कल देखा कि रविरतलामी जी ब्लॉग अड्डा पर ब्लॉगिंग की टिप्स देते पाये गये। विशेषज्ञ के तौर पर हिंदी ब्लॉगिंग का परिचय और शुरुआती जानकारी देते हुये लोगों को अपनी मातृभाषा में ब्लॉग लिखने के लिये प्रोत्साहित किया। वुधवार से शनिवार तक उनकी कोचिंग चालू है। जो पूछना हो पूछ लीजिये।
कुछ अच्छे और लोकप्रिय ब्लॉगों के संकलक में उन्होंने हिन्दीब्लॉगजगत ,जिसके सूत्रधार निशांत मिश्र हैं,
का जिक्र तो किया लेकिन आशीष के चिट्ठा संकलक को छोड़ दिया। रिश्तेदारों के अच्छे कामों का जिक्र करने में संकोच कैसा जी।
इस विचार विमर्श में कुछ सवाल हिंदी ब्लॉगिंग में पाठकों तक पहुंचने की ललक से संबंधित थे। एक सवाल था:
कुछ अच्छे और लोकप्रिय ब्लॉगों के संकलक में उन्होंने हिन्दीब्लॉगजगत ,जिसके सूत्रधार निशांत मिश्र हैं,
का जिक्र तो किया लेकिन आशीष के चिट्ठा संकलक को छोड़ दिया। रिश्तेदारों के अच्छे कामों का जिक्र करने में संकोच कैसा जी।
इस विचार विमर्श में कुछ सवाल हिंदी ब्लॉगिंग में पाठकों तक पहुंचने की ललक से संबंधित थे। एक सवाल था:
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यहाँ ब्लॉग अड्डा पर हिंदी ब्लॉग्गिंग के बारे में चर्चा होगी, यह मैंने कभी सोचा भी नहीं था. सिर्फ अभी ख़ुशी के लिए एक हिंदी ब्लॉग शुरू किया था मैंने. अंग्रेजी के मुकाबले उसे पढ़नेवाले भी काफी कम हैं और समझनेवाले और भी कम. ब्लॉग जगत और हिंदी के इस रोमांच को चर्चा का रूप देने के लिए बहुत धन्यवाद. मैं केवल गूगल ट्रांस लिटरेशन की मदद से ही लिखती थी. इतने ढेर सारे और विकल्प देने के लिए आपकी आभारी हूँ. मेरे हिंदी ब्लॉग को आप यहाँ पढ़ सकते हैं....
http://mydolchi.blogspot.in/डोलची ब्लॉग पर पहली ही पोस्ट देखी तो बड़ी रोचक लगी। देखिये एक फ़ोन की व्यथा कथा से शुरुआत है पोस्ट जो करनी पड़े, वो नौकरी है की:फोन के ग़र होता दिमाग
तो खुद ही कह देता वो
"ये भी कोई टाइम है नंबर घुमाने का?"
पर चूँकि ऐसा नहीं है
हम बेवक्त फोन उठाते हैं
बकरी सा मिमियांते हैं
बित्ती भर जुबां पे
सैंकड़ों गालियाँ तौल जाते हैं
"Of Course , No Problem और Sure Anytime " का
रट्टा सा लगाते हैं
हमें रिश्तों को खींच-तान कर, ठोक-बजा कर परखने की इतनी आदत सी हो गयी है के हर मोड़ पर हम उन्हें कसौटी पर रख धरते हैं. हर ढलान पर उनकी पकड़ जांचते हैं. हर चढ़ाई पर हौंसले का सबूत मांगते हैं. भूल जाते हैं के कच्चे धागों में पिरोया नाज़ुक सा हार है यह, कुत्ते का पट्टा नहीं जो घडी घडी खींच कर पड़ताल करनी पड़े.
