बुधवार, जुलाई 22, 2009

बिजली और विवेक ने तुड़वाई पंखे की सगाई


सूर्यग्रहण
भारत और आसपास के देशों के हाल मासाअल्लाह टाइप हैं। नेता लोग बल भर और अकल भर कोशिश कर रहे हैं अपने-अपने देश को आगे ले जाने की लेकिन देश लोग हैं कि मानते ही नहीं हैं। बैक गियर में चले जा रहे हैं। जिनका पटरा बैक गियर में जाने से भी नहीं हो रहा है वे साइड गियर और ऐंड़े-बैंड़े में देश गाड़ी को घुसा दे रहे हैं। लेकिन देश के लोग अपने नताओं की कोशिशों से उदासीन उनकी मौज लेने पर उतारू हैं। नेताओं की मजाक उड़ाते रहते हैं। इस बात पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी जी ने एलान कर दिया है कि जो उनकी खिल्ली उड़ायेगा उसको सजा मिलेगी। बरोबर मिलेगी। अब इस पर हम क्या कहें? आप खुद समझदार हैं। लेकिन आप देखिये कि जरदारी जी और गिलानी जी में काहे के लिये ठन गयी!

लेकिन मौज लेने वाले आई मौज फ़कीर की/दिया झोपड़ा फ़ूंक वाली इस्टाईल के होते हैं। लेनी होती है तो ले ही लेते हैं। उदयप्रकाशजी अपनी बात के समर्थन में कुछ बातें कह चुके हैं और कई किश्तों में माफ़ी की बात कह चुके हैं लेकिन हर बार सच कुछ डिग्री अलग खड़ा दिखता है। आज डाट डाट डाट (.......) के माध्यम से उदयप्रकाशजी के बारे में लिखते हुये अनिल यादव ने लिखा:

उदयप्रकाशजी
लेकिन खुद योगी ने ... ... को "राजनीतिक संदर्भ" समझाने की कोशिश की थीः
यहां मैं तमाम वैचारिक विरोध के बावजूद योगी की सदाशयता, साफगोई, दूरदर्शिता और ... ... की खास लेखकीय इमेज की गहरी समझ की प्रशंसा करता हूं। उसे बचाने की फिक्र की तो और भी ज्यादा।

"इस समारोह में जाने से पहले मैने खुद आगाह किया था कि ... ... जी को कठिनाई हो सकती है लेकिन एक निजी (संदर्भ किसी परिवार का नहीं, गोरखनाथ पीठ के अपने कालेज का) समारोह मानकर चला गया था।"


अखबार में छपी खबर के अनुसार इस मामले पर हो रही बयानबाजी से क्षुब्ध योगी आदित्यनाथजी नेतल्ख लहजे में कहा-इस देश के वामपंथियों ने कभी इस देश की परंपराओं, रीति-रिवाजों और यहां तक कि अच्छी बातों और विचारों का समर्थन नहीं किया।

आज सूर्यग्रहण था। इस मौके पर कई लोगों ने अपने अनुभव लिखे हैं। किसी ने चित्र लगाये हैं तो किसी ने कहानी बताई है। कुछ पोस्टे हैं:

सूर्यग्रहण
  1. सूर्यग्रहण के बहाने

  2. कुछ ऐसा रहा नज़ारा हमारे यहाँ सूर्य ग्रहण का

  3. सबसे बड़ा सूर्यग्रहण

  4. जब सूर्यग्रहण के चक्कर में फंसे हनुमान जी

  5. वाराणसी में सूर्य ग्रहण : रूपम यथा शान्त महार्णवस्य

  6. सूर्यग्रहण का नज़ारा

  7. दारागंज का पण्डा

  8. आपने न्यूज चैनलों पर देखा सूर्यग्रहण? नहीं देखा तो यहां देखिये

  9. सुर्य और चन्द्र का मिलन

  10. सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण खत्म

  11. सूर्य ग्रहण देख रोमांचित हो उठे देशवासी

  12. ग्रहण और मैं ...

  13. कुदरत के करिश्मे पर नजर

  14. सूर्य ग्रहण से एक दिन पहले

  15. सूरज चाँद से मिला !

  16. सूर्यग्रहण और मेरा तजुर्बा

दुनिया भर के लिये सूर्यग्रहण भले वैज्ञानिक घटना हो लेकिन पी सी गोदियल के लिये यह आशिक-माशूक (चांद-सूरज)मिलन का लफ़ड़ा है। पुराने ख्याल का होने के कारण मिलते समय अंधेरा कर लेते हैं:
ये आशिक अभी भी
पुराने ख्यालातों के है,
इनपर अभी तक,
पश्चिम का जादू नहीं चला !
वरना इसतरह,
रोशनी बुझाकर क्यों
अँधेरे मे एक दूसरे को,
प्यार करते भला ?

