शनिवार, अप्रैल 21, 2007

जी का जंजाल मोरा बाजरा....जब मैं बैठी बाजरा सुखाने...

जब जनसत्ता वाले हमें छाप रहे थे हम पहाडों की हवा खा रहे थे। यहाँ दिल्ली की गर्मी मे हमारा कंपूटर बाबा प्राण त्याग गया । वापस आकर देखा तो समस्या गम्भीर थी। खैर जैसे तैसे कल शाम इन्हे जिला पाए, लॉगिन करते ही चिटठा चर्चा का आदेश मिला। तो प्रस्तुत है नारद के कल के चिट्ठों का ब्यौरा। सारे चिट्ठे यहाँ देखें {वैसे देख ही चुके होंगे ,फिर भी चिट्ठा चर्चा की रवायत के तकाज़े से कह रहे हैं, जो देखे उसका भला जो ना देखे उसका तो कल्याण निश्चित ही है :) }
कल नारद पर एक शादी ने बडा तंग किया भाई लोगों को,शादी थी ऐश- अभि की, उसमें बेगानो की तरह हमारा मीडिया -मुल्ला जाने क्यो दीवानों की तरह नाच रहा था।मीडिया की हरकतें देख कर बचपन का यह खेल/गाना याद आ गया -जी का जंजाल मोरा बाजरा.. जब मै बैठी बाजरा सुखाने, उड -उड जाए मोरा बाजरा।...क्या कहें बात का बतंगड बन गया। शादी हो तो ऐसी कि देस बिदेस सबे बौरा जाँय,और मीडिया हो तो ऐसा कि इत्ता बकबक कि लोगों के सर मे दर्द कर दे। संजय सही कहे हो प्रेम विवाह तो होते रहेंगे, इसमे बडी बात क्या है।एंग्री गणेशन भी इस मौके पर गुस्साने से बाज़ नही आए ,आखिर पकवान् इतने फीके जो थे।मोहल्ले वाले केटरिंग करेंगे तो पकवान तो तीखे होए चाहिए थे।,पर प्रमोद भाई गणेशन पर जो आप टिप्पणी दिए हैं वाकी टोन कया है ? मिश्रा जी ने नए जोडे के हनी मून के लिए मोहक स्थानों की तस्वीरे भिजवा दी है।।

आशीर्वाद तो हो गए अब कोई ऐश अभि को शादी का मर्म भी तो समझा दे भाई... ए भाई..पंगे बाज़ ही यह पंगा ले सकता है लो लिया लिया..



शादी:एक ऐसा समझोता जो आदमी से उसकी बैचुलर डिग्री छीन कर औरत को मास्टर डिग्री दे
तलाक: शादी का भविष्य
आंसू: दुनिया का सबसे बडा अहिसंक हतियार



थोडा गणित भी सीख लो ,शादी मे काम आएगा।





तेज बन्दा + तेज महिला = प्यार

तेज बन्दा + ढीली महिला = लफ़डा
ढीला बन्दा + तेज महिला = शादी
ढीला बन्दा + ढीली महिला = पंगे के अलावा कुछ नही




अब आप पंगा लोगे तो दामोदर दास को गुस्सा नही आएगा क्या? बोलो? उस पर गँवार थाना प्रभारी से पाला पडा। सुबाचन यादव ।रागदरबारी की याद करने वाले सबाचन यादव के पास इत्ता काम है कि सारा काम ही ठप्प पडा है।



"थाना प्रभारी सुबाचन यादव कुछ और सोच रहे थे. कुछ और सोचते हुए माचिस की तीली से (जबकि दांत में कुछ था नहीं) दांत खोद रहे थे."


उस पर किसी प्रेत का फोटू भी लगा दिया । पता है प्रत्यक्षा कितना डर गयीं।



इत्ता डरने के बाद कैसे कोई हत्या ,बलात्कार करने स्टूडियो मे जाएगा जी ! न्यायाधीश पर मिलकर शक करने से क्या वह डर जाएगा? अजी मोटी चमडी है। वैसे अविनाश तुम्हारी लगाई आग बुझाते बुझाते फुरसतिया जी का अग्नि शमन दस्ता थक गया है।समकाल चिंतित है । उसे थकना नहीं चाहिये। वैसे आग की खोज हुई हकैसे यह भी पता है किसी को इसलिए सोचो थोडी देर् कि





आखिर कब तक
सरकारों का बदल जाना
मौसम के बदल जाने की तरह
नहीं रहेगा याद





इत ना ही कर सकते हैं कि खुन्नस निकालकर जीने लगें और मज़बूत होकर।गुरनाम जीने का गुर बता रहे हैं कि ख्वाब देखो पर उसकी चर्चा मत करो। फिर वे पूछते हैं किस पर लिखूँ "इस बाहर की प्रकृति पर या अन्दर कुर्सी पर मुहँ फुलाए इस अन्जान प्रकृति पर"भैय्ये लिखना नही आता तभी तो पूछते फिर रहे हो। :)
कल की ताज़ा खबर{?} श्रीष को सर्वज्ञ पर लिखने को एक और टेकनोक्रेट मिल गया अंकुर गुप्ता के रूप में।


और हम ब्लॉगियों की क्या हस्ती ,हैं आज यहाँ कल वहाँ चले। अब दैनिक भास्कर पर भी झंडे गाड दिए।
भई प्रयास के उत्तम विचार"प्रशंसा से परोपकार" पदकर भले ही ई-पन्डित ने उनकी प्रशंसा की और 0 टिप्पनी से उबारकर परोपकार किया और भले ही रवि जी कहें कि





" स्वस्थ जीवन से अभिप्राय है कि हमारा जीवन चिन्ता, मानसिक तनाव, दु:ख, रोगों से
रहित हो, शरीर देदीप्यमान हो तथा युवा शक्ति से परिपूरित हो। हमारा अपनी निम्न
इच्छाओं, भावनाओं, विचारों पर नियंत्रण हो तथा जीवन दायिनी प्राण शक्ति को संचालन
करने की कला हमें आती हो।"






चाहे ई-स्वामी नया शगूफा लेकर हाज़िर हुए हों



तो भी हमे तो नोट दुगुने करने का आइडिया ही ज़्यादा भाया :) रमण जी भी जापानियों को हिन्दुस्तान पर लिखते देख हैरान ना होएँ। यह फार्मूला अपनाएँ।
आखिर पैसा बोलता है। तो सोचते हैं एडसेंस लगवा डालना चाहिए। क्यों क्या खयाल है ?
जी का जंजाल वैसे यह चर्चा भी थी। तकनीक मे हम पैदल हैं। इत्ता किया सम्झो मैदान मार लिया । रात भर सोचा लिंक कैसे लगेंगे ,वगैरह..। हो ही गया कुछ तो ।गलत लिंक हों तो मुआफ करना। वैसे भी नारद म्एं भाई चारा चलता है...आपका लिंक किसी और भाई पर लग गया हो तो बुरा ना मानना।:):):)




----नोटपैड की कलम .......से। तस्‍वीर अज़दक से

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9 टिप्‍पणियां:

  1. चिट्ठाचर्चाकार मंडली में स्‍वागत है- अब तुम मानोगी तो है नहीं- पहले पीएच.डी. की, फिर कविताएं करने लगीं, चिट्ठाकारी से भी बाज नहीं आईं....और लो अब चिट्ठाचर्चा भी।

    अल्‍लाह जाने क्‍या होगा आगे...मौला जाने...

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  2. बहुत अच्छी चर्चा रही.

    अंत में हमारे पसन्दीदा कोमिक हिरो का फोटू चिपका कर आनन्दीत कर दिया आपने.

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  3. बढ़िया लगी आपकी चर्चा ....बधाई

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  4. बहुत खूब! बहुत अच्छा लगा! अब आप शनिवारी टीम में शामिल हो गयीं देबू के साथ!

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  5. बहुत बढ़िया चर्चा. बधाई हो!!

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  6. बढ़िया संतुलित चर्चा. पहली बार में सफलता. चिट्ठाचर्चा दल में शामिल होने पर शुभकामना.

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  7. चर्चा शुरु से अंत तक बांधे रही, बधाई। पहाड़ यात्रा के बारे में लिखना।

    और हमारे ईस्वामी जी के प्रेरणास्त्रोत फैंटम जी का फोटू दिखाया धन्यवाद!

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  8. सही है, मजा आया। अच्छी चर्चा किए हो।

    अब लग रहा है कि महिला चर्चाकार भी है। एक दिन का भार तो पक्का सम्भालो। अभी कुछ दिन मै चिट्ठा चर्चा से और अनुपस्थित रहूंगा तब तक(और आगे भी) मोर्चा सम्भाले रहो।

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