वर्ष 2009 में हिन्दी ब्लॉगों में क्या कुछ गया गुजरा इसका सिंहावलोकन करने का यह समय भले ही आपको थोड़ा जल्दी लगता हो, मगर साल के पिछले ग्यारह महीनों में जो कुछ घटित हुआ है उस पर एक दृष्टि डाल ली जाए तो परिदृष्य लगभग स्पष्ट तो हो ही जाएगा.
रवीन्द्र प्रभात पिछले कुछ समय से अपने ब्लॉग पर वर्ष 2009 के हिन्दी ब्लॉगों का विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं, और क्या खूब कर रहे हैं. छुद्र-अन्वेषण में हममें से कुछेक को भले ही उनके विश्लेषण में पक्षता-प्रतिपक्षता की कहीं कुछ गुंजाइश दिख जाए, मगर मोटे तौर पर रवीन्द्र प्रभात ने वर्ष 2009 के ब्लॉगों का बहुत ही बेहतर तरीके से विश्लेषण प्रस्तुत किया है. अब जहाँ हिन्दी ब्लॉग पंद्रह हजारी आंकड़ा पार कर रहे हैं और नित्य पोस्टें पांच सौ से भी अधिक होने लगी हैं, तो ऐसे में बहुत से सारगर्भित और काम के चिट्ठों या पोस्टों का छूट जाना स्वाभाविक है. इनके बावजूद रवीन्द्र प्रभात के विश्लेषण एक ईमानदार कोशिश नजर आती है. ऐसे विश्लेषण और क्षेत्रों में, विषयानुरूप भी होने चाहिएँ. देखें कि और कौन महारथी मैदाने जंग में कूदते हैं.
रवीन्द्र प्रभात का हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण – वर्ष 2009 अभी जारी है. उनका अगला विश्लेषण जब तक आए, तब तक उनके अब तक के 10 विश्लेषणों पर नजर मार लें, यदि आपने अब तक उन्हें नहीं पढ़ा है तो.
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (10).
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (9).
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (8).
- "वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (7)..
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (6).
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (5).
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (4).
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (3).
- वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (2)
- वर्ष 2009 : हिदी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (1).
ये तो रहे रवीन्द्र प्रभात के विश्लेषण. आपके अपने विश्लेषण क्या कहते हैं?
रवींद्र प्रभात का यह कार्य निश्चय ही महनीय ,प्रशंसनीय है ! आप भी बधाई के पात्र हैं !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉगिंग के आरँभिक दिनों में . श्री रवीन्द्र प्रभात मेरे साथ जुड़े रहे हैं,
वह ब्लॉग शुरु ही इस अवधारणा से हुई थी कि, " चलता है " का एट्टीट्यूड हमें या कहिये देश को किधर ले जा रहा है । उसका जो हुआ सो हुआ, पर रवीन्द्र जी का समर्पण अपने आप में बढ़ता ही गया । यह तो पक्का है कि वह अपने धुन के धनी हैं ।
इधर कुछ दिनों से उनके पोस्टों की फ़ीड नहीं मिल पा रही है, न जाने क्यों ?
मैं यदा कदा इस विश्लेषण का अवलोकन कर तो रहा हूँ, पर..
इस श्रृँखला के पूर्ण हुये बिना कोई टिप्पणी करना समीचीन न होगा ।
यह तो तय है, उनका यह प्रयास सराहनीय ही कहा जायेगा !
इति टिप्पण्याख्यान चिट्ठाचर्चा !
पंद्रह हज़ार ब्लार और केवल पांच सौ पोस्ट हर दिन! क्या ब्लागरजनॊं को इस पर विचार नहीं करना चाहिए?
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंयह विश्लेषण पढ़ने के लिए फुरसत के दो-चार घण्टे चाहिए। इत्ता समय निकाल कर आता हूँ :)
जवाब देंहटाएंजानकारी का शुक्रिया।
रवि जी!
जवाब देंहटाएंजानकारी देने के लिए आभार!
बढ़िया चर्चा!
निश्चय ही रवीन्द्र जी का यह प्रयास सराहनीय है । पक्षपात का क्या कहें - अनूप जी के शब्दों में कहना ठीक है, जो जैसा होता है वैसा ही उसे समझ में आता है ।
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी केन्द्रित चर्चा का आभार ।
nice
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविरतलामी जी,
जवाब देंहटाएंआप भी प्रशंसनीय है..हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण कि चर्चा के लिए आभार!
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