स्वामीजी सूर्यग्रहण के मौके पर कहानी सुनाते हुये समझाइस देते हैं:
मैं इन (शायद सांकेतिक) कथाओं को बहुत दिलचस्प पाता हूं! ये संदेश को ठिकाने पहुंचा देती हैं. तो अगर आपने तपोबल को वेस्ट ना करें तो ईश्वर भी भविष्यवाणी ना कर सकें .. पार्वती देवी ने, (प्रकृति पर्सोनिफ़ाईड ने) सिस्टम में सारे मायावी चेक्स लगा रखे हैं. टटपूंजिये मानवों की तो क्या ही बिसात कर लें सही भविष्यवाणी!


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह अपने पुलिस बल का मनोबल बढ़ाने के लिये नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गये। उनके साहस की तारीफ़ करती पोस्ट पर कई बेनामी टिप्पणियां भी हैं जो कहती हैं:
रमन सिंह का नक्सली घटना स्थल पर जाना वाकई साहसिक है। उनके इस काम के लिए तो दुश्मनों को भी उनको सलाम करना चाहिए।


सच का सामना के सच को सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं-निखिल आनन्द गिरि-बेडरूम का सच और एक करोड़ रुपए । इसी कार्यक्रम की नकल उडा़ते हुये नटखट बच्चा भी सवाल पूछने लगा है:
तीसरा सवाल -क्या आप कुछ महिलाओं को उनकी झूठी तारीफ़ करके अपने पक्ष में करते है ?
ब्लोगर -हाँ
ये आईडिया कहाँ से आया .
ब्लोगर -मेरे भांजे ने मुझे ये आईडिया दिया पुरुष भी इसके झांसे में आते है ,तीन चार नामी ब्लोगर ने अपनी तारीफ़ साइड में लगा रखी है पर हर पुरुष नहीं आता हाँ महिलाए आसानी से इसकी शिकार हो जाती है
चौथा सवाल - क्या आपने कभी किसी महिला /पुरुष ब्लोगर का गाना सुना है ?
ब्लोगर -नहीं
कुछ बताये
ब्लोगर -सबका नहीं एक बार एक का सुना था ,उनसे अच्छा तो मै बाथरूम में गाता हूँ
पांचवा सवाल -क्या अपने बेटे से कम उम्र की ब्लोगर की कविता की आपनी झूठी तारीफ की है
ब्लोगर -हाँ


भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब की अमेरिकन एअरलाइन्स वालों बेइज्जती कर दी। सुरक्षा जांच के लिये उनके जूते उतरवा लिये , मोबाइल धरवा लिया। इस पर अपना आक्रोश व्यक्त किया है ब्लागर साथियों ने।

विवेक सिंह की कल्पनाशीलता के जलवे आजकल झकास दिख रहे हैं। आज देखिये बिजली के पंखे की सगाई तुड़वा दी।

सूर्यग्रहण
पंखा एक डॉक्टर के घर
जाकर यूँ फ़रमाया ।
कर दें मेरा भी इलाज
बिजली ने मुझे सताया ॥
घूम गया मेरा दिमाग
जैसे ही बटन दबाया ।
लटका था चुपचाप हवा में,
लेकिन अब लहराया ॥
हलचल सी मच गयी, हवा के
कण कुछ समझ न पाये ।
एक दूसरे को भगदड़ में
लतियाये, धकियाये ॥
हुई शिकायत घर मेरे,
अम्मा ने डाँट लगायी ।
बोले लोग, " इसे मिर्गी है "
टूटी मेरी सगाई ॥

कविता कोश की स्थापना के तीन वर्ष पांच जुलाई को हुये। आज कविता कोश ने अपने संग्रह में बीस हजार कवितायें पूरी होने की सूचना दी:
आपको यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि कविता कोश में उपलब्ध पन्नों की संख्या अब 20,000 के ऊपर पँहुच गयी है। अभी दो सप्ताह पहले ही कोश की स्थापना के तीन वर्ष पूरे हुए हैं। इतने कम समय के दौरान 20,000 पन्नों का संकलन अपने आप में एक उपलब्धि है। यह उपलब्धि इसलिये भी विशेष है क्योंकि कोश में संकलित रचनाकारों का चयन एक कठिन प्रक्रिया के ज़रिये किया जाता है।
कविता कोश को हम सबकी बधाई! आगे और अधिक सार्थक काम करने के लिये शुभकामनायें।

मेरी पसंद



मुकेश कुमार तिवारी
तुम,
जब मुस्कुराती हो
और मेरे कंधे पर सिर टिकाते हुये
बात करती हो
कुछ शिकायत भी
अच्छी लगती हो


तुम,
जब शाम से ही
मेरा इंतजार करती हो
और मेरे आते ही
समा जाती हो
मेरी बांहो में
अच्छी लगती हो

तुम,
जब बिलखने लगती हो
नाराज किसी बात पर
और मेरी किसी भी बात को
नही सुनती हो
बच्ची लगती हो

तुम,
जब उदास होती हो तो
पैर पटकते हुये
घूमती हो आँगन में
या सिर पर पट्टी बांधे
सिमटी होती हो बिस्तर पर
क्या कहूँ .............?
कैसी लगती हो ?
मुकेश कुमार तिवारी

और अंत में

आज चर्चा करने मीनाक्षीजी का दिन था। पहले यह चर्चा कुश और उसके पहले के वुधग्रह समीरलाल थे। कल कुश ने कहा- खबरदार जो किसी ने वुध की चर्चा की। वुध की चर्चा हम करेंगे। हम खुश होकर सो गये। सुबह आठ बजे मोबाइल की जामा तलाशी से कुश का मेसेज मिला कि मुई बिजली के न रहने वे चर्चा नहीं कर पाये। लिहाजा हमें देर से आपके रूबरू होना पड़ा। आप फ़िर एक क्लासिक चर्चा से वंचित रह गये। बहरहाल जैसा है आपके सामने इसे पेश किया। अब आप मौज करिये।
ऊपर के कार्टून क्रमश हरिओम तिवारी और काजल कुमार के हैं।

बिजली और विवेक ने तुड़वाई पंखे की सगाई

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16 टिप्‍पणियां:

  1. कल रात से बिजली से जूझ रहे है जी.. सोचे सुबह आ जायेगी.. फिर सुबह पता चला कि सिर्फ हमारे ही घर से गायब है.. इसलिए हमने अपने ख़बरदार शब्दों को वापस ले लिया.. और अछे बच्चे की तरह सुबह आपको सूचित कर दिया.. वैसे अच्छा ही हुआ.. इसी बहाने लोगो को अति उत्तम चर्चा पढने को मिल गयी.. वारने हम फिर बोर कर बैठते..

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  2. बेनामी टिप्पणियों ने कर दिया था हैरान- मित्रों ने कहा न हों परेशान।
    शुक्ल जी की चर्चा हमेशा की तरह लाजवाब

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  3. अनूप जी,

    जैसा कि आपने लिखा है "जैसा है आपके सामने पेश किया है अब मौज कीजिये" वाकई मौज करने लायक पोस्ट है, रोचक, व्यापक और सारगर्भित।

    मुझ अकिंचन को अपनी पसंद में शामिल करने के लिये आभार।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  4. वाह !!! बेहतरीन चर्चा........

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  5. धन्यवाद अनुप जी जो आप की नजरे इनायत हुयी मुझपे और मै चिट्टा चर्चा मे शामिल हुआ । आभार
    बिजली ने बहुतो के दिल और घर तोडे है

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  6. गलती तो इन्द्र से भी हो जाती है,

    अब देखिये नेता को भला आदमी कह दिया ,

    और सॉरी भी नहीं कहा !

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  7. बेहतरीन चर्चा । सूर्यग्रहण से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रविष्टियाँ सम्मिलित हो गयीं यहाँ । आभार ।

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  8. बहुत बेहतरीन चर्चा..और ’मेरी पसंद’ में ’आपकी पसंद’ तो हमेशा ’हमारी पसंद’ ही होती है, बहुत उम्दा!!

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  9. यह चुरातत्वीय टिप्पणी है - आपने मेरे ब्लॉग को लिंक/जिक्रित किया, आपको धन्यवाद और मुझे बधाई!
    मैं पुन: कहूंगा, चिकित्सक से ब्लॉग की फीड चेक करवालें! :-)

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  10. पुरूस्कार लेना भी कभी कभी कितना खतरनाक हो जाता है ..!!!!!
    हमारे उ पी में रोज बिजली नहीं रहती .अब तो मायावती जी ने बाकायदा कोंग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है .....पर कमबख्त कोई चैनल इस पर हल्ला नहीं मचाता ....पता नहीं कानपूर को" विशेस "दर्जा प्राप्त है के नहीं ...पंखे का डिजाइन बढ़िया है.....नटखट भी लगता है मौज ले रहे है....पर ऊपर सूर्यग्रहण के कार्टून को सौ नंबर....एक दम झकास कार्टून.है......
    इस देश में २००९ में भी इतने अंधविश्वास है ओर कमाल की बात है मीडिया इन्हें बढावा दे रहा है...
    कुश से कहे की शनिवारी चर्चा कर ले....बुध से इत्ते लगाव की कोई ख़ास वजह ?

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  11. "उदयप्रकाशजी अपनी बात के समर्थन में कुछ बातें कह चुके हैं और कई किश्तों में माफ़ी की बात कह चुके हैं"

    बुलबुलो-गुल में जो गुज़री, हमको उससे क्या गरज़।
    हम तो गुलशन में फ़क़त, रंगे-चमन देखा किए॥ - असग़र गोंडवी

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  12. बहरहाल जैसा है आपके सामने इसे पेश किया। अब आप मौज करिये।

    अनूप जी
    आप तो कह कर चल दिए होंगे सोने, अब हम दुविधा में है की मौज करे या ब्लोगिंग ???

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  13. बेहद रोचक चर्चा अनूप साहब।

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