मंगलवार, सितंबर 08, 2009

सफर में ख़ो गई मंज़िल,उसे तलाश करो


नक्कालों से सावधान
.....और ये बात यहीं तक न सीमित रही। डा.अमर कुमार जी ने भी कहा कि आज कुछ न लिखूंगा। और उन्होंने अपने वायदे के मुताबिक एक ठो पोस्टर बना के सटा दिया। शीर्षक है नक्कालों से सावधान। देखिये बगलै मां है।

सुबह-सुबह ही ज्ञानजी गंगा तट पर गये और चार ठो संस्कृत के छात्रों की फ़ोटू खैंच के छ्टंकिया वीडियो में सटा दिया।



ब्लागर महफ़िल
ओस सी चिकनी
और पारदर्शी सुबह
उगा दो मेरी आँखों में

समझ लो
अपनी हथेली से
मेरी हथेली कों

मेरा होना अब
सिर्फ तुम पर है
ओम आर्य


सुरेश चिपलूनकर जी की पोस्ट के शीर्षक नरेन्द्र मोदी को अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड मिला पेट दर्द शुरू... से एकबारगी लगा कि मोदी जी को इनाम मिलते ही पेटदर्द की शिकायत हो गयी। लेकिन बात असल में कुछ दूसरी है। असलियत देखिये इस पोस्ट में। इनाम की बात सेकुलर बनाम नान सेकुलर में तब्दील हो गया। इसी में एक पाठक का कहना है:जो चिपलूनकर के मन मुताबिक चले वो सही बाकी सब गलत. यही है इस ब्लॉग का आदि और अंत. इस पर चिपलूनकर की प्रतिक्रिया भी है। देखियेगा।

क्रिया-प्रतिक्रिया तो खैर न्यूटन के समय से चली आ रही है। आप तो ब्लागर स्नेहमहासम्मेलन की बात सुनिये। आमतौर पर लोग ब्लागर सम्मेलन कराकर निपटा देते हैं लेकिन अविनाश वाचस्पति जी का ही जिगर है कि स्नेह और महा की अतिरिक्त व्यवस्था की है। दिल्ली और १२ सितम्बर भी याद रखियेगा। समय के बारे में अभी पत्ते खुले नहीं है। उसका खुलासा समय आने पर किया जायेगा।


बबली
कितना ख़ूबसूरत ये समा है,
बारीश के बूंदों में खो रहा सारा जहान है,
कुछ कहना चाहती है ये शायद,
तभी तो दिल के करीब ये जहान है !
बबली

वैसे तो हम शुरुऐ में गाना गा दिये कि चर्चा हमें यानी अनूप शुक्ल उर्फ़ फ़ुरसतिया को करनी पड़ रही है। वैसे अगर न भी बताते तो आप जान जाते काहे से कि हर ब्लॉगर के लेखन की एक अपनी शैली है, पोस्ट देखते ही कह सकते हैं कि किसने लिखा है।

सलीम खान कसम खा रहे हैं आईये आज हम नारी को उसका वास्तविक सम्मान दिलाने की क़सम खाएं! क्या विचार है- जाइयेगा?

बारिश के अवसर पर सांप काफ़ी दिखते हैं। कुछ सांपों के बारे में जानकारी दे रहे हैं अरविन्द मिश्र।

आत्मकेंद्रीयता और स्वार्थ। अब क्या बतायें इसके बाद? अब इसके बाद आप द्विवेदीजी के यहां ही चलिये।

आपको ५० % की छूट .जिंदगी पर .......... चाहिये। चलिये डॉ.राधिका उमडे़कर बुधकर के ब्लाग पर।

राजिया राज लिखती हैं:
सफर में ख़ो गई मंज़िल,उसे तलाश करो।.
किनारे छूटा है साहिल, उसे तलाश करो।.

था अपना साया भी इस वक़्त साथ छोड़ गया।
कहॉ वो हो गया ओझल उसे तलाश करो।


दर्पण शाह लिखते हैं:
ठहरे हुए कुछ पलों में,
छोटा सा,
एक पल....
...जो उड़ना भूल गया.

खुद ही आ बैठा,
मन के पिंजरे में.