रेनड्राप नाम है ब्लॉगर का और इस पोस्ट से पता चलता है कि लखनऊ की रहने वाली हैं। फ़ोटोग्राफ़ी का भी शौक है। साल भर पहले तक की गयी ऊटपटांग बातों से पता चलता है कि वन्दना नाटू नाम है। अपनी एक पोस्ट लाखों हैं यहाँ दिलवाले... में अपने पिता के द्वारा फ़रमाइश किये जाने पर ये गाना गाने का जिक्र है। इसके बाद अपने पति के सीटी बजाते हुये गाने का ये वीडियो क्लिप लगाया।
वन्दनाजी को हिंदी में लिखना जारी रखना चाहिये। ढेर पाठक मिलेंगे।एक और ब्लॉगर अनमोल आइंसटाइन ने रवि रतलामी जी से सवाल पूछा था:-
मैँ एक कम उम्र हिन्दी ब्लॉगर हूँ। इसी 31 मई से नये ब्लॉग पर लिखना चालू किया है। मेरे ब्लॉग का पता है www.anmoldiary.blogspot.com
कुछ सुझाव देँ और बतायेँ कि अधिक ब्लॉग रीडर कैसे बनाये जायेँ?अब ब्लॉगरीडर बढ़ाने का उपाय तो रवि रतलामी जी बतायेंगे। लेकिन हम थोड़ा सा अनमोल के बारे में बता दें। वर्तमान में ग्यारहवीं कक्षा में अध्ययनरत एक आम युवा छात्र! भविष्य में सैद्धांतिक भौतिक वैज्ञानिक और दार्शनिक! बनने की इच्छा रखने वाले अनमोल के रहने वाले हैं। आइंसटीन के प्रशंसक हैं। उनके ब्लॉग ब्रह्माण्ड पर उनके सपने देखिये:- मेरा सपना है, महा एकीकृत सिद्धांत को पूर्ण करना और ब्रह्माण्ड के अनसुलझे रहस्यों को सुलझाना !
- मेरा सपना है, सत्य की खोज करना और सदियों से चली आ रही विज्ञान और आध्यात्म के बीच होने वाली बहसों का सदा के लिए अंत करना और विश्व के समस्त धर्मो का एकीकरण करके एक नया, तार्किक और वैज्ञानिक धर्म की स्थापना करना !
- मेरा सपना है, विश्व सरकार की स्थापना करना !
अनमोल अपनी डायरी में अनमोल बातें लिखते हैं। एक मित्र का चरित्र चित्रण करते हुये लिखा:· मैं कभी किसी का पक्ष नहीं लेता, अब चाहे बदले में मेरी माता श्री ही क्यूँ न हों! उचित और ईमानदारी वाली बात ही करता हूँ! गलत बात का बिलकुल भी समर्थन नहीं कर सकता, चाहे वो किसी ज्ञानी की ही बात क्यूँ न हो!· मुझे नहीं लगता कि मैं किसी से ईर्ष्या करता हूँ !शायद ये अनमोल के विचार हैं जो उन्होंने मित्र के बहाने लिखे। आरंभिक शिक्षा के बारे में अपने विचार बताते हुये अनमोल लिखते हैं:परीक्षाओं में. परीक्षाएं बिना बताये कभी भी हो जानी चाहिए. उससे बच्चे का वास्तविक लेवल पता चल सकेगा. अभी क्या है, परीक्षा का विषय और तारीख निश्चित कर दिया जाता है, बच्चे को ये भी पता होता है कि इस किताब में जो प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं, केवल उसी से प्रश्न आने हैं. बच्चे उस विषय को अच्छे से रट लेते हैं या कुछ बच्चे समझ भी लेते हैं. बच्चा परीक्षाओं के समय पढ़ाई करके अपने ज्ञान के लेवल को थोड़े समय के लिए बढ़ा लेता है. पर यह केवल परीक्षाओं में अच्छे नम्बर लाने के उद्देश्य से किया जाता है. उसका ये ज्ञान परीक्षाओं के समय तक ही रहता है, उसी समय उसकी परीक्षा हो जाती है, और वो आने 20-30 के सामान्य लेवल को बढाकर 70-80 तक ले जाता है, उसके बाद वह सब कुछ भूल जाता है और फिर अपने 20-30 के सामान्य लेवल में आ जाता है.
