कई लोगों को लगता है कि भई चिट्ठाचर्चा दोषों की उपेक्षा करती है तिस पर हम जैसे मास्साब को तो चाहिए कि वे जमकर छिद्रान्वेषण करें दोष दर्शन, परदोष प्रदर्शन करें। काहे नहीं करते... इसलिए कि खुद हमारे चिट्ठाकर्म में जितने वर्तनीदोष होते हैं उतने अगर कक्षा में ब्लैकबोर्ड पर हो जाएं तो बालक हड़ताल कर दें :) पर जो अपने दोष देखने लगे वो भी भला कोई ब्लॉगर है.
तो आज की चर्चा आज की पोस्टों में वर्तनी (बोले तो स्पैलिंग) की गलतियॉं खोजने वाली चर्चा है। अलग अलग पोस्टों में जो गलतियॉं हैं उन्हें बोल्ड भर कर रहे हैं आप उनके सही रूप को सुझा सकते हैं। पोस्टों के लेखक इसे शुद्धतावाद न मानें ज्यादा से ज्यादा हमारे अपने होने को जस्टीफाई करने की कोशिश मान सकते हैं :)। वैसे गलत स्पैलिंग कोई बहुत बड़ा दोष नहीं है तथा हम खुद पर्याप्त समर्थ दोषी व्यक्ति हैं पर हॉं इस तक में हम सबसे समर्थ नहीं हैं। इस हुनर के सबसे माहिर उस्ताद अपने कुन्नु भाई हैं.. हैं कि नहीं।
तो चलते हैं आज की पोस्टों की ओर-
मत विमत की अनुजा ने स्त्री प्रश्न के धर्म जैसी संस्थाओं के स्त्रीविरोध को पुन: कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है...बहुत ही दमदार पोस्ट है जिसपर आस्था के मारे कई पाठक आ आ के सफाई सी दे रहे हैं ... धत्त हम तो पोस्ट की तारीफ करने लगे जबकि हमें तो गलती खोजनी हैं सो देखें
बाबजूद इसके स्त्रियां धर्म और ईश्वर के प्रति इस कदर प्रतिबद्ध नजर आती हैं
जहां से वो कभी बाहरर नहीं आ पाती।
उन लड़कियों को जो या तो परिक्षा देने जा रही होती हैं
इसे उनका एक महत्वपूर्ण क्रांतिकार कदम कहा-माना जाएगा
इस मामले में बतंगड़ के हर्षवर्धन एक दम बेकार पत्रकार हैं हम पूरा आलेख चाट गए पर वर्तनी की गलती न खोज पाए ... ये ठीक बात नहीं है... दूसरे की रोजी का भी ध्यान रखना चाहिए भई। भारतीय नागरिक ने भी पत्रकारीय लेख लिखा है पर कम से कम हमारे लिए थोड़ी गुंजाइश रखी है न-
शायद उन्हें यह पता नहीं होगा कि शाह बनो को गुजरा भत्ता न देने के लिए
चोखेरबाली पर एक अ-चोखेरबाली पोस्ट है जिसमें एक 'बेचारी' बहन की पीड़ा दिख रही है जिसमें अरैंज्ड विवाह के बेबात के तनावों पर बात की गई है...स्त्री विमर्श...वो पता नहीं-
बस उनके बोल बचन अच्छे नहीं लगे।
भाजपा नेत्री किरध महेश्वरी के ब्लॉग पर कश्मीर में सेना बनाए रखने के पक्ष में तर्क दिए गए हैं-
जम्मू कश्मीर राज्य में आंतरिक सुरक्षा की स्थिती भयावह बनी हुई है।
केन्द्र सरकार विस्थापित पंडितों के पुर्नवास के लिए कदम क्यों नही उठा रही है।
वंदना अवस्थी की कहानी अनिश्चितता में
मैंने भी अपना सूटकेस और बैग सम्हाला और एक डिब्बे की तरफ़ चल पड़ा
उसके जाते ही घर के माहौल में जिस तेज़ी के साथ परिवर्तन हुआ, उसे देखते, मह्सूते हुए घर में रह पाना बड़ा मुश्किल था,
एक लड़के को ट्यूशन पढ़ने लगा था
कहानी गिरीजेश राव की प्रिंटर की धूल और मोटी रोटियॉं भी है पर दोष वही है हर्षवर्धन वाला पूरी कहानी पढ़ लो एक गलती न मिले... कित्ता बुरा लगता है सोचो सुबह से शाम हो जाए कंटी डाले एक मछली न फंसे ... नो गुड।
घुघुतीजी की ऑक्टोपस प्रजाति की आदत पर पोस्ट
एकऔक्टॉपस की प्रजाति तो ऐसा बिल्कुल नहीं सोचती
रवि रतलामीजी को मंथन पुरस्कार प्राप्त होने पर संजीव की पोस्ट
निश्चित ही रवि भईया के इस प्रयास से छत्तीसगढी भाषा का विकास संभव होगा एवं जमीनी स्तर पर अधिकाधिक लोगों को कम्प्यूटर तकनीकि का ज्ञान सहज रूप से प्राप्त हो सकेगा.
