हम सोच रहे थे कि शुरू कहाँ से करें तभी निठल्ला बोला ऐसा करते हैं कि शुरूआत कमजोर तबके के लोगों से करते हैं, हम चौंक गये कमजोर तबका यहाँ कहाँ से, भैया ये कोई नेतागिरी नही चिट्ठे बांचने हैं। निठल्ले ने समझाया - कमजोर तबका यानि वो चिट्ठे जिन्हें सबसे कम हिट मिले, उच्च वर्ग यानि जो सबसे ज्यादा हिट लेकर गये और मध्य वर्ग यानि कि बीच का तबका जो ना इधर के ना उधर के। आइडिया हमें जँच गया, हमने तपाक से जवाब दिया ठीक है लेकिन ऐसा करेंगे कि कम हिट वालों को थोडा ज्यादा जगह देंगे और ज्यादा हिट वालों का सिर्फ लिंक। तो शुरूआत करते हैं सबसे कम हिट पाये चिट्ठे से -
आज का बोल वचन क्या? आतंकवाद या कलयुगी राक्षस और क्या? ये दोनों ही १-१ हिट लेकर आपस में उलझे रहे लिहाजा लगता है पाठक समझ ही नही पाये क्या करें। क्योंकि हम भी पहले में जाकर चक्कर ही खाकर वापस आये और दूसरे में वहाँ कुछ कहने से पहले कही और का रस्ता दिखाया जा रहा था।
इन के बाद २-२ हिट पाने वाले चिट्ठे के देख के हमें कहना ही पड़ा कोलकोता तोमार कोतो रूप और इतना रूप देख कर संयत रह पाना ये हमारे बस की बात नही है । हालीवुड स्टार अर्नोल्ड अपनी मशल-वशल के बावजूद कुछ खास नही कर पाये और ३ हिट लेकर बाकि हिट का इंतजार करते रहे।
४ हिट लेकर पहले अंबेडकर व्यक्तिगत स्वाधीनता की बात करते रहे फिर वारिस शाह अमृता प्रीतम से बोले जेल बनेंगे ऐशगाह तो व्यवस्था होगी तबाह।
सबसे ज्यादा हिट पाने वालों का हाल कुछ ऐसा रहा - अतीत के झरोखे से कोई बोला चिट्ठाकारो आखिरी चिट्ठी नारद के नाम पढ़ने से डरते क्यू हो नोटपेड में लिखी इस स्पाम मेल को हर कोई पढ़ना चाहेगा। इससे पहले आप किसी को कुछ बोलो आपको स्पॉम पढ़वाने का मैं हूँ जिम्मेदार।
हम अभी यह बात कर ही रहे थे कि कनाडा से एक आवाज सुनायी दी स्पॉम के चक्कर में कहाँ हो यहाँ मोटापा बदनाम हो गया है। निठल्ला कहाँ चुप रहने वाला था उसने भी जवाब में बोला पहले यहाँ आईये इस अनाम के अस्तित्व को स्वीकारिये मोटापे का रोना क्यों रोते है मोटापे का कुछ नाम तो है।
ए मेरे दोस्त गौरी तो सिनेमा देखने में बिजी है उसको इससे कोई मतलब नही कि उमर मुस्लिम समाज से बहिष्कृत हो गया हो या दंगों के यज्ञ से हिंदुओं को मोक्ष मिलेगा या नही लेकिन हमारी तो ये सब देख सुन आंख रोने बिलखने लगी। माहौल बदलने के लिये चलो एक खेल खेलते हैं - अटकन बटकन दही चटाकन हमने देखा सर्किट की शादी का विज्ञापन बूझो किस जगह? अंडमान निकोबार में और कहाँ ?
चलो अब हम कुछ खबरों की खबरें बताते हैं कह दो अपनों से प्रथम भारतीय का मूल चित्र शायद गायब हो गया है, आज दिन भर पत्रकारिता में दलाली चलती रही, जहाँ कुछ लोगों ने सवाल उठाये टैक्नॉराती हिंदी ब्लागिंग का कर्बला क्यों है वहीं किसी का कहना था कि वो बाद में देखेंगे पहले पत्रकारों गांवों की तरफ लौटो । वैसे कहीं आप को ये तो नही लग रहा कि इस आने वाल मादक शनिवार को हम कितने सभ्य हो गये हैं, जो बगैर तू तड़ाक के बात कर रहे हैं। अब क्या करें थोडा वायरस का अटैक हो गया था सभी यही कह रहे हैं ध्यान रखना ज्यादा शरारतें मत करना बल्कि एक भले मानस ने तो यहाँ तक कह डाला आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा। चलो आज के लिये बहुत हुआ यहाँ बहता नाला है इसलिये हम मस्ती की बस्ती में तब तक घर बदल कर देखते है। जाते जाते आप लोगों के लिये एक सवाल छोड़ जाते हैं, क्या आप बता सकते हैं बॉस की तनख्वाह ज्यादा क्यों होती है?
आज के सारे चि्टठे आप यहाँ देख सकते हैं।
वाह वाह तरुन जी बस मजा आ गया . क्या कड़ी से कड़ी मिलायी और कर डाली चर्चा . इतनी अच्छी और सार गर्भित चर्चा के लिये धन्यवाद .
जवाब देंहटाएं"...आज (१३ तारीख) टोटल लगभग ६३ चिट्ठे नारद से मिलने आये।..."
जवाब देंहटाएं:) लगता है कुछ ही समय में यह आंकड़ा प्रथम 100 पार कर ही लेगा.
उम्दा चर्चा.
हिट्स की संख्या बताना और सारे चिट्ठों के लिंक देने को सार गर्भित चर्चा का नाम देना हास्यास्पद है। चिट्ठा चर्चा एक कठिन काम है । बेहतर ये होता कि आप सिर्फ अपनी पसंद के चिट्ठे लेते और उसका विश्लेषण करते।
जवाब देंहटाएंवाह वाह अच्छा लगा.....।
जवाब देंहटाएंआप सभी लोगों का धन्यवाद,
जवाब देंहटाएंमनीष आप चिंता मत करिये अगली बार से यही होने वाला है हम आपकी जैसी किसी टिप्पणी का ही इंतजार कर रहे थे जिससे बाद में अगर कोई ये कहे कि हमारे चिट्ठे की बात नही करी तो हम इधर का लिंक उसे पकड़ा दे।
जब सारी चर्चा हमारी पसंद पर ही टिकी है तो हम कैसे ही कर सकते हैं, सारे लिंक देकर और पसंद के चिट्ठे देकर। उत्साह बढाने के लिये आपका शुक्रिया।
हमारा भी शुक्रिया अदा करो भाई तरुण! आखिर हम भी हैं तारीफ़ करने वाली टीम में!
जवाब देंहटाएंअनूप भाई के साथ साथ कुछ हमहू को दिया जाये शुक्रिया. बढ़िया जा रहे हैं.
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