- 'मजबूरी' है इसीलिए तो प्रेमचंद को याद करते हैं
- हम और हमारे आसपास प्रेमचंद की मौजूदगी
- ’गमी’ - प्रेमचंद के जन्मदिवस पर
- उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के जन्म-दिवस पर विशेष
- हेडमास्टर प्रेमचंद
- प्रेमचंद: एक परिचय - [आलेख] अभिषेक सागर
- डाककर्मी के पुत्र थे प्रेमचंद
- बॉलीवुड में मुंशी प्रेमचन्द ने कहा था
- प्रेमचंद : प्रासंगिकता के सवाल
- गोदान-भारतीय किसान की आत्मकथा
कबाड़खाने पर हर्षवर्धन ने कहा:प्रेमचंद का लिखा अगर थोड़ा सा भी खींचे रहे तो, समझिए हमारी उत्सवधर्मिता सार्थक हो गई।
वहीं राजेश जोशी का कहना है:प्रेमचंद के साथ शायद सबसे अच्छा न्याय यही होगा कि उन्हें समारोहों और गोष्ठियों से निकालकर गुटके की तरह प्रचारित प्रसारित किया जाए.
अरे वो गुटका नहीं यार. बाबा तुलसीदास का गुटका यानी मानस!
तीन दिन पहले हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी ८३ वर्ष के हो गये। इस मौके पर जे एन यू में उनका हैप्पी बर्ड डे मनाया गया। २८ जुलाई को उनका हैप्पी बर्थडे दिल्ली में ही त्रिवेणी सभागार में मान्य गया, वहां उन्होंने कम से कम दो साल और जीने का संकल्प लिया और जनता ने उनसे कम से कम सौ साल जीने की गुजारिश की।
नामवर जी बातचीत करते हुये उनके भाई काशीनाथ सिंह ने एक बार पूछा था-आपको कैसे लोगों से ईर्ष्या होती है?
जो वही कह या लिख देते हैं जिसे सटीक ढंग से कहने या लिखने के लिये मैं बेचैन रहा- नामवरजी का जबाब था।
नामवर जी को उनके जन्मदिन की बधाई देते हुये उनके शतायु होने की कामना करता हूं।
समीरलालजी ने दो दिन पहले पैदा लिया था। भाई लोगों ने उनको इत्ती हैप्पी बड्डे बोली कि उनका ब्लडप्रेशर बढ़ गया और वे भगवान से शिकायत करने लगे-हे प्रभु, ये तेरी माया... अल्लाताला ने इत्ता हसीन बनाया है। रंग भी क्या लाजबाब दिया है कि अगर जरा सा खूबसूरत हों कोई तो कहें- ब्लैक ब्य़ूटी। समीरजी तो ब्यूटी के साथ क्यूटी भी हैं। फ़िर भी आदत है शिकायत करने की सो कर रहे हैं। कोई कुछ कह भी तो नहीं सकता न इससे। जरा सी बात में तो भावुक हो जाते हैं।
हमने जब ये वाकया ताऊजी को बताया तो उन्होंने समीरजी को उठा के (कह रहे हैं तो मान लो भाई) रामप्यारी की क्लास में डाल दिया। ताऊ आजकल न जाने क्यों सब काम रामप्यारी से करवाने लगे हैं। उनको न जाने यह बात क्यों नहीं समझ में आ रही है कि अगर कहीं समीरजी ने रामप्यारी को झांसे में लेकर गाना-ऊना सुना दिया तो क्या होयेगा?
ज्ञानजी हमसे दो दिन से नाराज से हैं कि समीरलालजी के जन्मदिन के मौके पर उनकी तारीफ़ करते हुये उनकी खिंचाई क्यों नहीं की गयी। नाराजगी में ही वे गंगा किनारे चले गये और रामकृष्ण ओझा से हाथ मिला लिया(समीरलालजी की खिंचाई के लिये?)। ओझाजी का परिचय भी जान लीजिये:
(वे)शिवकुटी में रहते हैं। मैडीकल कालेज में नौकरी करते हैं। इसी साल रिटायर होने जा रहे हैं। उन्होने मुझे नमस्कार किया और मैने उनसे हाथ मिलाया। गंगा तट पर हमारा यह देसी-विलायती मिक्स अभिवादन हुआ। … रामकृष्ण ओझा जी को मालुम न होगा कि वे हिन्दी ब्लॉगजगत के जीव हो गये हैं। गंगा किनारे के इण्टरनेटीय चेहरे!
