अप्रेल फूल का खेल, अब खत्म हो ही है चला
केतु बन के शक कहीं, आज तक भी है पला
इस देश में रहना है तो बेटा पैदा करना होगा
हर मुसलमां आतंकवादी, यह कौन सी है बला.
प्रत्यक्षा की रसोई और कालिखजीवी की कुरुपता
सोमवार आज काला होगा, ये पहले से उन्हें पता
राजनीतिक संन्यासी पर व्यंग्य में वो कहते रहे
सिक्कों में संप्रदायिकता, किसकी मानें यह खता.
यमराज का इस्तीफा या नारद का हो इतिहास
विद्रोही जी की एक कविता, बनी हुई है खास
मुंबई ब्लॉग ने जारी की है ब्लॉगबस्टर की रेंक
माँ के आँचल का पसरा, वही अजब अहसास.
चरसी युवा न जाने क्यूँ, अपना धीरज खोते जाते
अमित देख खजुराहो-ओरछा, फोटो सबको दिखलाते
तुझे तोड़ देगा यही मौन तेरा, पीर भी गाती नहीं,
कौन सा मौसम लगा है? दर्द सगे से होते जाते
कोई झामपटाखा खबर नहीं है, होमोनिम्स का पता नहीं है
अजदक की सोच अलग, औ' मुलायम मेरा ताकिया नहीं है
हिन्दी में नहीं रहा और फिर गंगा के बचने की बात कैसी
क्या आपको मालूम चला कि कत्ल करना गुनाह नहीं है.
बदली दुनिया दस मिनट में, गुगल एप्स एक अच्छा सौदा,
आप कितने किलो की हैं, यही तो है आज का बना मसौदा
जानो राजनीति में मूल्य और जनसंचार माध्यमों की दंतकथा
मुलायम मेरी पाठशाला, या कि अजदक के ठीकठाक का हौदा.
आज की चर्चा पर, अब लगा लेते है एक छोटा सा विराम,
डेनियल और मैक कंप्यूटर के संग, तब तक करें आराम.
कृपया इस प्रविष्टी की कड़ी को सुधार लें - जनसंचार माध्यमों की दंतकथा ।सही कड़ी यह है
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या खूब लिखी है चर्चा सारे चिट्ठों की
जवाब देंहटाएंशायद मेरा कम्प्यूटर भी न कुछ ऐसे लिख पाता
गीतकार से कहा, लिखेगा वो पूरा पूरा विवरण
क्रैश हुआ कैसे कम्प्यूटर, कौन रहा कविता गाता
बढ़िया है। इत्ती जल्दी लिख लिये! कमाल है!
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