नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से शनिवार (24.07.2010) की चर्चा के साथ हाज़िर हूं।
समयाभाव के कारण इस बार संक्षिप्त चर्चा।
ब्लॉग‘ | पोस्ट / लिंक | एक लाइना |
अज़दक | न खत्म होने वाली बारिश की उस रात.. | बनते-बनते बिगड़ गई बात…! |
चला बिहारी ब्लॉगर बनने | अ-कबिता | दू गो बच्ची और एक ठो पिता हजारों महाकव्य से बढकर है ऐसन एक ठो अ-कबिता । |
मेरी भावनायें... रश्मि प्रभा... | जल्दी आओ ... | एक चाय भी बिना तू तू मैं मैं के कहाँ स्वादिष्ट होती है! |
धान के देश में! : जी.के. अवधिया | बुढ़ापे में जवानी के रोमांस की याद भी जीवन में रस घोलती है | अवधिया जी सच बताना आजकल आपका किसके साथ चक्कर चल रहा है?" |
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति अनिल कान्त : | ओ रे मनवा तू तो बावरा है | तो एक काम कीजिए एक बिना नाम-पते वाली चिट्ठी उस लाल बक्से में डाल ही आइए। |
पं.डी.के.शर्मा"वत्स" | इन वैदिक उपायों से मन भी मान जाता है........(ज्योतिष उपाय Jyotish Remedies) | जब इस प्रकार की बातें सुनने को मिलती हैं तो लगता है कि मन ही सब कुछ है! |
शिक्षामित्र | इंटरव्यू टिप्स | अगर आप सही मायने में बिना किसी दबाव के इंटरव्यू देना चाहते हैं तब तयशुदा समय से थोड़ा पहले चले जाएँ। |
शैलेन्द्र नेगी प्रतिभा कटियार | ‘वेरा’ निकोलाई की कैद से निकल भागी है। | निकोलोई चेर्नीवेश्की के उपन्यास ‘व्हाट इज टु बी डन’ की पात्र ‘वेरा’, समय, काल, इतिहास की कैद से मुक्त हो चुकी है। गर पकड़ी गयी तो !! |
Mired Mirage | चाहें तो कई युग लग सकते हैं चाहें तो कुछ पल भर ही! | अगर सादगी से विवाह किया जाए,तो इस तरह की परेशानियां सर ही ना उठायें! |
Parul | क्यों दिखती नहीं वो.. | 'जिंदगी पहले तो रोज मिल जाती थी' ॥ |
शोभना चौरे | जान लेवा .....सच क्या है ?? | अब तो बस कुछ ही सांसे बची है बाकि तो सब जानलेवा ही है! |
Puja | हमेशा के लिए अधूरा हो जाना | .इसका अधूरापन कुछ जियादा ही साल रहा है! |
डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर | सामाजिक सरोकारों का संरक्षण आवश्यक है | हम स्वयं आकलन करें कि समाज के सरोकारों को तोड़कर हम किस प्रकार के समाज का निर्माण करना चाहते हैं? |
lokendra singh rajput | सचिन की आत्मकथा से करोड़ो प्रशंसकों को निराशा | 35 लाख रुपए एक किताब के लिए खर्च करना आपके बस की है भी तो भी आप नहीं खरीद सकते क्योंकि ये सभी दस किताबों अभी से बुक हो चुकी हैं। |
आकांक्षा | एस. एम. एस. | शब्द छोटे होते गए |
शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग Shiv | एक मुलाकात कृषि मंत्री के साथ | इस साक्षात्कार के ट्रांसक्रिप्ट आपको कहाँ मिले? |
arun c roy | समय की कसौटी | जब लेती है परीक्षा कहाँ खड़ा हो पाया कोई! |
श्याम कोरी 'उदय' | गुरुमंत्र ..... कुत्ता बना आदर्श ! | एक ऎसा गुरुमंत्र जिससे सफ़लता की सौ प्रतिशत गारंटी! |
वन्दना | मानव! व्यर्थ भूभार ही बना | खाली हाथ आया |
Udan Tashtari | हर शाख पर उल्लू बैठा है | अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा! |
मनोज परशुराम राय | स्वरोदय विज्ञान (अंक-1) आचार्य परशुराम राय | हम एक वैज्ञानिक प्रणाली की खोज करते हैं तो उसके अन्दर अनेक वैज्ञानिक प्रणालियाँ कार्यरत दिखती हैं। |
do patan ke bich रंजीत | सुनो तो क्या कहती हैं ये पागल नदियां | जंगलों की कटायी तत्काल बंद करनी होगी और वृक्षारोपण अभियान चलाना होगा। कार्बनडाइआक्साइड गैस के उत्सर्जन में कमी लाकर हिमालय के ग्लैशियर को बचाय जा सकता है। |
साजिद की कलम sajid | नाग विदेशी डसता...............................................साजिद | आस्तीन के साँपों! तुमको |
स्पंदन SPANDANshikha varshney | इसरार बादल का | आ ले उडूं तुझे मैं, बस पाँव निकाल देहरी से बाहर जरा सा. |
चला बिहारी ब्लॉगर बनने चला बिहारी ब्लॉगर बनने | नींद क्यूँ रात भर नहीं आती | सिरहाने सलिल के आहिस्ता बोलो ई बकबक करके, अबके सो गया है. |
बुरा भला शिवम् मिश्रा | भगवान् का लाख लाख शुक्र है ! | भगवान् का लाख लाख धन्यवाद की उसने कार्तिक की रक्षा की ! भगवान् के आशीर्वाद से उसको ज्यादा चोट नहीं आई हैं और वह अब सदमे से भी बाहर है ! |
Samvedana Ke Swar सम्वेदना के स्वर | गुमशुदा ब्लॉगर्स की तलाश | हमें टिप्पणियों की गिनती तो याद रहती है, टिप्पणियाँ देने वालों की गिनती हम भूल जाते हैं, टिप्पणियों की परवाह तो हम करते हैं, टिप्पणियाँ लिखने वालों की परवाह नहीं होती. |
AKHILESH POEMS akhilesh | कोई हमे इश्क करना सिखला दे | बोल ख़ामोशी के, भाषा बिन बोलो की, भाव दिलों के, धुन प्रेम भावों की, अश्क ख़ुशी के, गाथा खामोश आसूंओ की, बिन जुबां के हमको भी दिल का हाल सुनाना सिखला दे, |
मेरे भाव मेरे भाव | ओस | पल भर को सजना |
' हया ' लता 'हया' | बन्दर क्या जानें अदरक़ का स्वाद | ये मुहब्बत तो मौला की सौग़ात है वर्ना मै क्या हूँ क्या मेरी औक़ात है गर है जन्नत ज़मीं पे तो बस है यहीं आप हम है,ग़ज़ल है,हसीं रात है |
उच्चारण डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | "गुलों की चाह में-.." (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") | अपना चमन बरबाद कर डाला। |
स्व प्न रं जि ता Mrs. Asha Joglekar | क्रूझ शुरू – मॉन्टेकार्लो (फ्रान्स) | मॉन्टे कार्लो ये इतालवी नाम है इसका मतलब है चार्ल्स पर्वत (Mount Charles) । ये मोनेको के राजा चार्ल्स III के नाम पर पडा है । मोनेको अपने आप में एक देश है भले ही ये जयपुर से भी छोटा हो । |
ज्ञानवाणी वाणी गीत | आखिर यह भी तो हमारे देवी -देवताओं का अपमान ही है ...! | प्यार और सम्मान तो हम अपने अभिभावकों का भी करते हैं पर क्या उनकी तस्वीरों का इस तरह सार्वजनीकरण कर अपमानित होतेदेख सकते हैं ? |
अनामिका की सदाये... अनामिका की सदायें ...... | दो नयन.. | मौन.... |
सफ़ेद घर सतीश पंचम | एनडीटीवी के कमाल खान को मिले पुरस्कार के मायने.........सतीश पंचम | वह कोई विरला ही होता है जो बरसाती नालों को देख कहता है - यह दरिया है लोकतंत्र का....संभलकर जईयो। |
काव्य मंजूषा 'अदा' | आत्ममुग्धता हमारी हार का कारण है.... | भारत का भला तभी हो सकता है जब...एक क्रांति की लहर आएगी... विदेशियों के कुछ अच्छे गुणों को अपनाया जाए...जैसे ईमानदारी, समय का सदुपयोग, नेतागन स्वयं को जनता के सही मायने में सेवक समझें और अपना काम नौकरी की तरह, तनखा पर करें! |
यह नया अंदाज़ अच्छा लगा ...शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंयहाँ से लिंक पाकर मैंनें भी गुमशुदा ब्लॉगर्स की तलाश पढ़ी । लाख टके का सवाल है..
जवाब देंहटाएंक्या टिप्पणीकार का रोल पोस्ट-लेखक के अहँ को सहलाना मात्र ही है ?
विस्तृत और अच्छी चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ! आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबढिया! चर्चा का ये रूप भी भा गया...
जवाब देंहटाएंआभार्!
चर्चा का अंदाज बहुत अच्छा लगा |बहुत बहुत आभार इस चर्चा में पोस्ट शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंआजकल चर्चा के नए नए रंग देखने को मिल रहे हैं :) ये अंदाज भी बहुत पसंद आया .
जवाब देंहटाएंबहुत आभार.
आपका हर अन्दाज़ गज़ब का होता है………………बेहद उम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंहम्म ... ये पहाड़ेनुमा चर्चा भी अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंवाह चर्चा को ’एक्सलीय-टच’दे कर एक नया अंदाज दे दिया है आपने..यह अदा भी खूब भायी..’सीधी बात नो बकवास’!! :-)
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया अपूर्व जी आप की सीधी बात से।
जवाब देंहटाएंअरे मेरा रीव.कहाँ चला गया....????
जवाब देंहटाएंआज कल नए नए तरीके इजाद हो रहे हैं चर्चा के. अच्छा लगता है.
अच्छी चर्चा.
लगता है हम ही पिछिया गए हैं...अच्छा पैकेजिंग किए हैं.
जवाब देंहटाएंसलिल (दुनो साईड से).
bahut achchhee charcha
जवाब देंहटाएंbahut hi naya andaaz laga ye bhi...
जवाब देंहटाएंzabardast..!