हिन्दी चिट्ठाजगत के दस साल पूरे होने वाले हैं। इस दौरान कई तरह के इनाम बंटे ब्लॉग जगत में। शुरुआत हुई थी इंडीब्लॉगीस से। 2003 में जब हिन्दी के ब्लॉग गिने-चुने थे (शायद एक ही) हिन्दी के बेस्ट ब्लॉगर का इनाम हिन्दी के आदि ब्लॉगर आलोक कुमार को मिला।
अगले साल 2004 में अतुल अरोरा के हिस्से गया बेहतरीन ब्लॉगर का इनाम। मेरा पन्ना वाले जीतेन्द्र चौधरी दूसरे नम्बर पर रहे।
2005 तक हिन्दी ब्लॉगिंग की हलचल बढ़ गयी थी लेकिन वोटिंग के मामले में उदासीन ही रहा मामला। कम अपने मताधिकार का प्रयोग कम ही करते रहे। इस बार सबसे बढिया ब्लॉगर का इनाम मिला शशि सिंह मुंबईया फ़्राम बिहार को। दूसरे नंबर पर रहे फ़ुरसतिया। 2006 के विजेता रहे समीरलाल उड़नतश्तरी वाले तथा रनर्स अप ब्लॉग जो न कह सके(सुनील दीपक) और बिहारी बाबू कहिन (प्रिय रंजन झा)।
इंडीब्लॉगीस के कर्ता-धर्ता रहे बकौल रवि रतलामी हिंदी ब्लॉगिंग के पितृ पुरुष देबाशीष। ब्लॉग लिखना बहुत पहले छोड़ दिया है देबाशीष ने लेकिन उन्होंने हिन्दी ब्लॉगिंग के शुरुआती दिनों में इतना जो काम किया है उसका जिकर करने पर शशि सिंह सही ही कहते हैं-
वोटिंग के माध्यम से किये यही दो चुनाव मुझे याद आ रहे हैं फ़िलहाल। इसके बाद तो इनाम बांटने के कई सिलसिले हुये। परिकल्पना के इनाम बतासों की (जिनके आयोजकों फ़ितरत ही इनाम बांटना है) तरह बंटे। हमने भी सदी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर को सम्मान देने की घोषणा की लेकिन अभी तक कोई प्रविष्टि नहीं आयी सो इनाम धरे हैं। बहरहाल:
चलते-चलते एक मजेदार बात। रचना जी की आपत्ति पर डा.अरविन्द मिश्र की टिप्पणी देखिये:
आज की चर्चा के लिये भी डा.अरविन्द मिश्र ने आग्रह किया। उनके आग्रह पर चर्चा तो हमने कर दी। अब वोट देने का काम आप करिये। ठीक है न! :)
अपडेट: रचनाजी ने मेरी समझ को दुरुस्त करते हुये मेल से जानकारी दी कि TASLIM की जगह साइंस ब्लॉगर एशोसियेशन का लिंक है। पहले हमने TASLIM की जगह सर्प संसार लिखा था।
अगले साल 2004 में अतुल अरोरा के हिस्से गया बेहतरीन ब्लॉगर का इनाम। मेरा पन्ना वाले जीतेन्द्र चौधरी दूसरे नम्बर पर रहे।
2005 तक हिन्दी ब्लॉगिंग की हलचल बढ़ गयी थी लेकिन वोटिंग के मामले में उदासीन ही रहा मामला। कम अपने मताधिकार का प्रयोग कम ही करते रहे। इस बार सबसे बढिया ब्लॉगर का इनाम मिला शशि सिंह मुंबईया फ़्राम बिहार को। दूसरे नंबर पर रहे फ़ुरसतिया। 2006 के विजेता रहे समीरलाल उड़नतश्तरी वाले तथा रनर्स अप ब्लॉग जो न कह सके(सुनील दीपक) और बिहारी बाबू कहिन (प्रिय रंजन झा)।
इंडीब्लॉगीस के कर्ता-धर्ता रहे बकौल रवि रतलामी हिंदी ब्लॉगिंग के पितृ पुरुष देबाशीष। ब्लॉग लिखना बहुत पहले छोड़ दिया है देबाशीष ने लेकिन उन्होंने हिन्दी ब्लॉगिंग के शुरुआती दिनों में इतना जो काम किया है उसका जिकर करने पर शशि सिंह सही ही कहते हैं-
