नमस्कार ! चिट्ठा चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है ।
शेक्सपियर दादा बहुत गलत कह गए कि नाम में क्या रखा है । आज लगता है कि नाम में ही सब कुछ रखा है बाकी तो कुछ हईये नहीं ।
समीर लाल 'समीर' 'उड़नतश्तरी वाले' उर्फ़ स्वामी समीरानन्द बाबा के नाम से कौन परिचित नहीं होगा ? आखिर सब हिन्दी ब्लॉगर उन्हें अपना आदर्श मानते हैं । हम भी उनके भक्त हैं । पर एक ब्लॉगर जो अपना ब्लॉग YUVA नाम से चलाते हैं । पूछते हैं कि "समीर लाल उड़नतश्तरी वाले" : आख़िर इस नाम का राज क्या है ? आगे वे कहते हैं :
सबसे पहले तो गुस्ताखी माफ़! पर जब से मैंने 'समीर लाल उड़न तश्तरी वाले' का नाम ब्लॉगवाणी पर देखा तभी से मेरे पेट में दर्द शुरू हो गया। वैसे तो मैंने भी बाबा समीरानंद को इस नए नाम की बधाई आनन-फानन में दे डाली ताकि कोई और पहले से इसका कॉपीराइट लेने के बारे में विचार शुरू न कर सके। पर अब तक नहीं समझ पाया कि आखिर इस नाम की जरूरत क्यों पड़ी - 'समीर लाल उड़न तश्तरी वाले'!हमें यह मामला प्रथम दृष्टया टिप्पणी पर्याप्त संख्या में न पहुँचने का लगता है । बाकी तो जाँच समिति अपनी रिपोर्ट देगी तो सच से सामना हो ही जायेगा ।
सच का सामना करने से कुछ लोग बुरी तरह भयभीत हैं । बस चाहते हैं कि यह बला किसी तरह सिर से टल जाय तो जान में जान आये । उन लोगों की तसल्ली के लिए बता दें कि अभी किसी को जबरदस्ती सच का सामना कराने की सरकार की कोई योजना नहीं है । सब अपने अपने राज छुपाकर रख सकते हैं । योगेश समदर्शी जी पूछते हैं यह कैसा सच! और किसका सच?
रवि रतलामी जी आज विष्णु बैरागी का आलेख : सामना नहीं, सच का साथ पढ़वा रहे हैं ।
नुक्कड़ वालों को अखबार में अशुद्ध शब्दों की भरमार से ऐलर्जी है । हाँ थोड़े बहुत अशुद्ध शब्द हों तो शायद चल जायें ।
अरविन्द मिश्रा जी आज लोगों को कनफ़्यूज करने में लगे हैं । कटोरी में कुछ भरकर पूछते हैं कि इसे बूझिये ! पर लोग फ़र्श का डिजाइन देख रहे हैं । आप कुछ बता सकें तो ट्राई कर सकते हैं ।
राजस्थान की धरती ने बहुत से देश पर मर मिटने वाले वीरों को जन्म दिया है । आज रतन सिंह शेखावत से जानिये राव जयमल के बारे में । बड़ी इण्ट्रैस्टिंग स्टोरी है । अठे क उठै ( यहाँ कि वहाँ ) ।
अब रात बहुत हो गई है । हमें सुबह जल्दी नौकरी करने जाना है इसलिए ज्यादा भाषण नहीं देंगे । हम पहले ही एक भाषण दे चुके हैं । समीर जी के समर्थन में ( कृपया नारियाँ न पढ़ें ) । पुरुष चाहें तो वहाँ जाकर पढ़ सकते हैं ।
चलते-चलते : आज प्रस्तुत है : ब्लॉग चरित मानस
ब्लॉग चरित मानस मिलि गावा । विवेक सिंह कृत कथा सुनावा ॥
पुनि-पुनि कितनेहु पढ़े पढ़ाएं । बार- बार टिप्पणि टपकाएं ॥
ब्लॉग जगत के द्वार पर, कुर्सी एक जमाय ।
बैठ गए आराम से, आसन लिया लगाय ॥
ब्लॉगर भीतर आवत देखे । पोस्ट हाथ में लावत देखे ॥
