शुक्रवार, सितंबर 04, 2009

बिना तू-तू मैं- मैं वाली ब्लॉगिंग - धत्त तेरे की

कल अनूप जी ने बिना तू-तू मैं- मैं वाली शादीशुदा ज़िंदगी को नीरस और स्वादहीन घोषित करते हुए बडी मज़ेदार दोहे चौपाइयों चेपीं ! विवाद और नोकझोंक जैसे विवाह को बनाए रखते हैं हमें लगता है ब्लॉगिंग को बने रहने के लिए भी विवाद की खाद चाहिए ! उनकी इस पोस्ट के छपने से बहुत पहले ही ब्लॉग जगत में हिंदू -मुस्लिम विवाद की शुरुआत हो चुकी थी ! ब्लॉग में विवाद करना घर पर पत्नी से झगडने से भी ज़्यादा आसान है ! इस बात को जानकर ब्लॉगरगण बहस की आग में कूद पडे ! कोई महात्मा बोले सावधान एक अस्वच्छ आदमी ब्लॉगिंग के स्वच्छ वातावरन को गंदा करने आ पहुंचा है !

दूसरे विद्वान ने उवाचा कि सावधान पैगम्बर मुहम्मद कल्कि अवतार नहीं ! वेद , पुराण गीता , भागवत , कुरान शरीफ में क्या लिखा है क्यों लिख है ? सलीम कौन है ? ये राजेश सलीम ही है ! इसका पर्दापाश हो चुका है 1 हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है ! बस आपकी आंखें खोलना है ! मैं ब्लॉग़ जगत का रखवाला बोल रिया हूं ! मुझे गंद और गंदे की बहुत पहचान है ! मुझे सफाई करने का लंबा ऎक्स्पीरियंस है ! हमें लात मारना आता है पत्थर फेंकना भी ! भई कीचड न होता तो पत्थर भी फेंकते और वो ज्ञानी होता तो दो-चार लात भी मारते ! अभी तो छोड रहे हैं ! अगर वो फिर आ गया तब नहीं छोडेगे ! कीचड और मूर्खपने की परवाह करें बिना ब्लॉग जगत के हित में फौरी ऎक्शन लेंगे ! मां कसम , किताब की कसम ! ये हमें गलत सलत सिखाऎगे ! बुड्ढे को मूतना सिखाऎंगे !...हफ्फ.. हफ्फ...!!

 

सलीम खान की जवाबिया पोस्ट में वो कहते हैं कि मैं सलीम खान हिंदू हूं - भारतवर्ष में रहने वाले सभी बाशिंदे हिन्दू हैं, भौगोलिक रूप से! चाहे वो मैं हूँ या कोई और !

और बहस चालू आहे !

खैर छोडों बहसने दो ! आप तो सोचो कि ये संतानें अपने पिता के नाम से ही क्यों जानी जाती हैं माता के नाम से क्यों नहीं ! एक चोखेरबाली सवाल का जवाब आया इस पोस्ट की टिप्पणियों में

द्विवेदी सर, ज़्यादा तो नहीं जानता लेकिन हमारा समाज शुरू से पुरुष-प्रधान रहा है. सारे नियम-कायदे अपने फायदे के हिसाब से बनाए...नारी शक्ति को संपत्ति जैसे अधिकार से वंचित रखने के लिए पुत्र को ही पिता का वारिस माना..-

एक चिट्ठे पर चित्ठा सिंग , चित्ठा मिसिर , और चित्ठा सुक्ल के बीच बहस छिडी है किन क्या होना बेहतर है सेंटी या मेंटल ? कुछ हुलसकर वहां पूछे गए सवालों पर आप भी विचार कर आइए ! आखिर ये भी एक बडा मुद्दा है बहस का ! वैसे हमारा तो मानना है कि ब्लॉग जगत में सॆंटी - मेंटल हुए बिना नहीं टिका जा सकता ! ये दुनिया है दिलवालों की !

क्या आप पेप्सी पीते हैं ? क्या आपकी पेप्सी में कभी मेंढक , कीडा ,या कोई अन्य अवांछित चीज़ निकली है ! यदि हां तो भी और यदि नहीं तो भी खेती बाडी ब्लॉग पर जाना न भूलिए ! बेरोजगार ब्लॉग पर गांधी जी के सेक्स के प्रयोग पर पोस्ट शुरु करके बिना बात खत्म कर दी गई है ! आई पिल का जमाना है , प्रयोग इंसान नहीं कंपनियां करती हैं ! काम इच्छा को बढाना है घटाना नहीं ! काम क्रीडा के काल को दोनों तरफ बढाना है बाज़ार का मकसद ! एक सबसे बडी इंडस्ट्री को चैलेंज़ ??  तभी तो गांधी जी ब्रहम्चर्य के प्रयोग पर गिरजा कुमार की किताब को पढना है भई !