मैं बाकी लोगों के योगदान को कमतर नहीं आंक रहा पर इस कल्पना भर ही सिहर गया कि अगर हमारे देबू दादा का सहयोग नहीं होता तो हमारे हिंदी ब्लॉग जगत की तस्वीर क्या होती!लिखना बंद कर देने के बावजूद देबू के मन में हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रति अनुराग बना हुआ है। आखिरी लेख जो उन्होंने चिट्ठाचर्चा की हजारवीं पोस्ट के मौके पर लिखा था उससे उनके मन में ब्लॉगिंग के प्रति लगाव का अंदाजा लगता है। इंडीब्लॉगीस के बाद दूसरे ब्लॉग इनाम बांटे बेंगानी घराने के तरकश ने। वह कड़ी गायब है लेकिन उस समय की कुछ हलचलें आप यहां और यहां देख सकते हैं।
वोटिंग के माध्यम से किये यही दो चुनाव मुझे याद आ रहे हैं फ़िलहाल। इसके बाद तो इनाम बांटने के कई सिलसिले हुये। परिकल्पना के इनाम बतासों की (जिनके आयोजकों फ़ितरत ही इनाम बांटना है) तरह बंटे। हमने भी सदी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर को सम्मान देने की घोषणा की लेकिन अभी तक कोई प्रविष्टि नहीं आयी सो इनाम धरे हैं। बहरहाल:
देशी इनामन का देश मां छ्वाड़ौ,
विदेशी इनामन का सुनौ हवाल।पिछले हफ़्ते खुशदीप ने अपनी पोस्ट में जानकारी दी:
मैंने 13 फरवरी को एक पोस्ट लिखी थी... हिंदी ब्लॉग का ऑस्कर पाएं, जर्मनी जाएं...आज उसी कड़ी में आगे बढ़ने का दिन है...बल्कि यूं कहिए कि हिंदी ब्लॉगिंग के लिए आज एक बड़ा दिन है...हिंदी समेत 14 भाषाओं में ऑनलाइन सक्रियता की अलग-अलग विधाओं को बढ़ावा देने के लिए जर्मनी का अंतरराष्ट्रीय ब्रॉ़डकॉस्टर डॉयचे वेले बेस्ट ऑफ ब्लॉग्स के तहत बॉब्स अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार देने जा रहा है...हिंदी, यूक्रेनी और तुर्की को इस साल पहली बार शामिल किया गया है...हिंदी के लिए जूरी मेंबर लोकप्रिय टेलीविजन एंकर रवीश कुमार हैं....खुशदीप ने जब यह पोस्ट लिखी थी जिसमें इस इनाम के बारे में जानकारी दी गयी थी। हमने उनके ब्लॉग के नाम का प्रस्ताव किया था। लेकिन फ़ाइनल लिस्ट में गायब है नाम। लगता है यहां सब मामला आयोजकों की मर्जी का है वर्ना हिंदी ब्लॉगिंग के और चर्चित ब्लॉग भी होते इनामी वोटिंग दंगल में। और वे होते तो फ़िर तो दनादन पोस्टें आ रही होती। ब्लॉगजगत इतना उदासीन न रहता इन वोटिंग बवाल से। इन चिट्ठों के नामांकन का आधार क्या रहा यह इस साइट के इस बयान से समझा जा सकता है:
