
लमस्कार
चिटठा चर्चा में आपका स्वागत है.. आज की चर्चा की शुरुआत करते है पंकज बेंगानी जी की पोस्ट से.. पंकज जी बताते है कि किस प्रकार से जीवन में छोटे छोटे बदलाव से हम एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते है..
सच का सामना देखकर एक महिला ने आत्मदाह किया.. इस पर प्रतिक्रिया देता हुआ अलोक नंदन जी का ये लेख वाकई पढने लायक है.. आलोक कहते है
बढ़िया लेख
पल्लवी की मौत की खबर फेसबुक पर दिखी। पुरी खबर को पढ़ा। खबर में लिखा था कि आगरा की रहने वाली पल्लवी ने सच का सामना में रुपा गांगुली वाला एपिसोड देखने के बाद आत्महत्या कर लिया। पूरे खबर को पढ़ कर यह स्पष्ट नहीं हो रहा था कि पल्लवी ने सच का सामना देखने बाद ही आतमहत्या किया है या नहीं। खबरों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के संदर्भ में पल्लवी का मामला मुझे एक गंभीर मामला लग रहा था। इसलिये इस खबर को और जानने के लिए मैंने नेट पर इधर-उधर सर्च करना शुरु कर दिया। नेट पर पल्लवी से संबंधित जितने भी खबर थे, सब की हेडिंग में इस बात का जिक्र था कि पल्लवी ने सच का सामना देखने के बाद आत्महत्या के लिए कदम उठाया। किसी कार्यक्रम को देखकर जब लोग मनोवैज्ञानिक तौर पर आत्महत्या करने के लिए प्रेरित होते हैं तो जनहित में उस कार्यक्रम पर सवाल उठना जरूरी है।
अवचेतन मस्तिष्क के बारे में यदि आप पढना चाहे तो आप ब्लॉग उठो जागो पर ताज़ा पोस्ट पढ़ सकते है
अभिषेक प्यार और वास्तविकता को ग्राफ के द्वारा समझने की कोशिश कर रहे है.. पहले उन्होंने एक समस्या और फिर उसका समाधान भी दिया है.. ज़रूर पढिये
मैंने निश्चय किया कि, “ मैं, एक महीने में निर्णय कर लूँगा कि मुझे विवाह करना है या नहीं।” कई दिनों तक सोने से पहले बिस्तर में पड़े़-पडे़ मैं स्वयं से पूछता, “क्या मुझे इस लड़की से विवाह करना चाहिये ?” अचानक 31 मार्च, 1978 की रात्रि को, जब मैं नींद में था मुझे एक तेज प्रकाश का आभास मेरे कमरे में हुआ। एवं साथ ही मैंने एक आवाज सुनी, इस लड़की से शादी कर लो, भविष्य में इससे तुम्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं आयेगी।
आज मैं समझ पाया हूँ कि यह निर्णय मेरे अवचेतन मन से आया था। अब यह स्पष्ट हो गया है कि उस लड़की से विवाह का प्रस्ताव मेरे अवचेतन की शक्ति से प्रभावित था। और वह निर्णय मेरे जीवन में सफल एवं सकारात्मक रूप में उचित सिद्ध हुआ है।
शादी के पहले और बाद में कितना कुछ बदल गया दोनों के लिए. परियों की दुनिया से जमीन पर वापस आना शायद इतना आसान नहीं होता. इस ग्राफ में दोनों अक्सिस पर कई गैप हैं और कई परिवर्तन हैं वो क्यों और कैसे हैं ये मैं ज्यादा समझ नहीं पाया, वैसे भी ये चीजें जीतनी उलझनदार होती हैं ठीक-ठीक समझ पाना आसान नहीं, जब खुद उसे स्थिरता का कारण नहीं पता तो... हमें समझ में आ जाए ये कैसे हो सकता है. बस ये परियों से जमीनी वास्तविकता वाली बात मुझे थोडी समझ में आई. बाकी जो समझ में आया वो ये कि यह एक काम्प्लेक्स नॉन-लीनियर ऑपटीमाइजेशन प्रॉब्लम की तरह है. जिसमें कई सारे कंस्ट्रेंट्स हैं. और फिर इन्हें हल भी उसी तरीके से करना होता है..


