उदय प्रकाश जी वाले मसले पर अब इस ब्लॉग पर कोई पोस्ट नहीं लगेगी. लगेगी तो उसे हटा दिया जाएगा. इस पर काफ़ी चर्चा हो चुकी है. कुछ सवाल थे जिनका जवाब, मुझे उम्मीद थी कि मिल जाएगा. पर ऐसा नहीं हुआ. उल्टे कुछ ऐसे ग़ैरज़रूरी सवालात उठाए गए जिनका कोई मतलब मुझे तो नज़र नहीं आताइस मामले पर निर्मलानन्द अभय ने भी अपनी बात रखी थी। उनका कहना है:
और एक दुख की बात ये भी है कि हम लोग बेहद असहिष्णु हो चुके हैं। किसी भी छोटी सी ग़लती को हम नज़रअंदाज़ करने को तैयार नहीं। मित्रों ने उदय प्रकाश पर जम कर आक्रमण किया मगर शालीन। पर देख रहा हूँ कि उदय जी आक्रमण से तिलमिलाकर अपनी शालीनता का विस्मरण कर बैठे। और उन्होने उलटा आरोप लगाया है कि उन की आलोचना करने वाले सभी लोग साम्प्रदायिक, जातिवादी और न जाने क्या क्या हैं।
मसले पर उदयप्रकाशजी ने लिखा:
मैं अपना पक्ष कल रख दूंगा. सभी प्रगतिशील और वामपंथी दलों-संगठनों से जुड़े लेखकों और अपने सभी पाठकों से अपनी इस भूल के लिए सच्चे और खुले मन से क्षमा भी मांग लूंगा. लेकिन मैं आहत हुआ हूं, इस सच को छुपाना भी नहीं चाहता.जनता उदयप्रकाशजी की क्षमा याचना के इंतजार में ले तेरे की- दे तेरे की कर रही है।
मैं आप सब के प्रति कृतग्य हूं और मैं जानता हूं कि आप सब मेरे लेखन के माध्यम से मुझे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं. मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ आप सब की वजह से हूं और आपको मैं कभी खोना नहीं चाहूंगा. अगर आपको भी इस से ठेस लगी है तो उसके लिए दोषी मैं ही हूं.
कल मैं अपनी क्षमा याचना अपने ब्लाग पर दूंगा.
पीयूष पाण्डेय ने स्टार प्लस के द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम सच का सामना के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुये लिखा:
फिलहाल,स्टार प्लस पर यह कार्यक्रम टीआरपी बटोरने में सफल हो सकता है क्योंकि इस तरह का कोई कार्यक्रम भारतीय टेलीविजन पर कभी नहीं आया। लेकिन,हॉट सीट पर सोच समझकर बैठे प्रतियोगी इन सवालों के झंझावत से हिलेंगे-इसमें संदेह है। क्योंकि,जिन सवालों का सच चौंकाने वाला होगा, वो 'फुके हुए बम' होंगे, और सच विस्फोटक हो सकते हैं-वो अपने आप में पूरा सच नहीं होंगे। पहले एपिसोड के बाद मेरा यही निष्कर्ष है। बाकी देखते हैं आगे होता है क्या।
इसी कार्यक्रम के बारे में आवेश तिवारी कहते हैं :
मुझे आश्चर्य होता है उन स्त्री पुरुषों पर जो इस तरह के धारावहिकों में शामिल होने के लिए सहर्ष राजी भी हो गए ,अपना अपना पोलिग्राफिक टेस्ट कराया ,और जिंदगी के सच की लड़ाई में तार तार होने के बावजूद बैठ गए हॉट सीट पर!
गौतम राजरिशी अपनी गजल पेश करते हैं:
है मुस्कुराता फूल कैसे तितलियों से पूछ लो
जो बीतती काँटों पे है, वो टहनियों से पूछ लो
लिखती हैं क्या किस्से कलाई की खनकती चूडि़यां
सीमाओं पे जाती हैं जो उन चिट्ठियों से पूछ लो
डा.अनुराग आर्य आज फ़िर मुए इश्क के किस्से सुना रहे हैं:
मोहब्बत ही ऐसी शै है जिसे करने की कोई वजह नहीं होती....यूँ भी हर पेचीदा इश्क की बुनियाद में वही सादा दिल होता है … सपोटिंग रोल में कुछ हमदर्द दोस्त ….…..सिगरेटों के ठूंठे .. जगजीत सिंह ओर एक हेंड्ससम सा रकीब …
अनिल कान्त मुखौटे पर मुखौटे देखते हैं!
ज्ञानजी आज लदान के विवरण बता रहे हैं। देखिये वे बताते हैं:
मैने हुन्दै का एक नया पे-लोडर देखा जिसमें चालक का चेम्बर वातानुकूलित है और जो एक बार में छ टन कोयला उठा कर वैगन में डालता है। इसे देख एकबारगी मन हुआ कि पे-लोडर का चालक बना जाये!