मीडिया डाक्टर का खुलासा और आक्रोश देखियेदूषित सिरिंज से हमला करने वालों की पागलपंथी

अब आप चाहते हैं कि नोटपैड पर अपनी भाषा में लिख सकें तब तो आपको एक बार फ़िर कुलवंत हैप्पी के पास जाना पड़ेगा।

और जब बात हैप्पी की हो रही है तो साथ में हैप्पी बर्थडे की हो जाये। आज इरशाद अली का जन्मदिन है। उनको मुबारकबाद!

मेरी पसंद


मुकेश कुमार तिवारी
जरूर कुछ ना कुछ तो कहीं जलता है
आँखें मसलता है वो जब भी मुझे देखता है

दर-ओ-दीवार पीते हैं कोहराम रात-दिन
इक समंदर मेरे घर से होकर गुजरता है

फासले अब भी दरम्याँ हैं बहुत
वो गुंजाईश रखकर ही गले मिलता है

उसकी चिट्ठियाँ अब भी रुला देती हैं मुझे
ना जाने कौन सी स्याही से खत लिखता है

किसी अज़ाब से कम नही है इन्सान
मौसम के हिसाब से चेहरा बदलता है

तू भी तलाश ले अपनी राह "मुकेश"
भला यहाँ कौन किसके लिये ठहरता है

मुकेश कुमार तिवारी

चलते-चलते


विवेक
सुबह हुई आंखें खुलीं लिया थोड़ा सा जन्म्हुआय
उतरि बिस्तरा आय के बैठे कम्प्यूटर पर आय
बैठे कम्प्यूटर पर आय देखी बाबू विवेक की मेल
बिजी हुये कछु दिनन तक न पईहैं चर्चा ठेल
न पईहै चर्चा ठेल करैंहैं अब कछु दिन हमें जिबह
चिट्ठा बाचौ ठेलो चर्चा काम करो कछु सुबह सुबह!

और अंत में

अभी कल की पोस्ट देखी। दर्पण शाह की टिप्पणी है-
too biased blog...

...too biased post !!
Always.

don't beleive ? ask wtih your heart !!
हमने उनका ब्लाग देखा। और ऊपर उनकी लिखी कविता का जिक्र किया। जिक्र डर के मारे में नहीं इसलिये कि फ़ोटॊ, कविता और टिप्पणियों का संकलन अच्छा लगा। बाकी too biased blog ,
...too biased post पोस्ट के बारे में क्या कहें? जिसकी जैसी समझ, जैसा विचार वो रखने के लिये आजाद है। अगर शब्दों का सफ़र ब्लाग की चर्चा वाली पोस्ट पर कोई biased कहता है तो मुझे अच्छा ही लगेगा। ऐसी biasedness मैं बनाये रखना चाहूंगा।

फ़िलहाल इतना ही। विवेक को आगे कुछ इम्तहान देने हैं इसलिये कुछ दिन के लिये उनकी चिट्ठा चर्चा आप न पढ़ पायेंगे। विवेक को हमारी शुभकामनायें। फ़िलहाल आप इसई से काम चलायें। चलाइये तब तक हम आफ़िस होकर आयें।

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25 टिप्‍पणियां:

  1. छूटा न कोई पर्चा
    अच्छी रही चर्चा

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  2. मुकेश भाई यहां ब्‍लॉगर ही ब्‍लॉगर
    और इंसान के लिए भी ठहरता है।

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  3. ग़ैरों पे करम, अपनों पे सितम
    ए जाने वफ़ा, ये ज़ु्ल्म न कर...
    (अनूपजी, कभी हौसला बढ़ाने के लिए नौसिखियों पर भी नज़रें-इनायत कर दिया कीजिए...

    जवाब देंहटाएं
  4. आज पहली मर्तबा आपके ब्लॉग पर आया... काफी अच्छा लगा... वरिष्ठ ब्लॉगर

    क्या बात है ग्रेट!

