रविवार, दिसंबर 06, 2009

आप कौन जात के चिट्ठाकार हो?

हम सभी को जाति आधारित चिट्ठों की वकालत करनी ही चाहिए, यदि जाति विशेष को समर्पित चिट्ठे उस जाति विशेष के समाज का हित करने व उनकी समस्याओं के समाधान के लिए संकल्पित हों. जैसे कि यदुकुल नाम के ब्लॉग का उद्देश्य है -

“समाज-राजनीति-प्रशासन-साहित्य-संस्कृति इत्यादि तमाम क्षेत्रों में यादव समाज के लोग देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं. इनमें से कई ऐसे नाम और काम हैं जो समाज के सामने नहीं आ पाते. या यूँ कहें कि उन्हें ऐसा कोई मंच नहीं मिलता जिसके माध्यम से वे और उनकी उपलब्धियाँ सामने आयें. यादव समाज पर केन्द्रित कुछेक पत्र-पत्रिकाएं जरुर प्रकाशित हो रही हैं, पर नेटवर्क और संसाधनों के अभाव में उनकी पहुँच काफी सीमित है. तमाम मित्रों और बुद्धिजीवियों का भी आग्रह था कि अंतर्जाल के इस माध्यम का इस दिशा में उपयोग किया जाय, ऐसे में यह प्रयास आपके सामने है. यदुकुल के माध्यम से यह कोशिश होगी कि यादव समाज में और यादव समाज द्वारा किये जा रहे उन तमाम प्रयासों को यहाँ रेखांकित किया जाय और उनसे संबंधित रचनाएँ इत्यादि भी यहाँ प्रस्तुत की जाएँ. इसके अलावा विभिन्न विषयों पर सारगर्भित लेख, पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों की समीक्षा, जानी-अनजानी यादव विभूतियों पर आलेख इत्यादि भी यदुकुल में समाहित किये जायेंगे.”

इसी तरह, एक यदु यादव कोश भी है, जहाँ यादवों से संबंधित हर किस्म के आंकड़ों का संग्रह है.

ब्राह्मण समाज के लिए विप्र वार्ता पर एक ब्लॉग खण्ड है. इसके उद्देश्यों की झलक इसकी कुछ प्रविष्टियों  से मिलती है -

 

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खत्री समाज का ब्लॉग बड़े गर्व से घोषणा करता है,  जो समीचीन भी है :

“सबसे पहले सच्‍चे इंसान, फिर कट्टर भारतीय और अपने सनातन धर्म से प्रेम .. इन सबकी रक्षा के लिए ही हमें स्‍वजातीय संगठन की आवश्‍यकता पडती है !!”

इधर, राजपूत वर्ल्ड नाम के ब्लॉग का टैग क्लाउड राजपूताना कहानियों की बयाँ कुछ इस तरह करता है -

“क्षत्रिय युवक संघ (8) क्षत्रिय योधा (15) क्षत्रिय साहित्यकार (1) जमुवाय माता (1) जयचन्द (1) जसवंत सिंह (1) जानकारी (4) जौहर और शाका (1) न्यूज (3) न्यूज़ (14) पाबूजी (3) पु.श्री तनसिंह जी की कलम से (6) पुस्तक समीक्षा (1) बगड़ ग्राम काली पहाडी (1) बदलते द्रश्य (2) महाराव शेखा जी (1) महाराव शेखा जी (1) युद्ध (3) राजपूत नेता (2) राजस्थान के किले (5) राजस्थान के लोक देवता (1) राजेन्द्र सिंह राठौड़ (1) राठौङ (1) राठौड (1) राठौड़ (3) रामदेवजी (2) लोक देवता (4) वसुंधरा राजे (1) शेखावत (10) शेखावाटी (1) श्री गोगा जी चौहान (1) समाचार (2) सीहा जी (1) स्मारक (3) स्व.श्री तनसिंहजी की कलम से (1)”

कुछ और खोजबीन करने पर कायस्थ, वैश्य समाज के 1-2 चिट्ठे मिले, पर ज्यादा नहीं.

वैश्य समाज का यह चिट्ठा विवाह योग्य युवक-युवतियों की ऑनलाइन जानकारियाँ मुहैया करवाता है -

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जहाँ भारत में सैकड़ों जातियाँ-उपजातियाँ हैं, जातियों को समर्पित चिट्ठों का अभी घोर अकाल है. अब आप बताएँ, कि आप कौन जात के चिट्ठाकार हैं? यदि आपकी जाति-उपजाति का चिट्ठा अभी तक बना नहीं है, तो, भई आप कर क्या रहे हैं? जाइए, एक ठो चिट्ठा अपनी जाति का बनाइए. अभी, तुरंत.

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37 टिप्‍पणियां:

  1. मैं तो इंसान पैदा हुआ था..... पर जिस कुल में पैदा हुआ वहां से पता चला की मैं मुसलमाँ हूँ.... पर अपनी इंसानियत की जड़ को भूल नहीं पाता हूँ,........ इसलिए ज़ात से पहले मैं इंसान हूँ.... उसके बाद राष्ट्र मेरा धरम है..... और इंसानियत मेरी ज़ात..... और इंसानियत वाली ज़ात का कोई भी चिटठा नहीं है..... इंसानियत की ज़ात का एक चिटठा तो बनाना चाहता हूँ...... मगर अफ़सोस एक भी इंसान मुझे मेरी ज़ात का नज़र नहीं आता...... तो अकेला मैं इस इंसानियत की ज़ात को ढो कर कैसे चिटठा बनाऊं ?..... जिस दिन मुझे इंसान मिल जायेगा..... उस दिन इंसानियत की ज़ात का चिटठा भी आ जायेगा..... और वो चिटठा दुनिया दुनिया की सारी ज़ात से ऊपर होगा..... कोशिश जारी है..... इंसान जिस दिन मिलेंगे..... उस दिन इंसानियत की ज़ात का भी चिटठा होगा..... और ज़रूर होगा.....


    बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट...... बहुत कुछ सोचने को विवश हो गया हूँ.......


    सादर महफूज़ अली "इंसान"

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  2. आपको जाति आधारित चिट्ठे अच्‍छे लगे .. जानकर खुशी हुई .. हमें हौसला भी मिला !!

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  3. पता नहीं मेरी तरह कुजात जात वालों का कोई ग्रुप ब्‍लॉग क्‍यों नहीं खड़ा हो पा रहा ?

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  4. जाति वाला ब्लॉग बनाने में खतरा है कि वह इकल्ला नहीं चलने देगी।
    वैसे भड़ास/मोहल्ला/नारी भी इस पोस्ट की चर्चा के पात्र नहीं थे क्या?

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  5. जाति आधारित चिट्ठों पर एक नजर !
    आभार ।

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  6. जात पात पूछे नहीं कोय
    जो हरि को भजे सो हरि का होय ।।

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  7. पनी जात तो इनसे भिन्न है, खैर अच्छी चिट्ठा चर्चा इस बारे में !

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  8. बहुत कुछ अनकहे ही कह जाती है आपकी ये पोस्ट ............

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  9. Bhai महफूज़ अली se puri tarah sahmat. Bimari ko hi dawa samajh rahe haiN log.

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  10. अच्छी चिट्ठा चर्चा..

    maendra mishra
    H.Q. gwalior

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  11. अभी हाल ही में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने सरकार से कहा था कि वह जाति भेद को रद्द कर दें और हमारे साहित्यकार:) ब्लागर हैं कि समाज को फिर से बांटने या उसे प्रगाढ करने में लगे हैं!!!!!!!!!!

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  12. लोग या तो चर्चा के भावार्थ को समझ नहीं रहे हैं या फिर जानबूझकर समझना नहीं चाहते....
    खैर बढिया लगी आपकी ये "जाति चर्चा"

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  13. हम भी प्रमोद की ही तरह कुजात-बेजात हैं...हमारे लिए भी खांचा बनाएं

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  14. एक बिना लेबल वाला खांचा बनाऍं ।

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  15. desh ko samaaj ko bantna hi to insaan ka param uddeshya hai phir chahe wo kaise bhi bante, chahe dharam ke naam ya chahe jati ke naam par.
    vaise sabse achcchi baat to mehfooz ali ne kahi hai aur main unse poorntah sahmat hun.

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  16. "जातियों को समर्पित चिट्ठों का अभी घोर अकाल है"
    कोई बात नहीं ...संबद्ध लोगों ने आपकी चर्चा पढ़ ली होगी
    आपकी उदासी का इलाज करते ही होंगे

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  17. बढ़िया मुद्दा उठाया है रवि जी .मज़ा आया पढ़ कर और कुछ सोचने पर भी मजबूर हुए.

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  18. insan ki bhi asmita ko log kaise kha rahe hai.
    jaat ya fir dharm vale blog bhi ab aa rahe hai.
    log global ho rahe hai, daur vaishvlk gaanv ka
    kintu ham to sankuchit-si khol me hi ja rahe hai.
    apni-apani jatiyon par garv karke kya karoge..?
    ham to poori manushyta hi aap tak pahunchaa rahe hai..

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  19. एक मां के द्वारा बेटे का पालन पोषण एक स्‍वार्थ है, पर यदि वह उचित ढंग से होता है तो देश का एक अच्‍छा नागरिक अवश्‍य तैयार हो जाता है।

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  20. यह केवल चिठ्ठा चर्चा नहीं है ,न केवल यह एक आलेख है ,,यह एक आइना है जो आप ब्लॉग जगत को दिखा रहे हैं ..।

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  21. mahfooz bhaiya... ham bhi hain aapke sath.. chaliye ek chittha start karte hain insaano ka...

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  22. कौन सी सदी चल रही है?

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  23. प्रमोद, मसीजीवी की सूची में मुझे भी शामिल किया जाए।
    घुघूती बासूती

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  24. बेजात वाले गुट में हम भी सदस्यता ले लेगें

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  25. mahafooz bhai ki jamat men shamil hoon, aur agar eka yahi jamat imandari se ban jaaye to phir kisi jamaat ya jaat ki jaroorat hi kahan rah jaati hai.

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  26. jaat paat main nahin manta, ye to zamana hai jo mujhe "amuk" jaat ka samjhta hai...

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  27. ऐसे भी कम सितम थे सरकारी और नेताओं के
    जो ये बीमारी ले आये यहाँ
    सुप्रीम कोर्ट ने फरमान दिया
    जात न पूछो साधो की
    सिर्फ अपनी बता दो हमें
    अंग्रेजी में टिप्पणी करने वालों हाय हाय

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  28. saarthak chot.....
    bahut aawashyak tha yah....bahut bahut aabhaar aapka....

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  29. kuchh nahi kahunga.. main chala chittha ka khancha taiyar karne.. ;)

    vaise main ek baar ek post aapke bataye huye hi ek chitthe ke baare me ki thi.. http://prashant7aug.blogspot.com/2009/09/blog-post_30.html

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