कल मसिजीवी लेकोनिक चर्चा कर डाले। इसके बाद लेकोनिक टिप्पणियां पाय गये। और उसके बाद अपना ज्ञान भी थमाय गये मुस्कराते हुये : हमारा तो मानना है कि चिट्ठा अर्थव्यवस्था में टिप्पणी एक ग्रोसली ओवरवैल्यूड करेंसी है... इसी वजह से फेक करेंसी की तरह लेकोनिकता भी प्रचलन में है :)
छोटी टिप्प्णियों के तमाम नमूने देखने हों तो आप ताऊजी डाट काम पर जाइये। इस पोस्ट में दस-बारह लोगों ने (गिने नहीं मैंने कम ज्यादा भी हो सकते हैं) कुल मिलाकर 209 टिप्पणियां कर डालीं। टिप्पणियां छोटी-छोटी सारगर्भित/असारगर्भित/ मतलब की/बेमतलब की याने की हरतरह की। जीवंत संवाद है। अब मसिजीवी इसको फ़ेककरेंसी मानते हों तो यह उनका सरदर्द है लेकिन यह एक जीवंत संवाद तो है ही जिसमें नमस्कार भी एक टिप्पणी है/प्रतिनमस्कार भी एक टिप्पणी है। ये भी एक टिप्पणी है वो भी एक टिप्पणी है।
टिप्पणी ही इस पहेली का ओढ़ना-बिछौना है इसलिये यह व्यवस्था है /नियम है कि यदि किसी ने कोई लिंक दिया तो उसको 11 टिप्पणियों का दंड भरना पड़ेगा मतलब इक्कीस टिप्पणियां करनी पड़ेंगी। जैसा कि यहां इस पहेली में बताया गया है:
कल जी. के. अवधिया जी पर ११ टिप्पणियों का जुर्माना लिंक देने की एवज में लगाया गया था. जो अभी तक प्राप्त नही हुई हैं. उस पर ब्याज की ११ और जोडकर अब २२ बकाया होगई हैं. उनसे निवेदन है कि तुरंत खजाने मे जमा करवा कर रसीद प्राप्त करें.
मजेदार व्यवस्था है। टिप्पणियां उसपर टिप्पणियों का जुर्माना। बकाया टिप्पणियां करना। खजाने में जमा करना। कल को किसी ब्लाग पर टिप्पणियां कम हों तो ताऊ जी से उधार ले सकता है क्या? पोस्ट से असंबंधित हुईं तो क्या हैं तो टिप्पणियां ही।
बहरहाल आप इस टिप्पणी आंदोलन में शिरकत करना चाहते हों तो ताऊ की चौपाल पर चलिये। आजकल के आयोजक हैं समीरलाल।
पिछले दिनों संजय बेंगाणी बीकानेर में एक नया अध्याय शुरू किया। इसकी विस्तार से रपटिंग की है सिद्धार्थ जोशी ने। जिसके बारे में संजय बेंगाणी ने कहा भी:यही फर्क है एक पत्रकार में और अनघड़ भाषा में लिखेते ब्लॉगर में. क्या कसाव के साथ रपट लिखी है! संजय बेंगाणी ने वहां अपनी बात कहते हुये बताया:आप अपने मन की बात बिना खर्चे के लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँचा सकते हैं. अखबार व किताब के रूप में उसकी उपलब्धता सीमित ही रहेगी.आपमें कोई प्रतिभा है तो वह लोगों तक सरलता से पहुँच सकती है. आपको प्रतिष्ठा मिल सकती है. आपकी अभिव्यक्ति पर किसी सम्पादक की कैंची नहीं चल सकती.आपका लिखा तब भी रहेगा जब आप और हम नहीं रहेंगे.हिन्दी में लिखी बात को अहिन्दीभाषी भी स्वचालित अनुवाद के माध्यम से पढ़ सकेगा, पुस्तक में यह सुविधा कहाँ? अखबार की उम्र भी एक दिन की होती है.और जिस बिन्दू पर जोरदार भाषण झाड़ा वह था हिन्दी से नेट को पाटने के लिए लिखिये, क्योंकि कहा जा रहा है आने वाले समय में चीनी भाषा का नेट पर राज होगा और हमें इसे गलत साबित करना है. राज करने वाली भाषा चीनी नहीं हिन्दी होनी चाहिए. (कोई तालियाँ नहीं. लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि हम नैतृत्वकर्ता भी हो सकते है)
बावजूद माइग्रेन के दर्द के संजय ने अपनी बात रखी अपने कुर्ते पर पानी गिराते हुये। एक ब्लागर जी इतना जीवट दिखा सकता है भाई!
