हिंदी ब्लॉगिंग के पुरस्कारों की श्रंखला में एक आलसी का चिट्ठा चलाने वाले चिट्ठाकार गिरिजेश राव ने भी पाठकों की पसंद के आधार पर सबसे प्रिय ब्लॉग की घोषणा करते हुये लिखा:
इसकी पराश बहुत अधिक है और लोकप्रियता भी – इतनी कि प्लेटफॉर्म बदलने पर भी प्रभाव यथावत ही रहा। जी हाँ, मैं ‘गंगा किनारे वाले’ छोरे के ब्लॉग की बात कर रहा हूँ, जिसकी मानसिक हलचल सबको भाती है। फिर वही ...ब्लॉग और ब्लॉगर का विभेद ‘थिन’ सा लगने लगा। छोरा कहते अजीब भी लग रहा है और नहीं भी।मतलब गिरिजेश राव के आयोजन में पाठकों ने जो ज्ञानदत्त पांडेयजी के ब्लॉग मानसिक हलचल को सबसे प्रिय ब्लॉग बोले तो चन्द्रहार का सुमेरु बताया। इसके पहले चन्द्रहार का 'दो नम्बरी' बने संजय @ मो सम कौन की लोकप्रियता के कारणों का खुलासा करते हुये गिरिजेशजी ने लिखा:
ऐसा क्या है इस ब्लॉग में जो इतना अधिक लोकप्रिय है?गम्भीर हास्य के साथ जीवन के विधेयात्मक पहलुओं को सम्मान और उभार। साथ ही विसंगतियों पर बेबाक टिप्पणियाँ – सब कुछ बेहद हल्केपन के साथ। मार ऐसी कि भेद जाय लेकिन छ्टपटाते शर्म आये!विद्वता झाड़ने का कोई रोग नहीं – सब बेहद सादगी से।पढ़ते हुये लगता है कि किसी बहुत ही सुलझे हुये मित्र के साथ बातचीत हो रही है।मध्यवर्गपन को लेकर कोई हीन भाव नहीं, उल्टे आत्मविश्वासी हास्य के साथ मजबूती से अपने अस्तित्त्व की स्थापना – यह सब कारण हैं कि यह ब्लॉग इतना लोकप्रिय है।
इसके पहले तीसरे नम्बर तीन ब्लॉग आ जमे। एक एक कर तीसरे नम्बर पर आये ब्लॉग का परिचय देते हुये शुरुआत सफ़ेदघर उर्फ़ सतीश पंचम से हुई। सफ़ेदघर का परिचय देते हुये लिखा गया:
पहले वह ब्लॉग जो समसामयिक मुद्दों और गाँव के बूढ़े पीपल के नीचे पड़ी खाट पर सुस्ताती हर गली खिरकी की खबर लेती धूप को सोंधेपन के साथ प्रस्तुत करता है - चूल्हे के किनारे थाली में पड़ी गर्मागर्म ललचाती रोटी, अंगुली जलने की परवाह नहीं, कोंच दिये गब्ब से! उठती भाप की महक याद आ जाती है। महानगर में अपनी खटाई, रोटी और प्याज की गठरी को सँभालते भागते गँवई की चुहुल नई उद्भावनाओं के साथ यहाँ मिलती है।
बीच वाले तीसरे नम्बर वाला ब्लॉग रहा अभिषेक ओझा बलियाटिक फ़्रेंड ऑफ़ बैरीकूल का ब्लॉग ओझा उवाच जिसके बारे में बताया गया इस तरह:
बलिया की गलियाँ हों या मैनहट्ट्न न्यूयार्क के राजमार्ग, पटना का बैरीकूल हो या लिव इन रिलेशनशिप वाली ऋचा, यह ब्लॉग सबके साथ अपनी यारी गाँठ लेता है, कुछ ऐसी यारी कि यह उनकी वे अंतरंग बातें जान जाता है जिन्हें शायद वे स्वयं नहीं जानते!तीसरे तीसरे सर्वप्रिय ब्लॉगर रहे बर्गवार्ता वाले अनुराग शर्मा। बरेली वाले अनुराग की तारीफ़ करते हुये गिरिजेश लिखते हैं:
पिट्सबर्ग अमेरिका से लिखा जाता है एक ऐसा ब्लॉग जिसकी बरेली बाँस चढ़ी दृष्टि समूचे संसार पर फिरती है। इस बहुआयामी और बहुरंगी ब्लॉग की बड़ाई में एक पाठक केवल दो शब्दों में सब कह देता है - honesty, straightforwardness.इन तीन स्थानों पर रहे ब्लॉग के अतिरिक्त कुछ और ब्लॉग की भी चर्चा करते हुये पोस्ट लिखी गयी। बाकी लोगों ने तो विनम्रता पूर्वक अपने को दिये इनाम को स्वीकार कर लिया लेकिन अभिषेक ओझा ने खुद को मिले इनाम पर प्रतिक्रिया करते हुये लिखा :
