फ्रॉपर भी ब्लॉगिंग के लिए प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध करवाता है. और हिन्दी के लिए भी. कितना उम्दा, ये तो कह नहीं सकते, क्योंकि कभी प्रयोग नहीं किया. मगर वहां मौजूद रंगीन टिप्पणियों को देखें तो लगता है कि मामला रंगीन ही होगा. ग़ौर करें – (चेतावनी – फ्रॉपर बेहद व्यावसायिक प्लेटफ़ॉर्म है – कड़ियों पर जाने से पहले ब्राउज़र पर पॉपअप विंडो ब्लॉक कर रखने की सलाह दी जाती है)
इस तरह की और भी रंगीन टिप्पणियाँ पूजा 2308 की निम्न ब्लॉग प्रविष्टि पर आई है
खूबसूरत है
हाय दोस्त,
कैसे हो आप ?
कल मैने खुदा से पूछा कि खूबसूरती क्या है?
तो वो बोले
खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है
खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए
खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए
खूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ....
ऐसा नहीं है कि ऐसी रंगीन टिप्पणियाँ सिर्फ खूबसूरत कविताओं को ही मिलती हैं. यहाँ भी धीर गंभीर लेख हैं, हास्य व्यंग्य हैं, किस्से कहानियाँ हैं.
‘उदास’ अपने बारे में लिखते हुए कहते हैं-
एक मैं ही बुरा हूं, बाकी सब लोग अच्छे हैं,
मैं झूठा हूं, दुनिया में सब लोग सच्चे हैं.
उदास की एक ग़ज़ल पढ़ें –
दोस्ती का हाथ फिरसे, बढा कर देखते है,
रिश्ता वफ़ा का नया, बना कर देखते है,
है उसके पास, हर मर्ज़ की दवा, सुना है
हालेदिल, अपना भी सुना कर देखते है
गैरो पर तो, पल में कर लेते है यकी,
अपनों पर भरोसा, जता कर देखते है
कहते है करता है, वो उम्मीदें सबकी पूरी,
खुदा के सामने, सर जुका कर देखते है,
जिंदगी एक कश्ती है, डूबेगी या तर जायेगी
गमो के तूफान में, उतार कर देखते है,
दुश्मनों को भी लगाता है, हस कर गले,
एक बार उससे दुश्मनी, कर के देखते है
बरसो हुए तो क्या पहचान भी न सकेगा,
'उदास' एक बार सामने जा कर देखते है
सत्या 70’caps ने अपनी एक पोस्ट पर दादाजी की कविता छापी है –
तकरार भी दोस्तों से है,
प्यार भी दोस्तों से है,
रुठना भी दोस्तों से है,
मनाना भी दोस्तों से है,
बात भी दोस्तों से है,
मिसाल भी दोस्तों से है,
नशा भी दोस्तों से है,
शाम भी दोस्तों से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तों से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तों से है,
मोहब्बत भी दोस्तों से है,
इनायत भी दोस्तों से है,
काम भी दोस्तों से है,
नाम भी दोस्तों से है,
ख्याल भी दोस्तों से है,
अरमान भी दोस्तों से है,
ख्वाब भी दोस्तों से है,
माहौल भी दोस्तों से है,
यादें भी दोस्तों से है,
मुलाकातें भी दोस्तों से है,
सपने भी दोस्तों से है,
अपने भी दोस्तों से है,
या यूं कहो यारों,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तों से है.
इधर हंस के इस पोस्ट पर 40 (जी हाँ, चालीस - जिससे पता चलता है कि फ्रॉपर के हिन्दी चिट्ठे भी लोकप्रिय हैं, तथा वहां भी पाठकों की अलग, अपनी दुनिया है,) टिप्पणियाँ दर्ज हैं
–
मजबूरी बन के दुल्हन जा रही है...