गौतम राजरिशी के बारे में टिपियाते हुये ने पूजा उपाध्याय ने लिखा था:
पहली बार किसी फौजी की जिंदगी का ये हिस्सा देख रही हूँ, ग़ज़ल, वजन, मात्रा, बहर...कितना कुछ का ख्याल रख लेते हैं आप और भाव भी कमाल के होते हैं...शायद फौज में जो precision सिखाया गया है आप यहाँ भी काम ले लेते हैं. अच्छा लगा आपको पढ़ना.आज गौतम राजरिशी ने अपनी ब्लागिंग का पहला साल पूरा किया और अपनी पचासवीं पोस्ट लिखी। उनको खूब सारी बधाईयां।
पूजा सवाल पूछती हैं
हमेशा मुझसे ही क्यों खफा होते हैं
चाँद, रात, सितारे...पूरी रात
अनदेखे सपनों में उनींदी रहती हूँ
नींद से मिन्नत करते बीत जाते हैं घंटे
सुबह भी उतनी ही दूर होती है जितने तुम
कहावतें कित्ती भी पुरानी हो जायें लेकिन उनके मतलब तो नहीं न बदल जाते हैं भाई। अब विवेक कहते हैं कि उनको फ़ुरसत-उरसत मिले तो वे न जाने क्या-क्या कर डालें। अब आप बताइये कि इस पर वो वाली कहावत लागू होती है कि नहीं- खुदा गंजो को नाखून नहीं देता खैर ये आप बाद में बताइयेगा कौनौ ताऊ की पहेली तो है नहीं जो पिछड़ जायेंगे पहिले देख तो लीजिये कि फ़ुरसत से कौन सा अचार डालेंगे विवेक भाई:
यारों के संग ताश खेलकर,अब बताओ भला ये वाली फ़ुरसत कहीं मांगे मिलती है। ये तो निकाली जाती है- जैसे खली से तेल! जित्ता निकाल सको निकाल लेव।
खुलकर हँसने की बारी ।
अट्टहास कर शोर मचायें,
होती हो ज्यों बमबारी ॥
प्रमोदजी का गद्य पढ़ने का मजा ही और है। आप देखिये। हम खाली नमूना दिये दे रहे हैं। सब पढ़िये! आराम से कौनौ हड़बड़ी नहीं है। उनकी पोस्ट कौनौ भागी नहीं जा रही है:
सिंधु ने एकदम से बुरा मानकर जवाब दिया- लिपस्टिक लगाती हूं छोटी नहीं हूं, अब? कौमा को यकीन नहीं होता, गुस्से में आंख चढ़ाये मेरी साहित्यिकता के सात पुश्तों को मां-बहन में तौलता है, विराम खौरियाया मुंह से खखारने की जगह कहीं और से कराहता है क्या गुरु, इस तरह तो हम जनम-जनम के एसिडिक हुए, तुम्हारी मुहब्बत के भरोसे तो पूरे भांगधाम प्लैटोनिक हुए? लिखने से समाज बदलता है ऐसा हमें मुगालता नहीं, लिखते-लिखते हमीं कहीं ज़रा सा बदल जायें वही हमारी आत्मा का शोभित लालता होगा हिन्दी का कमरकसे साहित्यकार इस लिहाज से महाबरगदी राजनीतिक समझ की ऊंचाइयों की फुनगियां छूता रहता है. छूता क्या रहता है बरगदमाल गरदन में डारे मदहोश अश्लील परगतशील हिचकियां लेता रहता है. लालित्य के यही रंग हैं, गंवार अक्षरदीक्षित अर्द्धशिक्षितों के यही ढंग हैं, फिर भी जाने क्यों है लिखने को अकुलाया रहता हूं, हिन्दी में ही लिखूंगा जानता हूं उसकी मुर्दनी में भक्क काला होने की जगह ललियाया रहता हूं? बात-बात पर जैसे अनजाने हो रहा है, उसका हाथ टच करता रहा था तब बास्टर्ड को मेरी हाईट से दिक्कत नहीं हो रही थी?
प्रत्यक्षाजी को समझ में नहीं आ रहा है क्या बात करें? फ़िर भी वे बहुत कुछ कर गईं। देखिये उनके यहां ही जाकर। जाना इसलिये पड़ेगा कि उनके ब्लाग पर कापी ताला लगा हुआ है।
संजय बेंगाणी पूना गये तो देबाशीष से मिलकर आये। किस्सा और फोटो इहां देखिये। फोटो देबू के बच्चे ने खींचा है और इसीलिये अच्छा भी आया है।
निशांत बता रहे हैं नोबले पुरस्कार विजेता वर्नर हाइज़ेनबर्ग के गेटकीपर से नोबल पुरस्कार विजेता बनने का सफ़र के बारे में।
अलबेलाजी खत्री जी बड़े तेज चैनेल वाले ब्लागर हैं। तीन महीने में पांच सौ पोस्ट ठोक चुके हैं। मंच पर आजकल जैसे द्विअर्थी डायलाग वाले चुटकुले और तुकबंदियां सुनी-सुनाई जाती हैं वैसी ही एक कविता ( labels: sex सम्भोग यौनाचार बलात्कार शीलभंग लगाकर) उन्होंने पेश की। रचनाजी ने इस पर अपना एतराज जताया अलबेलाजी ने अपनी पोस्ट तो हटा ली लेकिन रचना और अन्य ब्लागरों को अपने बारे में बताते हुये लिखते हैं-मेरी कवितायें पढ़ने के लिए और समझने के लिए तो एक/मानसिक, आत्मिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक स्तर की/ज़रूरत पड़ेगी अब लेव ससुर चुटकुले समझने के लिये भी मानसिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक स्तर चाहिये तब तो हो लिया जी। अलबेलाजी की पोस्टों पर वीनस केसरी ने अपना जायज एतराज दर्ज किया है। तबसे अलबेलाजी अपने ब्लाग पर लगातार अपनी तारीफ़ में आत्मनिर्भर बने होये हैं और अपने बारे में सच्ची जानकारियां दे रहे हैं। समझ लें भाई लोग अलबेलाजी को ऐसा-वैसा न समझा जाये। वे टेपा सम्मानित हैं, वे पैरोडी किंग हैं, वे हास्य सम्राट हैं और उनका अन्दाज अलबेला है।
यह सब तो ठीक है अलबेलाजी लेकिन यह मानने में कौनौ बुराई नहीं है कि आपने अपनी पोस्ट में जो सस्ती भाषा प्रयोग की थी भले ही उससे भद्दी भाषा और लोग प्रयोग करते रहे हों लेकिन वो कोई ऐसी भाषा नहीं थी कि जिस पर सरस्वती का कोई तथाकथित साधक गर्व कर सके। मान जाइये न! अच्छा लगेगा।
बधाई
शशि सिंह हिन्दी के बहुत दौड़-धूप वाले ब्लागर रहे हैं।दौड़-धूप वाले मतलब लिखा कम चर्चित ज्यादा रहे। उन्होंने खुद माना था कि वे सबसे कम लिख कर सबसे ज्यादा चर्चित होने वाले ब्लागर हैं। तीसरे इंडीब्लागर के विजेता रहे शशि एक बच्ची के पिता बने। बच्ची की फोटो भेजी है और मिठाई का डब्बा भी। बच्ची की फ़ोटो तो हम लगा दिये यहां मिटाई हजम कर गये। शशि के फ़ोटो और उनका कच्चा चिट्ठा यहां देखें। शशि को पिता बनने की बधाई। बच्ची को आशीष और मंगलकामनायें।मेरी पसंद
लड़की जो बड़ी हो गई है
घबरा कर खींच दिया उसने
खिड़की का परदा,
गली से गुजरते एक लड़के ने
बजाई थी सीटी
उसे देख कर।
बचा कर माँ की नजर
उसने चुपके से देखा आईना
और संवार लिए अपने बाल।
अर्चना सिन्हा कवितायें चोखेरबाली से साभार
और अंत में
आज जुमे की ब्लाग नमाज पढ़वाने का जिम्मा मास्टर परिवार (मसिजीवी, नीलिमा या फ़िर सुजाता में से कोई एक) का होता है। लेकिन लगता है वे कहीं फ़ंस गये। या तो एडमिशन में या क्लास में। इसलिये हम ही हाजिर हो गये कहीं टोटल अब्सेन्ट न लग गये चर्चा की।
फ़िलहाल इतना ही। आपको शुभकामनायें।
chshmaa hara pahnaa ho pyaare to sab haraa hi haraa dikhaai detaa hai aur chashmaa kaala pahnaa ho to sab kuchh mailaa hi dikhaai deta hai ismen aap jaise aalochkon ki kya galti hai
जवाब देंहटाएंlekin
mujhe bharosa hai ki kabhi to ap logon ko vaastviktaa ka ehsaas hoga hi ..vaise na ho to zyaadaa behtar ...
kyonki buzurgon ne kaha hai ki aak ke ped me kitnaa bhi
gud daalo...vah kadvaa hi rahegaa.....yadi aap log samajhne me aagaye toh buzurgon ke kahe ka kya arth rah jaayega...
maze karo yaar... jab tak chaar din fursat me hoon toh aap logon ke saath mel jol ko baith jaata hoon ..agar dil par lekar baith gaye to shesh duniya ka kya hoga..aapko to poori srishti apne hisaab se chalaani hai na....ha ha ha ha ha ha ha
AAP JAISE VISHISHT AALOCHKON K LIYE MUJHE MERA TARK DENE KI ZAROORAT HI NAHIN ..BASHEER BADRA K SHE'R SE HI KAAM CHAL JAAYEGA
UNHONNE KAHAA HAI :
SAMANDAR KO SAMAJHNAA HAI TOH
USKI TAH ME TAHLAA KAR....
YE SAHIL HAI YAHAAN PAR MACHHLIYAN KAPDE BADALTI HAI......... ha ha ha ha ha ha ha
aap is tippani ko lagaayen na lagaayen aur zindgi me kabhi bhi mere blog par aayen na aayen , mujhe uski zaraa bhi parwaah isliye nahin hai kyonki ye meri rozi roti nahin , mera shauk hai....mera ishq hai aur apne ishq me andhha hokar agar main kuchh kartaa hoon toh kartaa hoon bhai....
mujhe isme mazaa aata hai
aapko gandgi failaane waale toh pasand hai lekin gandgi hataane waale naapasand hai toh ye koi bahut badi baat nahin hai pyaare bhai... is duniya me aaj kal kya nahin hota...
bas itnaa sa mera kahnaa hai ki film abhi baaki hai........
samjhe tum ?
F I L M A B H I B A K I H A I
_________________________________albela khatri
ये क्या!?
जवाब देंहटाएंहम तो समझे थे कि आख़िरी रील चल रही है.
लेकिन अब लग रहा है कि "पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!"
@ अलबेला जी
जवाब देंहटाएंmaze karo yaar... jab tak chaar din fursat me hoon toh aap logon ke saath mel jol ko baith jaata hoon ..agar dil par lekar baith gaye to shesh duniya ka kya hoga..aapko to poori srishti apne hisaab se chalaani hai na....ha ha ha ha ha ha ha
अलबेला जी आप के बिना इस दुनिया का क्या होगा ???????
ये भी बता देते तो अहसान रहता
aap is tippani ko lagaayen na lagaayen aur zindgi me kabhi bhi mere blog par aayen na aayen , mujhe uski zaraa bhi parwaah isliye nahin hai kyonki ye meri rozi roti nahin , mera shauk hai...ha ha ha ha ha ha ha
हम बताये देते है ब्लोगिंग हमारा शौक नहीं है इसी से हमारी रोजी रोटी चल रही है और इसी की कमाई से हमारे खानदान को दाल रोटी मिलती है :) हमें का पता था की आप इतने बड़े आदमी है की ब्लोगिंग मौज के लिए करते है :)
एक बात बताइये बात बेबात पर ha ha ha ha ha ha ha करना आपका तकिया कलाम है क्या ?:)
वीनस केसरी
बड़े दिनों बाद फीड में थोक के भाव चिटठा चर्चा दिख रही है. :) आगे से शायद रोज के रोज ही आ जाया करे !
जवाब देंहटाएंनिट्ठल्ला उवाच :
जवाब देंहटाएंअयहय अलबेले... तू तो वास्तव में दिल पे ले बैठा !
कोई नहीं, यह नासमझ बच्चा है.. दुनिया जानती है कि शौचालय हगने के लिये होता है, फिर भी अँदर से कुँडी लगा लेता है ।
दुनिया में ख़..त..र.. के सँयोग से जितने भी शब्द बनते हैं, अपुन उन सबसे डरता है, दूर ही रहता है ! मेरा तो अब तक ख़तरे से भी पाला नहीं पड़ा, फिर ख़तरी मोल क्यों लूँगा ? दिल पे ना ले, फिर तेरे इश्क का क्या होगा ? अभी, फिल्लम भी तो बनानी हैगी ।
दिल पे ना ले, भाई मेरे.. मान भी जा कि कुछ भोंड़ा था, वह हटा लिया । कुछ ज़ाहिलों को तक़लीफ़ रही होगी, दिल पे ना ले.. यार । उस माल को उट्ठाकर फिल्लम में फिट्ट कर दे..
यूँ बुरा नहीं माना करते.. हम हिन्दी वाले अभी अभी तो समलैंगिक सदमें से बाहर भी ना आ पाये, हमें फ़ुललैंगिंक शब्दों तक आने में वक्त लगेगा । अलिफ़ बे.. पर ही टँगा छोड़ दे इनको, तू अँदाज़-ए-सुखन के दोचश्मी हे ھ का पहुँचा हुआ फ़क़ीर है । चल नक्की कर दिल पे मत ले..
लेकिन एक बात तो है.. साल में 500 पोस्ट ठेलता है, सेहत ख़राब नहीं होती तेरी ? कोई कुछ कहता भी नहीं है.. घर में सब राजी खुशी समझूँ ? बस एक रिक्वेस्ट है कि, दिल पे मत ले इनकी बातें ! ये शौचालय में कुँडी लगा कर बैठते हैं, तेरे से क्या बराबरी इनकी ?
बहुत बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंबहुत से खूबसूरत लिंक संकलित हैं यहाँ । प्रमोद जी के वाक्यांशों के सम्मिलन से चर्चा और भी अच्छी बन पड़ी है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंप्रेम को भुलाया नहीं जा सकता
जवाब देंहटाएंचाहे वे प्रेमचंद जी की हों।
बड़ी जिम्मेदारी से की गयी चर्चा -अलबेला जी ,इतनी अहमन्यता भी ठीक नहीं ! आप जो हैं आपका लेखन ही उसे यहाँ बता देता है ! अब तक तो आप हास्य रचनाकार लगते रहे अब हास्यास्पद होते जा रहे हैं ! आपके सरोकार शिष्ट और संतुलित भषा में व्यक्त नहीं होगें तो उन्हें कौन गंभीरता से लेगा ? और यह साहित्यकार की जिम्मेदारी नहीं तो क्या रिक्शेवाले की जिम्मेदारी हैं ? इन्ही असावधानियों से वे लोग और मजबूत होते जाते हैं जिन्हें हम सबक सिखाना चाहते हैं -यह तो आप अपनी ही धार को कुंद कर रहे हैं -सिंहावलोकन कीजिये और भूल सुधार भी ! थोडा और बड़े बनिए !
जवाब देंहटाएंचलिये, इस अध्याय पर भी चर्चा हो गई.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है, विस्तार है, चिन्तन है और अवलोकन तो है ही.
साधुवाद.
बाहर से स्वनामधन्य लोग ब्लॉगिंग में ऐसे आते हैं हैं जैसे यहाँ पहले से मौजूद लोग लल्लू ही हों !
जवाब देंहटाएंपर यहाँ आकर जब टाँय टाँय फ़िस्स होती है तो खतरियों की छतरियाँ फ़ट जाती है और खड़े खड़े भीगते रहते हैं बेचारे :)
बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएं@ अलबेला खत्री
जवाब देंहटाएंआपको बहुत देखा टीवी के माध्यम से. अच्छा लगता था.
आज आप मेरी नजरों से उतर गये और आपका यह रुप मेरे कार्यालय में सभी को दिखाया.
सभी ने आश्चर्य के साथ आपकी भर्तस्ना की है.
भविष्य में यदि आपका कोई प्रोग्राम हमारे शहर भोपाल में होता है तो आप कम से कम ५०० श्रोता को चुके हैं.
शायद आपको पर्क न पड़े मगर फिर भी यह ५०० मूँह विस्तार तो देंगे ही इस घटना को.
अपने कृत्यों के लिये क्षमा मांग लेने के लिये अभी देर नहीं हुई है मगर इसके लिए आपको अपना प्रसिद्धि का गुरुर त्यागना होगा.
ध्यान रखिये आप श्रोताओं से हैं, श्रोता आपसे नहीं.
कहीं इस ब्लॉगिंग के शौक के पीछे रोजी रोटी न खो देना. आंकलन तो हर जगह किया जायेगा.
यह वो मंच नहीं जहाँ दो कौड़ी के चुटकलों पर लोग मजबूरन ताली बजायें. यहाँ तो सुनाने वालों को बजाने की प्रथा है. जरा संभल कर.
-आपका भूतपूर्व प्रशंसक
श्रीमान अलबेला खत्री जी
जवाब देंहटाएंआप आज और आज के बाद से मेरे और मेरे वृहद परिवार के लिये खत्म हुये.
मैं आपके खिलाफ ’उत्तराखण्ड समाचार’ में लेख लिख रही हूँ. संपादक का ग्रीन सिंगनल मुझे मिल गया है.
कई लोगों से साक्षात्कार भी कर लिया है जिसमें आपके कई मित्र भी शामिल हैं, हास्य सम्राट भारत के स्तर के, शोले का गब्बर बुढ़्ढा हो गया वाले और ऐसे कोकिल कवि, जो युवाओं में खासकर आई आई टी में अपना प्रतिमान स्थापित कर चुके हैं अपनी दीवानगी को ले और आपके साथ अहमदाबाद कवि सम्मेलन में भी रहे हैं.
अब संभालिये अपनी स्टेटस. मैं तो सिर्फ शुभकामना कह सकती हूँ मगर आपकी बदतमीजी उजागर जरुर करुँगी.
खूब गाया था न..म्हारा गुजरात. अब उस गुजरात से सुनना कि न ये म्हारा अलबेला नथी.
साध्वी ऋतु
अरे भाई लोगों
जवाब देंहटाएंइतना बावले क्यूँ हो रहे हो..अलबेला भाई को कुछ कहने का मौका तो दो कि सब कुछ आप अपने हिसाब से ही बना लोगे?
उनकी अपनी सोच होगी, उस पर हमें जरुर विचार करना चाहिये. वरना तो सब कुछ एक तरफा सा लगता है.
मैं समझता हूँ कि हमें उनकी अगली प्रतिक्रिया का इन्तजार करना चाहिये. वो सुलझे हुए इंसान हैं, नामी हैं, हास्य मंच के प्रतिष्टित नाम हैं, शायद कुछ परेशानी में हों या अलग नजरिया रखते हों.
मौका तो देना ही चाहिये.
बात उससे करें जो खुले दिमाग से सुनने तैयार हो. चाचा, ये तो गिरा हुआ बंद बुद्धि इंसान है, इसकी साहयता मत करो अपनी आदत के अनुसार. आपकी आदत है कि सबको अच्छा मान लेते हो. मुझे भी.
जवाब देंहटाएंसमीर चाचा, मैं आपको कभी नहीं टोकता मगर इस निम्न श्रेणी के इंसान के लिए जीवन में पहली बार रोक रहा हूँ. इसका साथ मत दो, ये इस लायक नहीं.
वरना तो जो आप कहोगे, हम आँख बंद करके मान लेंगे.
क्षामा मांगता हूँ कि आपके लिखे के बाद भी बोला. जो सजा हो, कबूल है.
आपकी सजा को हमेशा प्रसाद माना है.
आपका संजू
हमें का पता था की आप इतने बड़े आदमी है की ब्लोगिंग मौज के लिए करते है :)
जवाब देंहटाएंशौचालय हगने के लिये होता है, फि
खतरियों की छतरियाँ फ़ट जाती है और खड़े खड़े भीगते रहते हैं बेचारे :)
BAAHAR BORD KUCHH AUR
ANDAR MAAL KUCHH AUR .........
असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।
HA HA HA HA
agar charcha karne hi baithe ho toh vyaktitva par nahin krititva par karo bhai logo ! aur meharbaani karke ek kaam
ye karo ki jiski charchaa karo uske saamne uske ghar yaani usiki tippani ya aalekh par karo....bechaare ko pata toh lage ki kisine use kuchh kaha hai vo toh main sanyog se jaan gaya ki kuchh hua hai...varnaa bhai pata hi kahaan chaltaa ki aap bhale log kya baaten kar rahe the..
udaahrana main khud hoon ...
aapke yahaan aakr apnaa vichaar de rahaa hoon
AAPNE AAROP LAGAAYA KI MAINE APNI POST ME
( labels: sex सम्भोग यौनाचार बलात्कार शीलभंग लगाकर)
GALAT KIYA HAI TOH MERA KAHNAA YE HAI BHAI
KI YE SHABD MAIN GHAR SE NAHIN LAAYA THA , YAHIN KISI BLOG SE ,KISI TIPPANI SE UTHAAYE THE YE DIKHAANE K LIYE KI DEKHO YE KYA HO RAHA HAI...
KHAIR....
AB JO KAREEB DO HAZAAR AISE SHABD AUR VAAKYA MAINE HINDI BLOGING KI VIBHINN POSTS VA TIPPANIYON SE COPY KARKE RAKHE HAIN VE VAASTAV ME BAHUT HI GHATIOYA AUR ASHLEEL HAIN ..AAP KAHEN TOH MAIN YAHAAN DAAL DOON AUR AAP KAHEN TOH APNE BLOG PAR
BANAARASI STYLE K NAAM PAR JIN LOGON KI GANDGI
AAP BADE MAZE SE SEVAN KARTE AAYE HAIN MAINE TOH USKE 2% KA BHI PRAYOG AB TAK NAHIN KIYA THA...LEKIN AB ISLIYE KAROONGA TAKI SAB KO PATAA TOH CHALE KI ALBELA KHATRI KI CHHATRI FAADNE WALE KITNE ANDHERE ME HAIN AUR BECHAARE DAHI KI JAGAH KAPAAS KHA RAHE HAIN
ha ha ha ha
maze karo yaar.............
achhi kavita likho ..padho...kyon fokat time bigaadte ho.?
sadbhaavnaa sahit,
albela khatri
चिट्ठा चर्चा बहुत बढ़िया रही।
जवाब देंहटाएंजन्म दिवस पर साहित्य के पुरोधा
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द को नमन!
अलबेला खत्री जी बड़े तेज चैनेल वाले ब्लागर हैं। तीन महीने में पांच सौ पोस्ट ठोक चुके हैं। मंच पर आजकल जैसे द्विअर्थी डायलाग वाले चुटकुले और तुकबंदियां सुनी-सुनाई जाती हैं वैसी ही एक कविता ( labels: sex सम्भोग यौनाचार बलात्कार शीलभंग लगाकर) उन्होंने पेश की। रचनाजी ने इस पर अपना एतराज जताया अलबेलाजी ने अपनी पोस्ट तो हटा ली लेकिन रचना और अन्य ब्लागरों को अपने बारे में बताते हुये लिखते हैं-मेरी कवितायें पढ़ने के लिए और समझने के लिए तो एक/मानसिक, आत्मिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक स्तर की/ज़रूरत पड़ेगी अब लेव ससुर चुटकुले समझने के लिये भी मानसिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक स्तर चाहिये तब तो हो लिया जी।
जवाब देंहटाएंतेज दिमाग और प्रखर बुद्धि वाले अलबेला खत्री जी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
ALBELA KHTRI MAMLA AB KHATAM BHI KARO BHAI. BAHUT HO CHUKA.EK INSAAN KE PICHE HAATH DHOKAR PAD JAANA KOI MAHANTA KI BAAT NAHIN HAI.MAHANTA SAJA DENE ME NAHI,MAAF KAR DENE ME HAI.ALBELA JI KI TARAF SE MAI RACHNAJI SE NIWEDAN KARTA HU KI SAARE GILE SIKWE BHOOLAKAR EK BAAR PHIR SE MITRATA KI RAH PAR CHALEN. ALBELAJI KO BHI CHAHIYE KI JAB VIRODH BADE PAIMANE PAR HO RAHA HAI TO APNI AATMA SE POOCHEN GALTI KAHAN HUI AUR APNI GALTI KO SWIKAREN, UNHE SABHI KA PYAR PHIR SE MILEGA. SABHI BLOGRON SE NIWEDAN HAI KI IS MAMLE KO AUR ULJHANE KE BAJAYE SULJHANE KA MARG CHUNE MERI IS TIPPNI SE KISI KO THESH LAGI HO TO MAF KAR DEN.
