शनिवार, जुलाई 24, 2010

शनिवार (24.07.2010) की चर्चा

नमस्कार मित्रों!

मैं मनोज कुमार एक बार फिर से शनिवार (24.07.2010) की चर्चा के साथ हाज़िर हूं।

समयाभाव के कारण इस बार संक्षिप्त चर्चा।

 

ब्लॉग‘

पोस्ट / लिंक एक लाइना
अज़दक

न खत्‍म होने वाली बारिश की उस रात..

बनते-बनते बिगड़ गई बात…!
चला बिहारी ब्लॉगर बनने

अ-कबिता

दू गो बच्ची और एक ठो पिता

हजारों महाकव्य से बढकर है

ऐसन एक ठो  अ-कबिता ।

मेरी भावनायें...  रश्मि प्रभा...

जल्दी आओ ...

एक चाय भी बिना तू तू मैं मैं के कहाँ स्वादिष्ट होती है!

धान के देश में! : जी.के. अवधिया

बुढ़ापे में जवानी के रोमांस की याद भी जीवन में रस घोलती है

अवधिया जी सच बताना आजकल आपका किसके साथ चक्कर चल रहा है?"

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति 
अनिल कान्त :

ओ रे मनवा तू तो बावरा है

तो एक काम कीजिए एक बिना नाम-पते वाली चिट्ठी उस लाल बक्से में डाल ही आइए।

ज्योतिष की सार्थकता

पं.डी.के.शर्मा"वत्स"

इन वैदिक उपायों से मन भी मान जाता है........(ज्योतिष उपाय Jyotish Remedies)

जब इस प्रकार की बातें सुनने को मिलती हैं तो लगता है कि मन ही सब कुछ है!

शिक्षामित्र

इंटरव्यू टिप्स

अगर आप सही मायने में बिना किसी दबाव के इंटरव्यू देना चाहते हैं तब तयशुदा समय से थोड़ा पहले चले जाएँ।

बना रहे बनारस

शैलेन्द्र नेगी

प्रतिभा कटियार

‘वेरा’ निकोलाई की कैद से निकल भागी है।

निकोलोई चेर्नीवेश्की के उपन्यास व्हाट इज टु बी डनकी पात्रवेरा’, समय, काल, इतिहास की कैद से मुक्त हो चुकी है।

गर पकड़ी गयी तो !!

घुघूतीबासूती

Mired Mirage

चाहें तो कई युग लग सकते हैं चाहें तो कुछ पल भर ही!

अगर सादगी से विवाह किया जाए,तो इस तरह की परेशानियां सर ही ना उठायें!

Rhythm of words...

Parul

क्यों दिखती नहीं वो..

'जिंदगी पहले तो रोज मिल जाती थी' ॥

Abhivyakti -- अभिव्यक्ति

शोभना चौरे

जान लेवा .....सच क्या है ??

अब तो बस कुछ ही सांसे बची है बाकि तो सब जानलेवा ही है!

लहरें

Puja

हमेशा के लिए अधूरा हो जाना

.इसका अधूरापन कुछ जियादा ही साल रहा है!

हिन्दी साहित्य मंच

डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

सामाजिक सरोकारों का संरक्षण आवश्यक है

हम स्वयं आकलन करें कि समाज के सरोकारों को तोड़कर हम किस प्रकार के समाज का निर्माण करना चाहते हैं?

भड़ास

lokendra singh rajput

सचिन की आत्मकथा से करोड़ो प्रशंसकों को निराशा

35 लाख रुपए एक किताब के लिए खर्च करना आपके बस की है भी तो भी आप नहीं खरीद सकते क्योंकि ये सभी दस किताबों अभी से बुक हो चुकी हैं।

शब्द-शिखर

आकांक्षा

एस. एम. एस.

शब्द छोटे होते गए
भावनाएं सिमटती गई!

शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग

Shiv

एक मुलाकात कृषि मंत्री के साथ

इस साक्षात्कार के ट्रांसक्रिप्ट आपको कहाँ मिले?

sarokaar

arun c roy

समय की कसौटी

जब लेती है परीक्षा कहाँ खड़ा हो पाया कोई!

कडुवा सच

श्याम कोरी 'उदय'

गुरुमंत्र ..... कुत्ता बना आदर्श !

एक ऎसा गुरुमंत्र जिससे सफ़लता की सौ प्रतिशत गारंटी!

ज़ख्म

वन्दना

मानव! व्यर्थ भूभार ही बना

खाली हाथ आया
और खाली ही
चल दिया!

उड़न तश्तरी

Udan Tashtari

हर शाख पर उल्लू बैठा है

अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा!
मनोज
परशुराम राय

स्वरोदय विज्ञान (अंक-1) आचार्य परशुराम राय

हम एक वैज्ञानिक प्रणाली की खोज करते हैं तो उसके अन्दर अनेक वैज्ञानिक प्रणालियाँ कार्यरत दिखती हैं।

do patan ke bich 
रंजीत

सुनो तो क्या कहती हैं ये पागल नदियां

जंगलों की कटायी तत्काल बंद करनी होगी और वृक्षारोपण अभियान चलाना होगा। कार्बनडाइआक्साइड गैस के उत्सर्जन में कमी लाकर हिमालय के ग्लैशियर को बचाय जा सकता है।

साजिद की कलम 
sajid

नाग विदेशी डसता...............................................साजिद

आस्तीन के साँपों! तुमको
हमने जी-भर दूध पिलाया
ज़हरीलो! तुमने डस-डस कर
भारत का क्या हाल बनाया

स्पंदन SPANDAN 

shikha varshney

इसरार बादल का

आ ले उडूं तुझे मैं, बस पाँव निकाल देहरी से बाहर जरा सा.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 
चला बिहारी ब्लॉगर बनने

नींद क्यूँ रात भर नहीं आती

सिरहाने सलिल के आहिस्ता बोलो

ई बकबक करके, अबके सो गया है.