अनिल कान्त ने ब्लॉगिंग से संबंधित कुछ ग़लतफ़हमियाँ बताई । उन्होंने बताया कि कुछ गलतफ़हमियां ये हैं:
1. लोग हमें सबसे ज़्यादा इसलिए पढ़ते हैं कि हम बहुत अच्छा लिखते हैं !
2. अगर मैं ये लिखूं तो लोग आएँगे !
3. आप बहुत सारा पैसा कमा लेंगे !
अब आप देख लीजिये कि आप कौन सी गलतफ़हमी के सहारे ब्लागिंग की किस्ती पर सवार हैं।
और अंत में: फ़िलहाल आज अभी इतना ही। बकिया देखिये कब आता है।
वाह! यह तो टिप्पणी चर्चा हो गई :-)
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
झा जी बहुत मेथाडिकल ब्लॉगर हैं. रोज चैट पर सबसे कहते हैं कि blogging ko aj vida kaha, aapke sneh ke liye shukriya."
जवाब देंहटाएंब्लागिंग को इतना सीरियसली लेने वाला ब्लॉगर कैसे ब्लागिगं छोड़ देगा?
मोबाइल मैसेज बड़े लेकोनिक होते हैं। उन में यही चक्कर पड़ता है लेकूना बहुत रह जाते हैं। देखिए ना अजय जी की छुट्टी भी मौज का बायस बन गई।
जवाब देंहटाएंफुरसत मिले तो मौज का पोस्टमार्टम कर डालिए। कैसे उस की व्युत्पत्ति हुई? कैसे विस्तार हुआ? क्या उस का वर्गीकरण है? आदि आदि। वैसे विष्णु जी का किस्सा तो हमें पता है, वे बारात की मौज लेने के लिए दूलहे शंकर जी को पीछे छोड़ सब देवताओं को ले आगे चल दिए। फिर शंकर जी ने अपनी बरात सजाई जो आज तक गाई जा रही है। असल मौज तो शंकर जी ही ले गए।
`लेकिन यह एक जीवंत संवाद तो है ही जिसमें नमस्कार भी एक टिप्पणी है/प्रतिनमस्कार भी एक टिप्पणी है। '
जवाब देंहटाएंNAMASKAR :)
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबेहद खूब चर्चा !
जवाब देंहटाएंहा हा.. लोग बाग़ ब्लोगर्स को इतना बेवकूफ कैसे समझ लेते है? कि कुछ भी कहो मान लेगा.. ब्लोगर ही तो है..
जवाब देंहटाएंखैर! हिंदी ब्लोगिंग में ऐसे लोग भी है जो ब्लोगवाणी पर दिन भर यही देखते रहते है कि किसे उनसे ज्यादा टिपण्णी मिली.. आपको खुद अपने ब्लॉग की टिप्पणियों या पेज रैंक का पता नहीं हो.. पर कुछ लोग आपके ब्लॉग का पूरा बही खाता जमा रखते है.. आपके ब्लॉग पर किसने टिपण्णी की, कितनी आत्मीयता से.. कब नहीं की और कब की टाईप तमाम बातो से परेशान.. हलकान होते रहते है.. वास्तव में ब्लोगर, ब्लोगर कम कमेंटर ज्यादा होता है..
लोग टिप्पणिया लेने में इस कदर मशगूल हो जाते है कि भूल जाते है एक ब्लोगर की हैसियत से क्या दे रहे है पाठक को.. पर अब क्या कहिये.. ? सब जगह यही हाल है..
