चिट्ठाशास्त्र उत्तरपुस्तिका
कक्षा - बी बी एच (बैचलर आफ ब्लॉगिंग इन हिंदी)
निर्देश :
सभी पोस्टों को यहॉं देखें और उनके आधार पर (प्रश्नों के) उत्तर दें।
उदाहरणों पर विशेष ध्यान दें
प्रश्न एक- कविता किसे कहते हैं ?
उत्तर- फुरसत से दिया उत्तर यह है कि
सभी पोस्टों को यहॉं देखें और उनके आधार पर (प्रश्नों के) उत्तर दें।
उदाहरणों पर विशेष ध्यान दें
प्रश्न एक- कविता किसे कहते हैं ?
उत्तर- फुरसत से दिया उत्तर यह है कि
.....लगता है कि कविता कुछ लेसदार चीज होती है जिसमें कुछ कलाकारी भी मिली होती है। ये लेसदार चीज एक बार चिपक जाये तो छुटाये नहीं छूटती। तुलसी का जिक्र आने से यह भी लगता है कि तुलसी की पत्ती से भी कविता का कुछ अंतरंग संबंध होता है।
इस काव्य लक्षण पर अनेक विद्वानों ने भी टिप्पणी स्वरूप अपनी अपनी टीकाएं प्रस्तुत की हैं
अब चूंकि उदाहरण मांग लिए गए हैं इसलिए परीक्षार्थी ने पिछली पॉकेट से फर्रे निकालकर टीप दिए।
कविता का पहला उदाहरण आलोक शंकर की कविता बचपन और जीवन का है जिसमें शैलेश भारतवासी को दर्शन से लेकर आशाराम बापू के उपदेश तक सब दिखाई दे गया है। लेकिन कविता का सबसे त्रासद उदाहरण काव्य निरपेक्षता के मूर्तिमान रूप ईस्वामी ने कविता लिख दिया है, एक अंश-
तरकीबें जो कल पे छोडीं
किसी और के नाम हो गईं
******
सिर्फ़ एक औसत
ब्लागर ही
हमेशा अपना बेहतर लिख सकता है
इस कविता की चर्चा यत्र तत्र सर्वत्र हुई, फुरसतियाजी के यहॉं रवि ने कहा-
यह भी एक संयोग है कि आज ही ई-स्वामी जी ने भी - जो कवि और कविता के नाम से ही भयंकर खौफ़ खाते हैं, स्वयं कवि बनकर खौफ़-नुमा कविता लिख डाली है!
राजीव रंजन प्रसाद ने भी एक चिंगारी उछाली है-
मेरे दोस्त,किसी बम धमाके मेंअपने माँ, बाप, भाई, बहन को खो करअगर चैन की नींद सोनें का कलेजा है भीतरतो मत सोचो, सिगरेट से सुलगते इस देश कीकोई तो आखिरी कश होगी?
अन्य उदाहरणों में सचिन की कविता गम-ए-जिंदगी और एक छंद राजेश चेतन का दिल्ली में कांग्रेस की हार पर है।
प्रश्न दो- ब्लॉगोपदेश से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट करें.