अपनी विशिष्ट शैली से ब्लॉग जगत में को गुदगुदाने वाले नीरज बधवार जी फिर ले आये है एक व्यंग्य, इस बार उनका कहना है कि यदि देश को बचाना है तो उसकी आउटसोर्सिंग कर देनी चाहिए.. आप खुद ही पढिये उनकी ये पोस्ट
____________________________________________________________________________________तभी मित्र बोला, मगर तुम भूल रहे हो भारत एक लोकतांत्रिक देश है...ऐसे में सरकार का क्या होगा? मैंने कहा...अगर हमें वाकई सुधरना है तो हमें अपना लोकतंत्र भी आउटसोर्स कर देना चाहिए। वैसे भी हर ओर किफायत की बात हो रही है। विदेशी हमें उतने महंगे तो नहीं पड़ेंगे जितने ये देसी पड़ रहे हैं!हम री-लॉन्चिंग का काम आउटसोर्स कर सकते हैं। हम जिस क्षेत्र में जिस भी देश पर निर्भर हैं, उसमें सुधार का काम पूरी तरह से उसी देश को सौंप सकते हैं। भारतीयों को नौकरी कैसे मिले, ये काम हम अमेरिका और ब्रिटेन को आउटसोर्स कर सकते हैं। सुरक्षा को लेकर हमें चीन से सबसे ज़्यादा ख़तरा है लिहाज़ा सुरक्षा का ठेका हम चीन को दे सकते हैं। शिक्षा और खेलों की दशा-दिशा सुधारने के लिए ऑस्ट्रेलिया से कॉन्ट्रेक्ट कर सकते हैं। मनोरंजन उद्योग के लिए अमेरिका में हॉलीवुड से संधि की जा सकती है। कुछ मामलों में अलग-अलग देशों के लोग मिलकर कमेटी भी बना सकते हैं।
अमिताभ जी अपने ब्लॉग पर मिलवा रहे है आपको प्रसिद्द फिल्मकार विशाल भारद्वाज और उनकी पत्नी रेखा भारद्वाज से.. हम तो इन दोनों के ही बड़े फैन है आप भी मिल आइये .. जाइये जाइए
कविताओं का कोना | ||
औरतों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल नही होता बड़ी आसानी से वे बढ़ जाती हैं आगे अगले को अपनी मुस्कान का "गिफ़्ट-पैक" पकड़ा कर ... - मीनू खरे | ![]() | बरसों पहले एक सोच को लिखा था जो आज तक मेरे ख्यालों में पडी है, सिकुडी -मुडी पडी,मुझे देखती रहती है कभी -कभी आखें तरेर के कहती मुझे किसी हाट में क्यूँ नही ले जाते? मैं भी बिकना चाहती हूँ किसी के बेड -रूम में जीना चाहती हूँ, |
आसमान बदरंग हुआ था दोनों तरफ़ 'अपार्टमेंट्स' थे सामने ख़ाली सड़क । सूनापन था भीतर-बाहर चौबीस घंटे चलती-फिरती हँसती-गाती तस्वीरों के बावजूद मन था उदास । ढल चुकी थी उम्र उसकी और जा चुके थे बच्चे परदेस । - दिनेश दधीचि | ![]() | अचानक उन टूटी खिड़कियों का उतरा रंग चमकने लगा शायद जिंदगी ने अंगडा़ई ली |
डा. महेश परिमल जी बता रहे है कि किस प्रकार धव्नि प्रदुषण हमारे जीवन में जहर घोल रहा है
रचना जी टेलीविजन सीरियल के माध्यम से बता रही है किस प्रकार कुरीतिया समाज को और कमजोर कर रही है..बच्चों की परीक्षाएँ हैं, घर में बीमार माँ हैं, दादा भी इस शोरगुल से परेशान हैं। पिताजी को शोर से एलर्जी है। थोड़ा सा भी शोर उन्हें विचलित कर देता है। अभी कुछ दिनों पहले ही वे एक थेरेपी लेने जा रहे थे। थेरेपी से उन्हें लाभ भी हो रहा था। पर मुश्किल भी काफी थी। थेरेपी से लाभांवित लोग रोज वहाँ माइक पर अपने अनुभव सुनाते थे, जो पिताजी को पसंद नहीं था। एक सप्ताह में उन्हें अपनी पीड़ा से आराम तो लग रहा था, पर शोर के कारण सरदर्द बढ़ गया। उन्होंने वहाँ जाना ही छोड़ दिया। पिताजी कह रहे थे कि यदि कुछ दिन और गया होता, तो निश्चित रूप से मैं पागल हो गया होता।