बिन लिस्ट दिये लोगों ने मेरे ब्लॉग का नाम दिया ! आश्चर्य है।रविरतलामी ने अभिषेक ओझा को उनका दोष बताते हुये उनके साथ हुये बर्ताव को जायज बताते हुये अपनी प्रतिक्रिया बतायी:
वैसे थर्ड डिबिजन पहली बार आए हैं जीवन में :) बैरीकूल से प्रतिकृया मांगनी पड़ेगी इस पर :) चुनने वालों का आभार। भरोसा नहीं हो रहा कि लोगों ने हमारे ब्लॉग का नाम भेजा। नकल से पास तो नहीं किए गए :)
हम लो प्रोफाइल वाले ब्लॉगर हैं... हमें नहीं लगता था कभी पुरस्कार वाले लिस्ट में आएंगे। आना भी नहीं चाहते। लेकिन ये पुरस्कार वाली टफ़री नहीं है शायद । पुणे में हम रात को 2-3 बजे एक टफ़री पर चाय-पोहा के लिए जाते थे। सीसीडी से लौटते हुए भी एक चाय वहाँ पी लेते थे... वहाँ पर जो बात थी वो सीसीडी के लाईमलाइट, कॉफी, सैंडविच और बिल में कभी नहीं हो सकती :)
ओवररेट कर दिया लोगों ने मेरे ब्लॉग को :)
लगता है आपको गणित नहीं आती. आपने विश्व का सर्वाधिक प्रसिद्ध गणितीय प्रेमपत्र लिखा http://uwaach.aojha.in/2011/12/blog-post.html पर और कह रहे हैं कि ओवररेटेड है.सबसे प्रिय ब्लॉग चुनने के पीछे की अपनी मंशा का जिक्र करते हुये गिरिजेश ने लिखा:
फिर से कोई गणित की कक्षा ज्वाइन कीजिए बंधु! :)
अच्छाइयाँ ऐसे अनुष्ठान माँगती हैं, बुराइयों के अभिचार तो चलते ही रहते हैं। उन्हें न रोक पायें तो क्यों न कुछ छोटा सा ,सच्चा सा कर दें!अगले साल अप्रैल में हिंदी ब्लॉगिंग के दस साल होने को हैं इस मौके पर उन्होंने सभी के सुझाव मांगे हैं। आप भी अपने सुझाव दे सकते हैं।
हिन्दी ब्लॉगरी की यह वास्तविकता है कि अधिकांश को ब्लॉग लेखक ही पढ़ते हैं। इतने छोटे से संसार में भी उन्मुक्त शिवनृत्य नहीं है तो कुछ भारी गड़बड़ है। यह आयोजन गड़बड़ ठंड को ऊष्मा दे द्रवित करने के लिये भी था और इसके लिये भी कि आत्मालोचन किया जा सके – कम से कम मैं तो यही चाहता था।
गिरिजेश राव के सर्वप्रिय ब्लॉग से पहले भी परिकल्पना पर भी दशक के पांच ब्लॉगर चुने गये। उनके नाम हैं:
(१) पूर्णिमा वर्मन
(२) समीर लाल समीर
(३) रवि रतलामी
(४) रश्मि प्रभा
(५) अविनाश वाचस्पति
लगभग एक ही समय में रहे दो चुनावों में जो ब्लॉगर सर्वप्रिय पाये गये उनमें केवल रविरतलामी ही एक नाम हैं जो दोनों में रहा। इससे क्या क्या निष्कर्ष निकाला जाये कि दोनों के चुनाव के तरीके अलग-अलग थे इसलिये ऐसा हुआ। दोनों में वोटिंग करने वाले और राय जाहिर करने वाले अलग-अलग रुचि-रुझान वाले थे। रचना जी इस बारे में अपनी राय जाहिर करती हैं:
हिंदी ब्लॉग जगत में दो खेमे बनते साफ़ दिख रहे हैंआगे के विचार रचनाजी के ब्लॉग पर बांचे।
खेमा नंबर 1 वो लोग जो ब्लॉग पर हिन्दी / शुद्ध हिंदी / किलिष्ट हिंदी लिखते हैं
खेमा नंबर 2 वो लोग जो हिंदी में ब्लॉग लिखते हैं .
