रविवार, मार्च 28, 2010

ऐसी खबर है कि हिंदी ब्लॉग जगत मैच्योरिटी(बोल्डनेस) की तरफ़ बढ़ने ही वाला है….

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जाहिर है, ये शीर्षक भी किसी पोस्ट के फुटनोट से उड़ाया गया है. और, लगता है सही भी है. पेश है हिन्दी ब्लॉगजगत के बोल्डनेस को बयान करते कुछ पोस्टों के शीर्षक व लिंक -

 

 

और, यदि आपको इन पोस्टों में कोई बोल्डनेस नजर नहीं आया हो, तो आखिर में बांचिए, एक बोल्ड कविता :

ओ मृगनैनी, ओ पिक बैनी,
तेरे सामने बाँसुरिया झूठी है!
रग-रग में इतना रंग भरा,
कि रंगीन चुनरिया झूठी है!

मुख भी तेरा इतना गोरा,
बिना चाँद का है पूनम!
है दरस-परस इतना शीतल,
शरीर नहीं है शबनम!
अलकें-पलकें इतनी काली,
घनश्याम बदरिया झूठी है!

…. (आगे पूरी कविता यहाँ पढ़ें)

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16 टिप्‍पणियां:

  1. खबर पक्की है रवि जी इसकी पुष्टि तो बोल्डनेस गुरू ..श्री महेश भट्ट और बाबा इमरान हाशमी ने भी कर दी है ....सुना है कि ..कुछ पोस्टें तो सिर्फ़ लंगोट पहन के लिखी जा रही हैं ..सच झूठ ये तो राम ही जानें ...राम मतलब ..रामदेव ....आजकल यही मतलब होता है
    अजय कुमार झा

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  2. कम से कम शीर्षकों से तो यह बोल्डनेस दृष्टिगत है ।

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  3. लोग चिट्ठाचर्चा पर लिंक पकड़कर ब्लॉग पर पहुँचते हैं, मैं अपने ब्लॉग पर चिट्ठाचर्चा के लिंक के सहारे आ गयी. यहाँ दी हुयी पोस्टों में से कुछ तो मेरी पढ़ी हुई थीं. चोखेरबाली, बेदखल की डायरी और देशनामा में बोल्ड लेकिन सार्थक बहसें हैं,लोकप्रियता कमाने के लिये नहीं लिखी गयीं. मेरी पोस्ट में दो संस्मरणों की सहायता से कुछ बातें कही गयी हैं. मेरे ख्याल से ये कुछ पोस्टें ये दिखाती हैं कि अगर हम चाहें तो कुछ ऐसी बातों पर सार्थक बहस हो सकती है, जिन्हें हम आमतौर पर वर्जित समझते हैं.

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  4. काहे में बोल्डनेस, रवि भैया ?
    विषय वस्तु में बोल्ड,
    नये प्रयोगों में बोल्ड,
    विचारों में बोल्ड,
    शीर्षक में बोल्ड,
    फ़ॉन्ट में बोल्ड,
    भाषा में बोल्ड,
    फ़ॉन्ट में बोल्डनेस त आप देखिये रहे हैं
    कहीं ललकारती पोस्ट के पीछे भीरू बेलॉगिया तो नहीं ?
    शेर की खाल उपलब्ध होती त हमहूँ यही पहिर के चिल्लाते..
    अब यही देखिये..वी ऑल शिट वी ऑल पी, बट नेवर टॉक एबाउट इट
    मतबल केवल बोल्डमबोल्ड, यानि बोल्ड दिखने या लगने के नाते बोल्ड ?
    वईसे गरियाने में बोल्डनेस त अधिकाँश हिन्दी ब्लॉगर की नैसर्गिक प्रतिभा ठहरी, करके !

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  5. माफ़ करियेगा, रवि भैया ! अगर मैच्योरिटी होती,
    त अपनी टिप्पणी के आगे एक्ठो स्माइली लगा के सटक न लेते ?

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  6. शीर्षकों से तो यह बोल्डनेस झलक रही है

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  7. हिंदी ब्लॉग्गिंग में नया दौर शुरू हो रहा है देखते है क्या रूप लेता है

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  8. उफ्फ,ये कैसा बोल्डनेस है भैया ?

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  9. बोल्डनेस को किस अन्दाज़ से देख रहे है आप...

    फ़ूहडता और मैच्योरिटी मे बहुत फ़र्क है... इनमे से कुछ पोस्ट्स पढी हुयी है और वो बडे तल्ख अन्दाज़ मे हमारे सो काल्ड समाज को दिखाती है... वो बोल्ड है..

    और उनके शीर्षक भी शायद उतने बोल्ड नही... बाकियो के शीर्षको से ही क्लिक करने का मन नही है..

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  10. कुछ बोल्ड लिख जगे हैं कुछ बोल्ड पढ़कर ठगे से खड़े हैं।

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