14 भाषाओं में 4,200 ब्लॉग और वेबसाइट नामांकित की गई हैं. 15 जूरी सदस्यों ने काफी मेहनत के बाद 364 ब्लॉगरों और वेबसाइटों को अंतिम चरण के लिए नामांकित किया है. इस सूची में विश्व भर की दिलचस्प सामाजिक मुहिमें शामिल हैं.तो अगर आपका कोई पसंदीदा ब्लॉग इस नामांकन सूची में शामिल नहीं है तो समझिये कि आयोजकों की नजरों में वह दिलचस्प सामाजिक मुहिम वाली ब्लॉग कैटेगरी में नहीं आता। कल डा.अरविन्द मिश्र ने भी अपने मानस पुत्रों को वोट देने की अपील की। मानस पुत्र माने ब्लॉग तस्लीम और सर्प संसार। मुझे याद है जब मिश्र जी पहली मुलाकात मेरी इलाहाबाद में हुई थी तब उन्होंने अपने प्रजेंटेशन में सर्प संसार के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। उस समय लवली गोस्वामी भी इस ब्लॉग से जुड़ीं थीं। बाद में वे इससे अलग हो गयीं जैसे फ़िर और बाद में डा.अरविन्द मिश्र भी हुये। तस्लीम भले ही टीम फ़ार साइंटिफ़िक अवेयरनेस आन लोकल इशूस ऑफ़ इंडियन मासेस का संक्षिप्त रूप हो लेकिन खुदा झूठ न बुलवाये मुझे शुरु से और अभी तक यह किसी तसलीम नाम के व्यक्ति द्वारा चलाया जाने वाल ब्लॉग लगता है। व्यक्ति की समझ कितनी पूर्वाग्रही हो सकती है वह मेरे इस बयान से पता चलती है। है न ? :) रचना सिंह ने मिसिरजी की पोस्ट के पर जानकारी दी :
"TSALIM is a science blog/website run by several scientists trying to promote interest in science through their various blog projects." ( तस्लीम एक वैज्ञानिक ब्लॉग/वेबसाईट है जो अनेक वैज्ञानिकों द्वारा संचालित है और अपने कई ब्लॉग परियोजनाओं के जरिये लोगों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि को बढ़ावा दे रही है " सर्प संसार के बारे में दोयिचे वेली की यह टिप्पणी है - but the link given there is of science blogger association nomination is for science blogger association TSALIM is a science blog/website run by several scientists trying to promote interest in science through their various blog projects. Scientificworld.inजित्ता हमको समझ में आया वह यह कि तस्लीम का लिंक गड़बड़ है (TASLIM की जगह साइंस ब्लॉगर एशोसियेशन का लिंक है। ), और इसके चलते इसका नामांकन निरस्त भी हो सकता है। लखनऊ के अखबारों में हल्ला भी मच गया है इसके नामांकन का। अब अगर नामांकन निरस्त होगा तो गड़बड़ होगा- ऑस्कर में बर्फ़ी के से हाल। बहरहाल आप अपने वोट दीजिये चलकर वहां। अपन तो कल ही अपना वोट दे चुके नारी ब्लॉग को। बेहतरीन ब्लॉग के अलावा कुछ उन चिट्ठों की भी सूची है जिनको फ़ालो किया जाना चाहिये। इनमें अभी पहला नंबर दुधवा लाइव का है (51%) दूसरे नम्बर पर ज्ञानदत्त जी की हलचल है (31%)। पहला नंबर देखिये किसका लगता है लेकिन हम ज्ञानदत्त जी को तो पूरा फ़ालो करते हैं तो वोट भी उनको ही देंगे। बेहतरीन ब्लॉग के बारे में आपका वोट किसको जाता है वह आप देखिये। हम थोड़ा-थोड़ा आपको इनके बारे में बता देते हैं:
- मैंने रिश्वत दी: सीवीसी की बेवसाइट सरीखी यह साइट में भ्रष्टाचार की छुटपुट जानकारियों के बारे में पोस्टें मिलती हैं। इसमें हेलीकाप्टर घोटाले, कोयला घोटाले जैसे खुलासे भले न हों लेकिन रोजमर्रा जीवन से जुड़े किस्से/शिकायतें यहां मिलेंगे।
- मोहल्ला लाइव: 2007 के बाद का पहले चर्चित ब्लॉग फ़िर साइट। इस ब्लॉग के साथ ही पत्रकारों ने ब्लॉगिंग में सक्रिय हिस्सेदारी शुरु की। उठापटक और हलचलिया खबरें इसकी खासियत रहीं।
- तस्लीम:भारतीय समाज में स्थानीय स्तर पर विज्ञान प्रसार में जुटी टीम। सबसे ताजी पोस्ट सेक्स एक गुप्त ज्ञान।
- अन्ना हजारे: अन्ना हजारे का ब्लॉग है संभवत:।
- औरत की हकीकत:डा.अनवर जमाल द्वारा चलाया जा रहा ब्लॉग। कुल जमा अठारह पोस्टें जिनमें से अधिकांश साभार।
- आधारभूत ब्रह्मांड लखनादौन म.प्र. के अजीज राय द्वारा चलाया जाने ब्लॉग जिसमें ब्रह्मांड से संबंधित जानकारी दी जाती है।
- नारी: भारतीय नारी पहुंच चुकी है यही अनुवाद लगा मुझे इसके यू आर एल का (indianwomanhasarrived) इसके बारे में परिचय देते हुये रचना जी लिखती हैं:
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं - विज्ञान : विज्ञान के बारे में जानकारी देने वाला चिट्ठा !
- चोखेरबाली मतलब आंख की धूल। धूल तक तक स्तुत्य है जब तक पैरों तले दबी है। उड़ने लगे आंधी बन जाये तो तो आंख की धूल है- चोखेरबाली है। नारी ब्लॉग ने महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर लिखना शुरु किया था। चोखेरबाली ने भी भी महिला मुद्दों पर लिखा। तेवर कमोवेश वही लेकिन भाषा कुछ समृद्धतर।
- सर्प संसार : साँपों से जुड़े़ रहस्यों से पर्दा उठाने और उनसे जुड़े़ अंधविश्वास को दूर करने का एक विनम्र प्रयास।
चलते-चलते एक मजेदार बात। रचना जी की आपत्ति पर डा.अरविन्द मिश्र की टिप्पणी देखिये:
रचना जी , वाकई आपका प्रेक्षण बहुत सटीक है -ध्यानाकर्षण के लिए आभार!अब इससे ज्यादा रोचक और मजेदार बात क्या हो सकती है हिन्दी ब्लॉग जगत के लिये कि रचना सिंह के प्रेक्षण को डा.अरविन्द मिश्र सटीक बतायें।
आज की चर्चा के लिये भी डा.अरविन्द मिश्र ने आग्रह किया। उनके आग्रह पर चर्चा तो हमने कर दी। अब वोट देने का काम आप करिये। ठीक है न! :)
अपडेट: रचनाजी ने मेरी समझ को दुरुस्त करते हुये मेल से जानकारी दी कि TASLIM की जगह साइंस ब्लॉगर एशोसियेशन का लिंक है। पहले हमने TASLIM की जगह सर्प संसार लिखा था।
अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंरही बात नामांकन और विजेता की, भैया, हमारा तो सभी चिट्ठाकारों से यही निवेदन है, असली पुरस्कार होता है, पाठकों का प्यार, जब तक वो आपको मिलता रहता है, आपको किसी पुरस्कार की जरूरत नहीं होती। हम ना तो कभी अपने ब्लॉग को कंही नामांकित करते है और न ही कभी पुरस्कार के चक्कर में पड़ते हैं। लगातार लिखते रहो, यही आपका सबसे बड़ा योगदान होगा हिन्दी ब्लॉगिंग के लिए।