हम तो ये कहते है कि बेवकूफ व्यक्ति अगर बेवकूफी कर रहा है.. तो समझदार व्यक्ति ये कहता नहीं है कि वो बेवकूफी कर रहां है. समझदार व्यक्ति समझ जाता है कि वो बेवकूफी कर रहा है..
वैसे शिव कुमार मिश्रा जी की टिपण्णी पढ़कर व्यंग्य की धार पता चलती है.. बहुत ही उम्दा टिपण्णी
मस्त रहिये.. मौज लेते रहिये..
आभार जी! चर्चा करने के लिऎ
जवाब देंहटाएं==============================================
मुम्बई ब्लोगर मीट दिनाक ०६/१२/२००९ साय ३:३० से
नेशनल पार्क बोरीवली मुम्बई के त्रिमुर्तीदिगम्बर जैन टेम्पल
मे होनॆ की सुचना विवेकजी रस्तोगी से प्राप्त हुई...
शुभकामानाऎ
वैसे मै यानी मुम्बई टाईगर इसी नैशनल पार्क मे विचरण करते है.
================================================..
जीवन विज्ञान विद्यार्थीयों में व्यवहारिक एवं अभिवृति परिवर्तन सूनिशचित करता है
ताउ के बारे मे अपने विचार कुछ इस तरह
ब्लाग चर्चा मुन्नाभाई सर्किट की..
चीत तो यहीं दिखी, बात भी हमने यहीं पढ़ी । बात-चीत के पहले गलतफहमियों वाली पोस्ट का लिंक भी दिख गया !
जवाब देंहटाएंचर्चा का आभार ।
Everything comes if a man will only wait........................................
जवाब देंहटाएंबिना मकसद ब्लोगिंग करने से समय नष्ट होता हैं और पैसा भी । ब्लोगिंग करे या ना करे ये निज का फैसला हैं और किसी के भी SMS को बिना उस से पूछे ब्लॉग पर डाल कर पोस्ट बनाने से बेहतर होता अगर दो दिन इंतज़ार कर लेते । और वैसे भी व्यक्तिगत बात की पुष्टि के लिये ब्लोगिंग के अलावा भी साधन हैं ।
जवाब देंहटाएंअनूप जी, आश्चर्य की बात है कि आपको मेरे रोज अपडेट होने वाले ब्लोग के लिंक के बजाय मेरे एक समय से बंद पड़े ब्लोग का लिंक मिला। जो लिंक आपने दिया है वह तो मेरे प्रोफाइल में भी मेरे वेबसाइट का लिंक नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि मेरे "धान के देश में" ब्लोग से शायद आपको किसी प्रकार की असंतुष्टि है।
जवाब देंहटाएंखैर, लिंक देना तो आपकी मर्जी पर है आप चाहे जो भी लिंक दें। वैसे लिंक न दिया होता तो और भी अच्छा होता क्योंकि कम से कम मुझे आश्चर्य तो नहीं होता।
nice
जवाब देंहटाएंजी.के.अवधियाजी, आपके नाम का लिंक गलत लगा इसके लिये खेद है।
जवाब देंहटाएंलेकिन आपसे अनुरोध है कि आप हड़बड़ी में जहां आपत्ति जताना चाहिये वहां टिप्पणी 1, टिप्पणी 2 करते हुये बाइस टिप्पणियां कर रहे हैं। कृपया फ़िर से देखिये पहेली में बताया गया में आपके उसी ब्लाग का लिंक दिया गया है जो मैंने वहां से कापी किया बस। मैंने अपनी तरफ़ से कोई लिंक नहीं लगाया। अब आपने एतराज किया तो मैं आपके ब्लागर प्रोफ़ाइल वाला लिंक लगा रहा हूं।
आपको हुई असुविधा के लिये मेरी कोई गलती नहीं है फ़िर भी खेद है कि आपको कष्ट हुआ। आप अगर लिंक देख लेते तो शायद सही जगह एतराज करते। लेकिन एतराज में इस पोस्ट का लिंक दे देते गलती से तो फ़िर ग्यारह टिप्पणियों की सजा मिलती इसलिये अच्छा ही किया यहीं अपनी आपत्ति जता दी।
Badi moti moti charchaayen chal rahi aajkal.
