणी की है उसे यहाँ पुनः दोहराना चाहूँगा।.....
जवाब देंहटाएंअभिषेक जी। सोफी जर्मेन की कहानी पहले से जानता हूँ। पर एक बार आप की कलम से लिखी को पढ़ कर फिर से आँखें भर आई। आज भी न जाने कितनी लड़कियों की प्रतिभाएँ इसी तरह नष्ट होती हैं, महिलाओं के प्रति इस समाज के दृष्टिकोण और व्यवहार के कारण। पर सोफी का गणित प्रेम अतुलनीय है जिस ने सभी बाधाओं को चूर्ण कर दिया। सोफी को किसी मानद डिग्री की चाह नहीं थी। अफसोस तो यह है कि यह व्यवस्था पाठ्य पुस्तकों में लालू प्रसाद और मायावती को तो पढ़ने के लिए छात्रों को बाध्य करती है लेकिन सोफी और अन्य लोगों की प्रेरणाओं को उन से वंचित रखती है। क्यों न गणित के पाठ्यक्रमों में गणित के साथ गणितज्ञों और सत्य के अन्य अन्वेषी वैज्ञानिकों के जीवन के बारे में कुछ पाठ सम्मिलित किए जाएँ।
अरविन्द मिश्र के ब्लॉग पर पहली बार जाना हुआ... शुक्रिया आपका. वहां भी ज्ञान जी दो शब्दों में ही छा गए :-)"एनॉनिमासाय: नम:।"
जवाब देंहटाएंजमाए रहिए..
जवाब देंहटाएंरोचक चिटठा चर्चा.
जवाब देंहटाएंएकदम धांसू च फांसू.
जमाये रहिये जी.
बस कभी कभी नाचीज का भी ख्याल कीजिये.
यही कहना है कि आप के चिट्रठा चर्चा पर आकर एक साथ बहुत कुछ जान लेते है कि देख ही ले ..
जवाब देंहटाएंआपकी चंद लाइने खूब है जैसे हंस में एक साहेब करते है.....अभिषेक को यहाँ देखकर खुशी हुई ....
जवाब देंहटाएंजी हमें यह कहना है कि या तो आपके पास बाज़ की आंखें हैं या पचीस-पचास जोड़ा मनई की आंखें!
जवाब देंहटाएंइत्ता महीन महीन देख लेते हैं ब्लॉगों को! :-)
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जवाब देंहटाएंआप भी..क्या अनूप भाई,
अच्छा भला उछलता कूदता यहाँ आया था कि
आपने दरवाज़े से ही अरविन्द के यहाँ का रास्ता दिखा दिया ।
सच तो यह है, कि नारी नितम्ब सुनते ही, फ़ुरसतिया को फ़ुरसत के लिये छोड़ छाड़
मैं भी दौड़ पड़ा कि कहीं कोई भला आदमी मेरे पहुँचने से पहले ही उन नितम्बों को
ढक-ढुक न दे, लेकिन वहाँ तो ऎसी चूतड़-छिलाई हो रही है,
कि बीच बचाव में एक फ़ुरसतिया टिप्पणी छोड़ कर आनी ही पड़ी ..
अब आपका हिस्सा कट !
आज ही ज्ञानजी का सुप्रभातिया ज्ञान प्राप्त हुआ है..
कि उर्ज़ा बचाओ, उर्ज़ा बचाओ..चुक गये..तो तुमसे कौन डील करेगा ?
अस्तु, अब रोकियेगा नहीं..चलने ही दीजिये ।
सरल शब्दों में एक पेज में सभी हिन्दी ब्लागों का सार प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआप चिट्ठाचर्चा बहुत अच्छी करते हैं. पढ़कर बहुत अच्छा लगता है. इसे नियमित करते रहें. शुभकामनाऐं. :)
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