ब्लौग की दुनिया में कुछ डॉक्टर भी बहुत बढ़िया पोस्ट लिखते हैं. डॉ. तारीफ दराल साब भी उनमें से एक हैं. बहुत आकर्षक कद-काठी और व्यक्तित्व के धनी डॉ दराल से मुलाकात सतीश सक्सेना जी की पुस्तक के विमोचन के दौरान हुई थी. घर लौटने की जल्दी और विमोचन के बाद की चहल-पहल में डॉ. साब से बात करने का मौका नहीं मिला. पिछले कुछ अरसे में उनके ब्लौग की तकरीबन हर पोस्ट पढ़ी है. उनका चुटकियाँ लेने का अंदाज़ बेहतरीन है. सैर सपाटे के शौक़ीन डॉ. साब हाल ही में पहाड़ों की सैर कर आये. काम भर के लायक ज़रूरी जानकारी देनेवाले ऐसे ट्रैवेलॉग ब्लौग में बहुत लोग नहीं लिखते. डॉ. साब के ट्रैवेलॉग में घुमक्कड़ी भी है और कुछ अनदेखी सी रह जानी वाली बातों का ज़िक्र भी.
मसूरी की किसी अनजान राह पर मिल गए एक अजनबी के पूछने पर डॉ. साब ने बताया, "बस यूँ ही छोटा सा जॉब करता हूँ". अजनबी ने कहा, "लगता तो नहीं है". सही भी है, डॉ. साब को देखकर कोई यह नहीं मान सकता कि वे मामूली जॉब करते होंगे. डॉ. साब से गुज़ारिश है कि वे एक ब्लौगर हैल्थ चेकअप कैम्प लगायें. इसी बहाने एक ब्लौगर मीट भी हो जायेगी और ब्लौगर जन अपनी सेहत का जायजा भी ले लेंगे. अगर इसमें डॉ. प्रवीण चोपड़ा को भी शामिल कर लें तो ब्लौगर दोस्तों के दांतों का मुआयना भी हो जायेगा.
घुमक्कड़ी पर उन्मुक्त जी ने भी बहुत सी पोस्ट लिखी हैं. वे कई दिनों के बाद लिखते हैं और उनकी पोस्टें छोटी होती हैं इसलिए मन नहीं भरता. यदि वे कहीं घूमने जाते हैं तो वहां देखी किसी छोटी सी बात पर अपनी पोस्ट की रचना करते हैं. उनकी पिछली पोस्ट में नैनीताल की यात्रा का वर्णन है. उन्मुक्त जी सैर करानेवाले गाइड और वाहन चालकों से बड़ी जल्दी घुलमिल जाते हैं और उनसे धंधे से जुड़ी बातें जान लेते हैं. उनकी पोस्टें लघु से लघुतम हो रही हैं. उन्मुक्त जी सुन रहे हैं?
इसी बीच गिरिजेश राव उड़ीसा (ओडिशा?) की यात्रा पर निकले. कोणार्क के गौरवशाली सूर्य मंदिर के उत्थान और ध्वंसन को वे उन्होंने सर्वथा नवीन दृष्टि और तथ्यों के प्रकाश में देखा है. मेरे लिए यह जानकारी अद्भुत है. उस विहंगम मंदिर के प्रस्तर खण्डों को गिराने की घटना पर होनेवाला खेद केवल कुछ सुन्दर उत्कीर्णित पत्थरों से होने वाला मोह मात्र ही नहीं है जैसा गिरिजेश ने अपने एक कमेन्ट में कहा है, "ज्ञान का वह स्तर जहाँ सभ्यता के चरमोत्कर्ष और संस्कृति उपलब्धि के प्रतीक पत्थर भर लगें, घटित होते हुये को यूँ साक्षी भाव से देखा जा सके कि बस समय का चक्र भर लगे; वहाँ नश्वर प्राणियों के जीवन भी माया मोह ही होते हैं। उस स्तर पर कुछ भी मायने नहीं रखता - इतिहास, विज्ञान, गणित, साहित्य, ब्लॉगरी सागरी सब माया! ब्रह्म सत्यं जगन्नमिथ्या...सीताराम सीताराम"
बात को बेहतर समझने के लिए इसी पोस्ट कमेंट्स में गिरिजेश और शिल्पा मेहता जी के बीच हुआ संक्षिप्त वार्तालाप पढ़ना ज़रूरी होगा.