जवाब देंहटाएं------------------
अदभुत है मानव शरीर।
गोमुख नहीं रहेगा, तो गंगा कहाँ बचेगी ?
बलिहारी हो ब्लॉग्गिंग की!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया बात-चीत !!
वैसे आजकल चर्चा बड़ी अलग सी चल रही है जिसका संबंध हिन्दी ब्लॉगिंग के भविष्य से जुड़ा हुआ है.
जवाब देंहटाएंकभी-कभी विषय बदल-बदल कर चर्चा करना अच्छा लगता है!
जवाब देंहटाएंफुरसतिया जी का यह डॉयलाग कितना पापुलर है:
जवाब देंहटाएं१.जिसको जितनी अकल होती है, वह वैसी ही बात करता है
आज एक ओर इस कड़ी मे जुड़ा:
जिसको जितनी अकल होती है उतना ही ग्रहण करता है।
-जब कहीं सुनता हूँ कि जिसको जितनी अकल होती है, वह वैसी ही बात करता है -तुरंत फुरसतिया जी का चेहरा मेरे दिमाग में नाचने लगता है वैसे ही जैसे कोई कहे कि ’मेरे पास माँ है’ तो दीवार अमिताभ छा जाते हैं दिमाग में.
इर्ष्या इस बात की है कि मैं आज तक कोई डॉयलाग ऐसा क्यूँ नहीं दे पाया? बस, उसी कोशिश में दिन रात लिखे जा रहा हूँ. शायद, कभी..कुछ ऐसा निकल जाये.
एक कोशिश..इस घटनाक्रम के आधार पर:
समझदार व्यक्ति इसलिये बोलता है क्यूँकि उसके पास बोलने के लिए कुछ है. बेवकूफ व्यक्ति इसलिए बोलता है क्यूँकि उसे बोलना है.
कौन जाने शायद चल निकले, क्यूँ महाराज?? :)
nice
जवाब देंहटाएंमहागुरुदेव अनूप शुक्ल...
जवाब देंहटाएंजिसको जितनी अकल होती है, वह वैसी ही बात करता है...सत्य वचन...
गुरुदेव समीर लाल समीर...
आप जिस डॉयलॉग की तलाश कर रहे हैं कहीं वो ये तो नहीं है...मेरे पास मौज है...
जय हिंद...
बडी कुंठित चर्चा है।
जवाब देंहटाएंसमझदार व्यक्ति इसलिये बोलता है क्यूँकि उसके पास बोलने के लिए कुछ है. बेवकूफ व्यक्ति इसलिए बोलता है क्यूँकि उसे बोलना है.
जवाब देंहटाएंयह बात कुश पर कितनी सही बैठती है? चच्चा बिल्कुल सही कहते हैं। ये भी महामुर्ख है।
एक दशक पहले मैंने खूब चैटिंग की, SMSबाज़ी भी की... जिस किसी भी हिन्दी ब्लागर ने वह दौर देखा है, उसके लिए टिप्पणीप्रथा पर यूं पन्ने काले करना हास्यास्पद ही लगता होगा.
जवाब देंहटाएंटिप्पणी करना ठीक वैसा ही है जैसे कि आप सुबह सैर को निकले और कोई सामने से आता अनजान आपको कहे 'राम राम'...और आप जुट जाएं उसकी राम-राम पर PhD करने...
जिसको जितनी अकल होती है, वह वैसी ही बात करता है
जवाब देंहटाएं@ यह बात इस पोस्ट ने साबित भी करदी |
इसके आगे का सच भी है कि जिसको जितनी अकल होती है उतना ही ग्रहण करता है।
@ बात यह भी सोलह आने सही है अपने पास जितनी अकल है उसने आज यही ग्रहण किया कि ये फालतू वाली चर्चाएँ पढने में अपना समय जाया नहीं करेंगे |
काजल जी की टिप्पणी से भी पूरी सहमती |
इतनी जलन क्यु शुकुल महराज शरम नही आती का?