जो रिक्शे चला रहे हैं
जो चाय बना रहे हैं
और गुब्बारे बेच रहे हैं
तभी तो हौंसला बना है मुझमें
भीड़ की विपरीत दिशा में चलने का
वर्तनीदोष पराक्रम में गिरिजेश राव और हर्षवर्धन भाई जैसे त्रुटिकृपण लोग रंगनाथजी से शिक्षा ले सकते हैं जो शीर्षक से ही बोल्ड हैं-
दो व्यस्क स्त्री और पुरूष किन-किन शर्तों पर शारीरिक संबंध बना सकते हैं ?
जो औरतें या पुरूष संस्थागत रूप से वेश्यावृत्ति को अपनाते हैं
वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता देने या देने की बहस का केन्द्रिय प्रश्न यह है
सुनीता सर्दी में स्नान पुराण लेकर आई हैं-
हर सुबह उस व1त उनका मूड उखड़ जाता है, जब पत्नी न नहाने पर बार-बार उलाहना देती है।
अरे भाभी जी, सर्दी में नहाना अति उत्तम है, और वह भी ठंडे पानी से तो समझो कि सो रोगों की दवा।
खैर शर्मा जी को विप8िा में देख मौजीराम ने दोस्त होने का फर्ज निभाया और उन्हें शीत स्नान का नुसखा बताया।
जिन पोस्टों का उल्लेख हम नहीं कर पाए हैं अनिवार्य नहीं कि उनमें वर्तनी की गलतियॉं हैं नहीं.. बस इतना समझें कि ग्लानि सर उठा रही है कि बस करो अगर किसी ने लौट कर आपके ब्लॉग से कापी पेस्ट शुरू कर दिया तो कहॉं जाओगे... सा हमारी ओर से भी शास्त्रीजी की ही तरह ईसा जयंती की शूभकामनाएं-
ईसा-जयंती के इस पावन पर्व पर
आप सब को ईश्वर की असीम आशिष प्राप्त हो
मसिजीवी जी बिल्कुल मास्साब टाईप चर्चा रही, इस टाईप चर्चा की भी आवश्यकता है ताकि वर्तनी में हम सुधार ला सकें. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंझकास ठेले है ........सेंटा भाई किधर तक पहुंचे ?
जवाब देंहटाएंअतिरिक्त बिंदी हटा रहा हूँ
जवाब देंहटाएंचलिए, हम चर्चित तो हुए! वैसे मैं तख्ती पर लिखती हूँ। इस पर ऑ लिखने की सुविधा नहीं है। किन्तु ऑक्टोपस के टो की तो है। वैसे १० वर्ष गुजरात में रहकर ए व ऐ का भेद करना भूल गई हूँ। बेल्ट है या बैल्ट, बैग कि बेग आदि अंग्रेजी के शब्दों में खूब अटकती हूँ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
वर्तनी को महत्त्व दिया. आभार. भूलें हमशें बहुत होती है. कोशिश जारी है. कभी शुद्ध लिख ही लेंगे.
जवाब देंहटाएंयहाँ दिखाई गई भूले ज्यातर टंकण के कारण हुई दिख रही है.
हमशें = हम से
जवाब देंहटाएंबहूत हि बढीया लगि ये चरचा....
जवाब देंहटाएंधनयाबाद !
मस्त चर्चा
जवाब देंहटाएंकुछ खाँटी ब्लॉगर अपनी अशुद्ध वर्तनी वाली टिप्पणियों और पोस्टों के लिए ही मशहूर हुए हैं। लेकिन आप उनका एक भी उदाहरण नहीं दे सके। इसका मतलब यह तो नहीं कि आप भी डर गये...! :)
जवाब देंहटाएंइस काम को तो जारी रखना चहिए.....मैं भी बहुत गल्तीयां करता हूँ...आप बताते जाएं हम सुधारते जाएंगें अपने आपको....। वैसे अब अपनी भी कोशिश रहती है कि वर्तनी दोष से बचे रहें। लेकिन होती ही रहती हैं..