जवाब देंहटाएं"आपको कैसे लोगों से ईर्ष्या होती है?
जवाब देंहटाएंजो वही कह या लिख देते हैं जिसे सटीक ढंग से कहने या लिखने के लिये मैं बेचैन रहा- "
अनूप शुक्ल जी, मुझे आपसे ईर्ष्या होती है:):-)
>सुबह का भूला शाम को घर लौटे तो उसे भूला नहीं कहते। क्षमा मांगने के लिए बड़ा दिल चाहिए ....और वो गाना है ना- वो दिल कहां से लाऊँ.......:)
प्रेमचंद पर कई बढ़िया लिंक्स, नामवर सिंह, काशीनाथ सिंह के वक्तव्य और अपने प्रमोद सिंह के बेहतरीन उद्धरण. साथ में प्रत्यक्षा और संजय बेंगाणी की अच्छी पोस्ट्स के लिंक.
जवाब देंहटाएंलेकिन इतनी बढ़िया चर्चा को एक अनूठे, नायाब, बेनज़ीर, बेमिसाल, अलबेले दुर्गंधमय कचड़े द्वारा यूं हाईजैक होते देखना दुखद है. :-(
अरविन्द जी और घोस्ट बस्टर से सहमत हूँ .
जवाब देंहटाएं@घोस्ट बस्टर जी ने मेरे मन की बात कही है .....
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंभूल सुधार:
मैं स्वीकार करता हूँ कि मैंनें भाँड़ों वाली शब्दावली का उपयोग किया है,
मैं उन तथाकथित अशिष्ट शब्दों को वापस लेता हूँ ।
कृपया सुधार कर पढ़ें.. " सँडास में अँदर से कुँडी बन्द करके विष्ठा त्याग करते हैं !"
भले और सँस्कारी कलाकार को हगने.. मूतने से परहेज़ भी हो सकता है, यह सनद रखा जायेगा !
अलबेला जी ने कहा;
जवाब देंहटाएं"BASHEER BADRA K SHE'R SE HI KAAM CHAL JAAYEGA
UNHONNE KAHAA HAI :
SAMANDAR KO SAMAJHNAA HAI TOH
USKI TAH ME TAHLAA KAR...."
वसीम बरेलवी साहब ने कहा है;
ज़रा सा कतरा कहीं आज गर उभरता है
समन्दरों के ही लहजे में बात करता है
आपको यह समझने की ज़रुरत है कि जब आप टीवी पर चुटकुले सुनाते हैं या अपनी महान कवितायें पढ़ते हैं उस समय वहां उपस्थित लोगों के हाथ में माइक नहीं रहता. लेकिन यहाँ तो आप ब्लॉग लिख रहे हैं. यहाँ तो हर एक के हाथ में माइक है. ऐसे में तुंरत प्रतिक्रियाएं मिलेंगी ही.
चाहें तो एक बार ट्राई कर सकते हैं. जहाँ अपनी महान कवितायें सुनाते हैं, वहां लोगों के हाथ माइक देकर देखिये, पता चल जाएगा.
लीजिये, यह लिखना ही भूल गए कि; "चर्चा बहुत ज़ोरदार है."
जवाब देंहटाएंचर्चा सम्राट की चर्चा उम्दा है..
जवाब देंहटाएंइतने उत्कृष्ट सम्राटो के बीच चर्चा सम्राट ने गजब की चर्चा कर डाली है.. अमर कुमार जी की टिपण्णी को १०० नंबर दिए जाते है..
@समीर जी
यदि आप आश्वस्त है कि उन्होंने गलत तौर पर नहीं लिखा था. तो आप सफाई दिलावे उनसे..
घोस्ट बस्टर जी से हम कभी असहमत हुए ही नहीं.. तो फिर विवाद कैसा जी..
वैसे आज तो सिर्फ दुसरा दिन है.. आप काहे परेशां हो रहे है.. दो दिन से ज्यादा कभी कोई विवाद चला है भला.. :)
भई, कहां-कहां जाके जजमानी फरिया लेवेवाले पंडिजी, एक कमेंटी हमने भी छोड़ी थी, लौक नहीं रही?..
जवाब देंहटाएंदिन ढल जाये सांझ न जाये.. ओहो.. नाली पे बइठा बउव्वा अम्मा को काहे रुलाये.. आहा..
अपनी तारीफ़ में आत्मनिर्भर बनने का कोर्स कौन यूनिवरसिटी कराती है? हम पत्राचार पाठ्यक्रम में रुचि रखते हैं।
जवाब देंहटाएंBahut sundar.
जवाब देंहटाएंअरे बाप रे !!
