हमेशा से मानते आए हैं कि इस जग में प्रेम ही सत्य है लेकिन उस पार कहीं दूर अंजाने जग में मृत्यु सत्य है... अटल है, यह भी जानते हैं... ... उसके चंगुल से निकल पाना नामुमकिन है....
कवि जगत की कुछ महान हस्तियों को मृत्यु ने अपने बाहुपाश में बाँध लिया... रंगमंच ने एक वीर को खो दिया ..
दबे पाँव आती मृत्यु जीवन को अपने आँचल में छिपा लेती है ....
जब जब मृत्यु आती है..... गहरी खामोशी छा जाती है......एक अजीब सी उदासी घेर लेती है....
सुबोध इस उदासी को कुछ इस तरह से महसूस करते हैं....
रात उदास, दिन उदास
मन उदास,सब उदास
ये उदास, वो उदास
मैं उदास, तू उदास
सच उदास,हिम्मत उदास
हवा उदास,मौसम उदास
क्या कहें, क्या क्या उदास
मृत्यु का बुलावा जब भेजेगा तो आ जाऊँगा
तूने कहा जिये जा तो जिये जा रहा हूँ मैं – आदित्य जी
संजीव तिवारी अपनी स्मृति में हबीब साहब की नज़्म को याद कर रहे हैं ---
कर चुका हूँ पार ये दरिया न जाने कितनी बार
पार ये दरिया करूँगा और कितनी बार अभी
काविशे पैहम अभी ये सिलसिला रुकने न पाए
जान अभी आँखों में है और पाँव में रफ़्तार अभी
हास्य को गाकर पढ़ने वाले कवि श्री ओम प्रकाश 'आदित्य' चन्द रचनाकारों मे से एक थे ... वयोवृद्ध होने के बावजूद वे कभी अपना बड़प्पन किसी पर लादते नहीं थे....
यकीनन पहाड़ टूटा है...हकीकत इतनी ही ठोस और बेरहम होती है...सोमवार की सुबह सूरज अंधियारा लेकर उगा था..हबीब साहब के इंतकाल के बाद वक्त थम गया..हँसी रुक गई... उम्मीद ठहर गई... अन्धेरा छटा तो हौंसला मुस्कुराया...कि लोक की आस्था में रची आवाज़ कभी थम नही सकती... उम्मीद से भरे सीने की धड़कन कभी नहीं रुकती...सपनों से भरी आँखें कभी नही बुझती...एक दिल की धड़कन थमी...तो हमारे हबीब लाखों दिलों मे धड़कने लगे.....
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और वर्तमान में राजस्थान में पुलिस अधीक्षक आनन्द वदर्धन शुक्ला के निकटतम मित्र होने के कारण ओम व्यास ओम बीकानेर आए थे। तब भी उनकी मंचीय अदाकारी में मौत और मौत से तमाशा सबसे प्रिय विषय था....
आज भोपाल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। निश्चित रूप से हजारों लोगों को खुशी का अहसास कराने वालों की दुआ उन्हें मौत के जंजाल से खींच कर फिर हमारे बीच लाएगी। ओमप्रकाश आदित्य, नीरज पुरी और लाडसिंह के निधन का हम सभी को दुख है।
साँसों का पैमाना टूटेगापलभर में हाथों से छूटेगा
सोच अचानक दिल घबराया
ख्याल तभी इक मन में आया
जाम कहीं यह छलक न जाए
छूट के हाथ से बिखर न जाए
क्यों न मैं हर लम्हा जी लूँ
जीवन का मधुरस मैं पी लूँ
आज पूजा उपाध्याय का जन्मदिन है.... हमने भी पूजा के सिर पर हाथ रखकर खूब सारा प्यार और आशीर्वाद दे दिया आज के दिन.... जन्मदिन पर ढेरों शुभकामनाएँ....
मैंने हर पन्ना सहेज कर रखा है माँ
और जब तुम बहुत याद आती हो
इन आड़ी तिरछी लकीरों को देख लेती हूँ
लगता है...तुमने सर पे हाथ रख दिया हो
सबसे दूर सबके पास - राजेश शर्मा
आओ कुछ तो नया करे
चलो हम जिंदगी को उलझाते हैं
लोग कहते हैं की सबसे अहम् रुपैया हैं
हम उसे जरुरत मंदों को बाँट आते
पारी डाना घुघूती बासी,मेरो मन उदासी लागी,
कह पपी, सुवा की नराई लागी .........................
ऐसे ही कई गीत जिनकी मिठास और रस को मैं दिल की गहराइयों से महसूस करती हूँ......पहाडों में गाये जाते हैं ।
जितने रिश्ते-नाते दुनिया में.
सब को नाप लिया है गुनिया में.
नहीं किसी का हुआ यहां कोई,
भैया सबका ऊपरवाला है.
कहतें हैं कि गलतियाँ इंसान से ही होती है, लेकिन यकीन मानिये अगर गलतियों के विश्वा रिकॉर्ड की कोई बात होगी तो गिनीज बुक वाले इसी डेस्क के आस-पास मंडराते हुए नज़र आयेंगे....
परदा गिरा कर चल दिये
नहीं रहे छ्त्तीसगढ़ी रंगशैली के उन्नायक, महान रंगकर्मी हबीब तनवीर साहब के दिवंगत होने ख़बर तमाम रंगकर्मियों-लेख़कों को शोकाकुल कर गयी।
सच्चाई को कहना सीखो
सच्चाई को सहना सीखो
बुलंदी के अभिलाषी हैं तो
कभी कभार ढहना सीखो
उजड़ गए हैं घर तो क्या
चौराहों पर रहना सीखो
पत्थर-पत्थर छूकर गुज़रो
पानी-पानी बहना सीखो
एक सच यह भी है कि कई महीनों से हम खानाबदोश से इधर से उधर भटक रहे हैं... भटकते सुलगते मन को इस जगत के कुछ छायादार पेड़ शीतल छाया देते हैं....इसलिए जब भी समय का जितना भी हिस्सा हाथ लगता है उसे छोड़ते नहीं और इधर का रुख कर ही लेते हैं.... यह चर्चा दुबई से की गई है...!
दिवंगतों को श्रृद्धाजलि.
जवाब देंहटाएंचर्चा विस्तृत है.
पूजा को जन्म दिन की बधाई.
भाव-भीनी श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंश्री हबीब तनवीर जी,श्री ओमप्रकाश आदित्य जी, श्री नीरज पुरी जी, श्री लाड सिंह गुज्जर जी!
आप सब का असमय इस नश्वर संसार से चले जाना,साहित्य-जगत की अपूरणीय क्षति है।परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है किवो दिवंगत आत्माओं को सद्-गति प्रदान करें औरपरिवारीजनों कोइस दारुण-दुख कोसहन करने की शक्ति दें।
दुख की इस घड़ी में सभी ब्लॉगर्स आपके साथ हैं।
विभूतियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि ।
जवाब देंहटाएंनये चिट्ठों और चिट्ठाकारों का जिक्र सदा आवश्यक रहता है । आभार ।
पूजा जी को जन्मदिन की बधाई ।
सुन्दर ! खानाबदोश से भटकते हुये भी सुन्दर चर्चा करी आपने। नये चिट्ठाकारों का परिचय कराने का अंदाज सुन्दर। पूजा , डाक्टर पूजा ,को जन्मदिन मुबारक!
जवाब देंहटाएंमेरी भी भाव-भीनी श्रद्धांजलि.अच्छी चर्चा और जन्मदिन की याद दिलाने के लिए आपको धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंश्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।
जवाब देंहटाएंvinmra shraddhanjli.
जवाब देंहटाएंदिवंगतों को श्रृद्धाजलि.
जवाब देंहटाएंचर्चा बढिया है.
साहित्य जगत की क्षति को पूरा कर पाना मुश्किल होगा......... प्रभू सबकी आत्माको शान्ति दे...... आपने बहुत विस्तृत जानकारी दी है इन chithon की .....shukriyaa
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जवाब देंहटाएंमीनाक्षी, आपकी चर्चा में इस तेजी से निखार आता जा रहा है,
कि .. कि.. कि कुछ कह नहीं सकता ।
क्योंकि मेरी भाषा में तो इसे उफ़नती हुई चर्चा कहा करते हैं ।
मीनाक्षी जी, मेरा जन्मदिन याद रखने और चर्चा में शामिल करने का शुक्रिया. और इस मंच पर मुझे जन्मदिन की बधाई देने वालों का भी बहुत शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंआज की आपकी चर्चा जिंदगी के सबसे अहम् हिस्से के बारे में बात करती है, मौत...और वो भी काफी संजीदगी से. आपको हार्दिक बधाई.
संजीदा चर्चा.
जवाब देंहटाएंसत्य को स्वीकार तो करना ही पड़ेगा.
परमेश्वर इस दुख को सहने की सभी को शक्ति दे.
श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंइम्पोर्टिड चर्चा है
जवाब देंहटाएंये मैं नहीं कह रहा
मीनाक्षी जी खुद बतला रही हैं
दिवंगतों को श्रृद्धाजलि....
जवाब देंहटाएंचर्चा अलग अंदाज़ में रही
दिवंगत आत्माओं को हमारी श्रद्धांजली.
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
दिवंगतों को श्रृद्धाजलि.
जवाब देंहटाएं....पूजा जी को तो उनके ब्लॉग पर ही जन्मदिन की बधाई दे आये.
दिवंगतों को श्रृद्धाजलि...
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