क्या ऊंची बात कह दी जी आपने भी जीतेंदर बाबू! जय हो।
हटाएंजीतू भाई, आपने बहुत मार्के की बात कही। असली पुरस्कार है पाठकों का प्यार। और वर्तमान में किस ब्लॉग के पाठकों को कितना प्यार मिल रहा है, इसका सबसे प्रामाणिक तरीका है 'एलेक्सा रैंकिंग'।
हटाएंउक्त पुरस्कार हेतु नामांकित सभी ब्लॉगों में इस समय 'तस्लीम' की एलेक्सा रैंक सर्वाधिक है: 410894, जबकि हमारे शुकुल महाराज और उनके चेले जिस ब्लॉग का अंध समर्थन कर रहे हैं, उसकी रैंक है 18,80,836. इससे स्पष्ट है कि पाठकों का प्यार के मामले में 'तस्लीम' ब्लॉग से शुकुल जी द्वारा समर्थित ब्लॉग का कोई मुकाबली ही नहीं है।
आशा है आदरणीय शुकुल जी इस गूढ ज्ञान को समझेंगे और पाठकों के प्यार की इज्जत और जितेन्द्र भाई की बात की कद्र करते हुए 'तस्लीम' के समर्थन में वोट अपील जारी करेंगे।
तस्लीम की एलेक्सा रैंकिंग सर्वाधिक है। पाठक सबसे ज्यादा हैं। प्यार भी बहुत है। फ़िर क्या जरूरत हमारे समर्थन की भाई। मस्त रहिये खूब वोट पाइये। इनाम जीतिये, जर्मनी जाइये, नाम कमाइये।
हटाएंवाह जी वाह, मजा आ गया, बहुत सारी ज्ञान चर्चा के साथ टांग खिंचाई चर्चा भी, हिन्दी ब्लॉगिंग चलती रहे, लिखते रहें, यही प्रयास रहना चाहिये.. जय हो ।
जवाब देंहटाएंज्ञानचर्चा/ब्लॉगचर्चा में हल्का-फ़ुल्का पन बना रहे इसलिये खिंचाई-विचाई भी होती रहती है। इसी बहाने आपके यहां जाकर आपकी बर्थडे पोस्ट भी बांच लिये। :)
हटाएंइस बीच हिन्दी का ब्लॉग इतिहास भी लिखा गया था. कोई कह रहा था, जो पैसे देगा उसे ही इतिहास में जगह मिलेगी और इस तरह कई लोग इतिहास होते होते बचे.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट एक यात्रा है, सरपटियात्रा. मस्त.
हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास कैसे लिखा गया यह लिखने वाले बतायेंगे लेकिन पैसा देने पर नाम का जिक्र वाली बात रोचक है और हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहास से जुड़ी है- भले ही गलतफ़हमी के चलते। :)
हटाएंhindi blogging kaa itihaas kitab me naam paesaa daekar hi chhapaa thaa
हटाएंjinhonae prebook kiyaa thaa
http://www.nukkadh.com/2011/04/blog-post_2970.html
हटाएंअरे भाई, माइक्रोसॉफ़्ट इंडिया वाला पुरस्कार क्यों भूल गए? :)
जवाब देंहटाएंहमें केवल हल्ले-गुल्ले वाली घटनायें याद रहीं। माइक्रोसॉफ़्ट इंडिया पुरस्कार में लफ़ड़ा नहीं हुआ होगा इसलिये याद नहीं आया। आपने याद दिलाया तो याद आया लेकिन लिंक नहीं मिला वर्ना लगा देते। आप बताओ :)
हटाएंक्या बात करते हो मियाँ, जरा अपनी गूगलिंग सुधारो.
