आज रामनवमी है। आप सभी को रामनवमीं मुबारक। खासकर उनको जिनकी आज छुट्टी है। हमें तो आज भी ऑफ़िस जाना है सो सिर्फ़ मुबारकबाद देकर निकल लेंगे। वैसे आप मीनू खरे जी के ब्लॉग पर चलिये उन्होंने आपके लिये पोस्ट किया है:
श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरम्।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक-सुतानरम्।।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनम्।
रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनम्।।
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खर-दूषणम्।।
इस भजन को मैं जब भी याद करता हूं तो यह जरूर याद आता है कि इसे ही अपनी पत्नी मनोहरादेवी के मुख से सुनकर सुर्जकुमार ,सूर्यकांत त्रिपाठी’निराला’ बनने की राह पर चले:
सुर्जकुमार को लग रहा था ,पत्नी उनके अधिकार में पूरी तरह नहीं आ रहीं। एक दिन उनका गाना सुना। मनोहरादेवी ने भजन गाया-
श्री रामचन्द्र क्रपालु भजु मन हरण भव भय दारुणम
कन्दर्प अगणित अमित छवि नवनीलनीरज सुन्दरम।
मनोहरादेवी के कंठ से तुलसीदास का यह छन्द सुनकर सुर्जकुमार के न जाने कौन से सोते संस्कार जाग उठे। सहित्य इतना सुन्दर है, संगीत इतना आकर्षक है, उनकी आंखों से जैसे नया संसार देखा, कानों ने ऐसा संगीत सुना जो मानो इस धरती पर दूर किसी लोक से आता हो। अपनी इस विलक्षण अनुभूति पर वे स्वयं चकित रह गये।अपने सौन्दर्य पर जो अभिमान था, वह चूर-चूर हो गया। ऐसा ही कुछ गायें, ऐसा कुछ रचकर दिखायें, तब जीवन सार्थक हो। पर यहां विधिवत न संगीत के शिक्षा मिली न साहित्य की। पढाई भी माशाअल्लाह-एन्ट्रेन्स फेल!
कल नक्सलबाड़ी आन्दोलन के नेता कानू सान्याल नहीं रहे। लोगों का कहना है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। नक्लस आंदोलन के भटकाव को देखकर उनका मन दुखी था। इस बारे में नक्सल आंदोलन से जुड़े लोग शायद बेहतर बता सकें। कानू सान्याल को याद करते हुये प्रभात गोपाल ने लिखा
रोजी-रोटी के नाम पर जिस संघर्ष का आह्वान किया जाता है, वह कितना सच है, ये सोचिये। कभी भी क्या समानता का रूप साकार हो सकता है? क्या एक समान पूंजी का वितरण संभव है? क्या शोषण का पूरी तरह से अंत संभव है? हमारा मानना है कि हर पीढ़ी का अपना मत होता है। वह मत उस पीढ़ी के साथ खत्म हो जाती है। कानू सान्याल या अन्य कोई जितने भी कम्युनिस्ट नेता हुए, उन्हें लेकर ये सवाल जरूर खड़ा किया जायेगा कि सुरक्षित जीवन देने के लिए उन्होंने कौन से प्रयास किये। एक बात तो साफ है कि बंदूक के सहारे समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता है। कानू सान्याल को लेकर कई सवाल मन में उठ रहे हैं, शायद कभी जवाब मिल जाये।
कानू सान्याल के बारे में जानने के लिये पढिये डॉ शशिकांत का यह लेख।
अपूर्व की पोस्ट से पाश की यह कविता खासकर शहीदों की याद में और पाश को याद करते हुये:
उसकी शहादत के बाद बाकी लोग
किसी दृश्य की तरह बचे
ताजा मुंदी पलकें देश मे सिमटती जा रही झांकी की
देश सारा बच रहा साकी
उसके चले जाने के बाद
उसकी शहादत के बाद
अपने भीतर खुलती खिड़की में
लोगों की आवाजें जम गयीं
उसकी शहादत के बाद
देश की सबसे बड़ी पार्टी के लोगों ने
अपने चेहरे से आँसू नही, नाक पोंछी
गला साफ़ कर बोलने की
बोलते ही जाने की मशक की
उससे संबंधित अपनी उस शहादत के बाद
लोगों के घरों मे
उनके तकियों मे छिपे हुए
कपड़े की महक की तरह बिखर गया
शहीद होने की घड़ी मे
वह अकेला था ईश्वर की तरह
लेकिन ईश्वर की तरह निस्तेज नही था ।
एक लाईना
- ईर्ष्या करो, विनाश पाओ! :चलो शुरू हो जाओ
- पाकिस्तान : तख़्तापलट की तैयारी! :खटिया खड़ी करने के लिये
- जब याद आपकी आती है :एक छुटकी से पोस्ट निकल आती है।
- आईपीएल में भी हो महिला आरक्षण : करा देंगे चिंता मत करो!
- किस्सा कोताह ये कि...:पोस्ट ज्ञानवर्धक है
- जब जब असभ्य इरविन कोई इठलाएगा..तब तब यह भारत,भगतसिंह बन जाएगा :और फ़ांसी पर चढ़ जायेगा?