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  5. अच्छी चर्चा! आप ज्वलनशील पदार्थों को भी आसानी से झेल जाते हैं मि.एस्बेस्टॉस की तरह।

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  6. चर्चा का नया फ्लेवर आकर्षक है ....ओम आर्य जी की कविता बहुत फबती है ...इस जगह...ऐसी रचनाये देख दिल खुश होता है डॉ अमर कुमार जी हमेशा अपने सर्वश्रेष्ट रंग में रहते है ...आपने काफी कुछ समेटने की कोशिश की है .पर कुछ ब्लोग्स के लिंक मै भी देना चाह रहा हूँ जहाँ नजर डालिए ....
    हाशिये पे झुर्रिया


    दूसरा लिंक कबाड़खाना से है....जहाँ अनुवाद है
    तीसरी प्रमोद जी की किताब
    है
    इ स्वामी के कई लेख दिलचस्प होते है अपनी विशेष भाषा ओर कहने के तरीके से ...ये पोस्ट
    कुछ अलग सी है आप इससे सहमत भी हो सकते है नहीं भी ....फिर भी पढने में थोडा अलग है....इसलिए पढ़ डालिए

    ओर राधिका जी के इस शीर्षक ने मुझे इस पोस्ट को पढने को मजबूर किया .शीर्षक था ५० प्रतिशत की छूट जिंदगी पर
    ..लगा जैसे एक गृहणी की दिल से आवाज है ...

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  7. हाँ, मैंनें भी यह टिप्पणी देखी थी..
    अँतर के ऊदल का कूदल-करतब शुरु हो,
    इससे पहले ही अपना आल्हा इसी आलाप पर रोक देता हूँ..
    टू बायस्ड कमेन्ट
    TOO BIASED COMMENT !
    They are always solicited.

    लेकिन, आप दुःखी मत होना जी, मैं हूँ ना ।
    ई पोस्टरवा तो चिट्ठाचर्चा पर कुछ जादै ही मटक रही है, भाई !
    मन्नैं तो लाग्यै, पराया अँगना पाय के मेरी धन्नों का मिज़ाज़ ही बदल जाया करे है ।

    जवाब देंहटाएं
  8. मज़ा आता है ये चिढ्ढाचर्चा पढकर । कभी अपनी कभी उनकी कहानियाँ/कविताऎं पढकर।

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  9. वैसे तो हम शुरुऐ में गाना गा दिये कि चर्चा हमें यानी अनूप शुक्ल उर्फ़ फ़ुरसतिया को करनी पड़ रही है। वैसे अगर न भी बताते तो आप जान जाते काहे से कि हर ब्लॉगर के लेखन की एक अपनी शैली है, पोस्ट देखते ही कह सकते हैं कि किसने लिखा है।

    हम तो इस चर्चा में एक फोटो देखते ही समझ गए थे चर्चा आपने की है.. क्या धांसू चर्चा की जी.. बहुत ही बढ़िया

    जवाब देंहटाएं
  10. समझ लो
    अपनी हथेली से
    मेरी हथेली कों

    मेरा होना अब
    सिर्फ तुम पर है

    ओम आर्य तो होनाहार है हीं:)

    इर्शाद भाई को जनम दिन की बधाई और विवेक भाई को शुभकामनाएं।

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  11. आप वरिष्टतम ब्लॉगर हैं।
    आप हमारे बारे में बहुत अच्छा लिखते हैं।
    आपकी बायस्डियत को परनाम!

    जवाब देंहटाएं
  12. आप वरिष्टतम ब्लॉगर हैं।
    फिर भी आप हमारे बारे में कुछ नहीं लिखते हैं।

    आपकी बायस्डियत का सबूत. :)


    (ज्ञानजी से कॉपी, पेस्ट और थोड़ा खुद से रिपेयर)

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  13. बायस्डियत
    लगे हाथों कर दें खुलासा

    ब्‍लॉग के संदर्भ में परिभाषा

    बतला भी दें भाई

    हमें अंग्रेजी नहीं आती है

    इसलिए हिंदी में समझने के जिज्ञासु हैं।

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  14. चर्चा कुछ लम्बा हो रहा है या सिर्फ इसी पोस्ट मे है शायद विवेक जी छुत्टी मे जाने वाले है इसलिये ?

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. @ 'Darshan'

    I am not a spokeperson of anyone.
    But, don't you think that its we only, who can protect the Sanctity of our common platform ?
    No reservations whatsover, so Let it be like that way only, nothing more or less.
    It is intrigueing to see someone appearing at the last bench, just to put a comment full of annoyance.

    I honour your affection for being Biased.
    BIAS has two meanings.. albeit both are cousines
    1. Prejudiced : as your comment reflects.
    2. Inclined : as charcha convener's Choice presents.


    Who are we to challenge his inclination or choice ?
    Someone uses Cow excreta for treating multiple ailments, alright !
    Other one likes to get examined, investigated and treated by some other way of his choice & belief, Its pretty okay !

