अब हम उनको क्या जबाब देते? विनम्रता पूर्वक जबाब दिया- ये कट्टा कानपुरी का विनम्र संस्करण है जी। वैसे लिखने को तो हम यह भी लिख सकते थे- जब आप किस्तों में वधशाला लिखते हैं तब कुछ नहीं होता और हम जरा सा नाम चमका देते हैं तो उस पर सवाल उठाते हैं?
बताते चलें कि आशीष जी ने देश ऐतिहासिक चरित्रों के बारे में वधशाला श्रखला के अंतर्गत अभी तक छह भाग में लिखा है। शुरुआत देखिये:
रातः ,संध्या, सूर्य ,चन्द्रमा, भूधर, सिन्धु ,नदी ,नाला जल, थल, नभ क्या है ? न जानता वर्षा, आंधी, हिम ज्वाला विश्व नियंता कभी न देखा , पर इतना कह सकता हूँ जिसने विश्व रचा है उसने ,प्रथम बनाई बधशालाशुरुआत में सीता, दशरथ, चाणक्य, महानंद,भीम, कीचक,भगतसिंह के बारे में जो लिखा उन्होंने उस पर कई इस्मत जी जिनका शेर
हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो, अगर ठोकर लगा दें हम तो चशमे फूट जाते हैं.----- शेफ़ा कजगाँवीआशीष ने अपने ब्लॉग के माथे पर शेरावाली के रूमाल सरीखा बांध रखा है ,प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये लिखा:
दूर फेक दो तुलसी दल को . तोड़ो गंगा जल प्याला दुआ फातिहा दान पुन्य का मरे नाम लेने वाला मेरे मुंह में अरे डाल दो एक उसी सतलज की बूंद जिसके तट पर बनी हुई है , भगत सिंह की बधशाला आशीष ढेरों आशीष मन से निकले तुम्हारे लिये बहुत ही सुंदर कविता मुझे ये कहने में तनिक भी संकोच नहीं है कि तुम्हारी जितनी कविताएं मैं ने अभी तक पढी हैं ,ये सर्वश्रेष्ठ लगी मुझे ,,,,जियो ख़ुश रहो ! इसी तरह लिखते रहोगे तो एक दिन हिन्दी साहित्य के आकाश पर तुम्हारा नाम अवश्य चमकेगा इन्शा अल्लाह !!अब जब शेफ़ा कजगाँवी जियो खुश रहो कह दें तो अब फ़िर क्या बचता है तारीफ़ के लिये। नाम तो चमक के रहेगा हिन्दी साहित्य के इतिहास में आशीष राय का जय हो। दूसरे भाग में संगीता स्वरूप जी ने वधशाला वाले अंदाज में ही तारीफ़ की:
एतिहासिक घटनाएँ ले कर खूब लिखी है बधशाला शोक हुआ जब अशोक को , पिया अहिंसा का प्याला नहीं सीखता कोई विगत से , जलती रहती है ज्वाला नित- नित कर्म करें ऐसे , जगती बनती बधशाला । बहुत बढ़िया प्रयोग है ... अद्भुत रचनावैसे आशीष बाबू ये बतायें कि बधशाला सही है कि वधशाला? ऊ न बतायेंगे तो मिसिर जी तो हैं हीं बताने के लिये। मैनाक पर्वत वाले मिसिरजी। :) भारत के स्वतंत्रता संग्राम को जानने के लिये बच्चों को तीसरी वधशाला पढ़नी चाहिये। लेकर टीपू, डलहौजी, कुंवरसिंह, हरदयाल सब मिल जायेंगें यहां। चौथे भाग में आयी प्रतिक्रियाओं में से कई लोगों ने इस कविता को पाठ्यक्रम मे लगाने की मांग की। पांचवे भाग में आशीष की कविता के साथ शिखा की आवाज की जुगलबंदी है। ओजकविता का मधुर आवाज में जुगलबंदी। क्या बात है-अद्भुतै न कहा जायेगा इसे। लेकिन ये क्या छठवे भाग की जुगलबंदी किधर है जी? इसमे खाली कविता से टरका दिया गया। आवाज गुम है। ये ठीक नहीं है। मेरी मांग है कि शिखाजी अपनी दो-चार कवितायें भले कम पोस्ट करें लेकिन् सब बधशालाओं को अपनी आवाज से नवाजें। बदले में हम उनकी पहले वाली कविताओं की दुबारा तारीफ़ करने का वायदा करते हैं। आशीष भी वधशाला सीरीज को चालू रखें। कानपुर में कबाड़ियों की कोई कमी नहीं है। :) अपडेट:आशीष जी की वधशाला को ब्लॉगजगत की आधिकारिक पॉडकास्टर अर्चना चावजी ने अपना ओजस्वी स्वर प्रदान किया है। सुनिये।बकौल आशीष राय -उनकी साधारण कविता अर्चनाजी के कंठ से गुजरकर अद्भुत हो गयी। बात कट्टा कानपुरी की हो रही थी। ये तो मात्र तखल्लुस है। उपनाम है। कोई हम कट्टा लिये थोड़ी चलते हैं सच्ची में। लेकिन कविता जी तो बचपनै में चक्कू लेकर इम्तहान देने गयीं थीं। विश्वास नहीं होता तो बांचिये उनका बयान -जब मैं अपने साथ छुरा ले गई। "छुरे वाली कविता" और "योद्धाजी" के हाथ में अब छुरा भले न रहता हो लेकिन तेवर वही बरकरार हैं। फ़ेसबुक और ब्लॉगजगत में भी। मैं तो भैया उनके वीरांगना वाले स्टेटस पर मारे डर के कोई टिप्पणी तक नहीं करता खाली लाइक करके फ़ूट आता हूं। उनका ये हौसला और जज्बा बरकरार रहे और इससे और लोग सीखें तथा निडर बने।:) फ़ेसबुक लोगों के आपसी बहस और कहासुनी के नये अड्डे हैं। लोग वहां बहस करते हैं और फ़िर उनको अपने ब्लॉग पर इकट्ठा धर देते हैं सारी बहस सजाकर। दो फ़ेसबुकिया बहसें जो वहां से उठकर ब्लॉग अटारी पर आकर बैठ गयीं देखिये-महादेव पर कब्जे के लिए भिड़े हिंदी के कार्तिक-गणेश! और कन्यादान क्या ह्यूमन ट्रेफिकिंग नहीं है? ... फेसबुक पर एक संवाद बहसें ब्लॉगजगत में भी हो रही हैं और मामला व्यक्तिगत आक्षेप, कोर्टकचहरी, मानहानि तक पहुंचता दिख रहा है। ब्लॉगजगत बवालजगत बबालजगत बन रहा है। एक जर्मन संस्था इनाम बांट रही है ब्लॉगिंग के। उसका वोटिंग का तरीका इतना बचकाना है कि कोई भी सौ-पचास लोगों को इकटठा करके अपने पक्ष में वोट हासिल कर सकता है। फ़ेसबुक, ट्विटर, ओपेन आईडी इन सबके आपसी गठबधन से अनगिनत वोट बटोर सकता है। बाकी अगर मामला जूरी को तय करना है तो हल्ला-गुल्ला बेकार। हमें तो जाना नहीं है लेकिन इनाम के लिये कटा-जुज्झ करने वाले बतायें कि इनाम लेने के जर्मनी जाने का किराया कौन देगा। अगर किराया खुद देना होगा तो कौन जायेगा? दूसरे अगर ब्लॉग सामूहिक है तो कौन जायेगा इनाम लेने? जिसने ब्लॉग शुरु किया वह या जो आज सक्रिय है और मीडिया में अपने नाम का परचम लहरा रहा है ये देखो भाई ये है हमारा ब्लॉग-इनाम मिला है। मिला नहीं अभी नामांकित हुआ है। ब्लॉगजगत की पुरानी बहसों के आगे की बहस में हुआ यह कि :
- खुशदीप पर आरोप लगा-खुसदीप भाई हमेशा झूठ ही बोलते हैं।
- रवीन्द्र प्रभात ने बताया कि जर्मनिया ब्लॉगिंग इनाम के लिये नामांकित दस ब्लॉग हिन्दी के सबसे अच्छे ब्लॉग नहीं है। इसमें टिप्पणी करते हुये रचनाजी ने लिखा- Ravindra Prabhat was forced to confer a PRAIKALPNA AWARD to Naari Blog last year because it was voted as one among the top 5 blogs of the last ten years of hindi bloging People like Naari BLOG becuase it raises voice against these INDIAN MAN who think woman are second grade citizens और जाकिर अली 'रजनीश' जो कि दो श्रेणियों नामांकित ब्लॉग सर्प संसार के सहलेखक हैं ने टिप्पणी करते हुये लिखा- बड़ा धांसू इंटरव्यु है। नि:संदेह इसे पढकर कईयों के सीने पर सांप लोट जाएंगे।