“...कहाँ था जाना,किधर जा रही है
नहीं चाहता जी,मगर जा रही है
ग़रीबी ने बेचा तो अमीरी ने खरीदा
यू ही मुफ़लिसी को नचाता है पैसा
ग़रीबी के खून से न मनती यह होली
न यह लाश उठती,तेरी उठती डॉली
जो याद आए गी शामें तो बिखरे गे गेसू
जो आई याद सुबह,तो टपके गे आँसू
खुद को पहना के कफ़न जा रही है
मजबूरी बन के दुल्हन जा रही है ...”
गोर123 के चिट्ठे की ये प्रविष्टि आपको दार्शनिक अंदाज में ये बताती है कि ‘चोट’ किसे कहते हैं –
चोट क्या चीज़ है?
चोट है फॅट्का, बाहर से आया हुआ, it is a blow.
एक चॅलेंज, एक बनाव, एक इन्सिडेन्स;
चाही वो आदमी , शब्द या तो परिस्थिति से आया हो;
मगर जब चोट बाहर से अपनी अंदर आती है,
तब हमारे अंदर हर्ट, पैदा होती है; हम दुभते है !!
ओर प्रत्येक मनुश्य की पीड़ा अनुभव करनेकी रीत अलग है !
वो पीड़ा क्यूँ होती है? किस को होती है ?
हम बोलते तो है की हमको ही पीड़ा होती है;
मगर बात कुछ और ही है, सत्य कुcच और ही है !!!
ध्यान से पढ़ना: अपनी अंदर “मैं” जो है वो अस्तित्व का शुद्ध स्वरूप है;
पर ‘मैं’ को जब ‘उपाधि’ लगती है:
जैसे की -‘मैं धनवान,मैं डॉक्टर, मैं,उँचा
मेरा बिज़्नेस, मेरी सफलता, मैं पुरुष, मैं स्त्री,
मैं गोरा, मैं क़ाला, मैं सुखी, मैं दुखी etc.
आगे पूरी पोस्ट यहाँ पढ़ें
स्टूपिड अगेन लड़कियों की जिंदगी के बारे में लं.......बी कविता लिखती हैं –
काँच का बस एक घर है लड़कियों की जिन्दगी
और काँटों की डगर है लड़कियों की जिन्दगी
मायके से जब चले है सजके ये दुल्हिन बनी
दोस्त अनजाना सफर है लड़कियों की जिन्दगी
एक घर ससुराल है तो दूसरा है मायका
फिर भी रहती दर-ब-दर है लड़कियों की जिन्दगी
खूब देखा, खूब परखा, सास को आती न आँच,
स्टोव का फटना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
पढलें लिखलें और करलें नौकरी भी ये भले
सेज पर सजना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
इस नई तकनीक ने तो है बना दी कोख भी
आह कब्रिस्तान भर है लड़कियों की जिन्दगी
कारखानों अस्पतालों या घरों में भी तो यह
रोज लड़ती इक समर है लड़कियों की जिन्दगी
लूटते इज्जत हैं इसकी मर्द ही जब, तब कहो
क्यों भला बनती खबर है लड़कियों की जिन्दगी
बाप-मां के बाद अधिकार है भरतार का
फर्ज का संसार भर है लड़कियों की जिन्दगी
(आगे पूरी कविता यहाँ पढ़ें)
लड़कियों की जिन्दगी पर बात चली है तो इक नजर ने अपने अंग्रेज़ी-हिन्दी द्विभाषी ब्लॉग पोस्ट में लड़कियों की जिन्दगी पर लिखा है (इस पर भी जम के 35 टिप्पणियाँ दर्ज हैं) –
“क्या बेटियाँ मा बाप पर भोझ होती है?जो आज भी मा बाप आज भी लड़को की तुलना मे लड़कियों को कम प्यार देते है?क्यों तुलना की जाती है लड़को की लड़कियों से?क्या लड़कियाँ कम है किसी बात मे लड़को से?क्यों आज भी लड़कियों को पुराने रीति रिवाज़ों की भेंट चढ़ाया जाता है?क्यों आज भी उन्हे समाज के ढकोसलो की बलि चढ़ाया जाता है?क्यों मज़बूर किया जाता है वो करने के लिए जो वो नही करना चाहती?यहाँ हर एक की बात नही कर रहा पर कुच्छ तो अभी भी है जो ये सब करते है!! जो आज भी प्रथा मे विश्वास रखते है,जो आज भी समाज से झूठे ढकोसलो मे जी रहे है.आख़िर कब समझ आईएगी उनको ये बात,कब खुलेंगी उनकी आँखे इस झूठे समाज के ढकोसलो से ?बेटियाँ बोझ नही होती बेटियाँ बड़े किस्मत वालों को मिलती है!!....”