    Furthermore, why the hell mention of Ajit ji's Safar has made you sick ?
    He is a admired Blogger, loved one by his atleast 500 regular readers. Any sanity in the world would agree that such dignity can never be acheived on a biased basis.

    Ofcourse, after your narrow angle obsevation, We realized it and feel delighted over ourselve being biased for Him .

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  18. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  19. "History tells Great Brains came from last banches"

    Three Cheers for Saha jI from the back bench. He has now donned the mantle of GREAT BRAIN.... so no more argument please:)

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  20. No comments, No controvercies and obviously no 'Atm Manthan' for sure. I liked ur blog from past 5-6 months and i've seen it closely that's why i wanted to share my thoughts. Nyways
    I think this will make u happy , as always:

    "bahut badhiya !!
    badhiya charcha rahi !!
    Sabhi link utkrisht they"

    @ cmpershad i would have respected any thought and if not thought atleast any person as in individual.And You are far more senior.

    Best Regards.
    Happy so called, Blogging :)

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  21. continued from previous comment....
    .....व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ....

    i think somebody is listening.

    जवाब देंहटाएं
  22. कुछ भी कहिये बबली जी एस एम् एस का हिन्दी अनुवाद बहुत अच्छा करती है .विदेश में रहकर भी उन्होंने हिन्दी स्नेह बनाये रखा है .उन्हें उत्साहित करने को भी देखिये पाठक कैसे कैसी टिपण्णी करते है .


    37 comments:
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...
    बारिश की बून्दें कहती हैं
    अमृत जल का पान करो।
    सच्ची प्रीत निभाओ जग में,
    इश्क नही बदनाम करो।।

    उर्मी जी।
    आज आपने बहुत बढ़िया लिखा है।
    बधाई!

    September 6, 2009 10:02 PM
    विनोद कुमार पांडेय said...
    वाह!!
    कितनी भाव पूर्ण अभिव्यक्ति...
    बधाई..

    September 6, 2009 10:02 PM
    AlbelaKhatri.com said...
    bahut achha laga.........
    badhaai !

    September 6, 2009 10:16 PM
    Pankaj Mishra said...
    बहूत खूब बबली जी !!!

    पंकज


    September 6, 2009 10:40 PM
    SACCHAI said...
    ek bhavpurn abhivyakti ....aapke blog per aaneka yahi to aanand hai

    ----- eksacchai [AAWAZ}

    http://eksacchai.blogspot.com

    http://hindimasti4u.blogspot.com

    September 6, 2009 10:59 PM
    ताऊ रामपुरिया said...
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    September 6, 2009 11:28 PM
    Atmaram Sharma said...
    सादगी और सरलता से विचारों को रखने की कला आपको सध गई है. साधुवाद.

    September 7, 2009 7:53 AM
    राज भाटिय़ा said...
    अरे हम तो बिना छाता खुब नहाते थे बारिश मै... बहुत कुछ कहती अहि यह आप की बारिश की बूंदे... धन्यवाद

    September 7, 2009 8:05 AM
    creativekona said...
    Prakriti ko andar tak mahasoos kar likhee gayee rachna.
    HemantKumar

    September 7, 2009 8:42 AM
    चंदन कुमार झा said...
    बबली जी हमेशा की तरह बेहतरीन शायरी……………लिखती रहें ।

    September 7, 2009 10:29 AM
    Mithilesh dubey said...
    बहुत सही लिखा है आपने। लाजवाब रचना

    September 7, 2009 10:57 AM
    abdul hai said...
    Excellent

    September 7, 2009 1:19 PM
    हिमांशु । Himanshu said...
    बेहद खूबसूरत रचना । आभार ।

    September 7, 2009 7:55 PM
    दर्पण साह "दर्शन" said...
    badhiya abhivyakti

    September 7, 2009 8:39 PM
    Nirmla Kapila said...
    आअपकी शायरी के सदके जाऊँ सुन्दर लिखती हैं बधाई

    September 8, 2009 1:44 AM
    Udan Tashtari said...
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बधाई!

    September 8, 2009 4:43 AM
    वन्दना अवस्थी दुबे said...
    बहुत खूब. उम्दा अशआर.

    September 8, 2009 4:43 AM

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुतै आनंददायी चर्चा किये हैं भाई जी....एकदम से आनंद आ गया पढ़कर....आभार स्वीकारिये..

    जवाब देंहटाएं

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