- रवीन्द्र प्रभात जी ने परिकल्पना पर (जिसका उद्धेश्य- हिंदी के माध्यम से सभी के लिए एक सुंदर और ख़ुशहाल सह- अस्तित्व की परिकल्पना को मुर्तरूप देना हैं......) हद है जी कहकर - जानकारी देते हुये लिखा-
रचना जी के द्वारा साउथ एशिया के एडिटर साहब को लिखे गए पत्र में मेरे ऊपर गंभीर इल्जाम लगाया गया है कि मैंने हिन्दी ब्लोगिंग का इतिहास पुस्तक में नाम छापने के एवज में ब्लोगरों से पैसे लिए हैं और अब उनके द्वारा मांगने पर मेरे द्वारा वापस नहीं किया जा रहा है। एडिटर साहब के द्वारा रचना को दिये गए प्रतियुत्तर में यह कहा गया है, कि यदि यह इल्जाम सिद्ध नहीं हुआ तो यह मान हानि के दायरे में आयेगा ।
इसके अलावा उन्होंने लोगों से राय भी मांगी है-आपसे एक और निवेदन है कि अपना मन्तव्य भी दे कि इस प्रकार के आक्षेप के लिए संबन्धित व्यक्ति पर क्या मुझे मान-हानि का मुकदमा दायर करना चाहिए ?
- संतोष त्रिवेदी ने बताया - ब्लॉग जगत में ’नारी’ की असलियत!! इसमें जानकारी है कि रचनाजी ने रवीन्द प्रभात पर क्या आरोप लगाये।
- खुलासे की कड़ी में रचना जी ने खुलासा करते हुये बताया - कि जिस अखबार में रवीन्द्र प्रभात जी का अंग्रेजी में इंटरव्यू छपा था उस साइट का रजिस्ट्रेशन 23 जनवरी’ 2013 को हुआ तथा उस साइट के मालिक कोई शुभेन्दु प्रभात हैं। आगे उन्होंगे लिखा-
अपने ही अखबार में अपना ही इंटरव्यू देना और प्रचार करना इतिहास ऐसे ही बनता हैं और बिकता हैं " ब्लॉग-जगत में 'नारी' की असलियत " बताने वाले अपनी असलियत भी औरो को क्यूँ नहीं बताते क्यूँ अपने और अपने परिवार को आगे बढाने के लिये हिंदी ब्लोगर का इस्तमाल वो एक सीढ़ी की तरह करते हैं और जो खिलाफत में बोलता हैं उसके खिलाफ पोस्ट लगा कर मदारी की तरह मजमा इकठा करते हैं
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये स्वप्न मंजूषा अदा जी ने लिखा-मुझे नहीं मालूम सच्चाई क्या है। लेकिन यहाँ जो दिया गया है उसे देख कर मन वितृष्णा से भर गया और इतना षड्यंत्र देख कर तो अब किसी भी बात का विश्वास नहीं रहा। ब्लॉग्गिंग न हुई हल्दीघाटी का मैदान हो गया।
आगे उन्होंने फ़िर कहा:बहुत दुखद है ये सब, फिर भी यही कहूँगी यह एक बहुत ही अच्छा अवसर मिला था हिंदी ब्लॉग्गिंग को अंतर्राष्ट्रीय मंच में मान्यता मिलने का, इसलिए सारी रंजिश छोड़ कर परिपक्वता दिखाते हुए, इस प्रतियोगिता में आगे बढ़ा जाए मेरी शुभकामना आप सभी चयनित ब्लोग्स के साथ है। सब ठीक हो जाएगा।
मै अखबार मे इंटरव्यू पढने के बाद संपर्क करना चाहती थी . लेकिन वहाँ एक मेल के अलावा कोई सूत्र नहीं हैं की मालिक कौन हैं , मीडिया सेंटर किस के अंडर में हैं
जवाब देंहटाएंजब कोई सूत्र नहीं मिला तो डोमेन किस के नाम पर रजिस्टर हैं देखना पढ़ा और फिर आंखे खुल गयी की असली मालिक कौन हैं
किसी भी न्यूज़ पेपर की साईट पर एक पता अवश्य होता हैं , और एक नंबर भी होता हैं उस पर कुछ भी नहीं हैं .
मुझे टिकेट के लिये स्पांसर मिल गये हैं ४ लोग हैं इसी ब्लॉगजगत के जिन्होंने भेजने का वादा किया
हटाएंजल्दी नाम का खुलासा भी कर दूंगी
डोमेन-वोमेन का मुझे पता नहीं। मालिक कौन है इसके बारे में भी क्या पता। जो पता है वह आपकी ही दी हुई लिंक से पता चला।
हटाएंवैसे क्या यह सच है कि इनाम लेने जाने के लिये किराया खुद देना पड़ेगा? अगर ऐसा है तब फ़िर काहे के लिये इतनी कटा-जुज्झ? काहे के आरोप-प्रत्यारोप?
नारी ब्लॉग का नोमिनेशन ब्लॉग एक्टिविस्ट के लिये हुआ हैं जिसकी सूचना मैने पहले ही दे दी हैं .
हटाएंनोमिनेशन इस लिंक https://thebobs.com/hindi/category/2013/best-blog-hindi-2013/
पर उपलब्ध हैं , वोटिंग ७ मई तक आप कर सकते हैं
वोटिंग करने के लिए आप हर दिन अपने फेसबुक , ट्विट्टर या ब्लोग यु आर एल से कर सकते हैं
वोटिंग करते समय ध्यान देना होगा की आप को पहले लोग इन करना हैं फिर नारी ब्लॉग पर क्लिक करना हैं जहां वोट लिखा हैं https://thebobs.com/hindi/category/2013/best-blog-hindi-2013/
क्या बात है ? चर्चा की तो ऐसी की साडी दुनियां जहाँ के ब्लॉग की खबरें , लड़ाई झगड़े की प्राथमिकी से पहले की सूचना , कलम चले तो बस ऐसे ही की बिना लाग लपेट के सब उजागर कर दे. बड़ा घमासान चल रहा है बस एक झलक मिल गयी इंडिया से जर्मनी तक की जंग की .
जवाब देंहटाएंबस हम तो झलक ही दिखला सकते हैं। बाकी की लोग खुद देंख लेंगे। :)
हटाएं...बड़ा सेलेक्टिव चर्चा किए हैं.यह चर्चा आपकी है ,सो मनपसन्द चीजों को 'कोट' किया है,करना भी चाहिए.लेकिन इस बेध्यानी में आपके अभियान का रुख भी बदल सकता है.
जवाब देंहटाएं.
.अखबार किसका है,यह महत्वपूर्ण नहीं है,उसमें कही बात अगर तथ्यहीन है तो उसे चुनौती दी जा सकती है.
.
.हाँ,अखबार पर भी केस किया जा सकता है कि उसने 'नारी-ब्लॉग' की सुसंस्कृत मोडरेटर को छोड़कर रवीन्द्र प्रभात का साक्षात्कार कैसे ले लिया ??
चर्चा हमने की है तो वही तो कोट करेंगे जो हमें पसन्द होगा, अच्छा लगेगा, जिसकी चर्चा करना चाहेंगे। हमारा चर्चा करने के अलावा कोई अभियान नहीं है। जो ठीक समझते हैं लिखते हैं। अखबार पर केस जिसको करना हो वो करे वैसे ढाई महीने के अबोध अखबार पर क्या केस करेगा कोई। बाल अपराध की श्रेणी में आयेगा वह केस का प्रयास। :)
हटाएंआपके पोस्ट के बाद से मैं भी ढूंढ रहा हूँ अखबार के मालिक का नाम, पर मुझे नहीं मिल रहा । आपको जानकारी हो गयी है तो एक कृपा कर दीजिये कि यह विवरण जहां भी है उसका स्नेप शॉट दे दीजिये ताकि मैं भी प्रामाणिकता से अवगत हो सकूँ ।
जवाब देंहटाएंवैसे संतोष त्रिवेदी जी की बातों से मैं सहमत हूँ कि "अखबार पर भी केस किया जा सकता है कि उसने 'नारी-ब्लॉग' की सुसंस्कृत मोडरेटर को छोड़कर रवीन्द्र प्रभात का साक्षात्कार कैसे ले लिया?"
आप फ़िर से पढिये। मैंने लिखा है- " कि जिस अखबार में रवीन्द्र प्रभात जी का अंग्रेजी में इंटरव्यू छपा था उस साइट का रजिस्ट्रेशन 23 जनवरी’ 2013 को हुआ तथा उस साइट के मालिक कोई शुभेन्दु प्रभात हैं।" रिश्तेदारी वाली मैंने नहीं लिखी। बाकी लोग जो देखते हैं उसके हिसाब से कयास लगाते हैं। मैंने साइट के मालिक का नाम जो जानकारी संबंधित लिंक में दी गयी है वह लिखा। वह कौन हैं,किसके रिश्तेदार हैं यह तो वे ही बता सकते हैं या उनसे जुड़े लोग।
हटाएंबाकी केस करने की बात जिनको केस करना हो वे करें। हमें तो चर्चा करनी थी कर दी। जो पढ़ा लिख दिया। :)
http://www.southasiatoday.org/2013/04/ravindra-prabhat.html
हटाएंसाउथ एशिया टुडे को रजिस्टर करने वाला विनय प्रजापति है और augustvinay @gmail.com उसी का ईमेल एड्रेस है. विनय का जन्मदिन बीस अगस्त को पड़ता है उसी पर उसने ईमेल एड्रेस बनाया है और गो डैडी पर रजिस्टर किया है ... गो डैडी पर रजिस्टर होने के कारण रजिस्टर एरिया न्यू डेल्ही दिखाई दे रहा है। विनय प्रजापति जाकिर और रविन्द्र का ही दोस्त है व् लखनऊ से है और साइबर तकनीशियन है जिसे सब लोग ब्लॉग जगत में इसी रूप में जानते हैं. मैं खुल कर सामने नहीं आ सकता इसलिए छुपकर आना मजबूरी है। पर सच यही है और दिमाग लगाया जाए तो स्थिति सही ही मालूम होगी। ईमेल एड्रेस का augustvinay होना इत्तेफाक नहीं है.
हटाएंSearch augustvinay@gmail.com in google
हटाएंअरे भाई बहुते गड़बड़ कर दी
जवाब देंहटाएंमैं सोच रहा था कि
भिड़ जाए कुछ जुगाड़
नुक्कड़ को जान जाएं लोग और चार
पर यहां पर तो भेड़ दिए
बनकर भीड़
खुले हुए भी किवाड़
कैसे कहें हम कबाड़
जो लिखा जा रहा है
हिंदी ब्लॉगिंग में
और मच रहा है धमाल।
क्या कालजयी हास्य कविता है। :)
हटाएंचौचक बा चर्चा , हल्दीघाटी वाले माहोल पर ही सबकी नजर है . अपन तो खुश हो लिए की बधशाला पढ़ लिया आप
जवाब देंहटाएंवधशाला टुकड़ों-टुकड़ों में फ़ेसबुक पर पढ़ते ही रहते थे। आज सब ब्लॉग पर भी बांच ली। डबल मेहनत हो गयी। लिखते रहिये और मित्रगणों से सानुरोध/साधिकार पाडकास्टित भी कराते रहिये। :)
हटाएंजय हो, जर्मनी वालों को भी तो पता चले कि हिन्दी ब्लॉगरों को पुरस्कार देना कित्ती मेहनत का काम है।
जवाब देंहटाएंजर्मनी वालों को क्या मेहनत? ऊ कौन बांच रहे होंगे ये सब ब्लॉगिया दंगल? बांचते होते तो कुछ बताते भी।
हटाएंmr anup i just chatted with vikas garg and here are the contents
जवाब देंहटाएंplease let me know from which ip this comment came i will be obliged
gargvikash23: hello
u msg me to do chat with u
me: YES
u were kind to leave a
comment on my blog
so i thought may be i could learn from you u being a expert
gargvikash23: sorry i dont remember
me: just 2 minutes back
u left a comment
about whois
on my blog
gargvikash23: soory maine to kisi blog par koi comment nahi diya
aapka blog kya hai
?