सबहीं द्वार तलाशी दीन्हा । सबका पोस्ट भेद हम लीन्हा ॥
वाचस्पति अविनाश पधारे । माँगत रहत सलाह बिचारे ॥
मुफ़्त सलाह लोग टपकावें । वाचस्पति मन में हरषावें ॥
कविता एक सदा लिखि डारीं । तन नश्वर इति गिरा उचारीं ॥
सुकुल अनूप कानपुर बारे । चिट्ठा चर्चा सहित पधारे ॥
नीरज गोस्वामी का परचा । लिखा किताबन का कछु चरचा ॥
सच जैसा कछु कहत मनीषा । तारा-धन चैनल कर टीसा ॥
दरिया-कतरा अदा बखाना । कविता भावपूर्ण हम जाना ॥
बालसुब्रमण्यम चलि आवा । शांतिदूत इति कथा सुनावा ॥
छप्पर फाड़ फीड जब डारी । पी डी भये मन तृप्त सुखारी ॥
पीछे की सब कसर निकाली । माह जुलाई मनी दिवाली ॥
टूर्नामेण्ट सानिया जीतीं । ये जूली कोइन को पीटीं ॥
डॉलर जीत पचास हज़ारा । आलोचकन्ह जवाब करारा ॥
ताऊ ने पत्रिका छपाई । कछु रहस्यमय बात बताईं ॥
समीर जी कछु सलाह दीन्हे । आशय भली भाँति हम चीन्हे ॥
इतना ही है आज तो, अब करिये इंतजार ।
फ़िर आयेंगे मिलन को, अगले मंगलवार ॥
आज भाषण का राशन कम पड़ गया :-)
जवाब देंहटाएंब्लॉग चरित मानस भी बढ़िया
ब्लॉग चरित मानस मन भाया। जल्दी कुछ को ही निपटाया।
जवाब देंहटाएंवाह वाह! ब्लॉग्स मे व्यंग विधा के अंतर्गत आपकी यह पोस्ट उल्लेखनीय है . चलिये इस ब्लोग चरित्र मानस को भी आगे बढाइये मेरे जैसे बहुत से लोग इसमे शामिल होकर अमर होने की ख्वाहिश रखते है . साहित्य विज्ञान,इतिहास और आलोचना से सम्बन्धित मेरे ब्लोग्स पर भी कभी पधारिये
जवाब देंहटाएंब्लॉग चरित मानस तो बड़ा मजेदार रहा
जवाब देंहटाएंविवेक भाई छा गए !!
ब्लॉग चरित मानस की जय!!
जवाब देंहटाएंतर गये इस ब्लॉगजगत में आकर...
ब्लॉग चरित पढ़े फिन विचारे, आपन नाम देखि भये सुखारे
जवाब देंहटाएंसमीरानंद की महिमा भारी, हाथ जोडू अब चेली कर डारी
विवेकानंद ब्लॉग कथा सुनावा, आत्मा बहुरि तृप्ति पावा
चिट्ठा चर्चा रोचक रही।
जवाब देंहटाएंब्लॉग चरित मानस महाकाव्य के रूप में छा जाये,
इसी कामना के साथ-
ब्लागचरित मानस की रचना मजेदार है। आगे भी इसे जरी रखा जाये!!
जवाब देंहटाएंमानस शैली में की गयी यह चर्चा निश्चय ही उल्लेखनीय़ है । हाँ यह बात है कि मानस इतनी तुरत फुरत निपटाने वाली चीज नहीं । विस्तार माँगता हूँ ।
जवाब देंहटाएंब्लागचरित मानस !! बहुत बढिया !!
जवाब देंहटाएंब्लाग चरित मानस फ़ुरसतिया जी की एक लाइना जैसा ही मजेदार है...इसे जरा बढाया जाये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ये मानस-ब्लॉग की आग की महिमा का विवेकपूर्ण बखान करती है। विवेक को बधाई।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार
जवाब देंहटाएंजबरदस्त
जवाब देंहटाएंकहत विवेकानन्द जी ब्लागर को समझाय।
जवाब देंहटाएंब्लाग चरित मानस पढ़ें कष्ट दूर हो जाय।।
ब्लागचरित मानस उत्तरकाण्ड समाप्त।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
goस्वामी विवेकदास गंगातीरे से आये का????