उत्तर - ब्लागोपदेश वे उपदेश हें जो ब्लागों मे ब्लागरों द्वारा ब्लॉगरों को दिए जाते हैं, ये टिप्पणी रूपा या पोस्ट रूपा हो सकते हैं-
उदाहरण - एक निर्मल उपदेश आम गैर प्रगतिशील औरतो के हक में, और इन्हीं का एक बाल बराबर उपदेश। अपूर्व के टिप्पणी शून्य उपदेश हिंम्मत के पक्ष में एक और रिवाजी टिप्पणियों के साथ एक और अपनी कमियॉं पहचानने के पक्ष में। पूंजीपतियों की महिमा का एक गुणगान पंकज ने किया और संजय ने भारत को राजा बनाने का राष्ट्रवादी उपदेश दिया। बच्चों को बेईमानी का उपदेश दे रहे हैं विनोद मिश्रा-
मैं सोचता हूँ कि हमें अपने बच्चो को शुरू से ही बेईमान बनने की ट्रेनिंग
देनी चाहिऐ। वो बडे से बडे लम्पट हो , किसी पर दया तो कभी भी ना करें। और अगर कभी गलती से कर भी दें तो उसे अखबार मे जरूर निकलवाएँ।
मुफ्तखोरी का (के खिलाफ ??) उपदेश दे रहे हैं अनुराग मुस्कान। सृजनात्मक चौर्य कला का उपदेश लें ई स्वामी से। पूंजीवादी विसंगतियों पर एक उपदेश ज्ञानदत्त पांडेय से भी। दरअसल सारा ब्लॉग जनपद उपदेशमयी हो रहा है कहॉं कहॉं तक गिनाएं। जल्द ही ब्लॉग की दुनिया में भी आसाराम होंगे जै रामजी की।
प्रश्न तीन- ब्लॉग राष्ट्रवाद की बढ़ती प्रवृत्ति के क्या कारण हैं ? इसके क्या परिणाम संभावित हैं ?
उत्तर - यूँ तो ब्लॉग राष्ट्रवाद की जड़ें काफी गहरी हैं पर मोहल्ला प्रकरण के बाद यह अधिक मुखर हो गया है। अब यह हर मुमकिन मौके पर (पके फोडे के) मवाद की तरह फूट पड़ता है। उधर लोकमंच पर तो ये सिक्के के बहाने निकला, इधर बेनजीर के अनछपी आत्मकथा के उस अंश के बहाने जहॉं मुशर्रफ की मंशा का जिक्र है। क्रिकेट में अक्सर इसका प्रदर्शन होता है। वंदे मातरम पर भी इसने छाप छोड़ी है।
इसके परिणाम काफी रोचक हैं। मार्क्स-हीगेल के क्रिया प्रतिक्रिया के सिद्धांत के परिणामस्वरूप एक ब्लाग धारा प्रगतिशीलों की उठ खड़ी हुई है वे अप्रगतिशीलों से अपील करती है, जब कोई न्यायपालिका पर सिनीकला जाता है तो मोहल्ला झट वह करने लगता है जो उसे सबसे अच्छा आता है यानि विवाद और विवाद। एक प्रगतिशील शोधपत्र में गाय के बरक्स कुत्ता आता है
प्रश्न तीन- ब्लॉग राष्ट्रवाद की बढ़ती प्रवृत्ति के क्या कारण हैं ? इसके क्या परिणाम संभावित हैं ?
उत्तर - यूँ तो ब्लॉग राष्ट्रवाद की जड़ें काफी गहरी हैं पर मोहल्ला प्रकरण के बाद यह अधिक मुखर हो गया है। अब यह हर मुमकिन मौके पर (पके फोडे के) मवाद की तरह फूट पड़ता है। उधर लोकमंच पर तो ये सिक्के के बहाने निकला, इधर बेनजीर के अनछपी आत्मकथा के उस अंश के बहाने जहॉं मुशर्रफ की मंशा का जिक्र है। क्रिकेट में अक्सर इसका प्रदर्शन होता है। वंदे मातरम पर भी इसने छाप छोड़ी है।
इसके परिणाम काफी रोचक हैं। मार्क्स-हीगेल के क्रिया प्रतिक्रिया के सिद्धांत के परिणामस्वरूप एक ब्लाग धारा प्रगतिशीलों की उठ खड़ी हुई है वे अप्रगतिशीलों से अपील करती है, जब कोई न्यायपालिका पर सिनीकला जाता है तो मोहल्ला झट वह करने लगता है जो उसे सबसे अच्छा आता है यानि विवाद और विवाद। एक प्रगतिशील शोधपत्र में गाय के बरक्स कुत्ता आता है
इस फर्क़ पर भी ध्यान देने की बात है कि गाय लात मारती है जबकि कुत्ता लात नहीं मारता. भौंकता, जीभ से चाटता और दांत से काटता है. गाय के गोबर का आप ऊर्जा संचयन व मुहावरों में उपयोग कर सकते हैं जबकि कुत्ता-गू के बारे में शोध अभी भी प्रगतिवस्था में है,
और हाँ इसका एक प्रभाव यह भी पड़ता है कि हृदयस्पर्शी चीजों के लिए मसलन काफी हाऊस के लिए गुंजाइश कम होती जाती है।
प्रश्न चार - हिंदी ब्लॉगिंग और क्रिकेट के अंतर्संबधों पर विचार कीजिए
उत्तर - विचार का क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं ये अविचार का उत्सव है। और विस्तार से जानें मनोज सिंह से रचनाकार पर । वैसे भी क्रिकेट तो वस एक अंगुली है ऐसा मंगनी के व्यंग्य में गौरी ने बताया है। ब्लॉगिंग में क्रिकेट पर चर्चा होती ही रहती है, क्रिकेट न भी हो तो भी जैसे क्रिकेट नीतियों पर चर्चा, बी सी सी आई की बैठक पर चर्चा..