बात घुमक्कड़ी की हुई है और अब मुल्क की सरहदों से हजारों मील दूर देशों के मुल्कों की पुलिस इस बात से अनजान अपनी गश्त में हलकान है कि किसी और दुनिया के लोग उनकी तारीफों के पर्चे बांच रहे हैं. पहले शिखा वार्ष्णेय जी ने बताया कि लन्दन की अपेक्षाकृत सभ्य पुलिस को देखकर वे अभी भी अकारण ही खौफज़दा हो जाती हैं मानो "जरुर इस डर के पीछे होगा "राज कोई पिछले जनम का". इन्हीं किसी की गोली से हुई होगी मेरी मौत." बाद में अदा जी ने भी कनाडा की पुलिस के बारे में अपना संस्मरण लिखा जिसमें उन्होंने बताया है कि वहां की पुलिस कित्ती भलीमानुस है. उनकी अगली पोस्टों में वे भारत की पुलिस को लेकर अपने सुखद अनुभव शेयर करेंगीं. अपनी पोस्ट की शुरुआत में उन्होंने जो बात लिखी है वह काबिल-ए-तारीफ है:
"जो इंसान अच्छा होता है वो बस अच्छा होता है । अच्छाई दिखाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती है। अच्छाई कहीं भी, कैसे भी नज़र आ ही जाती है। आपको बार-बार बताने की ज़रुरत नहीं होती कि आप कितने अच्छे हैं। जैसे बुराई नहीं छुपती, वैसे ही अच्छाई नहीं छुपती। अगर आप अच्छे हैं तो, अच्छे ही रहेंगे चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। अच्छाई बड़ी सरल सी चीज़ है, अगर आप उसे छुपायें तो छुपती नहीं है, और अगर दिखाना चाहें तो दिखती नहीं है। अच्छाई बैनर पर लिखी कोई तहरीर नहीं, जिसे कोई पढ़ कर जान जाएगा आप बहुत अच्छे हैं। अगर आप सचमुच अच्छे हैं, तो आपकी चुप्पी भी बता देगी।"
इसलिए अब मैंने तय कर लिया है चुप रहूँगा क्योंकि एक चुप सौ बातों का जवाब होती है. लेकिन मैंने ऐसा किया क्या है जो मैं चुप रहूँ? खैर, ब्लौगिंग तो आदमी चुप रहकर भी कर सकता है.
सैरसपाटे विषयक पोस्ट के लिए श्रीमती आशा जोगलेकर की साल्ट लेक (अमेरिका) यात्रा का विवरण मिल गया. वे एक अल्पज्ञात ईसाई पंथ मोर्मोन्स का मंदिर देखने गयीं थी लेकिन जाने पर पता चला कि वहां तो साधारण ईसाइयों के लिए भी प्रवेश वर्जित है! लो जी! ये अमेरिका है! अब इस बारे में तो यही कहा जा सकता है कि अमेरिका में इतनी स्वतंत्रता है कि वहां एक पंथ को माननेवाले लोग अन्य पंथ को मानने वालों को अपने यहाँ प्रवेश नहीं देने के लिए स्वतन्त्र हैं. इसे कहते हैं निगेटिव में भी पौज़िटिव खोज लेना. लेकिन ये मोर्मोन्स तो मोरोंस निकले.
ब्लौगर विवेक रस्तोगी काम से जेद्दाह गए और उन्होंने खाने से पहले हर चीज़ का फोटो फेसबुक पर डालकर बहुतों का मन ललचाया. वहां पेट्रोल सस्ता होने की बात वे इतनी बार बता चुके हैं कि कई दोस्तों ने तो उनसे एक-दो जरीकेन भरके लाने की फरमाइशें भी कर दीं. उनके टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि पाकिस्तान में मुशर्रफ़ के आने के पहले बिजली विभाग के 25% कर्मचारी चढ्ढी बनियान में बैठे रहते थे. इससे यह ज़ाहिर होता है कि पाकिस्तान में सरकारी नौकरी में महिलाओं की संख्या न के बराबर होगी.
अब अपने देस में. दिलेर ब्लौगर ललित शर्मा लंबे अरसे से गाँव देहात में छुपे अल्पज्ञात रमणीय और पुरातात्विक महत्व के स्थलों का भ्रमण कर रहे हैं. इसी कड़ी में वह पहुंचे महाराष्ट्र में हिडिम्बा टेकरी. वहां बहुत कुछ देखने लायक तो था ही, अंत में उनकी मुलाकात गंजों के सर में शर्तिया बाल उगानेवाले सज्जन से हुई. बाल उगाने की शर्त और शुल्क के बारे में वहीं पढ़िएगा.