जवाब देंहटाएंअब तो तथाकथित साहित्यकार कांप रहे हैं जी ब्लागचरित मानस पढ़कर- ई तुलसीदास का कम्पीटिटर आ गवा!!!!!!!!!!:)
waah waah
जवाब देंहटाएंkya baat hai !
blogcharit to bada majedaar raha..
जवाब देंहटाएंbadhayi..
इतना ही है आज तो, अब करिये इंतजार ।
जवाब देंहटाएंफ़िर आयेंगे मिलन को, अगले मंगलवार ॥ ....
वाह.
बहुत बढ़िया रही यह तो ..:)
जवाब देंहटाएंबारिश के मौसम में जैसे नमकीन रसोइ मिल गइ। भइ वाह!!!!
जवाब देंहटाएंजय हो...ग़ज़ब का लिखें हैं सरकार...वाह...ऐसी चिठ्ठा चर्चा कहाँ पढने को मिलती है?
जवाब देंहटाएंनीरज
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंचित्रकूट के घाट पर भै संतन की भीर॥
जवाब देंहटाएंविवेकदास चिठ्ठा घिसैं, टेक देत समीर।।
आज तो ब्लॉग चरित मानस पढ़कर मजा आ गया | यदि ये चरित मानस आगे बढे तो और मजा आएगा |
जवाब देंहटाएंब्लाग चरितमानस १५ वाँ अध्याय समाप्त ! यो कोणसो काण्ड थो !!
जवाब देंहटाएंमानस पाठ अच्छा रहा
जवाब देंहटाएं(-:
जवाब देंहटाएंअथ: महाकाण्ड सम्पूर्ण भयो
ॐ चिट्ठे चिट्ठे चिट्ठे स्वाहा:ॐ
:-)
ब्लागचरित मानस का ये अविवेककाँड अति आनन्ददायक रहा। आगे भी जारी रखा जाए!!!
जवाब देंहटाएंमजेदार रहा ब्लॉग चरित मानस............... क्या bataayen छा गए विवेक भाई आप तो .........
जवाब देंहटाएंब्लॉग चरित मानस आनन्ददायक रहा।......
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकाव्यात्मक और मजेदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंब्लॉग चरित मानस रोचक प्रयोग रहा। कठिन कार्य साधा है आपने।
जवाब देंहटाएंश्री पांडे जी की टिपनी को ही हमारी समझा जाये ...
जवाब देंहटाएंब्लॉगचरित मानस बहुत मजेदार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग चरित्र मानस भी युगों युगों तक याद रहे और तुलसी विवेक सिंह को साधुवाद
जवाब देंहटाएंमजेदार..
जवाब देंहटाएंबोलो ब्लॉगवर विवेक चन्द की जय...!!!
जवाब देंहटाएंबम्फाट है जी यह चर्चा।
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंजय श्री राम ..!!
जवाब देंहटाएंविवेक सिँह जी,
जवाब देंहटाएंएक अनूठा प्रयोग ब्लॉग चरित मानस।
क्यों ना एक अखण्ड पाठ का अयोजन किया जाये? और भंडारा भी टिप्पणियाँ तो प्रसादी में मिलेंगी ही।
रोचक चर्चा,
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत सुन्दर चर्चा. ब्लॉग चरित मानस तो अद्भुत है. इसकी रचना विवेक ही कर सकते हैं.
जवाब देंहटाएंबेशक सत्य कहहुं लिखी..............?
जवाब देंहटाएंblogcharitmanas is juicy and palatable ,it has broken both the monotony and monopoly of print media .udantastri ji ko janam din mubaarak .veerubhai
जवाब देंहटाएंब्लॉग चरित मानस एकदम अनूठा सृजन है .विवेक सिंह जी को बहुत बहुत बधाई !
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