बुरा भला 
शिवम् मिश्रा

भगवान् का लाख लाख शुक्र है !

भगवान् का लाख लाख धन्यवाद की उसने कार्तिक की रक्षा की ! भगवान् के आशीर्वाद से उसको ज्यादा चोट नहीं आई हैं और वह अब सदमे से भी बाहर है !

Samvedana Ke Swar 
सम्वेदना के स्वर

गुमशुदा ब्लॉगर्स की तलाश

हमें टिप्पणियों की गिनती तो याद रहती है, टिप्पणियाँ देने वालों की गिनती हम भूल जाते हैं, टिप्पणियों की परवाह तो हम करते हैं, टिप्पणियाँ लिखने वालों की परवाह नहीं होती.

AKHILESH POEMS 
akhilesh

कोई हमे इश्क करना सिखला दे

बोल ख़ामोशी के,

भाषा बिन बोलो की,

भाव दिलों के,

धुन प्रेम भावों की,

अश्क ख़ुशी के,

गाथा खामोश आसूंओ की,

बिन जुबां के हमको भी दिल का हाल

सुनाना सिखला दे,

मेरे भाव 
मेरे भाव

ओस

पल भर को सजना
शरमाई शबनम की तरह
एक ही क्षण में बिखरना
ठुकराई दुल्हन की तरह

' हया ' 
लता 'हया'

बन्दर क्या जानें अदरक़ का स्वाद

ये मुहब्बत तो मौला की सौग़ात है

वर्ना मै क्या हूँ क्या मेरी औक़ात है

गर है जन्नत ज़मीं पे तो बस है यहीं

आप हम है,ग़ज़ल है,हसीं रात है

उच्चारण 
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

"गुलों की चाह में-.." (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

अपना चमन बरबाद कर डाला।

चैन-औ-अमन बरबाद कर डाला।।
स्व प्न रं जि ता  Mrs. Asha Joglekar

क्रूझ शुरू – मॉन्टेकार्लो (फ्रान्स)

मॉन्टे कार्लो ये इतालवी नाम है इसका मतलब है चार्ल्स पर्वत (Mount Charles) । ये मोनेको के राजा चार्ल्स III के नाम पर पडा है । मोनेको अपने आप में एक देश है भले ही ये जयपुर से भी छोटा हो ।

ज्ञानवाणी 
वाणी गीत

आखिर यह भी तो हमारे देवी -देवताओं का अपमान ही है ...!

प्यार और सम्मान तो हम अपने अभिभावकों का भी करते हैं पर क्या उनकी तस्वीरों का इस तरह सार्वजनीकरण कर अपमानित होतेदेख सकते हैं ?

अनामिका की सदाये... 
अनामिका की सदायें ......

दो नयन..

मौन....
किन्तु चंचल, गहरे, सुन्दर
और विषैले,
चन्दन से शीतल भी,
और अंगारों से ऊष्ण भी..

सफ़ेद घर 
सतीश पंचम

एनडीटीवी के कमाल खान को मिले पुरस्कार के मायने.........सतीश पंचम

वह कोई विरला ही होता है जो बरसाती नालों को देख  कहता है  - यह दरिया है लोकतंत्र का....संभलकर जईयो। 

काव्य मंजूषा 
'अदा'

आत्ममुग्धता हमारी हार का कारण है....

भारत का भला तभी हो सकता है जब...एक क्रांति की लहर आएगी...

विदेशियों के कुछ अच्छे गुणों को अपनाया जाए...जैसे ईमानदारी, समय का सदुपयोग,  नेतागन  स्वयं को जनता के  सही मायने में सेवक समझें और अपना काम नौकरी की तरह, तनखा पर करें!

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15 टिप्‍पणियां:

  1. यह नया अंदाज़ अच्छा लगा ...शुभकामनायें !

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  2. यहाँ से लिंक पाकर मैंनें भी गुमशुदा ब्लॉगर्स की तलाश पढ़ी । लाख टके का सवाल है..
    क्या टिप्पणीकार का रोल पोस्ट-लेखक के अहँ को सहलाना मात्र ही है ?

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  3. बढ़िया चर्चा ! आपका बहुत बहुत आभार !

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  4. बढिया! चर्चा का ये रूप भी भा गया...
    आभार्!

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  5. चर्चा का अंदाज बहुत अच्छा लगा |बहुत बहुत आभार इस चर्चा में पोस्ट शामिल करने के लिए |

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  6. आजकल चर्चा के नए नए रंग देखने को मिल रहे हैं :) ये अंदाज भी बहुत पसंद आया .
    बहुत आभार.

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  7. आपका हर अन्दाज़ गज़ब का होता है………………बेहद उम्दा चर्चा।

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  8. हम्म ... ये पहाड़ेनुमा चर्चा भी अच्छी लगी.

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  9. वाह चर्चा को ’एक्सलीय-टच’दे कर एक नया अंदाज दे दिया है आपने..यह अदा भी खूब भायी..’सीधी बात नो बकवास’!! :-)

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  10. मज़ा आ गया अपूर्व जी आप की सीधी बात से।

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  11. अरे मेरा रीव.कहाँ चला गया....????

    आज कल नए नए तरीके इजाद हो रहे हैं चर्चा के. अच्छा लगता है.
    अच्छी चर्चा.

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  12. लगता है हम ही पिछिया गए हैं...अच्छा पैकेजिंग किए हैं.
    सलिल (दुनो साईड से).

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