हटाएंबहरहाल, ये रही लिंक -
http://raviratlami.blogspot.in/2006/06/blog-post.html
और हाँ, सृजनसम्मान रायपुर ब्लॉग पुरस्कारों को भी जानबूझकर क्यों भूल गए, जिसके लिए तो महीने भर तक श्वान-रुदन चलता रहा था...? इसकी कड़ी भी ढूंढ कर लगाएँ न मिले तो वो भी ला देंगे आपको... :)
ये रही सृजनगाथा ब्लॉग पुरस्कार 2007 की कड़ी -
हटाएंhttp://srijansamman.blogspot.in/2008/01/2007.html
इन इनामों में हल्ला-गुल्ला नहीं मचा उतना इसलिये ध्यान नहीं रहा। आपका भाषा इंडिया इनाम मिलने वाला लिंक भी गड़बड़ा गया है लगता है। दिखा नहीं वह पन्ना जिसमें आपके इनाम की घोषणा हुई। लेकिन इसी बहाने आपका इंटरव्यू मिला उसे दुबारा पढ़ा जिसमें आपने कहा था:
हटाएंब्लॉगिंग का भविष्य उज्जवल है। यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो कभी पुराना नहीं पड़ेगा, कभी ऑब्सलीट नहीं होगा। ओरकुट से, चैट से, फेसबुक से लोग जल्द ही उकता जाएंगे मगर ब्लॉगिंग से नहीं। आने वाले दिनों में नेट से जुड़ा हर बंदा या तो ब्लॉग लिखता होगा या फिर ब्लॉग पढ़ता होगा। यह बात मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूं।
बाकी इनाम मिलने को तो देखिये पिछले हफ़्ते चिट्ठाचर्चा को ही सप्ताह का सबसे अच्छा ब्लॉग का इनाम मिला लेकिन किसी ने बधाई तक न दी। :)
हा हा हा... आपने भी कहाँ से ये ढूंढ लाया और ये देखिए, आज ही, सेलेब्रिटी फेसबुकिए, ट्विटरिए और इस नए ब्लॉग पुरस्कार के जूरी रवीश कुमार ने अपना ट्विटर - फ़ेसबुक बंद कर दिया और कहते हैं -
हटाएंबस यूं ही मन किया और ट्विटर फेसबुक बंद कर दिया। पहले भी नहीं सोचा न अब सोच रहा हूं। एक बार पहले भी ऐसा कर चुका हूं। कुछ मित्रों से पता चला कि मेरे ऐसा करने से कुछ फालतू लोगों को अफवाह टाइप बेचैनी हो रही है। वे सब बातें सच भी हों तो आप मेरी क्या मदद कर सकते हैं ज़रा इसका भी नुस्खा पेश कर दिया जाता। हद है। सोशल मीडिया न हो गया मोहल्ले के चबूतरे पर बैठे रिटायर्ड लोगों को जमावड़ा हो गया कि कौन कहां जा रहा है उस पर नज़र रखना ही काम हो गया। हम हैं कौन जो बंद करने से पहले प्रेस कांफ्रेंस करते। अच्छा हुआ मैंने ये सब बकवास पढ़ा नहीं। आपको कुछ भी कहना ठीक लगता है तो मौज लीजिए।
कितना लिखें और कितना बकें बस एक सीमा पार करते हुए कहने से थकान होने लगी। ऊब गया। खालीपन अवांट- बवांट लिखने के लिए बाध्य कर रहा था। चार पत्रकारों को दस हज़ार सहचरों के बीच सेलिब्रेटी गढ़ देने से कोई सेलिब्रेटी नहीं हो जाता। औकात बोध से बड़ा कोई बोध नहीं है और बकरी पाल लीजिए मगर मुगालता मत पालिये। मैंने देखा है कि चार आने के एंकरों को टेढ़ा होकर चलते हुए और सामने आते हुए लोगों को गेस करते हुए कि ये वाला पहचानेगा कि नहीं। पहचान लिया तो बस हां हां। ये सब बीमारी है। गनीमत है कि इन सबका शिकार नहीं हुआ। एक दुपहर मन किया कि चलते हैं इस दुनिया से। चले गए। बात खत्म।
पूरा पोस्ट यहाँ पढ़ें -
http://naisadak.blogspot.in/2013/04/blog-post_6.html
चलो, मेरी भविष्यवाणी सत्य तो हो रही है! :)
बहुत सही व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंBHARTIY NARI
PLEASE VISIT .