वीनस केशरी अपनी समस्या बता रहे हैं वे खूब ब्लाग पढ़ते हैं लेकिन समय की कमी के कारण टिपिया नहीं पाते:
मैं अच्छी तरह जानता हूँ की मेरे टिप्पडी करने, ना करने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला मगर जब से मैंने टिप्पडी करना बंद किया है दिल बहुत बेचैन रहने लगा है जैसे कोई व्यंजन तो खा लिया हो मगर बता नहीं पा रहा हूँ की व्यंजन कैसा था, या कोई बरसों का बिछडा यार मिला हो और बात करने की मनाही हो
अनीता जी घुघुती जी से मुलाकात के किस्से बताते हुये लिखती हैंहाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था
योगश गु्लाटी सवाल पूछते हैं- क्या नारी भी पुरूष का इस्तेमाल करती है? । पूछने के पहले वे डिस्क्लेमर लगा देते हैं- नारी ब्लॉग को नाराज कराने की मेरी मंशा नही ! इस पर अनामी ने टिपियाया:
आप लोगों को और कुच काम नही है क्या? ये क्या लगा रखा है जब चाहो तब नारी..पुरुष ..नारी पुरुष..लगा रखा है..जरा समाज मे हो तो समाज के नियम और मर्यादाओं मे रहना सीखिये। खबरदार आगे से ऐसा कुछ कहा सुना या टिपियाया तो।
अमित को और कुछ समझ में नहीं आया तो हनीमून की दुविधा में फ़ंस गये।
जितेन्द्र भगत ने ब्लाग के महत्व को रेखांकित करते हुये कहा:
साहित्य के क्षेत्र में प्रतिवर्ष नगण्य शोधकार्य ही अपनी मौलिकता और सर्जनात्मकता के कारण चर्चा का विषय बनते हैं। आज जब एक से एक घटिया विषयों पर शोध-कार्य हो सकता है, किसी प्रोफेसर/प्राध्यापक के मित्र कवि के रद्दी काव्य-संग्रह को शोध के काबिल समझा जा सकता है तो मुझे लगता है कि हमारे ब्लॉग जगत में एक-से-एक अनमोल हीरे हैं, जिनके रचनात्मक विवेक को किसी महान रचनाकार से कम नहीं ऑका जा सकता। सवाल है कि हम ऐसी रचनाओं को एकमत से स्वीकार करें और निरपेक्ष भाव के साथ उसके साहित्यिक महत्व का मूल्यांकन करें।
आगे वे ब्लागर साथियों से कहते हैं:
मित्रों, भरोसा रखें, आप इतिहास रच रहे हैं,ब्लॉग में साहित्य रच रहे हैं, अभी शैशवावस्था में कुछ अस्थिरता जरूर नजर आ रही है मगर इसका भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है।
ज्ञानजी तो ब्लाग पर पीएचडी हथियाने के चक्कर में हैं:
वाह, कुछ हो न हो, एक आध पी.एच.डी. ठेल सकते हैं लोग! :)
अजय कुमार झा बखानते हैं:
जब भी हम पगलायेंगे,
इक पोस्ट लिख कर जायेंगे,
जितना तुम तिलमिलाओगे ,
हम उतना लिखते जायेंगे,
फालतू में जो उकसाया तो,
आईना तुम्हें दिखाएँगे,
यूँ ही ना माने तो,
तुम्हें इक अलग राह दिखाएँगे,
जिस दिन मत्था घूम गया,
सीधे घर तुम्हारे आयेंगे,
या तुम कर देना इलाज हमारा,
या हम तुम्हारा कर आयेंगे,
जिस दिन सटका दिमाग हमारा,
तुम्हें दुनिया के सामने ले आयेंगे....
एक लाईना
- "हम नौ-दस परसेंट की रेट से ग्रो करेंगे" :उससे क्या होगा?
- सुना है रात भर बरसा है बादल : गीली धरती ने शिकायत की है
- तुम सीता बनना :हनुमान बनने में हमेशा मुंह फ़ुलाये रहना पड़ता है
- पत्नी जब ब्लेक मेल करे, तो क्या करें? : स्विस बैंक के लाकर में जमा हो जाओ।
- वो जिसे इश्क कहता था :वो कापी-प्रोटेक्टेड निकला
और अंत में
आज लगता है शिवकुमार मिश्र "हम नौ-दस परसेंट की रेट से ग्रो करेंगे" का अपना वायदा निभाने में जुट गये और चर्चा बिसरा दिये। मजबूरी में हमें माउस हिलाना पड़ा। का करें!बकिया अब क्या कहें? इत्ता बहुत है। बाकी कल की चर्चा में देखियेगा ! शुभरात्रि!
hame bhee ghaseet liye :)
जवाब देंहटाएंbahiya haiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii
venus kesari
बहुत बढ़िया चर्चा..शिव बाबू कहाँ गुम गये?