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकिसि कि photo को पोस्ट में डालने से पहले आपने अनुमति ली है क्या।आप इस पोटो को हटा दीजिये तुरत
जवाब देंहटाएंभईया हम तो निपट गंवैईहा ठहरे, ये उंची-ऊंची बातों के बारे मे क्या कहें? हम तो देखने आये थे कि सुकुल जी ने कहीं एकाध हमारे चिट्ठे की चरचा की होगी तो गोड लागी कह आएं, लेकिन यहां तो फ़िर दिमागी दंगल सजा हुआ है। अकल-सकल अउर नकल का बात हो रहा है,चिट्ठा चर्चा से चरचा ही गायब है,चलो आ गये हैं तो पुन: गोड़ लागी।
जवाब देंहटाएंबेचारे आज बहुत परेशान हुए होंगे... हम तो चले सोने..
जवाब देंहटाएंसच है अनूप शुक्ल बहुत परेशान हुये होंगे।
जवाब देंहटाएंरचना को भि समझ में आ गया कि बिना मकसद ब्लोगिंग करने से समय नष्ट होता हैं और पैसा भी।
जवाब देंहटाएंहा हा हा ....इतना गहरा खेल .....अब समझ में आ रहा है कुछ कुछ ...बाप रे हम तो उतना ही चौंके जितना .....कि मोहरा फ़िल्म में नसीरूद्दीन शाह के चश्मा हटाने के बाद सब चौंके थे ....समय आ रहा है ....पर्दा जो खुल गया तो ...राज खुल जाएगा ....
जवाब देंहटाएंहम तो चुप्पईचाप बैठे हैं ... हाहाहाह्हा।
जवाब देंहटाएंतो ताऊ इतै चीत दिखत है सुकुल जी की चीत कहूं उनको कहबे को अरथ कछु और तो नईं आय बे ठहरे मजाकिया हम ठहरें भोंदू-बसंत
जवाब देंहटाएंएक बात के कई अर्थ निकाले गये
जवाब देंहटाएंऔर फ़िर हर अर्थ के कै अर्थ अब बताइये ये चिट्थो कि चर्चा है या कुछ और
ये जिस स्तर का विचार विमर्श हो रहा है इस मन्च पर कितना उचित है
अनूप जी सवाल आपसे है और सभी पठ्को से भी..........
बातचीत रोचक लगी लेकिन मैं अपनी बात करूंगा। चीन के वर्चस्व पर श्रोताओं में से अधिकतर यह मानने को तैयार नहीं थे कि क्षेत्रीय भाषा या कह दें देश विशेष की भाषा को पकड़े चीन हमसे आगे निकल जाएगा। इसलिए तालियां नहीं बजी। विषय ब्लॉगिंग था और मुड़ गया अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर। कुछ भी हो तालियां नहीं बजने का कारण यह नहीं था कि हमें यकीन नहीं बल्कि इसका कारण था कि अधिकांश लोग असहमत थे। इसलिए तकरीबन हर श्रोता अब ब्लॉग बनाने पर उतारु है। उम्मीद है इस गोष्ठी के बाद अगले छह महीने में बीकानेर के पचास से अधिक ब्लॉग सक्रिय रूप से हिन्दी या अंग्रेजी में चल निकलेंगे।
जवाब देंहटाएंमैंने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट भी किया है कि श्रोताओं में से कौन भारत को चीन की तुलना में श्रेष्ठ मानता है और क्यों।
बाकी जैसा आप सोचें :)
अभी टोरंटो का तापमान -६ डिग्री सेल्सियस है जो कि कल -८ डिग्री सेल्सियस होने वाला है लेकिन हवा के साथ महसूस होने वाला तापमान -१२ डिग्री सेल्सियस रहेगा.
जवाब देंहटाएंआज शाम को नया जैकेट खरीदना है लम्बा वाला.
दो रंग दिमाग में हैं-एक काला और एक भूरा.
बताया जाये कौन सा रंग उचित रहेगा?
कोई कह रहा था कि सफेद ले लो, कन्ट्रास्ट उठ के आयेगा.