अंतरा की ये बुआ जिनके माता पिता नहीं हैं अपने भाई और भाभी के साथ रहती हैं और वही इनका विवाह भी कर रहे हैं । वो अपने भाई की आर्थिक स्थति से पूर्णता अवगत हैं पर शादी मे हो रहे किसी भी खर्चे का विरोध करना तो दूर अपने भाई से जितना ज्यादा खर्चा करा सके इसके लिये आतुर दिखती हैं । उनको भाई का बैंक से क़र्ज़ लेकर उनकी शादी मे खर्च करहा इस बात को जानते हुए भी वो ज्यादा से ज्यादा समान खरीदने के लिये और महंगे से मंहगे शादी के इंतजाम के लिये तत्पर हैं । उनके लिये अपनी शादी से ज्यादा कोई बात जरुरी नहीं हैं ।
मैंने झुककर देखा, क्या वह सो चुकी है? ‘हां ’शायद’ मैं उठने के लिए हिली तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया- ‘कहां जा रही हो?’ उनकी आंखों में ये प्रश्न चमक रहा था और साथ ही चेहरे पर खुदा हुआ आदेश भी- ‘यहीं रहो, मुझे छोड़कर मत जाओ’ और मैं उनके पास बैठकर फिर से उनकी छाती को सहलाने लगी। - विमला भंडारी जी | कहानियो की बाते | गांव में बिजली की तरह खबर फैलती है कि शनिचरी धरने पर बैठ गई है, परधानजी के दुआरे। लीडरजी कहते हैं, 'जब तक परधानजी उसकी बेटी वापस नहीं करते, शनिचरी अनशन करेगी, आमरण अनशन।' पिछले एक हफ्ते से लीडरजी शनिचरी को अनशन के लिए पटा रहे थे और अब गांव के हर कान में मंतर फूंक रहे हैं, - शिवमूर्ति जी |
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अब वेब डेवलपमेंट पर हिंदी ब्लाग
आज ही से एक नया ब्लाग वेब डेवलपमेंट पर शुरू कर रहा हूं. अभी अभी एक पोस्ट प्रकाशित की है जोकि वेब डेवलपमेंट की बुनियादी “थ्योरी टाइप” जानकारी है. इस नये ब्लाग का पता है: http://webtutsbyankurgupta.blogspot.com/
मुझे एक दिक्कत हो रही है कि मैं कहां से शुरू करूं? सामान्य html से या सीधे php के टुटोरियल्स से. आप क्या क्या जानना चाहते हैं टिप्पणियों के जरिये बताइये. अगर कोई विषयों की रूपरेखा बना सकें तो और भी अच्छा रहेगा.
दसविदानिया पोस्ट
तो दोस्तों ये थी आज की चर्चा.. अब हम विदा लेते है लेकिन जाने से पहले आपको पढ़वा देते है संगीता पुरी जी की ये पोस्ट.. उम्मीद है इस बात का मर्म भी समझा जाएगा..
"एक बात समझ में आ गयी , जो आपको बतलाना चाहूंगी .. अज्ञानता और तर्क दोनो मिलकर बहुत खतरनाक स्थिति पैदा करते हैं , यदि कहीं पर ऐसा दिखे तो सामने वाले को समझाना छोड दूर से ही प्रणाम कर लें।"
डाक्टर अनुराग आर्य से मिली अपडेट
सुबह साढे दस बजे कंचन का एस एम एस आया तो उस वक़्त हॉस्पिटल में था.... श्रीनगर में बांदीपुर में आतंकवादियों से मुठभेड़ करते हुए हमारे मेजर गौतम को भी गोली लगी है ....शायद कंधे पर .. जो निकाल दी गयी है....वे फ़िलहाल आई सी यू में है ...शायद तीन दिन या ज्यादा रहे..
इस मुठभेड़ में उनका एक साथी मेजर और घायल हुआ है....और एक मेजर और जवान शहीद हुए है..ईश्वर से उनकी सकुशलता की प्राथना करते है ओर देश के लिए हुए शहीदों को नमन ...सिर्फ इतना ही कह सकते है कि ईश्वर उनके परिवारों को हौसला दे .मुठभेड़ अभी जारी है ...
चर्चा मस्त और प्रस्तुती झक्काश. एक बात का उत्तर बता दीजिये "लमस्कार का मतलब क्या होता है? . आपके उत्तर की प्रतीक्षा .
जवाब देंहटाएंइसका मतलब हसीनों की गली में अज्ञानता और तर्क से काम लिया जाता होगा, क्योंकि राजेश खन्ना जी ने कहा था :यारो हसीनों की गली से मैं गुजरता हूँ, बस दूर ही से करके सलाम!