प्रश्न पाँच- संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए:
उत्तर
1)पुराण पोडकास्ट - नए पी.जे. का हुनर है।
2)ब्लॉग पर इतिहास - भाषा/लिपियों का अंतर्मन पर और ग्रामोफोन का वाह मनी पर।
3)टेनिस सुंदरियॉं - भ्रष्ट दर्शन आन्ना कोर्निकोवा
4)ब्लाग छवि - रा.च.मिश्र के सौजन्य से
2)ब्लॉग पर इतिहास - भाषा/लिपियों का अंतर्मन पर और ग्रामोफोन का वाह मनी पर।
3)टेनिस सुंदरियॉं - भ्रष्ट दर्शन आन्ना कोर्निकोवा
4)ब्लाग छवि - रा.च.मिश्र के सौजन्य से
सभी परीक्षक महोदय अपने अंक टिप्पणी में दे सकते हैं।
बढि़या वर्गीकरण करके चर्चा की। कल देबू के बच्चे की तबियत नासाज होने के कारण आज की चर्चा का बेसब्री से इंतजार था। आपको पूरे में पूरे नंबर दिये जाते हैं!
जवाब देंहटाएंपप्पू पास हो गया!
जवाब देंहटाएंअच्छा पर्चा किया है। पर हम कंजूस मास्टर हैं, केवल डिसटिंगशन दे रहे है।
जवाब देंहटाएंलगे रहो बच्चा\
कल देबू के बच्चे की तबियत नासाज होने के कारण......
जवाब देंहटाएंयह लाईने मुहावरे के रूप में प्रयोग की गई है या सचमुच देबू दा के बच्चे की तबियत खराब है,। अगर वाकई खराब है तो शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना करते हैं।
9/10
जवाब देंहटाएंएक नम्बर राईटिंग मे काटा गया है।
गुड फर्स्ट डिविजन में पास किये गये आप विथ डिस्टिंकशन!! मिठाई बांटो.
जवाब देंहटाएंतमाम विषयों पर चर्चा की गई, मगर आश्चर्य ये की जो चिट्ठा परसों की सबसे बड़ी खबर के बारे में था उस पर ध्यान नहीं दिया गया। शायद आप में से आधे से ज्यादातार लोग बोलें कि "हैं! सबसे बड़ी खबर क्या थी?" और बाकि कि "फिर वही ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे पर चाटना शुरू।"
जवाब देंहटाएंखैर शायद चिट्ठा इस लायक ना रहा हो कि चर्चा की जाए, मगर विषय जरूर था। शायद इस विषय के प्रति हमारी इसी लापरवाह सोच ने पर्यावरण की हालत खराब कर रखी है। खैर मैं पूर्ण प्रयास करूँगा कि आप सबको इस विषय की गंभीरता से अवगत कराता रहूँ।
वैसे इस विषय पर आप यहाँ परिचर्चा कर सकते हैं।
अनुराग
पास हो जी.
जवाब देंहटाएंमिठाई बाँटे. :)