धन्यवाद! आते हैं आपके ब्लॉग पर भी।
हटाएंब्लॉग का इतिहास, सम्मान और ईनाम की रेवड़ी का इतिहास होगा शायद? जो उससे बचा, वह हाशिया बन गया।
जवाब देंहटाएंब्लॉग में हाशिये के ही लोग आये लिखने। हाशिये का भी तो कोई न कोई इतिहास होगा। सो बन रहा है। आपको फ़ालो करके। :)
हटाएंकुछ और तथ्य सुधार लीजिये -लवली गोस्वामी का ब्लॉग था भारतीय भुजंग! उसके बंद होने के बाद सर्प संसार की शुरुआत हुई -सर्प संसार की सफलता का इक परोक्ष क्रेडिट उनका भी है -अगर उन्होंने भारतीय भुजंग न बंद किया होता तो सर्प संसार की शुरुआत ही न हुयी होती -मेरे तमाम लेख भारतीय भुजंग के साथ ही दफ़न हो गए -उन कई के स्मृति शेष सर्प संसार में है !
जवाब देंहटाएंआपने सिलसिलेवार ब्लागिंग पुरस्कारों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया है इसलिए यह पोस्ट बुकमार्कीय बन गयी है !
बतकही मैंने अपने मानस पुत्रों के लिए की जो इस पोस्ट की हेतु बनी और आप मत दे आये नारी को -यह आपकी फितरत है!
ये तस्लीम और साईंस ब्लागर्स का मामला सचमुच पेंचीदा है -इसे डोयीचे वेले को स्पष्ट करना होगा !
तथ्य सुधार दिये। आपकी बतकही के पहले ही मैं अपना वोट दे चुका था। अब डोयीचे वेले जो कर सो करे। :)
हटाएंठीक है मगर इस कटेगरी में तो सर्प संसार को वोट दीजिये और दिलाईये न
हटाएंविश्व की अनेक भाषाओं में मोस्ट क्रिएटिव एंड ओरिजिनल कटेगरी में हिन्दी के ब्लॉग सर्प संसार को कृपया वोट करें!
https://thebobs.com/english/category/2013/most-creative-original-2013/
वास्तव में 'बॉब्स' की वेबसाइट में कोई गलती नहीं है। संभवत: 'तस्लीम' ब्लॉग की सेटिंग में ही कोई गडबडी हो गयी है, जिसकी वजह से scientificworld.in/ लिंक खोलने पर ब्लॉग आटोमैटिक रूप में http://blog.scientificworld.in/ पर फारवर्ड हो रहा है।
हटाएं'बॉब्स' के नामांकन पृष्ठ पर 'तस्लीम' ब्लॉग के नाम में 'तस्लीम' का ही लिंक लगा है, इसे कन्फर्म करने के दो तरीके हैं। पहला उस लिंक के ऊपर अपना कर्सर ले जाएं। ऐसा करने पर उसमें लगा हुआ लिंक स्क्रीन पर 'स्टार्ट' बटन के पास दिखने लगेगा। दूसरा तरीका यह है कि वेबसाइट में जहां पर 'तस्लीम' का यूआरएल लिखा है, उस पूरे मैटर को सेलेक्ट करके माउस का राइट बटन दबाएं और 'व्यू सेलेक्शन सोर्स' को क्लिक कर दें। इससे एक नई विंडो खुल जाएगी और सेलेक्ट किये गये मैटर में लगाया गया कोड लिख कर आ जाएगा।
ये इनाम शिनाम सब जोड़ तोड़ जुगाड के खेल हैं जी। फिर भी जीतने वाले को संतोष सुख तो मिलता ही है। कुछ हल्ला गुल्ला भी होता रहता है। हिन्दी ब्लागिंग में कुछ समय से सन्नाटा सा है। चलो इस बहाने ही कुछ तो हो रहा है। जो जीते उस की जय, हमारी एडवांस बधाई! हम ने अपने वोट डाल दिए हैं।