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है। धन्यवाद।
सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंअरे हम से भी तो होती है ऎसी भुले, अब हम क्या बोले??
जवाब देंहटाएंभाजपा नेत्री किरध महेश्वरी :) :) :)
जवाब देंहटाएंफँस गए ना मास्साब आप भी :)
आपके डर से ही तो हमने ...... आज अपनी पोस्ट में कुछ ज्यादा लिखा ही नहीं ?
जवाब देंहटाएंचर्चा का एक नया रंग ...पसंद आया |
आगे भी ऐसे आईने दिखाते रहिये |
..........अब हम जा रहे हैं ...आपके ब्लॉग!
संजीव जी ठीक कह रहे
जवाब देंहटाएंबिल्कुल मास्साब टाईप चर्चा रही
बी एस पाबला
इस्पेलिंग जो न कराये...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मसिजीवी जी, यद्यपि आपने बर्र के छत्ते को छेड़ा है मगर प्रशंसनीय "थैंक लेस " काम किया है!मगर अंगरेजी में वो कहावत है न चैरिटी बिगिन्स ऐट होम ...
जवाब देंहटाएंइसलिए आशा है खुद चिट्ठाचर्चा के सदस्य लेखक इस और ध्यान देगें -उचित हो एक बार श्री अनूप शुक्ल जाँच कर प्रविष्टियों को प्रकाशित किया करें!
यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि यह मुद्दा इस बैनर तले बोल्ड तरीके से उठा है और मैं भी हिन्दी में वर्तनी दोष को भाषाई पाप से कुछ कम नहीं समझता .
मगर यह मतलब नहीं है कि विषयगत/तकनीकी विद्वानों का भाषा ज्ञान भी भी उतना ही समुन्नत हो/है -उनके पान्डुलेख को किसी के द्वारा देख लिया जाना चाहिए !
यह सेवा कोई सहृदय देने के लिए आह्वान भी कर सकता है ! नहीं तो अल्प भाषायी ज्ञान के बावजूद अपुन तो हैं ही -कोई भी अप्रोच कर सकता है!
परिशुद्धता की पूरी गारंटी तो कविता वाचकनवी, हिमांशु ,गिरिजेश ,अमरेन्द्र ,गौतम राजरिशी आदि के यहाँ मिल सकती है !
जिस विषय पर चर्चा हो रही है उसके मुताबिक पहले तो ये देखना चाहिये कि शुद्ध शब्द ‘वर्तनी’ है या ‘वर्त्तनी’
जवाब देंहटाएंकन्फ्यूजिया गया हूँ ....मुझे तो लगा था .क्रिसमस के मौके पर ...केवल हास-परिहास की दृष्टि से लिखा गया है ? नहीं क्या ? खुद अपुन की इतनी स्पेलिंग मिस्टेक है पूछिए मत .........
जवाब देंहटाएंबहऊत सन्दुर रहि ये चर्छा!
जवाब देंहटाएंअरे जबरदस्त चर्चा मास्साब ...एक अदम अनूठा।
जवाब देंहटाएंलेकिन अब कहीं ऐसा न हो कि लोग-बाग चर्चा में आने के लिये खूब-खूब सारी अशुद्धियां करने लगें।
@ cmpershad शुक्रिया।। अभी ठीक करता हूँ। वही टंकणदोष है इस बार की चर्चा में काफी कम हैं :)
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसोच रहा हूँ आइंदा से एकाध ग़लतियाँ जानबूझ कर पोस्ट में डाला करूँ.. शायद मास्साब का हमारी कॉपी पर भी ध्यान जाये..
जवाब देंहटाएंएक अनछुए पहलू की शानदार चर्चा..
हम्म्म अब सावधान रहने के दिन आ गए
जवाब देंहटाएंनियम से कॉपी जँचाई होने लगे एकाध महीने में, तो सब बच्चा लोग सुधर जायेंगे । बहुत सही शुरुआत ।
जवाब देंहटाएंज्यादातर भाई बंद समझ लेते हैं कि कहने वाला क्या कह रहा है लेकिन वर्तनी की गल्ती फ्लो को खत्म कर देती है। इस कोण से देखें तो वर्तनी की शुद्धि जरूरी है। वैसे एक ब्लॉगर के लिए नियिमत रूप से लिखना और लेखन में बना रहना बड़ी चुनौती है। नए विषय और उन पर विचारों की शृंखला बनाए रखना काफी टेढ़ा काम है। ऐसे में कुछ गलतियां हो जाएं तो कोर्इ खास बात नहीं और न हो तो उससे बेहतर और कुछ नहीं...