स्वप्न मेरे पर एक बेहतरीन ग़ज़ल पढी और आपको भी पढवाने का मन है -

बिखर गये हैं छन्द गीत के, टूट गये सब तार
मेघों की गर्जन, भंवरों के कोमल राग गये
पागलपन, उन्माद है कैसा, कैसी है यह प्यास
पहले जंगल फिर हरियाली अब ये बाग़ गए
लौट के घर ना आया वो भी चला गया उस पार
बरसों बीते मेरी देहरी से सब काग गये

चलते चलते एक और बात ! देखिए ब्लॉगिंग करने वालों के ब्लॉगिंग कर्म की सार्थकता पर कई सवाल उठाए जाते रहे हैं ! कभी कभी तो खुद ब्लॉगर ही अपनी ब्लॉगर व्यक्तित्व की सार्थकता पर सवाल करने बैठ जाता है ! पत्नी / पति अगर ब्लॉगिंग न करते हों तो और मुसीबत ! सारा दिन गिल्ट की फिइलिंग या शक और बेकद्री की नज़रों को सहते सहते ब्लॉगिंग करो ! झूठ मूठ में दिखाओ कि न न हमें घर और बाल बच्चों की भी परवाह है / इतना वेला भी नहीं हूं / अभी भी काम का आदमी / औरत बचा हूं मैं ..आदि ! अब यदि आशीष खंडेलवाल जी के ब्लॉग टिप्स पर आप ध्यान दें तो ऎसी कई दुविधाओं , समस्याओं , फीलिंगों से आप बच सकते हो ! ब्लॉग का ब्लॉग चैरिटी की चैरिटी ! या कहो कि हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होए ! या कि ब्लॉगिंग करें बिना बदनाम होए ! ही ही..

अंत में दिवंगत नेता वाई एस आर रेड्डी जी को इरफान जी और हमारी श्रद्धांजली -

 

[YSR.jpg]

Post Comment

Post Comment

11 टिप्‍पणियां:

  1. चिट्ठा चर्चा अच्छी रही...वाई एस आर रेड्डी जी को हमारी श्रद्धांजली

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन चर्चा.

    रेड्डी जी को श्रृद्धांजलि.

    जवाब देंहटाएं
  3. हमीं हम हैं तो क्या हम हैं,
    तुम्हीं तुम हो तो क्या तुम हो,

    तू तू मैं मैं जिन्दाबाद !
    चिट्ठे में यह हिट है आज !

    मनोरंजन का सदाबहार फ़न्डा

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ नही अपनी एक कहावत है "बहस रहे विवाद रहे दिल्ली रहे या हैदराबाद रहे ।" एक दिन सब विवादों से ऊब जायेंगे फिर ऊब से भी ऊब जायेंगे फिर विवाद करेंगे । यह तो दुनिया का दस्तूर है । अब कुछ दिन बाद विवाद की सुपारी लेने वाले भी पैदा हो जायेंगे . ठेके पे ... विवाद करवा लो .. कह्ते हुए ब्लॉगों पे घूमेंगे .. खैर विचार तो बहुत आ रहे है फिल हाल इतना ही ।आपके ब्लॉग पर भी विवाद हो हमारी शुभ(?) कामना --- शरद कोकास ,दुर्ग छ.ग.

    जवाब देंहटाएं
  5. गजब चर्चा कर दिये जी आप...हम समझ भी गये कि सेंटी मेंटल होना ही ठीक है..

    जवाब देंहटाएं
  6. "वैसे हमारा तो मानना है कि ब्लॉग जगत में सॆंटी - मेंटल हुए बिना नहीं टिका जा सकता ! ये दुनिया है दिलवालों की ..."

    हां जी, हम सेंट परसेंट आप के मानने से मुत्तफ़िक हैं ... मेरा मतलब है कि ब्लाग जगत सेंटी[सेंट पर्सेंट] मेंटल है वर्ना कौन अपना काम-धाम छोड कर ब्लागरी करे। एक पैसे की आमदनी नहीं और न एक मिनट की फुरसत! है ना फुरसतियाजी:)

    जवाब देंहटाएं
  7. तू-तू मैं-मैं वाली ब्‍लॉगिंग से शुरू हुई चर्चा का गांवों की ओर समापन अच्‍छा लगा। कार्टून अक्‍सर चंद रेखाओं व शब्‍दों में वह बात कह देते हैं, जिसके लिए लंबा-चौड़ा लेख लिखना-पढ़ना होता है। इरफान जी के कार्टून इस दृष्टि से बेजोड़ हैं।

    चर्चा के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. सब लेख बांच के अब कह रहे हैं खूब चर्चा करी।

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छी लगी आपकी यह चिट्ठा चर्चा.. हैपी ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  10. गोया आईडिया के मेनिफेस्टो को हाइजेक करने के विरोध में सेंटी मेंटालाना चर्चा तो नहीं है...वाई फाई युग में इधर कई नयी डेफिनेशन आ गयी है... अपने सुख दुःख के लिए सेंटी.....बाकी दुनिया के लिए..मेंटल ....वो क्या कहते है गुलज़ार....ये इश्क नहीं आसन ऐड्स का खतरा है.....धन टे नान

    जवाब देंहटाएं
  11. खूबसूरत चिट्ठा चर्चा । इरफान जी का कार्टून शानदार है ।

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative