हिन्दी में कुत्ते-बिल्लियों की तरह आपस में काटते-नोचते-झगड़ते (जाहिर है, पोस्टों-टिप्पणियों में!) ब्लॉगों के बीच भले ही अभी एक भी कुत्ता या बिल्ली का ब्लॉग न हो, मगर भविष्य जरूर उज्जवल है. क्योंकि इधर अंग्रेज़ी (और शायद अन्य प्रमुख इंटरनेटी भाषाओं में,) में तो कुत्ते बिल्लियों के ब्लॉगों का अंबार लगा है.
एक साइट है – http://www.catswithblogs.org/the-cat-blogs.php जहाँ बिल्लियों के ब्लॉगों को सूचीबद्ध किया गया है. अभी वहां 212 बिल्ली-ब्लॉग दर्ज हैं -
ठीक इसी तरह, कुत्तों के ब्लॉगों की एक (वैसे तो और भी होंगे) डिरेक्ट्री है - http://www.dogswithblogs.org/theblogs.htm जहाँ दर्जनों पन्नों पर कुत्तों को समर्पित ब्लॉगों को सूचीबद्ध किया गया है.
सवाल ये है कि कुत्ते-बिल्ली के ब्लॉगों में क्या हो सकता है? वो सबकुछ जो हमारे-आपके ब्लॉगों में हो सकता है, मगर मनुष्यों की तरह काटने-नोचने-झगड़ने की बातें, बिलकुल नहीं!
एक मार्मिक उदाहरण फाइव कैट्स ब्लॉग के परिचय पन्ने से -
Welcome!
We're Boy, Buffy, Tux, Sam, and Kaku, citizens of planet Earth and kitties of the Matrix (at least we used to leap like them).
We all used to be orphan kitties till we found our Mom and Dad. Now we live with them and our human baby brother FiveCatsKid and sister FiveCatsBaby in a small house east of the Equator. Here is the story of our life together.
उन्मुक्त ने अपने कुत्ते टॉमी के लिए एक मार्मिक अंतिम संस्मरण लिखा था. पर पूरी तरह कुत्ते या बिल्ली को समर्पित एक भी ब्लॉग अभी हिन्दी में नहीं है.
तो, यदि आप कुत्ता-बिल्ली प्रेमी हैं, तो क्या यह सही समय नहीं है कि हिन्दी ब्लॉग जगत में, आपके सौजन्य से, इनके भी पदार्पण हों?
अब लगता है शुरुआत होकर ही रहेगी।
जवाब देंहटाएंivar eahcuhap naahaw ivak eahcuhap aan naahaj !!!!
जवाब देंहटाएंपर पूरी तरह कुत्ते या बिल्ली को समर्पित एक भी ब्लॉग अभी हिन्दी में नहीं है.
जवाब देंहटाएंक्या यह पुख्ता जानकारी है?
कुत्ते बिल्लीयों का ब्लॉगजगत में स्वागत है। कृपया पहले से विचरण कर रहे मूलनिवासियों के अधिकारों की रक्षा की जाय :)
जवाब देंहटाएं@ ज्ञानदत्त : आपकी शंका जायज है, इसे मेरी सर्वोत्तम जानकारी के मुताबिक पढ़ा जाए :)
जवाब देंहटाएंहिन्दी में कुत्ते-बिल्लियों की तरह आपस में काटते-नोचते-झगड़ते ब्लॉग
जवाब देंहटाएंरवि जी, आपने बेशक हल्के-फुल्के तौर पर इस वाक्यांश को लिखा होगा। किन्तु आपका घोर प्रशंसक होने के बावज़ूद मुझे आपकी यह अदा, इस ब्रांड बन चुके मंच पर नहीं भायी। आपके कथन को गंभीर कथ्य माना जाता है, भले ही वह व्यंग्य क्यों न हो।
चिट्ठाचर्चा के इस मंच पर लेखकों के कद को देखते हुए यह अपेक्षा रहती है कि वे अनछुए सार्थक ब्लॉगों को भी सामने लाएँगे।
इन मूक प्राणियों के स्वामियों द्वारा संचालित इन विदेशी भाषा के ब्लॉगों की बजाय हिन्दी के चंद (ऐसे ही) भारतीय ब्लॉगों की बात कर ली जाती तो कितना बढ़िया था
http://dpmishra-tiger.blogspot.com
http://krishnakumarmishra.blogspot.com
http://dpmishra.blogspot.com
http://kudaratnama.blogspot.com
आंग्ल भाषा में भी
http://dudhwa.blogspot.com
वैसे अब तो हकीकत में पौधे खुद, बिना किसी की सहायता के 'ब्लॉग' लिख रहे हैं। बस हम मनुष्य ही ...
बस एक क्षोभ का ज्वार उठा था, आप थे इसलिए लिख दिया, उम्मीद है अन्यथा नहीं लेंगे
बी एस पाबला
आपनें कहा----हिन्दी में कुत्ते-बिल्लियों की तरह आपस में काटते-नोचते-झगड़ते (जाहिर है, पोस्टों-टिप्पणियों में!) ब्लॉगों के बीच भले ही अभी एक भी कुत्ता या बिल्ली का ब्लॉग न हो, मगर भविष्य जरूर उज्जवल है.
जवाब देंहटाएं------------------------वैसे इस प्रकार के लेखन के लिए क्या यह यह मंच सक्रिय हो रहा है क्या?
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद रवि जी
जवाब देंहटाएंआपके, पूरी तरह कुत्ते या बिल्ली को समर्पित एक भी ब्लॉग अभी हिन्दी में न होने के अनुमोदन के बाद, कई समय से दबी इच्छा को आज कार्यरूप में ढाल लिया गया
ब्लॉग नाम है: मूक मित्र
लिंक है: http://mookmitr.blogspot.com/
प्रीति बड्थ्वाल जी द्वारा लिखी 'शिवा' वाली एक पोस्ट पर बहुतों ने इस तरह के ब्लॉग की इच्छा जाहिर की थी, जिनमें दुबई वालीं मीनाक्षी मुख्य हैं, जिन्होंने ऐसे ब्लॉग की विषय-वस्तु के बारे में खुलकर बातें की थीं. फिर हमारी डेज़ी, महफ़ूज़ जी का जैंगो, अरविन्द जी की डेज़ी, ज्ञानदत जी का गोलू, अवधिया जी का जैंगो, शिवम जी की धद्दो, सुअब्रमणियम जी की स्टेफ़ी, गोदियाल जी की स्वीटी, भाटिया जी का हैरी, सब यहीं तो हैं
जल्द ही एक नया टेम्पलेट डाल इसे सामने लाया जाएगा
एक बार पुन: धन्यवाद
बी एस पाबला
तनु श्री का प्रश्न मेरा प्रश्न और पाबला जी का जवाब मेरा जवाब !
जवाब देंहटाएंमै पाबला जी के विचारो से सहमत हूँ ...आभार
जवाब देंहटाएंभाई रवि रतलामी जी!
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट से चिट्ठा-चर्चा का गौरव जरूर बढ़ा होगा?
आपकी प्रतिक्रियाये हमारे लिए महत्वपूर्ण है!
चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।
आपकी पोस्ट एवं ब्लॉग की गरिमा बनी रहे इसका ध्यान रखते हुए ही टिप्पणी बहुत संक्षिप्त और संयत-भाषा में दी है।
चिट्ठा चर्चा यदि हिन्दी चिट्ठामंडल का मंच है तो इसमें अंग्रेजी भाषा के ब्लॉगों के उदाहरण प्रस्तुत कर आप निश्चितरूप से चिट्ठा-चर्चा के गौरव और गरिमा में वृद्धि कर रहे है?
"लिखना भी भा गया हमें पढ़ना भी आ गया,
जवाब देंहटाएंपहचानते हैं खूब तुम्हारी नज़र को हम!"
रतलाम के भास्कर भइया रवि रतलामी जी!
जवाब देंहटाएंआप मुझसे पुराने ब्लॉगर हैं मगर आप यह कैसे भूल गये कि एक मशहूर बिल्ली का "मिस रामप्यारी" के नाम से हिन्दी में ब्लॉग चल रहा है। जो एक वर्ष से अधिक पुराना हो गया है!
वाह!
कमाल है आपको अंग्रेजी का तो कुत्ते-बिल्ली का ब्लॉग मिल गया मगर हिन्दी का रामप्यारी बिल्ली का ब्लॉग नही मिला?
हिंदी ब्लॉग जगत में भी तो "रामप्यारी" ह ना जी |
जवाब देंहटाएंरामप्यारी ही नहीं हिरामन तोता भी तो उसके साथ है |
एक गोलू पांडेय थे उसका ब्लाग था , पता नही है या नही
जवाब देंहटाएंरवि भाई!
जवाब देंहटाएंनर-नारियों से दिल भर गया है क्या,
जो कुत्ते-बिल्लियों के प्रति आपकी चाहत
इतनी बढ़ी हुई प्रतीत हो रही है!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंओह! शीर्षक से तो मैं कुछ और ही समझ बैठा था
जवाब देंहटाएं(spelling की ग़लती के चलते मुझे पहले वाली टिप्पणी हटानी पड़ी)
फिर भी हम ब्लॉगरी करते रहेंगे। आने दीजिए इन कुत्तों को। ...और बिल्ल्यों को भी। :)
जवाब देंहटाएंकुत्ते अक्सर आपके परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। उनका बिछड़ना दुखदायी होता है।
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