शनिवार, जून 06, 2009

चोर पुलिस के हाल पूछने थाने पहुंचा

एक लाईना


  1. कृपया महिलायें इसे ना पढें: वर्ना कुछ झूठ और बोले जायेंगे

  2. ना फुरसतिया जी को फुरसत, और ना मुझे :फ़िर भी बांछे खिल के ही रहीं

  3. आपकी सलाह की ज़रूरत है.. एक लड़की को...:शादी करनी चाहिये कि नहीं

  4. खुदा का घर: अनिल कान्त के हवाले

  5. बीयर पिलाओ -चूहों से मुक्ति पाओ : और जो कहीं गणेश जी देख लिये तब क्या होगा बताओ?

  6. एक दम निजि पोस्ट : शादी में जाना है : इतनी भीषण गर्मी में शादी क्यों कर रहे हैं?

  7. ममी की रिश्तेदारी भी केरोसिन से… :ही निभनी थी!

  8. ईर कहा चलो लीची खायें, बीर कहा चलो लीची खायें, हम कहा... : कि चलो हमहू लीची खायें और फ़ोटू खिंचवायें

  9. हिंदी में लेखक होना बिना घोषणा किये तप करना है:और कवि होना क्या है जी?

  10. बच्चा बच्चा... बूढ़ा बूढ़ा... हाल तुम्हारा जाने है : कि लपेटू-सपेटू पोस्ट रात के तीन बजे लिखी जाती हैं

  11. हर ग़म को पचा लेते हैं :ये हाजमोला की ताकत है

  12. अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ? : जितना चाहो लपक लो साथियों

  13. सावधान... आपके कम्प्यूटर की भी जा सकती है जान: उसकी अंतिम इच्छा पूछ लो भाई

  14. पच्चीस साल हो गए ओपरेशन ब्लू स्टार को - आइये आसूं बहाए :पहले थोड़ा ग्लिसरीन मंगवायें

  15. यही हमारा हिन्दुस्तान है . : तुम अपना वाला दिखाओ न!

  16. हरा ही हरा… पर गाय ने नहीं चरा !?: इसीलिये इसे पोस्ट में गया धरा

  17. गुलाल असली चेहरे को छुपा लेता है :मोहल्ले में

  18. जनाब... बदले बदले से नज़र आते हैं : जाने क्या हुआ न चीखते हैं न चिल्लाते हैं

  19. चुपके से सो जाते हैं ! :मोहब्बत की कब्र में कौन हल्ला मचा सकता है जी!

  20. कविताओं के सरलार्थ नहीं गूढ़ार्थ ढूंढ़े जाने चाहिए : वर्ना लोग कविता समझने भी लगेंगे

  21. चोर पुलिस के हाल .. :पूछने थाने पहुंचा

और अंत में

आज शनिवारी चर्चा शायद तरुण और सागर में से किसी को करनी थी। सागर का तो लोगों की पेन ड्राइव के चलते कम्प्यूटर बिगड़ गया और निठल्ले तरुण को समय नहीं मिल पाया होगा। सो हम सोचे कि ठेल दें हमीं चर्चा इससे पहले कि तारीख बदले।

चेन्नई यात्रा के दौरान प्रशान्त से मिलना हुआ। उसके सच्चे-झूठे समाचार पीडी ने लिखे हैं। देखियेगा। सच्चे हाल हम लिखेंगे लेकिन जरा आराम से।

ठीक है न! आपको सब कुछ मुबारक!

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15 टिप्‍पणियां:

  1. "फ़िर भी बांछे खिल के ही रहीं "....सूरत ही ऐसी:)

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  2. नियमित चर्चा के लिए ऐसी निष्ठा कम ही देखने को मिलती है
    वीनस केसरी

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  3. हमारा ब्राडबैंड दो दिनों से दिक्कत दे रहा है। चिट्ठाचर्चा भी टिप्पणी स्वीकार करने से इन्कार करती रही।
    अब जाकर अरदास मंजूर हुई है। वीनस केसरी की बात हमारी बात समझें। शुक्रिया है....

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  4. चिट्ठा चर्चा के लिए चर्चाकारः अनूप शुक्ल के जज्बे को नमन्।

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  5. संचयन अच्छा -आप ही लिखें ,पी डी बिचारे तो लिख चुके !

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  6. और लपकने पे जो भी टपक जाये , उसे बाद में गटक लो साथियों !

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  7. ये लो जी, हम तो PD का लेख पढकर समझे थे कि आप अभी रस्ते मे होंगे? पर आपने तो चर्चा भी कर डाली. शायद ट्रेन मे से की होगी?:)

    रामराम.

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  8. बढ़िया मज़ेदार चर्चा .............

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  9. jay ho anoop ji, ghar jaa kar thoda aaram to kar lete...gazab dedication hai aapka...bhala ho isi bahane ek chakachak charcha padhne ko mili

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  10. पी डी के झूठे सच्चे समाचार तो पढ़ लिए, अब आप की सच्ची खबरों का इंतजार है।

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  11. एक अंतरल पर बढ़िया एक लाइना...
    कहाँ गये थे मद्रास?

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