गुरुवार, जुलाई 30, 2009

सुगर क्यूब्स पिक्चर प्रजेंट्स पापाजी....और अरहर महादेव

मनोज बाजपेयी जी तेलुगु निर्देशकों की कसौटी पर खरा उतर गए और खुश हो गए. मनोज जी के मित्र आशीष विद्यार्थी जी मानते हैं कि आंध्रप्रदेश में बचपन से ही बच्चों को कड़ी मेहनत करना सिखाया जाता है. अच्छी बात है. बिना कड़ी मेहनत किये कुछ भी हासिल करना मुश्किल है.

मनोज बाजपेयी जी और किन बातों का जिक्र कर रहे हैं, यह तो आप उनकी पोस्ट बांचकर ही जान पायेंगे.

हर्षवर्धन जी ने सच का सामना टाइप सवालों से आज पोस्ट की शुरुआत की है. बता रहे थे कि ये सवाल किसी कश्मीरी नेता ने दूसरे कश्मीरी नेता से विधानसभा में पूछा है. हर्षवर्धन जी के अनुसार नेता लोग गिरते जा रहे हैं लेकिन सच का सामना जैसे कार्यक्रम की खिलाफत भी करते हैं.

आप हर्षवर्धन जी की पोस्ट पढ़ें और जानें कि सच क्या है?

आजकल शर्म-अल-शेख नामक जगह की बड़ी चर्चा हो रही है. बड़ा धाँसू नाम है, शर्म-अल-शेख. शायद किसी शेख को इस जगह पर शर्म आ गई होगी इसलिए ये नाम पड़ा होगा. लेकिन इस शर्मीली जगह पर पिछले दिनों हमारे प्रधानमंत्री और पकिस्तान के प्रधानमंत्री ज्वाइंट तौर पर स्टेट्समैन हो लिए.

आज एलिया जी ने इस मुद्दे पर लेख लिखा है. शीर्षक है; "शर्म मगर हमको नहीं आती..." आप एलिया जी का लेख पढ़ें और जानें कि वे किसकी बेशर्मी की बात कर रहे हैं.

लेख पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये.

क्या हमारा देश एक दलाल-प्रधान देश है?

इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश की है रंजन ऋतुराज सिंह इंदिरापुरम वाले ने. प्रस्तुत किया है मुखिया जी ने.

आप लेख पढिये और जानिए कि चुन्नू सिंह दलाल क्यों बनना चाहते थे.

सावन के महीने में दो बातें होती हैं. एक तो पवन शोर करता है और दूसरी बात है भगवान शिव का पूजन. पूजन में क्या चढाया जाय? चीनी इतनी मंहगी हो गई है कि मिठाइयाँ अब आम आदमी तो क्या, भगवान शिव के भी पहुँच से बाहर दीखती हैं. यही कारण है कि भगवान शिव अब दाल तक खाने के लिए तैयार बैठे हैं. लेकिन अफसोस कि कोई भक्त अब दाल भी अफोर्ड नहीं कर पा रहा.

इस घोर दालीय समय में जब पी सी गोदियाल जी ने भगवान शिव के सामने हरहर महादेव का नारा लगाया तो क्या हुआ? यह जानने के लिए आप उनका लेख पढ़ें. पढ़ें पढ़ें. यहाँ क्लिक करें और डायरेक्ट लेख पर पहुँच जायेंगे.

कुश की कलम बहुत दिनों बाद आज फिर से चली है. उन्होंने एक फिल्म प्रस्तुत की है. बड़े उम्दा अंदाज़ में. लिखा है;

"सुगर क्यूब्स पिक्चर प्रजेंट्स पापाजी"

पढ़कर आपको अच्छा लगेगा. कुछ सोचने पर आप मजबूर हो जायेंगे और शायद यही कुश के लेखन का कमाल है. ज़रूर पढिये.

कभी-कभी हम ब्लागर्स भी हिंदी न्यूज़ चैनल की तरह बर्ताव करते हैं. शिवम् मिश्रा जी ने कल शेयर बाज़ार में आई गिरावट के बारे में पोस्ट लिखी और शीर्षक लिखा; "चीन की दीवार गिरने से दबी दलाल स्ट्रीट."

इसे कहते हैं सनसनी लपेटर ब्लागिंग?

सलीम खान साहब हैं. उनका मानना है कि वे उनलोगों को इस्लाम के बारे में जानकारी दे सकते हैं जिन्हें इस्लाम के बारे में नहीं पता और जो आये दिन तरह-तरह के ऊट-पटांग सवाल पूछते रहते हैं. अपनी इसी कोशिश के तहत उन्होंने आज लिखा;

"एक और सवाल जो हमारे नॉन-मुस्लिम भाईयों के ज़ेहन में हमेशा से आता रहता है और वो अक्सर ये पूछते हैं कि इस्लाम में मर्दों को तो एक से ज़्यादा विवाह करने का, एक से ज़्यादा बीवियां रखने की अनुमति तो है, मगर औरतो को क्यूँ नहीं यह छुट मिली कि वह भी एक से...."


इसका जवाब उन्होंने बड़ी मेहनत करके लिखा है. अगर आप 'नॉन-मुस्लिम' हैं और आपके मन में भी ये सवाल उभरते हैं
तो उनका जवाब ज़रूर पढ़ें और इस्लाम के बारे में बताने के उनके प्रयास की सराहना करें.

सलीम साहब का यह प्रयास बहुत अच्छा है. हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि उनका यह प्रयास बेकार नहीं जाएगा.

डॉक्टर मनोज मिश्र जी ने जौनपुर के महाकवि स्वर्गीय रूप नारायण त्रिपाठी की रचना प्रस्तुत की. त्रिपाठी जी लिखते हैं;

चैन सन्यास ले लिए होगा
पीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||


पूरी रचना आप मिश्र जी के ब्लॉग पर पढ़ें और और साधुवाद दें.

जयपुर की महारानी गायत्री देवी नहीं रहीं. मुनीश जी ने आज मयखाना में महारानी को विनम्र श्रद्धांजलि दी है.

वीनस केसरी जी ने अलबेला जी से शर्म करने का सुझाव दिया. ऐसा सुझाव देते हुए उन्होंने लिखा;

"महोदय आप कह रहे है की आपने लेखिकाओ द्वारा फैलाई जा रही गंदगी को देख कर वो पोस्ट लिखी थी मगर इस विषय में मेरी आपत्ती ये है की आपने भी तो वही किया "एक बेहद भद्दा टाइटल लगाया और लेबल्स के तो क्या कहने" labels: sex सम्भोग यौनाचार बलात्कार शीलभंग (ऐसे लेबल लगा कर आप कौन सी गंदगी फैला रहे है आप भी अच्छी तरह जानते हैं)"


अलबेला जी जानते हैं? खैर, अब ऐसे 'लेबल' पर क्या कहा जाए?

वैसे लगता है वे जानते ही होंगे. शायद इसीलिए उन्होंने अपनी पोस्ट में तमाम लोगों की टिप्पणियों का स्वागत करते हुए लिखा;

"__________________________अरे सज्जनों !
किसके विरुद्ध आँखें तरेर रहे हो ?
उसके विरुद्ध ?
जिसके अन्दाज़-ए-सुखन का आपको अलिफ़ बे तक का
पता नहीं .............."


अलबेला जी के अंदाज़-ए-सुखन को जाने बगैर टिप्पणी करना कहाँ की नैतिकता है?

ब्लॉग-जगत को इस महत्वपूर्ण प्रश्न का सामना करना चाहिए और उनके अंदाज़-ए-सुखन को समझने की एक घनघोर कोशिश करनी चाहिए. ऐसा करने से शायद अगली बार 'आँख-तरेर' कार्यक्रम करने का अधिकार मिल जाए.

आज आकांक्षा यादव और महावीर बी सेमालानी का जन्मदिन है. उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.

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25 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतर चिट्ठा चर्चा । आभार ।

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  2. बेहतरीन चिट्ठा चर्चा,धन्यवाद.

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  3. दबा-ढका ही रहने देते।
    अब तो बेहतरीन और धन्यवाद ही
    कहना पड़ेगा।

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  4. बहुत बढिया चर्चा जी.

    रामराम.

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  5. चिट्ठा चर्चा अच्छी लगी।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  6. अच्‍छी रही चर्चा, अरहर महादेव मजेदार प्रयोग था:)

    शेष लेख भी अच्‍छे थे।

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  7. सच का सामना शो के मैं खिलाफ हूं लेकिन, नेताओं का सच सबके सामने आने का पक्षधर हूं। बड़ा जरूरी है

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  8. शिव जी आपने मेरे विरोध को मंच प्रदान किया
    हार्दिक धन्यवाद

    वीनस केसरी

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  9. खूब चर्चा कर डाली। आकांक्षा यादव और महाबीर बी सेमलानी को जन्मदिन की मुबारकबाद। अलबेलाजी अलबेले हैं। अभी और लिखेंगे इस मुद्दे पर।

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  10. एक उम्दा चर्चा.

    आकांक्षा यादव और महाबीर बी सेमलानी को जन्मदिन की मुबारकबाद।

    जिंदा मुद्दों पर अब हम चुप बाकी पर जागृत!! यही वक्त की मांग है बकिया लफड़े बनते बिगड़ते रहते हैं.

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  11. आप की चर्चा जिन्दाबाद ।

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  12. चर्चा अपनी जगह पर.. शिवभाई की मार्फ़त श्री केसरी जी को साधुवाद कि, उन्होंने फूहड़ता पर एक आवाज़ उठायी । पढ़ा तो मैंनें भी था, मेरी रगों का पानी कुछ गुनगुना हुआ ही था कि, स्वयँ को रोक लिया । वर्ष 2008 का महाबवाली खिताब लगता है, जँग खा गया है ! अलबेला खतरी जी ने पाठकों को दृष्टिगत न करते हुये SEO के लिये यह रचना ठेली है, शुक्र है कि सविता भाभी का ध्यान उन्हें न आया, सर्च-इंज़न कुछ और गदगद और निहाल हो जाते !
    भाईज़ान अपने अँदाज़-ए-सुखन में अलिफ़ बे पर ही अटक गये, मैं मरदूद बाकी के हरूफ़ ज़िम,चे,हे,ख़े,दाल,ज़ाल,वाव,रे,हम्ज़ा,तोय,ज़ोय,ऎन,ग़ैन लादे टहल रहा हूँ कि, वह इसकी भी डिलेवरी ले लें.. तो मैं क्लिनिकोन्मुख होऊँ !

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  13. "आंध्रप्रदेश में बचपन से ही बच्चों को कड़ी मेहनत करना सिखाया जाता है." THANK YOU FOR THE COMPLIMENT:)

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  14. आज अरसे बाद नेट पर आई हूँ। आज की पोस्ट पर शिव भाई को बधाई देने के सा साथ "चिट्ठाचर्चा-परिवार" को यहाँ टिपपणी के माध्यम से ही राम राम भेज रही हूँ और ब्लॊगजगत के सभी साथियों-मित्रों को भी नमस्ते।चर्चा के लिंक्स,चिट्ठाजगत् व ब्लॊगवाणी के माध्यम से कुछ पोस्ट खंगाली हैं तो कई अजब कारनामें/करतब और हरकतें भी गत माह भर की उपलब्धियों में शुमार दिखी हैं। समय -समय पर चर्चाकरों ने उनका उल्लेख या उन पर चर्चा की है। सबको धन्यवाद।
    एक कारनामा यहाँ( )भी देखें, बच्चन जी की रचना पर राहुल सिंह की कविता का लेबल लगाकर चलाना चाह्ते हैं। दो बार टिप्पणी में विरोध दर्ज़ करवाया है किन्तु अभी तक टिप्पणी पारित होकर प्रदर्शित नहीं की गई और पोस्ट जस की तस है।
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    ब्लॉगर कविता वाचक्नवी Kavita Vachaknavee ने कहा…

    मूल रचनाकार का नाम न देना(न प्रकाशित करना)कवि और पाठकों दोनों के साथ धोखा करना जैसा होता है। इसलिए इस रचना के वास्तविक कवि का नाम भी दीजिए। इतने नामचीन कवि की खूब प्रसिद्ध रचना है यह।


    आपने लेबल में इसे "राहुल सिंह की रचना" बताया या है, जो सरासर चोरी है,झूठ है,धोखा है।

    July 31, 2009 3:05 PM

    टिप्पणी संपादित करें इस टिप्पणी को प्रकाशित करें .

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  15. लिंक छूट गया था सो पुन: - http://masthindi.blogspot.com/2009/07/blog-post_31.html

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  16. shirshak lajawaab raha.....aur charcha bhi behtareen hai....badhai..

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  17. saleem sahab ko famous kare, ye wahi log hain jinhone humare samaj ko ganda kar ke rakha hai..achha laga aapne notice kiya aur unhe manch par laye. dhanywaad..

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