यहाँ से गुजर रहा था. लगा इस तरह की बातचीत के लिए यह मुफीद जगह एवं मंच है, तो पूछ बैठा.
कोई अन्यथा न ले.
आप सभी की टिप्प्णियों का शुक्रिया। इसी बहाने नये-नये टिप्पणीकार भी आ गये बुरका-सुरका पहनकर। कित्ती मेहनत करके आये हैं राम-राम करने। आशा है कि ब्लाग में प्रोफ़ाइल बदलकर टिपियाने वाले थोड़ा बहादुर भी बनेंगे और अपने नाम से टिपियाने का जौहर दिखायेंगे।
जवाब देंहटाएंपाबलाजी को उनके चित्र और उनसे संबंधित टिप्पणियों से एतराज था इसलिये उनको हटा दिया गया। पाबलाजी हम क्षमा भी चाहते हैं कि उनको कष्ट हुआ।
जवाब देंहटाएंपाबलाजी, आपके कहने पर आपसे संबंधित चित्र और टिप्पणियां हटाई गयीं। उन्होंने अपने टिप्पणी में जिन अंशों को हटाने की बात कही थी वो चूंकि हटा दिये हैं इसलिये उनकी टिप्पणी भी हटा दी है मैंने। उसके अलावा के अंश इस तरह हैं:
जवाब देंहटाएंश्री अनूप शुक्ल,
आपके द्वारा मेरा, मेरे नाम का उपयोग कर,
xxxxxxxxxxxxx
xxxxxxxxxx
लिख कर किया गया कथित हास्य-बोध व्यंग्योक्ति के रूप में अभिव्यक्त लांछन है। जिससे मैं व्यक्तिगत रूप से बेहद आहत हुया हूँ।
मैं, बी एस पाबला, आपको इस टिप्पणी के माध्यम से आपको सूचित करता हूँ कि
उपरोक्त संदर्भ में, इस टिप्पणी के प्रकाशित होने से अगले 24 घंटों के भीतर, यहीं, इस ब्लॉग की नई पोस्ट या वर्तमान पोस्ट की टिप्पणी में अपने शब्दों के लिए क्षमा (खेद नहीं) माँगते हुए मुझसे संबंधित चित्र व वाक्यांश हटाएँ अन्यथा मुझे बाध्य हो कर आपके विरूद्ध व्यक्तिगत मानहानि के दावे हेतु, स्थानीय न्यायालय में, कानूनी कार्यवाही प्रारंभ करने हेतु अग्रसर होना पड़ेगा।
बी एस पाबला
शुकुल जी,
जवाब देंहटाएंआपका हमरा बिलाग पर पधारने का बहुते धन्यवाद। आपने लंबा चौडा कमेंट छोडा है। और ई भी लिखा है कि अब आप हमरा ब्लाग पर आयेंगे नही, ई का वास्ते आपको जवाब देने यहां आया हूं।
जवाब देंहटाएंतो अब समझ लिजिये कि हमको भी आपका ब्लाग पर आने का शौक नाही है अऊर नाही मैं आऊंगा। आपकी अऊर आपकी गतिविधियों कि सूचना तो हमको हमरा भतीजा लोग देबे ई करता है...
आपका पूरा कमेंट का एक एक शब्द का जवाब तो हम अपना पोस्ट मे ही दूंगा। पर आपको जो गलतफ़हमी हुआ है उसका जवाब अभी यहीं ले लिजिये।
हमको आपका अक्ल पर तरस आता है कि आप बार बार अजय झा जी को इस मामले मे घसीट लिये हैं। ईका मतलब तो ईे भी निकाला जा सकत है कि प्रधानमंत्री अगर देश का बाहर दौरे पर हों और चच्चा पोस्ट नाही लिखे त उस पर भी आप दोनों मे संबंध जोड ही लिजियेगा? वाह क्या बुद्धि लगाईबे किया है शुकुल जी?