जवाब देंहटाएं@ विवेक सिंह जी -
जवाब देंहटाएंतो यहाँ हसीनो के गली मतलब ये मंच है और राजेश खन्ना जी ने फिर भी सही कहा था सलाम ना कि लस्साम :) अगर राजेश कहना जी को यहाँ कहना होता तो वे शायद नमस्कार कहते इसके अन्दर कोई और ज्ञान्दायी मतलब है जो कि कुश भाई हम सबसे छुपा रहे है नहीं तो वैसे ही थोड़ी दो पोस्ट से लमस्कार लिखते :)
भूल सुधार राजेश कहना = राजेश खन्ना
जवाब देंहटाएंचर्चा का फोरमेट बहुत अच्छा लगा.. चर्चा तो है हि अच्छी..
जवाब देंहटाएंसाज-सज्जा कमाल की की है. बोत मेहनत वाला काम किये हो. बधाई....
जवाब देंहटाएंमुठभेड़ वाली खबर सुनी तो अवाक रह गया.. मेजर गौतम को शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चिट्ठा चर्चा। सभी चिट्ठों पूर्ण प्रकाश डाला गया है। लाइटिंग वालों को धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम को स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं। मेजर साहब, आपके जज्बे की हम सभी कद्र करते है और ईश्वर से प्रार्थना करते है कि आप जल्द से जल्द स्वस्थ होकर फिर से देश की रक्षा मे जुट जाएं। इन्ही शुभकामनाओं के साथ।
गौतम जी जल्दी अच्छे हो जाए यही प्रार्थना है ..
जवाब देंहटाएंअच्छी डिज़ाइनदार चर्चा
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम के शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना
बी एस पाबला
चर्चा की साज-सज्जा मन को बहुत भायी .. पर अंतिम समाचार ने बहुत तकलीफ दी .. शहीदों को नमन .. मेजर गौतम जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ और देश को आतंकवादियों से मुक्ति की कामना करती हूं !!
जवाब देंहटाएंपहली बार आया तो मेजर गौतम जी के बारे में कुछ लिखा नहीं था अच्छा हुआ दुबारा आ गया .
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन .. मेजर गौतम जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना ,
Major Gautam Rajrishi jaldi hi swasthy howe...
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम और उनके साथी की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते है और शहीदों को श्रधांजलि.
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम और उनके साथी की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना और और शहीदों को श्रधांजलि.
जवाब देंहटाएंरामराम.
I wish that GOD does no injustice to us , May Gautam Rajrishi be fine and I requeste Dr Anurag and Other bloggers who have any information on this episode please keep giving regular updates on his health on their respective blogs
जवाब देंहटाएंMay Gautam recover fast
इस चर्चा का रूप स्वरूप बेहद पसंद आया
जवाब देंहटाएंकविताओं का कोना और कहानियों का मोड़
व्यंग्य का तो नहीं है कहीं पर भी एक जोड़
ले आउट तो गजब का प्रभावित करता है
इश्वर से मेजर गौतम और उनके साथी की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना सहित शहीदों को श्रधांजलि.
जवाब देंहटाएंregards
लाजबाब चर्चा . बेहतरीन कलेवर . आभार
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना.
जवाब देंहटाएंgreat, u r doing excellent work of energizing all blogs
जवाब देंहटाएंचिट्ठा चर्चा में मेरी कविता को भी शामिल करने का बहुत बहुत शुक्रिया,आपका लेख भी अच्छा लगा आता रहुंगा.....
जवाब देंहटाएंशादी के पहले और बाद .....घबराइये नहीं, घंटाघर के कविराज हैं ना:)
जवाब देंहटाएं..............प्रणाम!
बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम जल्द ही स्वस्थ हो जाएँ, यही कामना हैं. शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि.
बहुत अच्छी चर्चा रही। अच्छे पोस्ट्स की चर्चा हुई। चिट्ठा चर्चा के पिछले पोस्ट की मेरी टिप्पणी इस पोस्ट के लिये लागु नहीं हो सकती।
जवाब देंहटाएं-samacharon mein yah khabar dekhi.
जवाब देंहटाएं-ek Major aur 2 jawano ke shaheed hone ki khabar aayi thi.Unhen hamari bhaavbhini shradhanjali.
-News update ke anusaar abhi bhi terrorist wahin chhupe hue hain.muthbhed jaari hai.
-Maj.Gautam ji aur baki ghayal sathiyon ke liye ishwar se prathna hai ki ve jald swasthy labh karen.