वैसे इस सारे मसले पर अपना नाम न बताने की शर्त पर हलकान विद्रोही जी ने बयान जारी किया- आजकल हिंदी ब्लॉगिंग में भले ब्लॉगरों की बड़ी आफ़त है। हमेशा खतरा बना रहता है कि कहीं से कोई आकर सम्मानित न कर सके। :)
हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रथम चिट्ठाकार आलोक कुमार ने एक लम्बी बातचीत में अपने सरोकार बताते हुये कहा:
चिट्ठे तो केवल एक सतह है। इसके अलावा विकिपीडिया है, तरह तरह के उपयोगी जालस्थल हैं। ऑनलाइन खरीदारी है।इन सब चीज़ों में उतना काम नहीं हुआ ।
आलोक कुमार से विस्तार से हुई बातचीत को आप यहां पढ़ सकते हैं।
आज कार्टूनिस्ट कीर्तिश भट्ट का जन्मदिन है। नयी दुनिया में कार्यरत कीर्तिश भट्ट को उनके जन्मदिन के मौके पर मंगलकामनायें देते हुये उनके कुछ कार्टून दिखाते हैं। देखिये बामुलाहिजा।
फ़िलहाल इतना ही। मजे करिये। हम मिलेंगे दो दिन बाद। दो दिन के लिये जा रहे हैं बाहर बोले तो राजधानी। तब तक आप आनन्दित रहिये। प्रमुदित च! जो होगा देखा जायेगा। :)
किलिष्ट=क्लिष्ट -लगता है मूल गलती ही यहाँ भी छप गयी
जवाब देंहटाएं'हमेशा खतरा बना रहता है कि कहीं से कोई आकर सम्मानित न कर सके।' इस वाक्य में मुझे ही कुछ गड़बड़ दिख रही है या सचमुच संशोधन की जरुरत है ?
दूसरों का मूल्यांकन करने में एक चालाक रणनीति तो रहती ही है कि खुद अपने कर्मों का मूल्यांकन बच जाता है ..आज के इस माहौल में कब न जाने कौन मुआ आकर मूल्यांकन कर ही डाले -वह ऐसा करे इसके पहले ही काहें न अपना बचा के सबका खुद ही कर डाला जाय ....
क्या कुछ होने की आशंका से रणछोड़ हुए जा रहे हैं जो यह लापरवाह तसल्ली पाठकों को कि जो होगा देखा जाएगा चिपका दिए हैं ?......
बाकी सब के अपने अपने भरम हैं और विश्राम स्थल हैं ,दुरभिसंधियां हैं और भावनिष्ठ आकलन हैं .....मगर यह सब चलते रहना चाहिए ..शो मस्ट गो आन ..वैसे भी हिन्दी ब्लागिंग में बड़ी मुर्दानगी छाई हुयी है :(
आज एक और कार्टून ठोकना ही पड़ेगा...
जवाब देंहटाएंचर्चित संकलनों की चर्चा अच्छी रही........