जवाब देंहटाएंआप खुद का और कुश का गल्ती तो देखबे ही नाही करते हैं....उल्टे शरीफ़ आदमियों पर इल्जाम लगाये जारहे हो। हमरा आपका झगडा क्या है? कुश ने आपके ब्लाग पर हमारे बारे में आपतिजनक एवम अपमान जनक टिप्पणी की और हमने उसको हटाने का मांग किया त कोनू गलत काम कर दिया क्या?
आप वो टिप्पणी हटा लिजिये हमको आपका और कुश का नाम लेने का कोनु शौक नाही है, और ना ही आप दोनो कोई हीरो हैं..आप दोनो की क्या छवि है यह बच्चा बच्चा जानता है। ज्यादा भ्रम ना पालिये।
जवाब देंहटाएंआगे आपे लिखे हैं "हमारा और कुश का विरोध नहीं करोगे तो आपका ब्लाग पढ़ने कौन आयेगा?" तो शुकुल जी महराज आप लोगन का ई चक्कर मा पडिके तो हमरा ब्लाग का कचरा हुई गवा अऊर आप अऊर कुशवा कौन हालीवुड के आईटम डांसर हो के हमरा ब्लाग आप लोगन का नाम से हिट हो जायेगा? थू... है.... ऐसी सस्ती लोकप्रियता पर..ई आपको अऊर कुश को मुबारक हो..आपका आज का ई पोस्ट भी ऐसा ही घिनौना पोस्ट है जिसमा आप लोगन ने दूसरे ब्लागर्स की इज्जत खराब की है.. हम उन ब्लागर्स का जैसा घुघ्घु भी नाही हूं कि आप लोगन का डर से दुबक के चुप चाप बैठ जाऊं? आपको ई मुबारक हो..अऊर हमको ऐसी लोकप्रियता नाही चाहिये...
शुकुल जी आप अगर समझौता चाह्ते हैं तो सबसे पहले अपना मोबाईल फ़ोनवा ऊठाईये अऊर कुशवा को कहिये की आपका इसी पोस्ट पर सिर्फ़ लिखे..chachcha soory बस हुई गवा काम..इसका बाद आपका अऊर कुशवा का हमसे कोनू संबंध नही ...इसका बाद हम आपका अऊर कुशवा का नाम हमरा ब्लाग का DND list मा डाल दूंगा।
पर हमको मालूम है आप ऐसा नाही करेंगे क्योंकि सस्ती लोकप्रियता तो आपको अऊर कुशवा को चाहिये। क्योंकि आज आपने चच्चा का नाम आपकी पोस्ट मे लिया..चच्चा उसके बाद पोस्ट लिखा है।
मर्जी आपकी है..हम आपको सीधा सा बात बता दिया है। आपको जो करना है...करिये। बकिया जवाब हम अपनी पोस्टवा मा दूंगा।
बकिया हम त खुश ही रहता हूं आप जरा अपना खयाल रखियेगा काहे से की जियादा मौज लेने से भी तबियत कछु गड्ड्मड्ड हो जात है।
कभी कभी विवादों के ओर छोर समझ में न आने से राहत मिलती है... हम समझ ही नही पा रहे हैं कि मसला क्या है... कौन किससे क्या कह रहा है तथा किसकी टीम में कौन है।
जवाब देंहटाएंकरेंसियों के फेकत्व पर बात कहनी थी पर लगता है वो इंतजार कर सकती है।
लगता है मुझे भी न चाहते हुए भी चिट्ठा चर्चा की रीडरशिप त्यागनी होगी -वह वक्त आ गया है अब !
जवाब देंहटाएंपाबला जी की मानहानि तक कर दी गयी यहाँ ! यह तो बहुत अशोभन है ! मेरी भी मानहानि होती अगर
एक इ मेल जो मुझे निजी तौर पर भेजा गया था यहाँ प्रकाशित किया गया होता ! पाबला जी के भी विरुद्ध कुछ कहना था
तो उन्हें पर्सनल मेल ही भेजना था -यहाँ सार्वजनिक पगड़ी नहीं उतारनी थी उनकी !
