ऐसा लगता है कि शुरूआत तो हो ही गई है. गूगल द्वारा चीन से अपना बोरिया बिस्तरा समेटने की खबरों तथा चीनी सरकार द्वारा प्रतिवाद स्वरूप स्पष्टीकरण देने के बीच क्या यह संभावना थोड़ी सी और पुख्ता नहीं हुई है? आने वाले दिनों में इंटरनेट देश के हर घर के हर संभावित उपकरणों में – नियंत्रण और प्रचालन की खातिर मौजूद रहेगा, और ऐसे में यदि दुश्मन द्वारा देश या क्षेत्र की इंटरनेट सेवाएँ बाधित कर दी जाएँ, तो आधी जंग तो जीत ही ली गई समझें. और, आपका दुश्मन कोई भी हो सकता है – दुश्मन देश या स्थानीय, विद्रोही संगठन या कोई जानकार व्यक्ति!
गूगल द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से यह आरोप लगाया गया (बाद में इसकी पुष्टि अन्य क्षेत्रों से भी हुई ) है कि उनके समेत अन्य 33 बड़े इंटरनेट कंपनियों पर चीन द्वारा ‘लक्षित प्रहार’ किए गए. इन लक्षित प्रहारों का उद्देश्य था – चीनी सरकार के विरुद्ध प्रोपेगंडा चला रहे लोगों के संबंध में तमाम जानकारियाँ हासिल करना. इन प्रहारों की कार्यप्रणाली पर एंटीवायरस कंपनी मॅकएफ़ी के इस ब्लॉग पोस्ट में विस्तार से जानकारी दी गई है, जिसके अनुसार, कुछ लोगों को लक्षित कर ईमेल स्पूफ कर उन्हें दस्तावेज संलग्नक भेजे जाते हैं ताकि ईमेल प्राप्त कर्ताओं को ये भ्रम रहे कि उन्हें भरोसेमंद स्रोत से ये संलग्नक मिले हैं. ऐसे में वह ईमेल प्राप्तकर्ता उस संलग्नक को खोलता है, और संलग्नकों में छुपे कोड के जरिए हमलावरों के जाल में उसका कंप्यूटर आ जाता है. उस कम्प्यूटर पर वे कब्जा जमा लेते हैं और पिछाड़ी के दरवाजे से उस कम्प्यूटर से जुड़े नेटवर्क कम्प्यूटरों से तमाम अहम जानकारियाँ चुरा लेते हैं.
एंटीवायरस कंपनी एफ़ सेक्यूर के इस ब्लॉग पोस्ट में यह विस्तार से बताया गया है कि किस तरह से ऐसे लक्षित प्रहार किए जाते हैं, और किस तरह से मारक औजार तैयार किए जाते हैं.
एफ़ सेक्यूर के मुख्य शोध अफसर, मिक्को हेप्पनन अपने निम्न वीडियो में बता रहे हैं कि किस तरह से किसी के अत्यंत सुरक्षित कम्प्यूटर से जानकारियाँ चुराई जाती हैं और यह कि कैसे शुरूआती दिनों में कम्प्यूटर के शौकीन हैकिंग करते थे, बाद में अपराधियों ने उसे अपने क्षुद्र लाभ की खातिर काम में लेना शुरू किया और अब सरकारें भी अपने साइबर टेक्नोलॉजी में दक्ष जासूसों के लाव-लश्कर के सहारे हैकिंग प्रहारों में शामिल हो गई हैं -
प्रसंगवश, यहाँ पर यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि भारत के नं 1 तकनीकी ब्लॉगर - अमित अग्रवाल का अतिसुरक्षित जीमेल खाता भी पिछले दिनों हैक कर लिया गया था.
इंटरनेटीय दुनिया में, अचानक ही लगने लगा है कि कोई भी सुरक्षित नहीं है! कोई भी, कभी भी आपके कंप्यूटर पर सेंध लगा सकता है, कोई भी आपके विरुद्ध युद्ध छेड़ सकता है!
(चित्र – साभार लेबनॉल.ऑर्ग)
अमित अग्रवाल का खाता हैक हो गया, तो दूसरों का क्या होगा ?
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ बताती चर्चा । आभार ।
लगता तो यही है कि अब हथियारों की जरुरत नहीं है, हम आर्थिक रुप से घर बैठे दुश्मन को इतनी छति पहुँचा सकते हैं।
जवाब देंहटाएंअमित अग्रवाल का खाता हैक हो गया///! बाप रे बाप..!
जवाब देंहटाएंविश्वयुद्ध का तो नहीं पता पर घुसपैठ तो शुरू हो ही गयी है..और यह खतम भी नही होता..भारत की सीमाओं की तरह..!
पाकियों ने वायरस बनाया चीनियों ने हैकिंग की मास्टरी कर ली...इनसे कुछ और की उम्मीद की भी नहीं जा सकती..
जवाब देंहटाएंजब इतने बडे लोगों के खाते पर सेंध लग गयी तो फिर हम किस खेत की मूली हैं आपने तो डरा दिया कम्प्यूटर मे कुछ भी रखना ठीक नहीं होगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्
अच्छा है।
जवाब देंहटाएंamit agrawal ke g-mail khate ke habk hone se darne ke bajaay hame usase bachne ke upaay seekh lene chahiye. # amit ji ne swayam sweekar kiya ki google ke sandeshon ko najarandaj karke unhone galti kee thee. # amit ji ne yah bhee bataya hai ki kis prakar apne hacked khate ko punah paya ja sakta hai. # agla vishvyuddh internet par ladaa jayega ke bajaay yah kaha jana chahiye ki kahin yah vishv-yuddh internet par ladaa to nahin ja raha? # aabhaar aapka
जवाब देंहटाएंroman me likhne ki muaafi chahunga.
जवाब देंहटाएंदेखे आगे आगे क्या होता है
जवाब देंहटाएंहोगा क्या चल रहा है :) , बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंअभी और भी बहाने हैं इन्टरनेट के सिवा
जवाब देंहटाएंआसार नज़र आने लगे हैं!
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