स्वर कोकिला श्रेया घोषाल के परम प्रशंसक अनमोल उनसे मिलने के किस्से विस्तार से बयान करते हैं। अनमोल ने श्रेया घोषाल का एक वीडियो भी बनाया है। जिसे उन्होंने श्रेया घोषाल को समर्पित किया है। एक महीने लगे उनको यह खूबसूरत वीडियो बनाने में।अनमोल कानपुर में किस स्कूल में पढ़ते हैं। पता चलेगा तो अगली बार जब कानपुर जाऊंगा तो मिलने की कोशिश करूंगा इस भविष्य के वैज्ञानिक से। फ़िलहाल तो प्यार और शुभकामनायें ही कह रहा हूं।पिछले दो घंटे से ये ब्लॉग जगत की सैर करते हुये सोच रहा हूं - अद्भुत है यह ब्लॉगिंग की दुनिया। न जाने कितने रत्न मौजूद हैं यहां।आज के लिये फ़िलहाल इतना ही। बाकी फ़िर। मजे करें तब तक।
वाह आज सुबह-ऐ-सुबह ठेल दिए चर्चा !
जवाब देंहटाएंजय जय !
मास्टर साहब आपकी भी जय हो विजय हो। इस्कूल खुलने वाले होंगे अब तो।
हटाएंकसम से मजा आ गया..यही चिट्ठाचर्चा की खासियत है...एकदम मस्त अंदाज़ में ब्लॉग से परिचय करवाया जाता है....चलिए दो नये ब्लॉग का भी पता चला...फ़िलहाल तो बुकमार्क कर के रख लिया है, अब पढेंगे शाम तक.. :)
जवाब देंहटाएंहमको भी मजा आया इन दो ब्लॉग्स का परिचय देकर। :)
हटाएंऔर वन्दना जी का वो विडियो बहुत ही खूबसूरत है..यकीनन उन्हें हिंदी में लिखना जारी रखना चाहिये..
जवाब देंहटाएंअनमोल के द्वारा बनाया गया विडियो भी पसंद आया..सच में, अद्भुत है यह ब्लॉगिंग की दुनिया!
देखिये आपकी बात कितनी मानी जाती है।
हटाएंअनमोल का वीडियो भी वाकई बहुत सुन्दर है।
बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंकई बाते नयी और पहली बार पता चलीं !
आभार आपका
इस बढ़िया काम (हिन्दीब्लॉगजगत ) के लिए धन्यवाद निशांत, आप दोनों के लिए ...
हटाएंवाह आदरणिय, आज सवेरे सवेरे चिठ्ठा चर्चा को चाय की चुस्की लेते हुये पढ़ा....मन बहक उठा चर्चा गमक उठी चाय महक उठी.....पतों को मैने पुस्तक चिन्हं से सुरक्षित किया....अनमोल चर्चा के लिये..आभार..
जवाब देंहटाएंसही है। वहां अपनी प्रतिक्रिया देंगे तो उनका हिन्दी में लिखने का उत्साह बनेगा।
हटाएंसचमुच रत्नगर्भा है अब यह ब्लॉग समुद्र और हम हैं कि पुरनियों को ही शाल उढ़ाने पर तुले पिले रहते हैं !
जवाब देंहटाएंनये-पुराने सबमें अच्छाइयां हैं। यह हमपर है कि किन कोण से हम उनको देखते हैं।
हटाएंआप दोनों की बात ठीक है .....
हटाएंaap teeno ki :)
हटाएंवंदना के पिता तो लगते हैं पिछले जन्म में मैगपाई चिड़िया थे या फिर मैगपाई चिड़िया जन्म जन्म उनकी पिता :)
जवाब देंहटाएंमैगपाई चिड़िया के बारे में पता करना होगा।
हटाएंअनमोल जी को हमने बता दिया है कि जो आपको खोजे हैं वो महारथी हैं !!
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं लगता कि वो झांसे में आयेगा। :)
हटाएंबहुत अच्छी चर्चा..
जवाब देंहटाएंखासकर श्रेया घोषाल का यह विडियो.....मधुर -मधुर जादुई स्वर..
इस विडियो बनने वाले अनमोल को और इसे खोज निकालने वाले को भी बधाई!
बधाई देने वाले को धन्यवाद!
हटाएंधन्यवाद, अपनी ब्लॉग जगत की दुनिया से हमारा परिचय करवाने के लिए...
जवाब देंहटाएंइस दुनिया के मनपसंद ब्लॉग में जाकर अपनी प्रतिक्रिया देते रहो। इससे सुगम और कोई उपाय नहीं है ब्लॉग रीडर बनाने का। कानपुर में किस स्कूल में पढ़ते हो, कहां रहते हो? :)
हटाएंविद्या निकेतन इण्टर कॉलेज, हरजेन्द्र नगर में...
हटाएंअनमोल जवाब थोड़ा लंबा दिया करो…इस कॉलेज में कौन सी क्लॉस में हो, हरजेन्द्र नगर क्या इतना छोटा है कि तुम्हें ढूंढना आसान होगा? :)
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएं@अनूप जी वो व्ह्विसिल गीत वंदना के पिता का नहीं पति पार्था का गया हुआ लगता है -प्लीज चेक!
जवाब देंहटाएंहां मैंने वही तो लिखा है :
हटाएंअपनी एक पोस्ट लाखों हैं यहाँ दिलवाले... में अपने पिता के द्वारा फ़रमाइश किये जाने पर ये गाना गाने का जिक्र है। इसके बाद अपने पति के सीटी बजाते हुये गाने का ये वीडियो क्लिप लगाया।
@सारी, आपने सही लिखा है पति का ही गया हुआ है !
जवाब देंहटाएं:) तसल्ली से सुनिए। सीटियां बज रही हैं। खूबसूरत अंदाज है। अभिव्यक्ति की कोई और दुनिया आम आदमी के लिये इतनी सुगम नहीं है जो अपने खूबसूरत पलों को इतनी सहजता से लोगों से साझा कर सके। :)
हटाएंआपका यह आज का चिटठा चर्चा तो आगे बढ़ने ही नहीं दे रहा है -अनमोल सचमुच अनमोल हैं !
जवाब देंहटाएंअनमोल मे जिज्ञासा कूटकूट कर भरी है, ’विज्ञान विश्व’ और ’अंतरिक्ष’ पर सबसे ज्यादा प्रश्न उसी के होते है!
जवाब देंहटाएंअनमोल से फेसबुक और फोन पर बात हुई है. बहुत विचारवान हैं पर इधर लगता है कि कुछ फालतू बातों में भी अपना सर खपा रहे हैं.
हटाएंब्लौगिंग में नए चेहरे देखना अच्छा लगता है. कुछ और नाम हाल में दिखे हैं उनकी रिपोर्ट जल्द पेश की जायेगी.
अनमोल ने कल अपने ब्लॉग का लिंक दिया था, पढ़े, बढ़िया लगा | अभी वहाँ टिपियाने का कार्यक्रम शुरू करना है, गहरी बातें लिखी हैं बंदे ने ...
जवाब देंहटाएंबाकी हम तो सुनिधि चौहान के फैन हैं :)
तो अनमोल की तर्ज पर सुनिधि चौहान का एक ठो वीडियो बनाया जाये। :)
हटाएंblog taqniq ke maharath blog-tips ke 'kshiten cha boucharen' kar ke apna gurutar dayitwa poora kar rahe hain au.. is bat ka charcha kar aap apni.
जवाब देंहटाएंhindiblogjagat ke 'sutradhar' ke bare bata kar unhone hum pathkon ko thora
aur bhavnatmak roop se jora hai......lekin, chittha sanklak ke liye sankoch
uchit nahi.....
bakiya, jinke charche hue wahan se lautkar aate hain
पिछले दो घंटे से ये ब्लॉग जगत की सैर करते हुये सोच रहा हूं - अद्भुत है यह ब्लॉगिंग की दुनिया। न जाने कितने रत्न मौजूद हैं यहां।
सचमुच रत्नगर्भा है अब यह ब्लॉग समुद्र और हम हैं कि पुरनियों को ही शाल उढ़ाने पर तुले पिले रहते हैं !.......
pranam.
खूब मौज लेते हैं झा जी ! :)
हटाएंआशीष का चिट्ठा संकलक बढ़िया है, परंतु उसका प्रस्तुतिकरण थोड़ा सा क्लटर्ड है. इसीलिए उदाहरण स्वरूप उसे पेश नहीं किया.
जवाब देंहटाएंबाकी आशीष का अंतरिक्ष चिट्ठा मुझे सर्वाधिक प्रिय है. गूढ़ विषयों के अंदर तक जाना और सरल हिंदी में पेश करना - बड़ी मेहनत का काम है. जहाँ कहीं अंतरिक्ष और ज्ञान-विज्ञान के चिट्ठों के संदर्भ देने होते हैं तो यह चिट्ठा शामिल होता ही हैूँ!
आपकी टीप देखकर शायद आशीष आपकी शिकायत दूर करें। :)
हटाएंhindi blog jagat pehlae blog thaa aur is par 2 post bhi aayee thee
जवाब देंहटाएंaap kaa aur mera naam bhi thaa un post me
ab link uplabdh nahi ho rahaa haen
baad mae wo post delet karkae yae sankalk banaa thaa
अभी भी हिंदी ब्लॉगजगत एक ब्लॉग ही है। उसमें कुछ ब्लॉग की सबसे नई पोस्ट दिखायी जाती है बस्स!
हटाएंhttp://hindiblogjagat.blogspot.com/2010/04/blog-post_26.html
जवाब देंहटाएंek post thee jo ab nahin haen iskaa link ajay ki is post par haen http://ajaykumarjha1973.blogspot.in/2010/04/blog-post_26.html
हां ये लिंक था। इसमें कोई पोस्ट रही होगी जिसमें आपका, हमारा और किसी और का जिक्र रहा होगा। ब्लॉगर ने बाद में उसको डिलीट करके चुनिंदा ब्लॉगों की नयी पोस्ट की जानकारी देने वाला संकलक टाइप बना लिया। अपने ब्लॉग में बदलाव करना उसका हक है। पोस्ट बदलना डिलीट करना भी। आज वह संकलक है इससे अधिक का हमें क्या करना फ़िलहाल! :)
हटाएंनहीं क़ोई फरक नहीं पड़ता , हमने तो कभी मेल भेज कर ये जानने की कोशिश भी नहीं की कौन संचालक हैं
हटाएंबस इस से दो चर्चा पहले मुझे बताया गया था ११. इस पोस्ट पर भी और विगत में भी आपने अनेक स्थानों पर अपने कमेंट्स डिलीट किये हैं और ऐसा अनेक बार किया है. अपने कमेन्ट डिलीट करने का विवेक आपके ऊपर ही है लेकिन ऐसा करने से पोस्ट के पाठकों को जो असुविधा और असमंजस होता है उसका ख्याल आपको क्यों नहीं आता? . प्रश्न स्वत ही उठ गया शायद पाठको को पोस्ट डिलीट करने में भी असुविधा होती ही होगी ??? या केवल मेरे ऐसा करने से असुविधा होती हैं और दूसरे कुछ भी करे वो उनका अधिकार हैं ??? इसके आगये कुछ नहीं
हिंदीब्लॉगजगत ही वह संकलक है जिसे मैं इस्तेमाल करता हूँ, बाकि संकलकों पर गये महीनों हो गये।
जवाब देंहटाएंवैसे मुझे पता नहीं था कि निशांत मिश्र जी ने इसे बनाया है, जबकि एकाध बार मैंने श्रीमान हिन्दीब्लॉगजगत को मेल से सम्पर्क भी किया था अपना फोटो ब्लॉग थॉट्स ऑफ लेन्स जोड़ने के सिलसिले में...तब भी पता न चला था कि सामने निशांत जी ही हैं :)
Secrecy break हुई आज....at least for me :)
सतीश जी,
हटाएंहिंदीब्लौगजगत बनाने के पीछे दो व्यक्तियों का हाथ है. दोनों ही इसे मैनेज कर सकते हैं. उनमें से एक मैं हूँ इसका भेद खुल गया है. दूसरे ब्लौगर नहीं चाहते कि उनका नाम सामने आये इसलिए अहतियात रखना पड़ेगा. मैं उसमें पोस्ट आदि लगाने के विरुद्ध था और अब उसे केवल संकलक मात्र के रूप में देखकर ही संतुष्टि होती है. फिलहाल यह बढ़िया ब्लौगों तक पहुँचने का बढ़िया विकल्प है.
सतीश जी,
हटाएंहिन्दीब्लौगजगत बनाने के पीछे दो ब्लौगरों का हाथ है. उनमें से एक मैं हूँ यह भेद खुल चुका है. हम दोनों ही इसे मैनेज करते हैं. दूसरे ब्लौगर अपना परिचय सार्वजनिक नहीं करना चाहते इसलिए अब अहतियात रखना पड़ेगा. मैं इसमें पोस्ट आदि करने के विरुद्ध था. यह अपने वर्तमान स्वरूप में ही उपयोगी है.
नये लोगों से मिलवाने के लिए धन्यवाद, दोनों विडियो बहुत बढ़ियां हैं
जवाब देंहटाएंदोनों वीडियो देखने का धन्यवाद!
हटाएंबहुत बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हटाएंगज़ब गज़ब गज़ब ..वाकई ब्लॉग जगत की बात ही अलग है एक से एक रत्न हैं यहाँ. अनमोल का वीडियो बेहद खूबसूरत है.जाते हैं उन्हें फोल्लो करते हैं:) और पढते हैं.
जवाब देंहटाएंसही है ब्लॉग जगत की बात ही अलग है। :)
हटाएंनिशांत मैं भी आपका और आशीष श्रीवास्तव का ऋणी हूँ क्योकि यही दो ब्लॉग मेरे भी संदर्भ आधार बने हुए है -आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता हुयी कि एक के कर्ता धर्ता आप हैं!यह ऋण कैसे उतरेगा ?
जवाब देंहटाएंउसका उपयोग करते रहिये। निशांत को सुकून मिलेगा बस यही उनका प्रतिफ़ल होगा।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस चर्चा को पढ़ रही हूँ और ऐसा लग रहा है एक नयी दुनिया में आ गयी हूँ :)
जवाब देंहटाएंएडवेर्टाइजिंग में नौकरी होने की वजह से हिंदी में लिखना पढ़ना तो दूर, बोलचाल को भी तरस जाया कराती थी. एक दिन तो हिंदी की इतनी कमी महसूस हुई के लगा बस एक 'संजीवनी' मिल जाए जो फिर से जिंदा कर दे हिंदी को मेरी ज़िन्दगी में.
इस पोस्ट में यही दुआ मांगी थी मैंने. http://mydolchi.blogspot.in/2011/01/blog-post.html
अब हिंदी ब्लॉग जगत, इस चर्चा और अन्य पाठकों द्वारा की गयी सराहना से एक नयी उमंग जागी है, नियमित रूप से हिंदी में लिखने की. इतनी ख़ुशी हो रही है के पूछिए मत :).
प्रोत्साहन के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद
वंदना नातू
जब हम हिंदी ब्लॉगजगत में उतरे थे तब हमारी मनस्थिति भी बिल्कुल ऐसी ही थी। स्वागत है इस परिवार में
हटाएंआपका ब्लॉग पढ़कर अच्छी लगा वंदनाजी। हिंदी में भी लिखती रहिये।
हटाएंअनीताजी ये हाल सबका होता है यहां!
देर सवेर यहां सब सच सामने आ ही जाता है , सतीश पंचम जी की तरह हमें भी लगा हिंदीब्लॉगजगत नामक के बेहतरीन संकलकनुमा ब्लॉग के सूत्रधारों के नाम का खुलासा हो गया । जोर का झटका जोर से नहीं लगा , कारण , पहले ही अनुमान था कि कोई हमारे आपके बीच से ही हैं । जो भी हैं साधुवाद के पात्र हैं क्योंकि आज उपलब्ध तमाम संकलकों और संकलकनुमा ब्लॉग्स में से हिंदीब्लॉगजगत एक बेहतरीन विकल्प है ।
जवाब देंहटाएंरचना जी की टिप्पणी से और उसमें दी हुई लिंक से याद आया कि इस ब्लॉग पर एक पोस्ट हमारा उद्धार करने के लिए भी लिखी गई थी मगर अभी उद्धार हुआ भी नहीं था कि पोस्ट खुदई स्वर्ग सिधार गई । अब ये तो निशांत भाई या उनके साथ के दूसरे ब्लॉगर मित्र ही जानें कि कौन जमाजम मजबूरी में बिना अपना नाम बताए और हमारा नाम लेकर लिखने की ऐसी कौन घनघोर विवशता आन पडी थी काहे से कि अब तो नाम ले लेकर पोस्ट लिख कर गरियाने धकियाने का रिवाज़ स्थापित परंपरा बन ही चुकी है । वैसे हमें निशांत भाई की एक ठो टिप्पणी का पर्याय अब समझ आ रहा है कि ऊ काहे टोकते थे कि ,हिंदी ब्लॉगिंग , ब्लॉगर पर काहे पोस्ट ठेलते रहते हैं झाजी बढियां बढियां लिखा करिए । आ दूसरका का क्या कहें जब आज तलक आप सहित जाने पूरा ब्लॉगजगत भी इहे कह जाता है अक्सर कि टिप्पू चचा का छद्मनाम धरके ऊ सब किया धरा झाजी का ही था साईत , देर सवेर उसका खुलासा भी होइए जाएगा । बहरहाल चर्चा चकाचक है आ टिप्पणी सब उससे भी धकाधक ..हमरे काम आएगा ..अरे टिप्पणी चर्चा वाला पोस्ट के लिए जी ।
हिंदीब्लॉगजगत के सूत्रधारों के नाम?
हटाएंवहीँ नज़र मारिए, दिख जायेंगे उनके ब्लॉग :-)
बस ब्लॉग से लोग जुड़ते गये और कारवाँ बनता गया...
जवाब देंहटाएंसही है। हरेक क्षेत्र में ऐसा ही होता है।
हटाएंलिंक तो ठीक है ये chitthacharcha.co.in किधर गया?
जवाब देंहटाएंउसमें सर्वर की कुछ समस्या है इसलिये पोस्टिंग में परेशानी हो रही है। इसई लिये ब्लॉगस्पॉट पर ही पोस्टिंग चालू है। और chitthacharcha.com का क्या हुआ। कई जनवरी बीत गयी उसके लांच होने की घोषणा हुये।
हटाएंहिंदी की विभिन्न वेबसाईट्स के क्रम में उसका नंबर नीचे ही है :-)
हटाएंआपकी पोस्ट पर साथी मित्रों की दिलचस्प टिप्पणियों ने आकर्षित किया तो हमने सोचा क्यों न इन्हें सहेज़ कर दूसरे पाठकों को भी पढाया जाए , शायद औरों को भी प्रेरणा मिले , हमने यही किया , कैसे ? आप टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
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