अल्पनाजी की सूचना में कुछ जानकारी और जोड़ना चाहूंगा
जवाब देंहटाएं- इस मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर का नाम जेएस सूरी है। देश के इस सपूत को श्रद्धांजलि और मेजर गौतम के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना है।
- सूत्रों की माने तो इस घर में कुख्यात हिजबुल कमांडर पाशा घिरा हुआ है।
@आह ,गौतम को गोली लगी ,वे जल्दी बिलकुल ठीक हो जाएँ -शुभकामना !
जवाब देंहटाएंगौतम घायल है जान कर मन बहुत व्यथित है...वो जल्द अच्छा हो जाये ये ही कामना है...
जवाब देंहटाएंनीरज
madhushala wala link accha tha....
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जवाब देंहटाएंऒऎ कुश, बड्डी चँगी चर्चा कित्ती ऎ, हुण सदके जावाँ.. खँड खा के !
वाकई, नो किडिंग, बाई गॉड की कसम, मैंनूँ रब्ब दी सौं, शोत्ती बोलछि कुश..
बड़ी ताज़गी लिये है, आज की चर्चा.. ऽ , इस हाउस के परमिशन से मैं तो यह कहूँगा कि,
पाठकों को अपनी रुचिनुसार पोस्ट चुनने का विकल्प देती हुई, अपने निर्दिष्ट तक पहुँचाने वाली सार्थक चर्चा यही है ।
बिल्कुलै.. ’ हमीं अस्त ओ-हमीं अस्त ओ-हमीं अस्त ’ टाइप !
पण कुश पुत्तर, इत्थों केड़ी दस्वैदानियाँ ?
जनमत करा कर देख ले.. कितने लोग तुम्हारा दस्विदानिया स्वीकार करते हैं,
इत्ते दिनों बाद घोंघे के खोल से बाहर निकला, अब फिर वापस ?
अनूप जी से इस रुसवाई की आज्ञा ली ?
बैड मैनर्स !
जवाब देंहटाएंहरदिल अज़ीज़ गौतम राजरिशी के लिये, जितनी दुआ की जाये कम है ।
वह देशहित में दुश्मनों की गोली खाये पड़े हैं, अउर हम मौज़ों की रवानी में भी
ब्लागजगत के हित में अपनों की गाली खाने तक से डर जाते हैं ।
मोडरेशन के सेफ़-सेक्योर बँकर में भी अनसेफ़ महसूस करते हैं ।
हम साथ हैं गौतम, बोले तो ब्लागर.. जय हिन्द !
गौतम, पहले तुम जल्दी स्वस्थ हो लो, फिर तबादला-ए-चुटकुला होगा !
बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंवाह, आपने चर्चा को बहुत खूबसूरत बना दिया। अनूप जी से इस चर्चा की चर्चा करने का अनुरोध करता हूँ।
जवाब देंहटाएंआज तो चर्चा ने एक खूबसूरत पत्रिका का रूप ले लिया है। आदि के वीडियो पर यहीँ से गए खूब मजा आया।
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ साथ सब शहीदों को नमन करता हूँ ,
जवाब देंहटाएंआज फ़िर मैं अपने साथीयो पर गर्व करता हूँ |
जय हिंद ! जय हिंद की सेना ! जय हिंद !
चर्चा में मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंयह चर्चा का पन्ना आकर्षक भी है । बधाई ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शानदार चिट्ठाचर्चा!
जवाब देंहटाएंशहीद सैनिकों के लिये विनम्र श्रद्धांजलि!
गौतम राजरिशी के शीघ्र स्वास्थय लाभ के लिये मंगलकामनायें।
कुछ अलग हट कर रही यह चिटठा चर्चा ..बहुत बढ़िया ..!!
जवाब देंहटाएंमेजर साहब शीघ्र स्वस्थ्य लाभ करें ...!!
चर्चा का प्रारूप बहुत ही आकर्षक है. जारी रहे.
जवाब देंहटाएंअंतिम खबर दुखद है. मेजर के लिये शीग्र स्वास्थलाभ की कामना करता हूँ.
आभार!
जवाब देंहटाएंउल्लूक टाइम्स की चर्चा के लिये
आकर्षक चिटठा चर्चा ..
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम को शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की मंगलकामनायें।
दुखद खबर !!!
जवाब देंहटाएंमेजर गौतम के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना !!
चर्चा जितनी देखने में खूबसूरत है उतने ही अच्छे लिंक्स भी हैं |
हाय रे ! हम भी कवि-मना क्यों ना हुए?
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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