चलिए, आपने बहुत सारा फ्रॉपर ब्लॉग पढ़ डाला, अब दिमाग को शांत करने का समय आ गया है. आइए, कुछ मेडिटेशन क्यों न कर लें. इसके और भी फ़ायदे हैं –
“...अध्ययन से यह भी साबित हुआ है कि नियमित रूप से मेडिटेशन करने वाले लोग दीर्घजीवी होते है। यही नहीं, मेडिटेशन से आत्म सम्मान में भी वृद्धि होती है। कारण, मेडिटेशन करने वाले लोग दूसरे व्यक्ति के विचारों से संचालित नहीं होते। वे अपने मन-मस्तिष्क और अंतर्मन की पुकार के आधार पर फैसले लेते है। यही नहीं, ध्यान करने वाले नकारात्मक विचारों से भी दूर रहते है। उनका मस्तिष्क सकारात्मक और आशावादी विचारों से कहीं ज्यादा पूरित होता है।
यही नहीं विशेषज्ञों के अनुसार मेडिटेशन करने से एकाग्रता भी बढ़ती है। इसका कारण है कि मेडिटेशन से मस्तिष्क में व्यर्थ के विचारों का आना बंद हो जाता है। मनोचिकित्सकों के अनुसार मेडिटेशन से याददाश्त भी बढ़ती है।...”
badhiya charcha rahi blogger se itar....
जवाब देंहटाएं...kai dino baad !!
links main jaake pada...
...amature blogging
udaas ji ki kriti ko ghazal na keh ke nazm kehna chahoonga...
जवाब देंहटाएं...diye gaye links main sabse badhiya post !!
AAPKI CHITHA CHARCHA KAMAAL KI HAI .. LAJAWAAB SELECTION ...... MAZAA AA GAYA PADH KAR
जवाब देंहटाएंजहां तक मुझे समझ आता है 'फ्रॉपर' भी फेसबुक जैसी दूसरी कई और सोशल वेबसाइट जैसा ही कुछ है जिसमें लोग अपने अपने ग्रुप बनाकर ग्रुप-सदस्यों के बीच आदान प्रदान करते हैं. अच्छी सूचना है इस बात की कि इन प्लेटफार्म का अच्छा प्रयोग हो रहा है.
जवाब देंहटाएंहर चिट्ठा चर्चा का एक अलग रंग, एक अलग अंदाज रहता है आपकी । एक नये प्लेटफॉर्म के बेहतरीन चिट्ठों की चर्चा । आभार ।
जवाब देंहटाएंनित नूतन रचनाधर्मिता के पारखीपन के लिये बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारी मिली.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपका अंदाज भी नित नवीन रहता है.
जवाब देंहटाएंनई नई जानकारियों से परिपूर्ण चर्चा हमेशा की तरह ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया है जी यह फ्रॉपर भी। एक नया ब्लॉग वहाँ भी खोल लें क्या?
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंचिट्ठा चर्चा का अन्दाज अच्छा लगा।
जानकारी के लिए धन्यवाद, फ़्रापर डाट काम आजमा कर हम भी देखेगें
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए धन्यवाद, फ़्रापर डाट काम आजमा कर हम भी देखेगें
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छा लिखते है..
जवाब देंहटाएंलिखते रहे..
बिलकुल नयी जानकारी थी यह मेरे लिए....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा की आपने....आभार.
आपने तो फ्रापर को फ्राई करके पेश कर दिया
जवाब देंहटाएंपेशी अच्छी लगी
यह खोजी रिपोर्ट उदारहण के साथ है. अच्छी प्रस्तुति.
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