दो दिन पहले की चर्चा की इत्ती तारीफ़ हो गयी कि हम शरमा के अगले दिन चर्चा ही नहीं कर पाये। पहले तो हम समझ ही नहीं पाये कि असल बात क्या है? लोग सही में तारीफ़ कर रहे हैं या मौज ले रहे हैं। ये बात दरअसल इस लिये कह रहे हैं कि आजकल, हमेशा की तरह, भाई लोग ऐसी टिप्पणी करने लगे हैं कि समझ में नहीं आता कि सच क्या है। अब आप खुद देखिये। वैज्ञानिक अरविन्दजी की इस व्यथा कथा पर टिप्पणी सम्राट समीरलाल टिपियाइन हैं:
ईश्वर भी कैसे कैसे दिन दिखाता है...हे प्रभु, कुछ तो रहम करो!!
अब इस तरह की टिप्पणियां हिन्दी में पालिटिकली करेक्ट कही जाती हैं शायद लेकिन चूंकि समीरलाल करिन हैं इसलिये ये साधुवादी टिप्पणी के रूप में जानी जायेगी। लेकिन आप देखिये कित्ती गोल-मोल बात कहकर निकल गये समीरलाल। उन्होंने ये नहीं स्पष्ट किया कि उनको खुदा किस बात पर याद आया—डा. अरविन्द मिसिरजी की व्यथा कथा पर सहानुभूति या फ़िर उनकी पोस्ट पढ़कर अपने दर्दे दिल बढ़ने पर। व्यथा कथा पर बात की बजाय उनके दर्दे दिल की बात ज्यादा सच लगती है काहे से टिपियाने के बाद वे एक बार में बरामद हुये।
इस विज्ञान कांफ़्रेंस में डा.अरविन्द मिश्र की बाल विज्ञान कथा संग्रह राहुल की मंगल यात्रा का विमोचन हुआ। मिसिरजी इसके पहले भी एक विज्ञान कथा संग्रह “एक और क्रौंच वध” लिख चुके हैं। उनको हमारी बधाई। एक और क्रौंच वध की सब कहानियां हम बांच चुके हैं। उनपर लिखने का भी मन है। देखिये कब हो पाता है लिखना।
मिसिरजी से अनुरोध है कि वे कृपा करके इस बात का खुलासा कर दें कि यह किताब उन्होंने कैसे छपवाई, कित्ते पैसे लगे, क्या वे विमोचन के लिये ही कांफ़्रेंस में गये थे, अगर हां तो फ़िर यात्रा से लौटने में दुखी क्यों हुये?क्या जाने का उत्साह लौटते समय नहीं रहा। आदि-इत्यादि। इन बातों की जिज्ञासा इसलिये है ताकि उसमें से कुछ न कुछ खुंड़पेची बात पकड़कर उनकी खिंचाई का काम किया जा सके जैसे कि सिद्धार्थ त्रिपाठी की किताब के समय हुआ। न ,न हम नहीं कुछ कहेंगे। ये काम हम अफ़लातून जी से करने का विनम्र अनुरोध करेंगे। अनुरोध ही करेंगे आग्रह नहीं। वे अनुरोध मान लेंगे हमें पक्का डाउट है!
समीरलाल आजकल मल्टी स्किलिंग के झांसे में आते जा रहे हैं। ब्लागर, गीतकार, टिप्पणीकार, ये कार, वो कार और न जाने कौन कौन से कार के बाद अब बार-बालक का काम भी थाम लिये हैं लगता है। आप खुदै देखिये क्या हाल बना रखा है। फोटो के चक्कर कुछ लेते ही नहीं। दोनों पात्र भरे हैं सोच रहे हैं न जाने किस के हाथ में आ गये। कोई मेरी मजबूरी भी तो समझो!! कहकर महात्मा गांधी से सटने की कोशिश कर रहे समीरलाल जी झांसे देकर कविता झेलाने लगे है। क्या यही दिन देखने को बचे थे?
आउट ऑफ़ बॉडी एक्सपीरिएंस में पूजा उपाध्याय न जाने कहां से कहां आने जाने की बात कर रही हैं। देखिये तो जरा आप। बताइये भाई माजरा क्या है। प्रशान्त ने हाथ खड़े कर दिये।
जाड़े मे मौसम में जयपुरी रजाई की बात सुनिये आप गगन शर्मा जी से।
ब्लाग पर शान्ति बनाये रखने के लिये अब ताबीज मिलने लगे हैं! विक्स की गोली लो खिच-खिच दूर करो टाइप। देखिये ये एक शांति ताबीज:
हम मानवता के रक्षक हैं...
मैं उन साइट्स और ब्लॉग को पढने और उनपर टिप्पणी करने से बचुंगा जहाँ सस्ती लोकप्रियता के लिए धर्म-जाति संगत/ धर्म-जाति विरोधी, निरर्थक बहस,व्यक्तिगत आक्षेप, अभद्र अश्लील रोषपूर्ण भाषायुक्त विचार या वक्तव्य प्रस्तुत किये जाते हैं.
सुलभ जायसवाल जी के द्वारा प्रस्तावित इस ताबीज से परसाईजी का व्य्ंग्य लेख—सदाचार का ताबीज बरबस याद आ गया।
ब्लाग पर चोरी से लगता है खुशदीप इत्ता सावधान रहते हैं कि अपने हर शीर्षक पर आगे खुशदीप लिख देते हैं। हालमार्क टाइप। चुराओगे तो पकड़े जाओगे। लेकिन देखो भाईलोग केवल स्लाग ओवर पढ़कर निकल ले रहे हैं। गुरु भी।आज की उनकी पोस्ट का शीर्षक है---ये क्या हो रहा है भाई, ये क्या हो रहा है...खुशदीप । लगता है भैया खुशदीप अपने नाम के खूंटे से अपनी सब पोस्टें बांधे रहते हैं।
दो दिन पहले सुभाष भदुरिया जी ने एक प्यारी सी भावुक सी पोस्ट लिखी। उनको सालों-साल की जद्दोजहद और संघर्ष के बाद उनका उनका अधिकार मिला और वे प्रिंसिपल साहब गजटेड आफ़ीसर क्लास-I बने। इस मौके पर उनको बधाई दी तो पता चला कि वे कानपुर के ही पास के रहने वाले हैं। सुभाषजी की पोस्टों के पहले के आक्रोश और व्यंग्य –वक्रोक्ति का कारण भी समझ में आया। उनकी इस पोस्ट में मुझे नारियल का पानी दिखा। आप यहां भले न टिपियायें लेकिन जाकर सुभाष जी को बधाई जरूर दे कर आयें।
एक लाईना
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और अंत में
फ़िलहाल इतना ही। डा.अनुराग आर्य बहुत सलाह देते थे कि ये पोस्ट लिखो वो वाली लिखो हम उनको भेज दिये नेह निमंत्रण चर्चा करने का। आइये आप खुदै लिखिये। ठीक किये न। जब मन आये तब कीजिये चर्चा।
कल गुरुकुल गच्चा दे गया। कहता रहा चर्चा करेंगे ,करेंगे। लेकिन शाम को आज मूड नहीं बना सो नहीं किये –का कल्लोगे। चर्चा को भी ये क्लास की तरह ले लिये। बकैती है भाई।
अब शिवकुमार मिसिरजी का दर्द भी कहें क्या? मिसिर जी इस बात से परेशान हैं कि पिछली चर्चा में उनकी बीमारी की बात पढ़कर भी किसी ने उनके तबियत-पुर्शी नहीं की। दोस्त तो छोड़िये किसी खिंचाई करने वाले तक ने उनको शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनायें नहीं दीं। हमने कहा –भई चर्चा तो सब लोग ऐसे ही बांचते हैं। ये तुम्हारी बीमारी की नहीं चर्चा का खोट हैं। बहरहाल मिसिरजी ने तय किया है वे इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप अब अपनी बलबूते ठीक होंगे और एक ठो पोस्ट भी लिखेंगे इस बारे में झेलियेगा।
बाकी ठीक है। अब चला जाये। दफ़्तर इंतजार कर रहा है।
अच्छी है चर्चा धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंमहागुरुदेव,
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा पढ़ कर पता चला कि समीर लाल जी समीर ने क्यों आपको गद्य में अपना गुरु मान रखा है...मुझे ब्लॉगिंग में तीन महीने ही हुए हैं...इस दौरान आप ने लिखा बहुत कम...अब आपको नियमित पढ़ रहा हूं...तो ये लेखन मुझे मोनालिसा की पेंटिंग या गांधी के साहित्य से कम नहीं लग रहा...जो भी इससे रू-ब-रू होता है अपने
हिसाब से ही उसका अर्थ निकाल लेता है...अंत में एक गुज़ारिश और...ऐसे ही अनूप प्रकाश देते रहिए ताकि हम
अक्ल के अंधों को भी आगे बढ़ने का रास्ता दिखता रहे...
जय हिंद...
बढ़िया शुक्ल जी, आभार !
जवाब देंहटाएंकुछ अंतराल बाद आना हुआ यहाँ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही चर्चा
कुछ अनपढ़ी पोस्ट्स के लिंक मिल गए
बी एस पाबला
भैया इ गैप-वैप मत किया करो..अब जब आदत लगवायो है त निबाहे के परी..सुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंमिसिर जी के प्रति आपका प्रेम देखकर आहलादित हूँ। "राहुल की मंगल यात्रा" को कवर करने के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं--------
क्या स्टारवार शुरू होने वाली है?
परी कथा जैसा रोमांचक इंटरनेट का सफर।
जवाब देंहटाएंबहुत सँक्षिप्त चर्चा.. पर सभी लिंक सवासोलह आने मारात्मक रूप से चुने गये हैं ।
समीर भाई को अतिशय धन्यवाद, उन्होंनें मुझे टिप्पणी-नरेश का पद ग्रहण करने से बचा लिया ।
( असली और प्राचीन ) चिट्ठाचर्चा के लिये नये सुयोग्य चर्चाकार चुनने में आपकी पैनी दृष्टि का कायल होता जा रहा हूँ ।
उन्हें आमँत्रित करने की उदारता भी यह दर्शाती है, आपको अपने मठ-कैबिनेट में सुयोग्य पात्र सम्मिलित करने में ओबामा महारथ हासिल है ।
साधुवाद !
सँभवतः ओबामा ने आपकी नज़ीरों से ही यह दृष्टि हासिल की हो ।
मुझे विश्वास है की डा. अनुराग इस आमँत्रण को स्वीकार कर आपकी पारखी नज़रों का मान रखेंगे ।
बकिया तो सब ठीकै है, खुशदीप की टिप्पणी मेरी अपेक्षाओं का समर्थन कर रही है, धन्यवाद खुशदीप !
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yae ek line vaali post mae sab text barabar nahin haen kisi post mae badaa haen kisi mae chhotaa . aap baaj nahin aatey dubhant karnae sae . jitnae lino ki text badii haen unko badaa blogger mana gayaa , phir madhyam , phir to chotaa
जवाब देंहटाएंnot fair mr anup shukl !!
चर्चा को भी ये क्लास की तरह ले लिये। बकैती है भाई
जवाब देंहटाएंin sab ko dismiss kiya jaaye class sae aur alglae saal ki blogger meet mae naa bulaya jaayae . nimentrn daene kaa adhikaar to aaphi ka haen
"मिसिर जी इस बात से परेशान हैं कि पिछली चर्चा में उनकी बीमारी की बात पढ़कर भी किसी ने उनके तबियत-पुर्शी नहीं की..."
जवाब देंहटाएंहम तो मिसिर जी की पोस्ट का इन्तेज़ार कर रहे हैं कि वो आये और हम उन्हें स्वास्थ लाभ की बधाई दें:) वे अभी अस्वस्थ चल रहे हैं तो यहीं से उन्हें शीघ्र स्वास्थ लाभ की कामना और प्रार्थना करते हैं।
डॊ. अनुराग आर्य जी की चर्चा का इन्तेज़ार रहेगा॥
@रचनाजी, आप बहुत मौज में हैं आज! बड़ा अच्छा लग रहा है। अक्षर तो हम बराबर कर देंगे। बाकी आप काहे को चिट्ठाचर्चा की आबादी कम करना चाहती हैं? वैसे भी किसी भी चर्चाकार को डिसमिस करने का यहां किसी को अधिकार नहीं हैं। गुरुकुल के लोग मौज से चर्चा करेंगे जब मूड बनेगा। गुरु का पद वैसे भी बहुत ऊंचा बताया गया है न!ब्लागर मीट में भी निमंत्रण देने का किसी को अधिकार कहां होता है। मुलाकात तो अपने आप हो जाती है।
जवाब देंहटाएंअक्षर तो हम बराबर कर देंगे।
जवाब देंहटाएंbarabar hogaye ab jo bold mae haen kyaa wo sabsey pehlae padhey jaaye baaki baadmae . yaa to bataaya jaaye yaa sahii kiya jayae { template ki to problem nahin haen naa ??!!! }
अंतराल के बाद चर्चा की झड़ी लगा दी आपने.
जवाब देंहटाएंसुलभ जायसवाल के जगह पर "सुभाष जैसवाल" लिखा देख थोड़ी सी हैरानी हुई.
कोई बात नहीं आप जल्दी जल्दी चर्चा कर रहे थे. इसलिए लेखक के नाम में इतनी सी गलती तो हो ही सकती है.
बाकी चर्चा आगे जारी रहनी चाहिए.
अब हम क्या लिखे जी? सब ने तो टिपय्या दिया. राम राम
जवाब देंहटाएं@रचनाजी, अब सब अक्षर बोल्ड कर दिये। आगे आदेश करें।
जवाब देंहटाएं@सुलभ सतरंगी, भाई आपका नाम सही कर दिया लेकिन आपके प्रोफ़ाइल में आपका नाम रोमन में है। इसके चलते शायद आपको आगे भी हैरान होना पड़े। अब लिप्यांतरण में इतना गलती की गुंजाइश तो रहेगी ही।
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर व सन्तुलित चर्चा!
जवाब देंहटाएंबधाई!
आज की चर्चा और एक लाइना बडी बोल्ड बोल्ड लग रही है । ज्यादा तारीफ करके चर्चा का नुकसान नहीं करेंगे ।
जवाब देंहटाएंलिंक के साथ की गई ब्लॉग पोस्ट की संक्षिप्त समालोचना बेहतरीन रही ।
शिवकुमार मिश्र जल्दी बदला लें। इन्तजार है!
जवाब देंहटाएंहाय ये आपका शर्माना देव...! चर्चे की शुरूआत ने मुस्कुराहट ला दी आपके इस लजाने के अंदाज ने।
जवाब देंहटाएंतो डा० साब ने हामी भरी? कब आ रहे हैं वो चर्चा लेकर??
सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा कलेवर है इस ब्लॉग का और आपका प्रस्तुतिकरण भी उम्दा है ।
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