me: i am giving you the link
please wait
gargvikash23: kya main aapke bare m jan sakta hu
me: http://mypoeticresponse.blogspot.in/2013/04/blog-post_15.html
please first you check this link
see if you have given this
or not because its going to your profile
please tell me if you have given this comment or not
Sent at 16:25 on Tuesday
me: yes please is this your comment
Sent at 16:27 on Tuesday
me: are u there please
Sent at 16:29 on Tuesday
me: what happened mr vikas garg you are not replying
Sent at 16:31 on Tuesday
gargvikash23: just wait
me: oh sorry i thought i was disturbing you
as u may not be wanting to reply
gargvikash23: no no
i was busy in office
Sent at 16:33 on Tuesday
gargvikash23: soory rachna ji
wo koi or vikas garg hai
wo main nahi hu
me: profile to aap kaa hi haen
wahii sae aap kaa yae id mujhae milaa haen
gargvikash23: ha wo mera hi profile hai
lekin mujhe lagta hai use koi or use kar raha hai
kyoki maine kafi dine se blog khola hi nahi
main abhi check karta hu
me: kaun use kar rahaa haen aap kaa profile
gargvikash23: abhi wo hi check kar raha hu
me: yae to fraud hua naa
aap ke naam sae comment dena
aur yae do blogs par kiyaa gayaa haen
gargvikash23: thanku
aapne bataya to maine dhyan diya
Sent at 16:37 on Tuesday
me: kyaa aap maere blog par is baat ko daal daengae
"वैसे आशीष बाबू ये बतायें कि बधशाला सही है कि वधशाला? ऊ न बतायेंगे तो मिसिर जी तो हैं हीं बताने के लिये। मैनाक पर्वत वाले मिसिरजी। :)"
जवाब देंहटाएंमधुशाला के बाद मिसिर जी किसी वधशाला वाला पर नहीं गए -वैसे भी ऊ बधशाला है तो जाने का सवाल ही नहीं उठता!
ये कौन सी वाली शिखा जी हैं ?
मुझे पूर्वाभास हो गया था कि छुरे का जिक्र यहाँ होकर रहेगा - :-)
बाकी पर हम निरपेक्ष हैं -हाँ जो जर्मनी बुलाएगा खर्च पानी भी वही देगा -क्या इसमें भी कौनो लफडा है क्या?
जो शिखा हैं वहां उनके ब्लाग का लिंक है वहां अब देखिये।
हटाएंये अच्छा हुआ कि आपके आपके पूर्वाभास की रक्षा हुई !
लफ़ड़ा क्या यह सवाल तो यह है ही कि वहां जर्मनी इनाम लेने जाने का किराया कौन देगा? जर्मनी वाले देंगे कि मामला खाना-पीना रहना सब ब्लॉगर को करना होगा।
कोई बेनामी लगा होगा बेचारा मेहनत करने में। क्या करे वो भी। सामने आने की हिम्मत नहीं होगी।
जवाब देंहटाएंवाकई वधशाला बड़ी जबरदस्त लिखी हैं और जिस तरह से समाज इतिहास की जानकारी कविता में ढाली है बेजोड़ है | लेखक ने अध्ययन भी काफी किया है | मै भी इसे अपनी आवाज में गाना चाहूँगा
जवाब देंहटाएंअपन कुछ नहीं बोलेंगे.. क्योंकि बोला वहीं जाना चाहिये जहाँ जनता समझ जाये.. :)
जवाब देंहटाएंऔर इधर तो सब पहले से ही समझदार हैं.. तो बोलने की जरूरत ही नहीं है..
मैं चूँकि रविन्द्र प्रभात जी को पर्सनली जानता हूँ वो ऐसे नहीं हैं ... कुछ ऐसे भी होते हैं जो दूसरों के कन्धों पर बन्दूक रख कर चलाते हैं ... साउथ एशिया टुडे को देखने के बाद यह लगा कि यह साईट किसी सेमी-लिटरेट टाइप के आदमी की है .... इसकी अंग्रेजी मतलब मेरे जैसा अंग्रेजी जान्ने वाला पढ़ लेगा तो छ बार आत्महत्या कर लेगा ... और जो थोडा बहुत काम चलाऊ अंग्रेजी जानते हैं वो सिर्फ उस वेबसाइट पर लानत भेजेंगे ... और जो जाहिल होगा वो उस वेबसाइट पर यकीन करेगा ... और जिस हिसाब से उस वेबसाइट पर सरकारी चीज़ों का इस्तेमाल हुआ है वो ऍफ़ . आय. आर. (सार्क कन्ट्रीज का लोगो का यूज़ हुआ है ... जिसे मैंने मिनिस्ट्री को फॉरवर्ड तो कर दिया है ...बाकि अब सरकार या मिनिस्ट्री जाने) करने के लिए काफी है ... कोई भी अच्छा पढ़ा लिखा आदमी वैसी अंग्रेजी नहीं लिखेगा ... और वैसे भी अंग्रेजी का आदमी इन सब टुच्चा गिरी में नहीं पड़ेगा वो भी हिंदी ब्लॉग के लिए ... यह भी सोचने वाली बात है ... फैक्ट्स को जानने की कोशिश करनी चाहिए ... अगर यह इतनी ही सच्ची वेबसाइट होती तो क्वालिटी की अंग्रेजी होती ...इससे साफ़ ज़ाहिर है कि यह वेबसाइट तामझाम के लिए ही बनायीं गयी है जिसका मालिक अंग्रेजी में बहुत ही कमज़ोर है ....