मिसिरजी, टिप्पणियां पढ़-पढ़ा के कुछ लिखा करिये। कित्ता तो हड़बड़ी में रहते हैं अपनी मन की बात कहने की। देख लेते ध्यान से तो शायद ई-मेल प्रकाशित करने की बात न लिखते।
जवाब देंहटाएंकिससे किससे क्षमा मांगेंगे अनूप जी अब?
जवाब देंहटाएं@ कूप कृष्ण, इस पोस्ट में अब केवल ताऊ और समीरलाल बचे है। ताऊ तो दूर से ही तमाशा देख रहे हैं। दूत भेज रहे हैं और विस्फ़ोट का इंतजार कर रहे हैं। समीरलाल कोट खरीद के आते होंगे। वे आयें और कहीं एतराज करें तो उनसे भी क्षमा मांग लें एक बार बवाल कटे।
जवाब देंहटाएंभाई शुक्ल जी
जवाब देंहटाएंएसा लिखते ही क्यों हो कि क्षमा मांगने के लिए किसी के आने का इन्तजार करना पड़े |
यह कैसा आरोप है अनूप जी? जबकि आपके सम्मान के खिलाफ हमने आज तक कोई बात नहीं की. लगता है कि आज आप गुस्से में आत्म संतुलन खोकर किसी को भी काटने को भाग रहे हैं और कुछ भी लांछन लगा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंमुझको नकाबपोशों की आवश्यक्ता नहीं. वो आपके शौक आपको मुबारक. आपके इन नकाब पोशों से तो हम रोज रुबरु हो रहे हैं. हमे सिर्फ़ इन्हें डिलिट करने के अलावा ज्यादा कुछ सोचना नही पडता.
हम शरीफ लोग हैं, हमारी शरीफाना जिन्दगी में बेवजह दखल न दें. जब शरीफ शराफत छोड़ता है तो उससे खतरनाक दुनिया में कोई नहीं होता. हमें इस हेतु मजबूर न करें, बस, इतना निवेदन है और अपनी यह घिनोनी टिप्पणी अलग कर अपनी असलियत पर परदा डाल लें तो ठीक वरना वाकई हमें लगेगा कि आप अपने आप की औकात उजागर करने पर आ गये हैं तो क्यूँ न सब को आपकी असलियत बता ही दी जाये और आपको पाबला जी से बचने के बाद रायपुर की जगह इन्दौर कोर्ट का निमंत्रण भेजा जाये. इसे नोटिस ही माने और हमारे खिलाफ लिखी टिप्पणी अलग कर क्षमा मांगे. किस तरह की तुच्छ हरकतें हैं आपकी. सहज विश्वास नहीं होता.....
मैं हमेशा से आपकी इज्जत करते आया हूं. पर जो कुछ घटना क्रम चल रहा है पिछले दिनों से, वो आप वट वृक्ष सदृष्य पुरुष की गरिमा के अनुकुल तो नही कहा जा सकता. बेहद अफ़्सोसजनक.....!
रामराम.
लगता है मुठभेड़ शुरु हो चुकी है, क्या किसी जंग का आगाज है ये...
जवाब देंहटाएंdont worry anup.
जवाब देंहटाएंसीत हरत, तम हरत नित, भुवन भरत नहि चूक।
रहिमन तेहि रबि को कहा, जो घटि लखै उलूक।।
राम राम
अब तो कुश (नटखट बच्चा) भी dont worry anup बोलने लग गया? ये क्या होरहा है?
जवाब देंहटाएंall comments nice.
जवाब देंहटाएंवाकई चर्चा बहुत अच्छी रही, जिन वाक्यो का उल्लेख आपने किया वो भी महत्वपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंइतनी शानदार चिट्ठाचर्चा पर इतना भयंकर टिप्पणियात्मक घमासान क्यों है भाई ?
जवाब देंहटाएंअनूपजी हमको तो इहै नहीं समझ आ रहा।
खै़र हम और हमारे उस्ताद दिनेशजी, इन मानहानि और कोर्ट वाली धमकियों से अति प्रसन्न हैं क्योंकि ब्लॉगर लोग जब कोर्ट जाएँगे तो ब्लॉगर वक़ीलों को ही तो याद करेंगे ना। हा हा। आप निश्चिंत रहें।