जवाब देंहटाएं@वैसे थर्ड डिबिजन पहली बार आए हैं जीवन में :)
जवाब देंहटाएंसबसे मजेदार कथन है इस प्रक्रिया का !
...आप तो मजे से चर्चियाते रहो और चाहो तो चिठ्ठाचर्चा पर एक 'वार्षिक-चिट्ठा' का आयोजन कर डालो !
जिनको भी "आलसी पुरूस्कार योजना " के अंतर्गत ब्लोगिंग का पुरूस्कार मिला हैं वो सब शुभकामना के हकदार हैं . आलस से मिली ब्लोगिंग ग्रांट के लिये आप को भी बधाई .
जवाब देंहटाएंअच्छे की लिस्ट जब पूरी तरह आउट हो जायेगी ६६ में से जो बच जायेगे वो बुरे हैं . नापसंद हैं पाठको को . अब किसके पाठको को ?? ये घन और ऋण को अलसी में घोल कर पता चलता हैं और अलसी में टंकण की गलती नहीं हैं .
ये रहे वे ब्लॉग। ध्यान रहे कि इनमें वे 18 ब्लॉग भी सम्मिलित हैं जिन्हें केवल ऋणात्मक मतों के साथ नामित किया गया:
dkspoet.in (ब्लॉग हिन्दी में है, पहले खुलता था। कल परसो नहीं मैंटीनेंस में दिखा रहा था)
life is beautiful (ब्लॉग हिन्दी में है)
Steam Engine (ब्लॉग हिन्दी में है)
अंतर सोहिल
अंतरिक्ष
अजदक
अनिल का हिन्दी ब्लॉग
अहसास की परतें
उड़नतश्तरी
उन्मुक्त
उम्मतें
ओझा उवाच
कविता (kavyana.blogspot)
कस्बा
काव्य मंजूषा
किशोर चौधरी
क्वचिदन्यतोपि
घुघूती बासुती
चर्चामंच
चलते-चलते
छीटें और बौछारें
जगदीश्वर चतुर्वेदी
ज़िन्दगी की राहें
ज़ील
जो न कह सके
ज्योतिष दर्शन
डा. हरिओम पंवार की कवितायें
डीहवारा
ताऊ
दिल की बात
देशनामा
न दैन्यं न पलायनं
नास्तिकों का ब्लॉग
निरामिष
निर्मल आनन्द
नुक्कड़
परिकल्पना
पाल ले एक रोग
फुरसतिया
बर्ग वार्ता
बिखरे सितारे
ब्लॉग की खबरें
भारत भारती वैभवम
मनोज देसिल बयना
मल्हार
मानसिक हलचल
मेरी कलम से
मेरी भी सुनो
मेरे अंचल की कहावतें
मेरे गीत
मो सम कौन
रचना का ब्लॉग
लखनऊ ब्लॉगर असोसि.
लेखनी (महफूज़)
लोकसंघर्ष
वैतागवाणी
शिप्रा की लहरें
शिव-ज्ञान
संकलन
सच्चा शरणम
सफेद घर
समय के साये में
साई ब्लॉग
हथकढ़
हारमोनियम
हिन्दी ज़ेन
s a n n a t????????????????????????????????????
जवाब देंहटाएंbhai, sannata hai......
aa-o bhai logon apne vichar rakho .......
pranam.
http://girijeshrao.blogspot.com/2012/06/3_10.html?showComment=1339336286074#c2311936479965699267
जवाब देंहटाएंupaar dii hui list mujhe jahaan sae mili wo link yae haen
LAGTA HAI POST KUCH JIYADA ELITE HO GAYA.........KUCH KUCH IPL WALON KE LIYE ICC KA AAYOJAN HO GAYA?????
जवाब देंहटाएंPRANAM.
रचना जी dkspoet.in नहीं, www.dkspoet.in है। dkspoet.in को www.dkspoet.in पर रीडायरेक्ट नहीं किया है मैंने। असुविधा के लिए खेद है।
जवाब देंहटाएं