जवाब देंहटाएंहल्दीघाटी या पानीपत का मैदान..
इहाँ हमरा का काम ???
चलते हैं राम राम ...
आईला, इ टिपण्णी पढने का चक्कर में हम असली मुद्दे भूल गए...... का कहें.... उ है आपका चिटठा चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया रहा, संवेदनशील, सामयिक और सार्थक..... हरदम यही न करते हैं आप ... आज भी वही तो किये हैं हमेसा की तरह..
और हम भी तारीफ का पूल बाँध रहे हैं हमेसा की तरह..
तो बधाई का गुलदस्ता दे रहे हैं ले लीजिये....
ajeeb hai bhai itni achchhi charcha ke baad tippaniyon men ye kya charcha chal rahi hai apni samajh ke to bahar hai..
जवाब देंहटाएंfursatiya ji premchand par charrcha karne wale blogs ka jikra karne ke lie shukriya aur ye batayiye ki pratyaksha ji ke taale se copy hona bhi kahin rukta hai kya?
aap ne hathiyaar daal diye yah ajeeb lagaa
behad shaandaar charcha!
jee behtareen charcha...Is baar bahut kuch cover ho gaya hai..aur premchand ji ko shayad international awards nahi mile, recognition nahi mila par ye un awards ki insult hai...jinhone premchand ko nahi samjha...
जवाब देंहटाएंunke paas ek bahut pyari lekhni hai, characters ko jeevit kar dete the..
charcha pasand aai..
itti acchi charcha hijack hote dekh dukh hua...aaj kaafi dino baad is manch par aane ka time mil paaya hai.
जवाब देंहटाएंcharcha to anoop ji as usual behtarin rahi hai, kya aajkal format change hua hai ya ek laaina ko viram de diye hain?
आज पढा इस चर्चा को . सबने सब कह दिया और
जवाब देंहटाएंसबने सब सह लिया .
हिंदी ब्लॉग जगत का आभार और शुक्रिया की एक मत
होकर विरोध हुआ "एक गलत अभिव्यक्ति का " ना की
"व्यक्ति" का . पर ये ध्यान रहे आप कैसे व्यक्ति हैं आप
की अभिव्यक्ति ये बताती हैं . .
वीनस उम्र मे कम पर सोच मे बडे हैं और डॉ अमर को
समझना और मुश्किल हो जायेगा अगर उन्होने गहन
और शिष्ट शब्दों का प्रयोग शुरू किया
समीर को कभी भी कोई गलत लिखता नहीं लगता पर
आपति वो नारी ब्लॉग पर अपनी उस लेख के विरूद्व दर्ज
करा चुके हैं कुश .
क्या माफ़ी मांगने से अपराध कम हो जाता हैं ,
शायद नहीं, केवल हमारी गिल्ट ख़तम होती हैं . और जो
माफ़ी नहीं मांगते उनमे गिल्ट भी नहीं होती क्युकी गिल्ट
का सम्बन्ध आत्मा से होता हैं .
विवाद कुश कभी ख़तम नहीं होते हां संवाद जरुर
ख़तम हो जाते हैं .
संवाद चलता रहे , समर्थन मिलता रहे
वीनस केसरी ने अपना जायज एतराज दर्ज किया है। link is wrong
जवाब देंहटाएंदेर से हाजरी लगा रहा हूँ। लेकिन इतना समझ गया कि अलबेला के जिक्र ने प्रेमचंद को गौण कर दिया वैसे ही जैसे समलैंगिकों की चर्चा, साम्प्रदायिक विषयों की चर्चाएँ मनुष्य की मूलभूत स्थितियों और जीवन संघर्षों की चर्चाओं को गौण कर देती हैं। मेरा तो अभिमत यह है कि ऐसी आलेखों को चर्चा से बाहर ही रखना चाहिए और उस की उपेक्षा कर देनी चाहिए। जब आक्सीजन ही नहीं होगी तो कृति की स्वयं ही गति हो लेगी।
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी, "साम्प्रदायिक" चिठ्ठा वैसे भी कहाँ शामिल होता है चर्चा में? फ़िर भी आपकी बात से सहमत होते हुए मैं सभी चर्चाकारों से अनुरोध करता हूँ कि भविष्य में कोई भी "साम्प्रदायिक" चिठ्ठा, चर्चा हेतु न लिया जाये, और यह तय करने का अधिकार भी चर्चाकार का होना चाहिये कि कौन सा चिठ्ठा साम्प्रदायिक है कौन सा नहीं और उसका मनुष्य के जीवन संघर्षों से कोई लेना-देना है या नहीं…
जवाब देंहटाएं@ Suresh Chiplunkar जी,
जवाब देंहटाएंआपसे सहमत हूँ .
दिनेश अलबेला की पोस्ट पर जा कर
जवाब देंहटाएंसमलैंगिता पर आपने विचार दे सकते हैं
पर चर्चा पर अपनी पसंद के विषयों की
चर्चा चाहते हैं ऐसा क्यूँ ??