जवाब देंहटाएंचर्चा शिव-ज्ञान से उदय होकर अपना प्रकाश बिखेरती हुई शिव-ज्ञान पर ही अस्त हो जाती है ,
जवाब देंहटाएंबड़े बड़े पेड़ों पर धूप खिल रही है ,
कुकुरमुत्ते मुरझा रहे हैं,
प्रकृति का बड़ा ही मनोरम दृश्य है .ईश्वर की रचना अनुपम है .
चर्चा भी कम अनूपम नहीं है !
बढियाँ बटोरन !
जवाब देंहटाएंमजबूरी में हमें माउस हिलाना पड़ा। का करें!
जवाब देंहटाएं------------
हिलता रहे - स्विंग करता रहे यह चूहा!
अजी अब तो उदय प्रकाश जी की पूँछ छोड़ दीजिये...
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर: उपरोक्त पंक्ति केवल मौज लेने के उद्देश्य से लिखी गयी है.. :)
" नारी ब्लॉग को नाराज कराने की मेरी मंशा नही !".....
जवाब देंहटाएंतो क्यों न एक पुरुष ब्लाग खोल दिया जाय!
डिस्क्लेमर: उपरोक्त पंक्ति केवल मौज लेने के उद्देश्य से लिखी गयी है.. :)
अहा...अपनी अदनी-सी ग़ज़ल की चर्चा देखकर मन पुलकित है...
जवाब देंहटाएंतो क्यों न एक पुरुष ब्लाग खोल दिया जाय!
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर: कोई चाहे तो मान ले कि उपरोक्त पंक्ति केवल मौज लेने के उद्देश्य से लिखी गयी है :-)
मस्त मस्त चर्चा कल समय की कमी से कुछ ब्लॉग छूट गए थे आपके दिए गए निशानों से वहां पहुँच गए ...विवेक कम शब्दों में आजकल गहरी बात कहने लगे है.....
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर:वैसे एक दूसरे के इस्तेमाल को बकोल टाईम्स ऑफ़ इंडिया आजकल "इमोशनल इंटेलिजेंस "कहते है
महोदय ,मेरा नाम शर्म शर्म शर्म शर्म नहीं आवेश तिवारी है ,ऐसा नहीं लगता आपकी यह चर्चा आपके इर्द गिर्द सिमित होकर रह गयी है |मैं गलत भी हो सकता हूँ |उदय प्रकाश जी का मसला क्या प्रासंगिक था ?और संभव हो तो बताएं कि हम व्यंग पढ़ रहे हैं या खालिस चर्चा कर रहे हैं |
जवाब देंहटाएंआवेश तिवारी जी, आपका नाम सही कर दिया है। ध्यान दिलाने के लिये शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंकुकुरमुत्तो की खेती मे प्रवीण हैं चर्चा करने वाले
जवाब देंहटाएंदिस्क्लैमेर ये लाइन मौज के लिये नहीं लिखी
गयी हैं और नहीं शब्द साईलेंट हैं .
@ फ़लाँ, फ़लाँ & फ़लाँ जी,
जवाब देंहटाएंजब चिट्ठों में 'उदय प्रकाश' ऐसे नाम के व्यक्ति मौजूद हैं तो चिट्ठा चर्चा से उनका बहिस्कार करने की माँग क्यों जोर पकड़ रही है , यह समझ नहीं आया .
क्लेमर : ऊपर की बात फ़लाँ जी को नाराज करने के उद्देश्य से लिखी गयी है :)
चूहा ब्लॉग छोड़ भाग निकला है
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा..
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर: उपरोक्त पंक्ति केवल मौज लेने के उद्देश्य से लिखी गयी है.. :)
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(सब डिस्क्लेमर लगा रहे थे इसलिये हम भी लगा दिये. फैशन जब चल निकलता है, तो ऐसा ही न होता है)
बहुत बढ़िया चर्चा....पोस्ट सेलेक्सन में बड़ी मदद कर जाती है आपकी चर्चा...आभार.
जवाब देंहटाएं"सब" डिस्क्लेमर
जवाब देंहटाएंdisclaimer and now sub disclaimer !!!!!
चर्चा और डिस्कलेमर दोनों के मजे है :))
जवाब देंहटाएंचर्चा से कुछ बहुत खूबसूरत और जरूरी लिंक मिले । आभार ।
जवाब देंहटाएंका शुकल जी..मने हमरे पग्लाने को भी आप चर्चियायिगा...ठीक है गुरु एगो चर्चा में खाली आपही के पोस्टवा सब को ठेल देंगे..तब नहीं कहियेगा की आओ तुम्हरा कान खींचते हैं..
जवाब देंहटाएंऊ जो दिस्क्लैमेर्वा चला आ रहा है..इहाँ चेप कर पढिये )
जवाब देंहटाएंबढ़िया लुहाये हो, भाई जी..
शानदार लिंक मिले, आभार !
बड़िया चर्चा, बहुत सारे रोचक लिंक मिले। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह मौज के साथ लिखी चर्चा ....!
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