१. डॉ. अरविन्द मिश्र जी की पोस्ट - अब राम को कौन बताए कि वे कहां रहें? (मानस के रोचक प्रसंग -१). जिस प्रकार ज्ञानदत्त जी के लिए गंगा है उसी प्रकार मिश्र जी के लिए है मानस.
२. अली सैयद साब का 'लोक आख्यान' अनंत प्रेम. अब तो ब्लॉग में पुरस्कार की बात से ही रूह कांपती है लेकिन अगरचे किसी ब्लौगर को ओजमयी अलंकृत हिंदी के लिए पुरस्कार देना हो तो मेरी पहली पसंद अली साब होंगे.
३. बेचैन आत्मा श्री देवेन्द्र पाण्डेय की कविता 'पहली बारिश में...'. थाली भगौने की चिंता छोडो मांजी! बिटिया को भीग लेने दो. माटी का पुतला ऐसे न गलेगा!
४. रवीश कुमार - 'गैंग्स ऑफ वासेपुर है गुंडई की नवगाथा'. नो स्पॉइलर्स, नॉट एन ऑफिशियल रिव्यू, मस्ट रीड.
५. निखिल आनंद गिरी के सपने में कल रात आई थी पुलिस. और भी बहुत कुछ बीता इस कवि के साथ.
बस इतना ही. आगामी चर्चा के लिए देखते रहें 'चिटठा चर्चा'.
हम तो सोचे की टिप्पणी में कुछ न लिखें चुप रहें लेकिन "टिप्पणी खाली नहीं होनी चाहिए" का संदेसा चस्पा कर दिया गया :)
जवाब देंहटाएंअब हम कैसे प्रूफ करेंगे कि हम कितने अच्छे हैं :-)
लिंक्स एकदम तोडू फोडू टाइप हैं :)
चिटठा चर्चा में निशांत मिश्र को देख अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएंहरदिल अजीज डॉ तारीफ दराल के प्रभात दर्शन कराने के लिए आभार , आज का दिन हँसते गुजरेगा !
घुमक्कडों में नीरज जाट को शायद आप भूल गए या आपने उन्हें नहीं पढ़ा , इस नौजवान का काम तारीफ़ योग्य है, आप देखिएगा !
अली साहब मेरी पसंद भी हैं, उन्हें निशांत मिश्र की कलम से पुरस्कृत देख अच्छा लगा ! पुरस्कार वही जिसको लेते अच्छा लगे !
हां सतीश जी, नीरज जाट जी का ब्लॉग देखा हुआ है. बहुत अच्छा है. वह तो खासा एडवेंचरस हैं.
हटाएंयहां सैर-सपाटा और घुमक्कड़ी की चर्चा के लिए हाल के लिंक ही चुने हैं. कई लिंक निगाह से चूक भी जाते हैं.
दराल साब भले आदमी हैं,घूमते भी खूब हैं.
जवाब देंहटाएं:)
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बेहतरीन चर्चा
हिडिम्बा टेकरी चलिए मेरे साथ
♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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धन्यवाद, सर, ऐसे कैंप में मैं स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देने के लिये सदैव तत्पर हूं...
जवाब देंहटाएंबस इतना ही.
जवाब देंहटाएंkya ye kam hai......balak kankh jata hai itte me hi.
pranam.
बहुत अच्छी चर्चा निशांत जी .. मन प्प्रसन्न हुआ .