जवाब देंहटाएंमैं चूँकि रविन्द्र प्रभात जी को पर्सनली जानता हूँ वो ऐसे नहीं हैं
हटाएंhee hee hee
आपने शायद ध्यान नहीं दिया लगभग सभी समाचार इधर-उधर से कॉपी किये गये हैं। खाली इंटरव्यू वाले आर्टिकल ही कहीं और नहीं छपे और उनकी अंग्रेजी ख़राब है। अपनी आँखों काला चश्मा हटाओ महफूज़ मियाँ।
जवाब देंहटाएंha....ha.....ha......
जवाब देंहटाएंbhartiya rajniti ka 'blogging sanskaran'..........
kahan to bahu-bhashiya blogging pratiyogita me 'hindi blogging' ko aage karne ki mu-him chalna tha...........kahan ye 'apas me haldighati ka' maidan bana hua hai.....
maje liye ja rahe hain.....magar 'dukh/santap/kshobh/krodh/bebasi' ke saath........
pranam.
इस तरह के विवादों से दूर रहना ही अच्छा है क्योंकि इनमें फ़ालतू का वक्त जाया होता है ! इन विवादों को लेकर तरह तरह के लिंक दिए जाते है और फिर उन लिंकों को खंगालो और उसके बाद नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहता है और पता भी नहीं चलता कि कौन सही है और कौन गलत है और टिप्पणियाँ देकर विवादों को हवा देना तो और भी गलत है !
जवाब देंहटाएं15/04/2013
जवाब देंहटाएंRachna Singh
southasiatoday.org can you trace and tell me who owns this domain its very urgent 1:20pm
Kush Vaishnav
Name:Shubhendu Prabhat
Add:Indra Enclave
New Delhi
Phone - 9794289797 1:20pm
Rachna Singh
yae kaun haen
ravindra prabhat kae koi haen kyaa 1:21pm
Kush Vaishnav
i dont know
but yahi information hai
16/04/2013
Rachna Singh
are u online
please tell me how can the dns trace be changed
the info we trace yesterday is not showing today i think it has been changed overnite
how is it possible 7:05pm
Kush Vaishnav
privacy setting enable kardi hai unhone, owner to same hi hai
बंदरिया नचाये और मदारी नाचे, ज़माना वाक़ई बदल गया है! ;)
जवाब देंहटाएंवाह! छा गये आशीष बाबू :)
जवाब देंहटाएंकिसी बात का/व्यक्ति का विरोध किया जाता है, अगर उसकी कोई हरक़त हमारे गले नहीं उतर रही तो. लेकिन विरोध के लिये इस्तेमाल की जाने वाली भाषा, वो भी तथाकथित बुद्धिजीवियों के द्वारा अगर अश्लीलता की सीमा पार कर जाये, तब क्या किया जाये?
चूंकि मैं भी चिट्ठाचर्चा करनेवालों में एक हूँ तो टिप्पणियां मेरे मेल बॉक्स में भी आ जाती हैं। आज देखे तो यहाँ आये।
जवाब देंहटाएंये साउथ एशिया टुडे है बड़ा मजेदार साईट। मनोरंजन का एक और साधन मिला। अंग्रेजी का तो यह है कि जैसे चाहो लिख दो, पढने वाले मतलब और मतलब के आगे का भी समझ जाते हैं। बाकी, ये ब्लॉग हिस्टोरियन की पदवी बड़ी धाँसू है।
ईनाम जिसको मिले, उसको ईनाम मिलने के लिए अग्रिम बधाई। मिठाई खिलाएंगे तो और बढ़िया।