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए आभार मसिजीवीजी
चर्चा का ये रूप काबिल-ए-तारीफ है!
जवाब देंहटाएंधन्य हुए आचार्य जी !
जवाब देंहटाएं'सही' लिखने में 3 मुद्दे हैं:
(1) आप को यह ज्ञात है कि क्या 'सही' है।
(2) आप नहीं जानते या शंका है तो आप तब तक नहीं लिखते जब तक 'सही' जान न लें। इसके लिए किसी भी तरह का श्रम आप करने के लिए तैयार हैं और आप करते हैं।
(3) या तो आप देवनागरी टाइपिंग जानते हैं या आप का टूल सभी अक्षर और उनके विन्यासों को अंकित करने में सक्षम है।
मुझे देवनागरी टाइपिंग नहीं आती है। मैं Indic IME1 v5.0 का प्रयोग करता हूँ। आज तक इसे हर तरह से सक्षम पाया है, जब कि मैं ट्रांसलिटरेसन का प्रयोग करता हूँ।
देवनागरी टाइपिंग मुझे अपने देश के भूदृश्य से गुजरने जैसी लगती है। .. आप हाइवे पर मस्त जा रहे हैं, पक्की कांक्रीट वाली मस्त सड़क कि अचानक एक क़स्बा मिलता है। बुध की बाज़ार - सड़क के किनारे। मस्त भींड़ बेपरवा। अब आप उसके बीच से कैसे कलाकारी करते गाड़ी चलाते हैं - पहले या दूसरे गियर में। तो बस ऐसे ही जब कठिन शब्द आएँ तो गियर बदलना और सतर्क हो जाना आवश्यक हो जाता है। मेरी मानिए - कुछ दिनों में ड्राइविंग की तरह अभ्यस्त हो जाएँगे।
मेरे जैसा आदमी भी जब 30 की उमर पार करने के बाद ड्राइविंग सीख सकता है तो किसी के लिए कुछ भी कठिन नहीं !
मेरा बैकग्राउण्ड भी इंजीनियरिंग का रहा है , साहित्य का नहीं। आज भी मैं अपने सरस्वती बाल विद्या मन्दिर के आचार्यों को याद करता हूँ जिन्हों ने 'सही' लिखना सिखाया और कोई कोताही नहीं दिखाई।
यकीन कीजिए देवनागरी में 'सही' लिखना उतना ही आसान या कठिन है जितना रोमन में correct लिखना।
भैया, बहिनी! अब कोई क़्वींस इंग्लिश और स्लैंग या एस एम एस का मुद्दा न उठा देना ;)
मूलभूत अनुशासन तो रहना ही चाहिए।
आशिष में क्या गलती है?
जवाब देंहटाएंआशीष शब्द गलत है, आशिष सही है. कहीं आशीर्वाद के साथ घालमेल तो नहीं हो गया आप की सोच में ?
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.IndianCoins.Org
@शास्त्रीजी आशीर्वाद के साथ घालमेल नहीं... पर आशिष को छोड़ दिया जाना चाहिए था। कक्षा में आशीर्वाद के साथ ही आशीष पर चर्चा करते हैं... वृहत हिन्दी कोश आशिष को मान्यता देता है जबकि हरदेव बाहरी कोश में आशीष ही स्वीकृत है। प्रचलन की दृष्टि से आशीष ज्यादा उपयुक्त है।
जवाब देंहटाएंअस्तु आशिष को अबोल्ड कर रहा हूँ।
हम तो हर वाक्य में कम से कम दो गल्ती करतें है.. सुधरती ही नहीं.. पर अब गूगल आई ऍम ई आया है शायद कम गल्ती करें...
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहम तो शीर्षक देखते ही सकते में आ गये, क्योंकि पता है कि हम से बहुत ज्यादा गलतियाँ होती हैं, जिसे हम टाईपिंग मिस्टेक कह कर पीछा छुड़ा लेते हैं.....!
जवाब देंहटाएंअवश्य ही हमारे चिट्ठे तक सवारी आई ही नही होगी स्याहीजीवी जी की ....!
पहली बार किसी को ना आने का धन्यवाद देने का मन हो रहा है....!
मुझे यह प्रयास बहुत अच्छा लगा. मैंने उस दोष को हटा दिया है. दर-असल हिन्दी लिखते समय जब हम गलतियां करते हैं तो उसे dilute कर देते हैं, लेकिन क्या आपने अंग्रेजी में गलतियां देखीं हैं. नहीं. क्योंकि हम अपनी राष्ट्र भाषा को मात्र भाषा मान लेते हैं. आप की चर्चा बहुत सुखद थी.
जवाब देंहटाएं