जवाब देंहटाएंज़हनसीब......:)
जवाब देंहटाएंअधिकत पोस्ट पढ़ी हुई हैं। मेरे प्रिय ब्लॉग इस बार की चर्चा में हैं। डा0 साहब की घुमक्कड़ी से आतप झेलता हुआ कुढ़ता रहा मगर चित्र और यायावरी के सुंदर वर्णन पर मुग्ध होता रहा। आशा जी की अमेरिकी यात्रा को पढ़कर, दांतो तले उंगलियाँ दबाता रहा। गिरिजेश जी को पढ़ने के लिए छुट्टी के लम्हें तलाशता रहा(सरल नहीं है उनको पढ़ना चलते-चलते)। अदा जी की उद्धरित बातें लाज़वाब हैं। पढ़ने और औरों को ढूँढकर पढ़ाने लायक हैं। मानस के बारे में जितना भी पढ़ो कम है। पोस्ट मोहित करती है। गंगा से तुलना अच्छी लगी। अंत में एक बात जो इस चर्चा में सबसे अच्छी लगी वह यह कि आपने अली सा को पहली पसंद कहा। अलंकृत हिंदी नहीं जीवन दर्शन को महसूस कराने वाला भी श्रेष्ठ ब्लाग है..उम्मतें। मेरी भी पहली पसंद।
जवाब देंहटाएंछुट्टियों में घुमक्कड़ी पर चर्चा एकदम जायज़ है. अफ़सोस तो इस बात का है, कि अपनी घुमक्कड़ी हम अपनेई पास लिये रह गये :( लिख डालते तो आज चर्चा में चमक रहे होते :( :(
जवाब देंहटाएंमेरा कमेंट गायब हो गया या कर दिया गया?????
जवाब देंहटाएंब्लॉगर्स के लिए हैल्थ कैम्प लगाने का विचार बढ़िया है पर आप शायद इसे दिल्ली में लगाने की बात कर रहे हैं। इसे थोड़ा व्यापक करते हुए अगर नेट पर एक ऐसा मंच बना दिया जाये जहां कहीं भी बैठे ब्लॉगर अपनी समस्या पर उनकी मदद या ओपीनिअन ले सकें तो कैसा रहे वैसे भी आज कल टेलेमेडिसन का जमाना है। इस में सिर्फ़ दराल साहब और प्रवीण जी ही नहीं डा अनुराग और अन्य जो इस प्रोफ़ेशन से जुड़े हैं अगर योगदान करें तो कैसा रहे।
जवाब देंहटाएंभ्रमण की इस चर्चा में पाबला जी का नाम नहीं आया, मेरे ख्याल से वो भी बहुत अच्छा ट्रेवेलॉग लिखते हैं।
धन्यवाद अनीता कुमार जी,
हटाएंआपका सुझाव अच्छा है पर इससे अधिक व्यवहारिक और सरल बातें लागू नहीं हो पातीं. इस सम्बन्ध में क्या और कैसे किया जा सकता है यह तो डॉ. साहिबान ही बताएँगे.
पाबला जी का ब्लौग आपने खूब सुझाया. उन्होंने बहुत पहले सड़क मार्ग द्वारा खुद गाड़ी चलाकर एक लम्बी यात्रा का रोचक और एडवेंचरस वृत्तान्त पोस्ट किया था.
चिटठा चर्चा अपने पूरे शबाब पर आ गई है, देख कर अच्छा लग रह है इनदिनों...
जवाब देंहटाएंज़रूर चुनिन्दा पोस्ट्स से सुसज्जित है आपकी प्रविष्ठी, सब तो नहीं पढ़ पाए हैं अभी...धीरे-धीरे पढ़ ही लेंगे..
धन्यवाद
बहुत बढ़िया चर्चा ....
जवाब देंहटाएंनिशांत जी ,बस हम और वे इन्ही के सहारे बुढौती काट देगें !:) अपने तो चिट्ठा चर्चा में सलमे सितारे लगाने शुरू कर दिए हैं !
जवाब देंहटाएंआपका यह अहैतुकी कदम चिट्ठाचर्चा के लिए पारण वायु लग रहा है !
आपकी नियमितता हमें नियमित पाठक बनाए रखेगी, बांचने में आनंद आ रहा है|
जवाब देंहटाएंआज की घुमक्कड़ी विशेषांक चिटठा चर्चा बहुत अच्ज्छी लगी . बेहतरीन पोस्टस को शामिल किया गया है .
जवाब देंहटाएंनिशांत जी , आपका सुझाव बहुत बढिया है . एक बार ऐसा ही प्रस्ताव मैंने कवियों के बीच भी रखा था लेकिन शायद कवि लोगों को कमाई से ही फुर्सत नहीं होती . :)
घुमक्कड़ी में संदीप पंवार ( जाट देवता ) का कोई सानी नहीं . अकेले ही निकल पड़ते हैं अपनी नीली परी ( मोटरसाईकल ) के साथ .
त्रुटि = अच्छी
जवाब देंहटाएंमेडिकल प्रोफेशन में कई सवाल खड़े होते हैं एथिक्स और जिम्मेदारी के बारे में .
आज की पोस्ट में पढ़िए और ज़वाब ढूँढने का प्रयास भी कीजियेगा .