जवाब देंहटाएंसही है इनाम तो हमेशा ही छंटे हुये लोगों को मिलता है। :)
हटाएंबढ़िया चर्चा ..... कितना कुछ याद दिलाया आपने , हिंदी ब्लोग्गिं में कुछ सकारात्मक होता है तो यह सबके लिए सुखद है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद। हिन्दी ब्लॉगिंग में कुछ होता रहेगा तो उसमें से कुछ सकारात्मक अवश्य होगा।
जवाब देंहटाएंमहागुरुदेव,
जवाब देंहटाएंआपने मेरे नाम का सुझाव दिया, यही मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है...आप, समीर जी, डॉ अरविंद मिश्र जी, सतीश सक्सेना जी, डॉ दराल, ताऊ, निर्मला कपिला जी...ये सभी आदरणीय मुझसे विशेष स्नेह रखते हैं...और सबसे ऊपर स्वर्गीय डॉ अमर कुमार जी का खास आशीर्वाद...यही मेरी ब्लॉगिंग की सबसे बड़ी कमाई है...रही सम्मान-पुरस्कार की बात तो इस पर मेरा मत सभी जानते हैं...लेकिन इस बार मैंने एक स्टैंड लिया है...इन पुरस्कारों के लिए 'नारी' को और भी करना है...आगे...http://www.deshnama.com/2013/04/blog-post_8.html
जय हिंद...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंमेरी टिप्पणी में दिनेशराय द्विवेदी सर और पाबला जी का नाम भी शामिल माना जाए...
हटाएंजय हिंद...
sachhi me 'bookmark' post..........
हटाएंisai se 'blogging itihas ka ithas' pata lag raha hai........
pranam.
ठीक है मगर इस कटेगरी में तो सर्प संसार को वोट दीजिये और दिलाईये न
हटाएंविश्व की अनेक भाषाओं में मोस्ट क्रिएटिव एंड ओरिजिनल कटेगरी में हिन्दी के ब्लॉग सर्प संसार को कृपया वोट करें!
https://thebobs.com/english/category/2013/most-creative-original-2013/
सुधीजनो की चौपाल.
जवाब देंहटाएंकरें बहुत बवाल.
हल्ला मचे न
जवाब देंहटाएंमोहल्ला जाने न
चौराहे पर कोई देखे न
फिर नुक्कड़ पर बैठे कर करें चर्चा
हिंदी ब्लॉगिंग से नहीं निकल रहा
इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल की खरीद पर
आने वाला खर्चा
फिर काहे के इनाम
किसके इनाम
इस इनाम की नाम दौड़ में
फुरसतिया जी का बड़ा नाम है
कोई मीठा तरबूज धाम है
किसी पर जेठ दोपहर की घाम है
कोई लगाता पढ़ने पर पोस्टें
अपने माथे पर झंडू बाम है
राखी सावंत निहाल है
बिपाशा बसु कमाल है
कैटरीना कैफ की चर्चा का
फिल्म जगत में
खूब धमाल है
फिर पूछते हैं
इनामों में ई नाम का
क्या हाल है
खर्चा निकले सबका
यही सबसे बड़ा सवाल है
जरुरी नहीं पूछे
गणित का मास्टर
सवाल
किसी भी विषय का ज्ञाता
खूब है बताता
मस्ती में गाता
मस्ती में आता
अखबारों में छपने पर
इतिहास बनाता
मैं तो यह कहूंगा
कि तकनीक के इस धाम का
खूब बढि़या कमाल है
सब कुछ कमाल है
सब हो रहे मालामाल हैं