- ब्लॉग + कबड्डी = ब्लोगड्डी :चलिये शुरु करते हैं!
- भारत का लोकतंत्र और दिल्ली की महंगाई :मिलकर आफ़त करे हैं भाई!
- लव.. सेक्स.. धोखा. और सच :एक साथ पिक्चर हौल में दिखे
- नहीं लड़की, तुम मुझे कवि ना कहना :वर्ना लोग मुझे सीरियसली नहीं लेंगे
- कामयाब होना है, घर की चीज़ों की बात सुनिए...खुशदीप :की नहीं
- परीक्षाओं से डरे नहीं,हंसकर सामना करें:परिणाम आने पर रोने की व्यवस्था करें
- कुछ बुलबुले:फ़ूट गये
- सही रंग: की तलाश जारी आहे
- मेट्रो मैन की लड़कियां :भी पोस्ट लिखवा ही लेती हैं
- "मेरे पिताजी का स्कूटर" :फ़िर से चल पड़ा
- दुनिया का सबसे महंगा टीवी, कीमत 10.33 करोड़ रुपए :मिलेगा एक किलो चीनी के साथ मुफ़्त में -जरा इंतजार करो भाई!
- आओ शहीद भगत सिंह जी के शहीदी दिवस पर उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रण करें। :लेकिन चलें कैसे सारे रास्ते में तो जाम लगा है।
- तमीज से बात कर बे.....कस्टमर से ऐसे बात करते :थोड़ी और बत्तमीजी मिला जरा लगा के स्माइली :)
- क्या यही है देशभक्ति ? :बताओ भैया आपै से पूछा जा रहा है!
- सिर्फ इक्कीस बरस का जीवन जिसने जिया .. :बाकी का हमारे लिये छोड़ दिया
मेरी पसंद
जिंदगी यूँ ही गुज़र जाती है
बातों ही बातों में
फिर क्यों न हम
हर पल को जी भर के जियें,
खुशबू को
घर के इक कोने में कैद करें
और रंगों को बिखेर दें
बदरंग सी राहों पर,
अपने चेहरे से
विषाद कि लकीरों को मिटा कर मुस्कुराएँ
और गमगीन चेहरों को भी
थोड़ी सी मुस्कुराहट बाँटें,
किसी के आंसुओं को
चुरा कर उसकी पलकों से
सरोबार कर दें उन्हें
स्नेह कि वर्षा में,
अपने अरमानों की पतंग को
सपनो कि डोर में पिरोकर
मुक्त आकाश में उडाएं
या फिर सपनों को
पलकों में सजा लें,
रात में छत पर लेटकर
तारों को देखें
या फिर चांदनी में नहा कर
अपने ह्रदय के वस्त्र बदलें
और उत्सव मनाएँ,
आओ हम खुशियों को
जीवन में आमंत्रित करें
और ज़िन्दगी को जी भर के जियें!
नीलेश माथुर
और अंत में
फ़िलहाल इतना ही। आजकल मार्च के महीने में बलभर व्यस्त चल रहे हैं। लिखने-पढ़ने में सारे कस-बल ढीले पड़ रहे हैं लेकिन मौज-मजे चालू आहे।
आप भी व्यस्त रहिये-मस्त रहिये।
तमीज से बात कर बे.....कस्टमर से ऐसे बात करते :थोड़ी और बत्तमीजी मिला जरा लगा के स्माइली
जवाब देंहटाएंजबरदस्त एक लाईना..और सबको रामनवमी की शुभकामनाये..
आह मेरी भी छुट्टी है. राम जी का धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी चर्चा...एक लाइना और आपकी पसन्द. रामनवमी की शुभकामनाएँ !!!
जवाब देंहटाएंछुट्टी के दिन मुबारकबाद का म्यूचुअल एकस्चेंज कार्यक्रम अच्छा चल रहा है पर आप तो ऑफिस में हैं अनूप जी ! एक लाइना के साथ कार्टून भी ज़ोरदार है. रामनवनी की बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंरामनवमी की सबको बधाइयां....
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंजबरदस्त एक लाईना.
जवाब देंहटाएंअपने चेहरे से
जवाब देंहटाएंविषाद कि लकीरों को मिटा कर मुस्कुराएँ
और गमगीन चेहरों को भी
थोड़ी सी मुस्कुराहट बाँटें,
बहुत दिनों के बाद "मेरी पसंद" पढ के आनंद आया. आभार.
बेहतरीन चर्चा,धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआज निराला वाला लेख भी पढ़ा. श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन वाला भजन आज एकाएक पहले से बहुत प्रभावी लगने लगा. उनकी साहित्य यात्रा में पत्नी का योगदान पढ़ कर एक बार फिर याद आया " हर सफल पुरुष के पीछे एक स्त्री होती है."
जवाब देंहटाएंजबरदस्त एक लाईना...:)
जवाब देंहटाएंएक लाइना मजेदार
जवाब देंहटाएंजबरदस्त एक लाईना...सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंमाफ़ कीजिएगा मैंने आज ही देखा की मेरी रचना को शामिल किया गया है, बहुत बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं