शुक्रवार, अप्रैल 02, 2010

सानिया मिर्ज़ा किसकी मिल्कियत है ?

सानिया मिर्ज़ा एक भारतीय महिला टेनिस खिलाडी का नाम है जिसने अपनी मर्ज़ी और पसंद से पाकिस्तान के एक लडके से शादी करना चाहा है !   मुस्लिम समाज और मुल्लों ही नहीं अन्य सभी तंग मानसिकता वाले समुदायों के लिए सानिया एक चेलेंज हैं ! सानिया की प्रतिभा ,  टेनिस के खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन , बेबाक जीवनशैली उनको आधुनिक भारतीय स्त्री के लिए आदर्श घोषित करती हैं . सानिया ने कभी नहीं चाहा होगा कि वे किसी देश समाज या समुदाय की मिल्कियत बनें . अपनी ज़िंदगी के निजी फैसले लेने का उनको उतना ही अधिकार है जितना किसी भी आम मनुष्य को है . लेकिन सानिया के एक निजी फैसले को लेकर आज देश और मीडिया में जितनी हलचल है उसे मैं एक स्त्री के मौलिक अधिकारों और निजता पर हमला मानती हूं . एक भारतीय बेटी और शादी के बाद एक पाकिस्तानी बहू के रूप में उनकी ज़िंदगी और शक्सियत के बंटवारे करने वाले तंगदिल समाज पर लानत भेजने को जी चाहता है . अपने बलबूते पर मर्दवादी समाज को ठेंगा दिखाने वाली दुस्साहसी स्त्री चाहे समाज के किसी भी पायदान पर क्यूं न पहुंच जाए समाज उसे अपनी सम्पत्ति के रूप में ही देखेगा - यह सोचकर एक आम स्त्री को कितनी दहशत हो सकती होगी इसका अंदाज़ा लगाइए . हिंदी ब्लॉग जगत में तमाम स्त्री विमर्शों और जबरदस्त ब्लॉगफेमेनिज़्म के वावजूद हम स्त्री विरोघी वाहियात पोस्टों को अपने बीच पाते हैं .

हमारे प्यारे ब्लॉगर सचिन जी के लिए सानिया को  विश्वासघातिनी , देशद्रोहिणी ,भ्रष्ट , नापाक और बंद दिमाग वाली लडकी घोषित करते हैं जिसने एक गघे और खच्चर लडके का प्यार पाने केलिए पूरे देश को घोखा दिया है . सचिन के शब्दों में -

मेरा मानना यह है कि इस पूरी घटना पर सानिया मिर्जा को सबक सिखाया जाना चाहिए ताकि उसे महसूस हो कि हम इसके इस जाहिल फैसले से खुश नहीं हैं बल्कि क्रोधित हैं ! उसने एक गधे का प्यार पाने के लिए 110 करोड भारतीयों का प्यार खोया है और हमारी इस प्रतिक्रिया से उन सभी मुस्लिम लडकियों को सबक मिलना चाहिए जो पाकिस्तान को एक दुश्मन देश की तरह नहीं बल्कि एक समधर्म देश की तरह देखती हैं .
एक अन्य ब्लॉग पर सुधा सिंह विवाह के निजी मसले के सार्वजनिकीकरण के विरोध में लिखती हैं

मीडिया और अन्य लोगों को कोई भी हक़ नहीं है कि वे राष्ट्रीयता के नाम पर, देश की बेटी या बहू के नाम पर, सेलिब्रिटी के नाम पर किसी के व्यक्तिगत जीवन में टांग अड़ाएं। यदि विवाह एक क़ानूनी प्रक्रिया है तो विवाह से मुक्त होना भी एक क़ानूनी प्रक्रिया है और क़ानून के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। हर व्यक्ति को अपनी निजी जिन्दगी अपने ढंग से जीने का अधिकार है।

घुघूती जी एक ऎसी संवेदनशील चिट्ठाकार हैं जो चींटी जैसी छोटी और गैर महत्व की लगने वाली घटनाओं में से जीवन और जगत के सत्य और यथार्थ दोनों को ही खोज लाती हैं .उनकी पोस्ट ज़रा माचिस तो देना इसी तरह की एक दिलचस्प रचना है . उन्हें स्त्री की सामाजिक स्थिति की जर्जरता को रचनात्मक रूप देने के लिए सानिया मिर्जा का विवाह प्रकरण भी नहीं उठाना पडता . . वे घर और आसपास के जीवन के उन प्रसंगों  को अपनी रचनात्मक उर्जा बना पाती हैं जिन्हें हम और आप नजर अंदाज कर जाते हैं . वे क्रोध और आवेग के बिना संवेदनशील स्त्री मुद्दों पर लिख देती हैं . बिना किसी को कोसे हाय तौबा किए वे वही कहती है जो उन्हें दिखता है . परिपक्वता और सहजता से .अपनी पोस्ट में लीक होते हुए गैस सिलेंडर को जांचने आए मेकैनिक की व्यव्हार सरिणी का जायज़ा लेते हुए घुघूती जी लिखती हैं -

पति चिन्तित हैं कि यदि वे घर पर न होते तो मैं विशेषज्ञ को माचिस टेस्ट करने से रोक पाती क्या? रोक तो लेती किन्तु वह मेरी सुनता यह नहीं जानती। न सुनने की सूरत में उसे बाहर जाने को ही कहना पड़ता। स्थिति थोड़ी कष्टप्रद हो सकती थी। शायद एक विशेषज्ञ को एक स्त्री का अक्ल सिखाना नागवार लगता। शायद उसके अहम् को चोट पहुँचती। आप ही सोचिए आप जो काम करते हैं उसमें यदि कोई स्त्री मीनमेख निकाले तो आपको कैसा लगेगा? शायद पुरुष भी निकाले तो भी खुन्दक आएगी किन्तु यदि स्त्री निकालेगी तो? वह भी एक गृहणी जो विशेषज्ञ भी नहीं है? पता नहीं। पंगे से बच गई।
वैसे आप खुद ही देखिए कि घुघूती जी के यहां आए मेकेनिक और - सचिन का ब्लॉग में व्यक्त सोच में कितनी समानता है ! सो कॉल्ड शिक्षित , सुविधा सम्पन्न और अपेक्षाकृत खुले वातावरण में रहने वाले वर्ग की रीतिकालीन सोच सचमुच हैरान करती है और हमें वह गैस मेकेनिक बेकसूर लगने लगता है .

अजय कुमार झा जी ने हाशिए के रोजगार अपनाने वालों के प्रति एक अत्यंत संवेदनशील पोस्ट लिखी है . समाज के निम्न तबकों के और हीन समझे जाने वाले कामों को करने वाले लोगों को सामाजिक और राजनीतिक संरचानाओं द्वारा पहचान मिलने के पक्ष में लिखी गई उनकी यह पोस्ट पठनीय बन पडी है .

आखिर जूते पौलिश करने, बाल काटने, कपडे सीने, स्कूटर ठीक करने , छोटी दुकानों पर काम करने वालों के लिए सरकार कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम क्यों नहीं चला सकती । (हालांकि शायद मैकेनिक और टेलर के लिए तो शायद पाठ्यक्रम हैं भी , हां इसकी उपयोगिता कितनी है मुझे नहीं पता ) ।
यदि इस तरह के नए विचार और योजनाएं लाई जाएं तो कम से कम लाखों उन लोगों को जो इन व्यवासायों में लगे हुए हैं उन्हें भी एक हद तक तकनीकी श्रेणी में लाया जा सकेगा ।

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41 टिप्‍पणियां:

  1. सबसे दर्द भरी आह तो उन दिलो से निकल रही है जो सानिया के हर मैच को भक्ति पूर्वक देखते थे ..कमरे उसके पोस्टर से भरे हुए .. सानिया से जुडी कई पोस्ट पढ़ कर मुझे ऐसा लगा जैसे "खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे "
    घुघूती जी और अजय जी की पोस्ट बेहद सार्थक है

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  2. अगर सचीन तेन्दुलकर घोषणा करे कि वे एक पाकिस्तानी लड़की के साथ विवाह कर पाकिस्तान जा रहे हैं तो क्या भारतीयों को झटका नहीं लगेगा? सचीन क्या किसी की बपौती है? वे जहाँ चाहे रह सकते है. मगर जिन्होनें प्यार और सम्मान दिया उन्हे उफ्फ करने का भी अधिकार नहीं? कृपया हर घटना के पिछे नारी आत्याचार न देंखे. सानिया की जीत में अपनी जीत देखने वाले भारतीयों का दर्द समझे.

    साथ ही स्पष्ट कर देना चाहता हूँ मैं किसी के अपशब्दों का या इस विषय पर लिखी गई अनय पोस्टों का समर्थन नहीं करता. हाँ यहाँ लिखे विचार मेरे है.

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  3. दिमाग को नए झाग वाले टाइड साबुन से साफ कीजिये और संजय बेंगाणी साहब की बात पर मनन कीजिये !

    हर घटना को अन्दर नारी उत्पीडन ..नारी अधिकार की दूरबीन से देखना बंद कीजिये ! आपकी बेटी अगर आपके दुश्मन खानदान में जायेगी तो आपको ऐतराज नहीं होगा ???

    यहाँ के करोड़ों मुसलमानों में सानिया किसी से भी शादी कर लेती ..... यहाँ तक की वो अमेरिका,,,आस्ट्रेलिया...जापान ...अफ्रीका कहीं भी शादी करती ....किसी को भला क्या तकलीफ होती ? उसने जीवन साथी चुना भी तो एक ऐसा जीवन साथी जो ऐसे देश का निवासी है जो देश दिन-रात हमारी बर्बादी चाहता है .... और तो और यही जीवन साथी पहले ही एक हिन्दुस्तानी लड़की के साथ निकाह रचाकर उसको धोखा दे चुका है ! वो भी तो नारी है .... उसके शोषण और अधिकार की बात क्यूँ नहीं ??? ......

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  6. सानिया को निकाह करना चाहिए और निकाह करके दुबई की जगह पाकिस्तान मैं ही रहना चाहिए ! तब सानिया को पता चलेगा की उसके निकाह पर ये बबाल क्या सही था या गलत ! क्यों हम उसके बर्वाद होते करियर को देख रहे हैं ! ना वह पाकिस्तान से खेलेगी और ना हिंदुस्तान से ! ये तो वक़्त बताएगा ! की सानिया का फैसला सही है या गलत !

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  7. बढ़िया किया उसने , उसने जो कुछ किया अपनी ऐतिहासिक परमपरा के हिसाब से किया ! लेकिन इस देश के मुस्लिम युवाओं को शर्म आनी चाहिये कि एक भी माई का लाल उसके लायक पैदा नहीं हुआ !

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  8. सानिया मिर्ज़ा किसी की मिल्कियत नहीं हैं. अगर कोई समझता है तो बेवकूफी है. उन्हें किसी के साथ भी विवाह करने का अधिकार है. शोएब मालिक के स्थान पर कोई भी हो सकता था. यह तो सिर्फ संयोग है कि उन्होंने एक पाकिस्तानी को पसंद किया. और ऐसा करने का उन्हें पूरा अधिकार है. राजनीतिक पार्टियाँ या और कोई इसका विरोध करता है तो इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है?

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  9. meri ray me saniya vayaktigat rup se jo chahen karen hame koi fark nahi padta jab vo rote hue vapas ayengi to bhi is desh me unka swagat hi hoga jaisa reena rai ji ka hua tha. main to sirf is baat ke khilaf hun ki shadi ke uprant vo bharat ke taraf se khelen. koi bhi ladaki jiska pati ek pakistani hoga use bhartiya paksh se khelne ka koi adhikar nahin hai. agar aisa hoga to main apna income tax katvan band kar dunga.(hanlanki ye sambhav nahi hai)

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  10. प्रकाश जी नए झाग वाले साबुन टाइड से दिमाग को साफ करने जैसी सलाह को डिकोडीकृत करें .आपके अंदाज़ का अंडरकरंट यह है कि- स्त्री को टाइड या उससे भी अधिक चमत्कारी साबुन से घर का मैला धोने की भूमिका तक सीमित रहना चाहिए .वैसे भी उसकी बुद्धि बस वहीं तक होती है चाहे अपनी ओर से वह कितनी भी चंट और चालू और समाज से ट्क्कर लेने वाली बनती हो .

    हमें अपनी बडी हो गई बेटियों की पसंद और फैसलों में उनके साथ होना चाहिए क्योंकि वे भी मानवी हैं हमारी जमीन या गाय नहीं .

    बेटी के दुशमन के खानदान में जाने वाली वाली बात पर हंसा ही जा सकता है.

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. सानिया वाले प्रसंग में जो कुछ बिन्दु महत्वपूर्ण हो सकते हैं उनमें से कुछ ये हैं.....
    १.सानिया हम सबकी तरह स्वतन्त्र हैं किसी से भी विवाह करने या न करने के लिए।
    २.यह बात सभी मानते नहीं तो जानते हैं किन्तु जब बात पाकिस्तान की आती है तो हम मस्तिष्क से नहीं मन से सोचते हैं।
    ३.सानिया केवल एक स्त्री, खिलाड़ी या भारतीय ही नहीं हैं वे एक नायिका बन गई हैं, हृदय साम्राज्ञी, भारतीय यूथ आइकन! उन्होंने इस प्रतिष्ठा की माँग की थी या नहीं यह अलग बात है किन्तु इसको उन्होंने भुनाया भी खूब है।
    ४. जब आप नायक या हृदय सम्राट या साम्राज्ञी बनते हैं तो उसके बहुत से लाभ व हानि होते हैं। लाभ के तौर पर लोगों का अपार प्यार, सम्मान, और इस कारण से ढेरों विज्ञापन व अपार धन व वी आइ पी स्टेटस मिलता है। हानि के रूप में आपको सार्वजनिक जीवन में वही करना पड़ता है जो आपके इन चाहने वालों को पसन्द हो। आप जिस स्थान पर हैं वे इन्हीं के कारण हैं। अन्यथा विश्व टैनिस में जो रैंकिंग सानिया की है वह ऐसी महान भी नहीं है। महान होती भी तो खेल के लिए तमगे, पुरुस्कार व डॉलर मिलते ही रहते हैं। जो विज्ञापन की कमाई व वी आइ पी स्टेटस मिला है वह इसी पागल, भावुक भीड़ के कारण मिला है।
    भगवान भी भगवान इसलिए होता है क्योंकि उसके भक्त होते हैं। भक्ति करना छोड़ दीजिए तो भगवान की भगवानियत भी नाम की ही रह जाएगी। किसी महान नेता के सड़क से गुजरने पर नारे मत लगाइए, उसकी जय मत बोलिए और देखिए वह कैसे हीन भावना से ग्रस्त हो जाएगा।
    ५.सानिया कुछ भी कर लें उनकी टैनिस की उपलब्धियाँ उनके साथ रहेंगी किन्तु उनके चाहने वालों को यह अधिकार है कि वे उन्हें अपना प्यार देना बन्द कर दें, उन्हें अपने हृदय के साम्राज्य से बेदखल कर दें या उनसे रूठ जाएँ। कानूनन उन्हें सानिया के जीवन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। परन्तु कानूनन सानिया को भी लोकप्रिय रहने का कोई अधिकार नहीं है।
    क्रमशः
    घुघूती बासूती

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  13. ६.यह भी सोचने की बात है कि यदि ऐसे ही किसी पाकिस्तानी स्त्री से हमारे किसी नायक ने विवाह किया होता तो भी क्या इतनी हाय तौबा होती? या तब यह लगता कि चलो एक पाकिस्तानी को भारतीय बना दिया? पता नहीं।
    ७. सानिया ने भारतीयों की भावनाओं या अपने भविष्य को ध्यान में रखकर दुबई में रहने का निश्चय किया है या कम से कम ऐसी घोषणा की है। यह शायद उन्होंने 'जोर का झटका धीरे से लगे' के अन्तर्गत किया है।
    ८. जो सबसे बड़ी बात है वह यह है कि..
    क. सानिया टैनिस अच्छा खेलती हैं या शायद बहुत अच्छा।
    ख. उनकी शक्ल सूरत लोगों को पसन्द है।
    ग. वे लोकप्रिय हैं।
    घ. वे सफल टैनिस खिलाड़ी होने के साथ साथ सफल मॉडेल भी हैं।
    ड़. वे धनवान हैं।
    किन्तु जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह यह है कि इतना सब होने पर भी वे न तो स्त्री के लिए आदर्श हैं न मनुष्य के लिए। वे उभरते टैनिस खिलाड़ियों, खिलाड़ी लड़कियों, मॉडेल्स आदि के लिए अपने प्रमुख क्षेत्रों खेल व मॉडेलिंग की आदर्श शायद हो सकती हैं।
    वे इन बातों में भी आदर्श हो सकती हैं कि
    १.अपना काम करो और किसी समाज के ठेकेदार पर कान न दो।
    २.जो मन करे वह पहनो।
    ३.जितना धन कमा सकती हो कमाओ।
    ४.जिससे मन करे विवाह करो। यह निर्णय केवल उनका व उनके मंगेतर व उनके जीवन के महत्वपूर्ण लोगों से सम्बन्ध रखता है।
    ५.यदि किसी से सगाई हो भी जाए तो यदि लगे कि निभेगी नहीं तो उसे तोड़ दो ताकि बाद में दोनों का जीवन नर्क न बने।
    ६. अर्थात वे एक स्वतन्त्र व्यक्ति हैं व अपने ढंग से जीवन जीती हैं।
    आदि आदि।
    क्रमशः
    घुघूती बासूती

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  14. किन्तु वे कबसे कोई दार्शनिक या विचारक हो गईं कि वे हमारा आदर्श बन जाएँ? यदि आपको याद हो तो कुछ महीने पहले ही उन्होंने एक विचित्र इन्टरव्यू टी वी पर दिया था। शब्द इधर उधर हो सकते हैं किन्तु सार नहीं।
    'यदि शादी करने के बाद भी खेलना है तो शादी करनी ही क्यों है?'और उसके बाद एक बेहद मूर्ख व फूहड़ हँसी। ऐसे जैसे जो ऐसा सोचती या करती हैं वे सब महामूर्खाएँ हैं। मैं प्रायः भुलक्कड़ हूँ किन्तु वह बात व हँसी इतनी मारक थी कि कभी भी नहीं भूल सकती। वह उन सब स्त्रियों का अनादर था जो विवाह के बाद नौकरी करती हैं, पढ़ाई करती हैं, रिसर्च करती हैं, अभिनय करती हैं, मॉडेलिंग करती हैं, चित्र बनाती हैं, पत्रकारी करती हैं आदि। वह मेरी जैविक व मानस बेटियों (या जो मेरी बेटी समान हैं) का अनादर था।
    किन्तु उन्होंने कब कहा था कि वे प्रबुद्ध हैं? कि उनका कोई महान जीवन दर्शन है?
    यदि हम उन्हें उनके विचारों के लिए महान मानें या उनके विचार जानना चाहें तो यह कुछ वैसा होगा जैसा स्वामी रामदेव से विमान उड़ाना सीखना, तरला दलाल से पुलिस की समस्याएँ जानना, आदि आदि। बेहतर होगा कि हम उनका अनुसरण केवल उनके क्षेत्र में करें न कि अन्य क्षेत्रों में भी।

    अन्त में, हमारे कुछ मित्रों व जम्मू कश्मीर की सरकार के विचारों में कोई विशेष अन्तर नहीं है। वहाँ वे यह बिल ला रहे थे, शायद कानून बन भी गया हो कि जो भी जम्मू कश्मीर की नागरिक स्त्री किसी जम्मू कश्मीर के बाहर के नागरिक से विवाह करेगी वह जम्मू कश्मीर की नागरिकता, वहाँ जमीन खरीदने का अधिकार आदि खो देगी, शायद मतदान का भी। मुझे तो आश्चर्य है कि जीवन का अधिकार क्यों बक्श दिया? खाप तो वह भी नहीं बक्शतीं! यहाँ हमारे मित्र यह सुझा रहे हैं कि उन्हें भारत की तरफ से न खेलने दिया जाए। वे भारतीय नागरिक रहना चाहें तो भी उन्हें यह अधिकार न दिया जाए। स्त्री के साथ जो उस पर हमारे या किसी अन्य के अधिकार, उसका हमारी या किसी अन्य की जागीर बनने का भाव मन में उपजता है वही सबसे बड़ी समस्या है। इसका समाधान बहुत सरल भी नहीं है। शायद बार बार झटके ही इसका इलाज हैं। और ये झटके तो अब समाज को लगते ही रहेंगे। सब सानिया भी नहीं होंगी जो 'जोर का झटका धीरे से लगे' में विश्वास करती हैं।
    सानिया को भी अब अपने प्रशंसक खोने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने अपने अधिकार का उपयोग कर अपने मनपसन्द से विवाह करने का निर्णय किया है तो बहुत से प्रशंसकों ने प्रशंसक पद से त्यागपत्र देने का। दोनों को उनके निर्णय मुबारक!
    घुघूती बासूती

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  15. घुघूती बासूती टिप्पणी है कि पोस्ट!!!! सही लिखा है.

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  16. सानिया मिर्जा को देश और देशवासियो कि भावनाओ का ख्याल रखना चाहिये ! अन्यथा उनकि प्रसिद्धि मे काफ़ि कमि आयेगि !

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  17. घुघूती जी,ने हर पहलू पर बड़ी अच्छी तरह प्रकाश डाला, है. उनका कहना बिलकुल सही है कि सानिया को एक साधारण मानवी की तरह देखें. वे अद्भुत टेनिस खेलती हैं. विश्व के ५० टॉप महिला टेनिस खिलाड़ियों में उनका नाम आ चुका है. यह उपलब्धि कम बड़ी नहीं है और इसके बल पर उन्हें ढेरों विज्ञापन भी मिले और सैकड़ों साक्षात्कार भी लिए गए. पर वे अनमोल वचन ही बोलेंगी और आदर्श व्यवहार का उदाहरण ही सामने रखेंगी,इसकी आशा कैसे की जा सकती है? किसी भी खिलाड़ी,कलाकार की निज़ी ज़िन्दगी भी होती है,उसका फैसला हम कैसे ले सकते हैं? एक तो उन्होंने महिला टेनिस के आकाश पर भारत का नाम उकेरा और अब उसकी कीमत भी चुकाएं.क्यूंकि ऐसा करके वे हमारी जागीर हो गयीं.

    वे सानिया मिर्ज़ा हैं,इसलिए उनके विवाह का लोगों को पता चल गया,वरना आज भी ,कई लडकियां ऐसी हैं जिनका,मायका दिल्ली है और ससुराल लाहौर. और वे किसी दुश्मन के खानदान में नहीं ब्याही जातीं.बल्कि,उनका अपना,खानदान होता है,जिनके दादा,परदादा ७० साल पहले सगे भाई थे.

    एक ख़याल यह भी आता है कि कहीं ऐसा तो नहीं, सानिया के लड़की होने से इतना शोर मचाया जा रहा है. यही अगर शाहरूख,किसी पाकिस्तानी लड़की से शादी कर लेते तो इतनी हाय-तौबा मचती क्या? आखिर फिल्म वीर-ज़ारा में तो उन्होंने किया ही,और उस फिल्म को भारतीय जनता ने हिट बनाया.उस समय तो कोई आवाज़ नहीं उठी.

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  18. saniya ko bharatiyata se koi prem nahi jaha uska lagaw hai wahi jayegi .akhir uska rashtra prem umadh hi aya.
    yah to hona hi tha.

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  19. सानिया मिर्जा अब राखी सावन्त और राहुल महाजन की तरह बदनाम लोगो की श्रेणी मे आ गयी है !

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  20. लाखो हिन्दुस्तानी मुसलमानो के लिये ये शर्म कि बात है कि उनमे सनिया मिर्जा को कोइ भि अपने लायक नजर नही आया !

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  21. क्या यह भी देखा जाना चाहिए कि वे जिस पाकिस्तानी से शादी कर रही हैं वह क्यों कर रही हैं -
    वे उससे प्यार करती हैं या अन्य कोई निहितार्थ है ?
    किन्तु शादी के लिए तो प्यार की कोई कानूनी अनिवार्यता है ही नहीं ?
    हम भारतीय कितने भोले हैं -क्या लेना देना हमें इन स्टार आयिकनों से ?
    यह पूरी बहस एक अपरिपक्व सोच और खीज की ही देंन है -
    इतना महत्वपूर्ण विषय नहीं है की इस पर समय जाया किया जाय !

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  22. हम भारतीय भावुक होते हैं और अपने ikon से अनजाने में एक भावनात्मक संबंध बना लेते हैं .
    एक ikon होने के नाते आप बहुत कुछ खोते हैं तो बहुत कुछ पाते भी हैं .सानिया मिर्ज़ा ने कई बार हल्के विचार जाहिर किए हैं लेकिन लोगों में ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं हुई . प्रतिक्रिया इस लिए हो रही है क्योंकि वह एक राष्ट्रीय प्रतिनिधि होते हुए ऐसे देश के नागरिक से विवाह करना चाहती है जिसने 26/11 और न जाने कितने दुश्मनी के कार्य किए .
    जिस देश ने आपको इतना दिया उसके सामने आप क्या मिसाल रख रहे हैं . लोगों का कहना है की विवाह एक व्यक्तिगत निर्णय है . सही है तो इसे इतना प्रचारित क्यों करना चुपचाप जाकर कर लिया होता . कहीं यह टीआरपी बढ़ाने की चाल तो नहीं .

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  23. यह चिटठा चर्चा अच्छा लगा... महत्वपूर्ण पोस्टों चिट्ठो की चर्चा हुई है.

    सानिया वाले मुद्दे पर काफी टिपण्णी हुई... एक पहलु यह भी है. बहुत से सफल और अमीर खिलाड़ी/स्टार अपने लिए बेहतर जीवन शैली की चाहत में दुबई, न्यू यार्क जैसे शहरों में पारिवारिक जीवन बिताते हैं.

    उनके लिए राष्ट्रभक्ति तभी तक है जब तक वे कोर्ट/मैदान पर होते हैं. बहुत कम आदर्श होते हैं.

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  24. कुछ खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रभक्ति तभी तक है जब तक वे कोर्ट/मैदान पर होते हैं. बहुत कम आदर्श होते हैं.

    श्रीलंका के मुरलीधरन की शादी चेन्नई की कन्या से हुई. जावेद मियादाद के बेटे की शादी दाउद इब्राहिम की बेटी से हुई थी दुबई में. जावेद मियाँदाद और उसके बेटे ने भी पाकिस्तान में आतंकवाद का समर्थन किया. बहुत कम खिलाड़ी राष्ट्रभक्त होते हैं इसे समझना होगा. फर्क पाकिस्तानियों को नहीं पड़ता है, मगर हिन्दुस्तान के लोग जरुर चिंतित होते हैं.

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  25. saval sania ki shaadi ka nahi balki ek vichaar ka hai jo dono deshon ke bigadate rishto se dino din kadua hota ja raha hai.

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  26. सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

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  27. बहुत सार्थक चर्चा के साथ तमाम सार्थक टिप्पणियाँ भी. बधाई.

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  28. .
    .
    .
    "हिंदी ब्लॉग जगत में तमाम स्त्री विमर्शों और जबरदस्त ब्लॉगफेमेनिज़्म के वावजूद हम स्त्री विरोघी वाहियात पोस्टों को अपने बीच पाते हैं।"

    आदरणीय नीलिमा जी,

    मुझे यह लग रहा है कि यह जबरदस्त ब्लॉगफेमेनिज़्म यहाँ पर 'जबरिया' हो रहा है... यानी जहाँ इस ब्लॉगफेमेनिज़्म का डंडा नहीं चलना चाहिये वहाँ पर भी चल रहा है।

    आदरणीय प्रकाश गोविन्द जी कुछ भी गलत नहीं कह रहे हैं यहाँ... मैं तो हतप्रभ हूँ कि अपने हैदराबाद की ही आयशा सिद्दीकी के उत्पीड़न और अधिकारों की चिंता क्यों नहीं कर रहा कोई...

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  29. Friday, April 2, 2010
    sania "देश प्यारा है की एक second hand पति"


    सानिया मिर्जा जी शादी मुबारक हो ..........












    देश प्यारा है की एक second hand पति ,


    सारी india जिस लड़की पे फ़िदा है ,


    वो एक second hand दुल्हे पे फ़िदा है ,


    क्या कहूँ तुझे ऐ सानिया,


    तू देश पे नहीं दुबई की flat पे फ़िदा है|

    must give ur comment on www.shrikumargupta.blogspot.com

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  30. यूँ तो मुझे वैसे भी ज़्यादा बात करनेकी आदत तो है नहीं..
    सानिया यदि अपने को देश की बेटी न मानने का मन बना चुकी है,
    तो वह उसका निजी मामला है..वैसे ही जैसे फ़हीम अँसारी का कसाब को मदद की जानकारी देना, उसका निजी मामला था ।
    हेडली का एक साथ दो देशों की सरकारों को डबलक्रास करना उसका इनडिज़ीनियस इँटेलिज़िन्स है, क्या उसे समानित किया जाना चाहिये । यदि व्यक्ति ही सर्वोपरि है, तो राष्ट्रीयता के मायने ? क्या हमें व्यक्तिगत स्वतँत्रता के नाम पर भारतीय गणराज्य के पासपोर्ट को चुनौती दे देनी चाहिये ? यदि ऎसा ही है तो, आज तक माताहारी क्यों शाश्वत खलनायिका बनी हुई हैं ?
    सानिया के स्कर्ट को मुस्लिम चश्मों से निहारने वाले आज क्यों निहाल हुये जा रहे हैं ? और.. आज वही बेपर्द जँघायें सुन्नत की नज़ीर बनने जा रही हैं ? कहीं पर शरीयत को सुविधापूर्वक ढाल बना लिया जता है, अस्सल्लाह ने टेलीफोन पर निकाल कबूल करने का फ़रमान कब दिया, उसमें क़ाज़ी के दस्तखत और एक मुअज़्ज़म की गवाही का क्या ?
    अगर बराबरी के टी.आर.पी. वाले से रिश्ते की ज़ेहनियत ही है.. तो बात दीगर !
    क्योंकि काबिलतरीन तफ़सराकारा ने भी सिर्फ़ इसी गरज़ से सानिया मिर्ज़ा को चुना है, न कि आयशा सिद्दीकी को !
    किसी सेलेब्रिटी के पीछे खड़े होने का मज़ा कुछ और ही है !

    मेरा सानिया से कोई नाइत्तेफ़ाकी नहीं है, पर इस मुल्क को लेकर उसका इतना खुदगर्ज़ नज़रिया भी मुझे गवारा नहीं.. काश कि वह चँद हाथों की कठपुतली न होती ! सनद रहे कि, निकाह के पहले ही उसके तलाकनामें के मसौदे तैयार किये जा रहे होंगे !

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  31. हमारी तो कोई विचारधारा ही नहीं, हम क्या कहें ?

    पर इतना जानते हैं कि जो लोग विरोध करने वालों को बेवकूफ बता रहे हैं उन्हें इस पर पुनर्विचार कर लेना चाहिए । समर्थन और विरोध में अपनी राय जाहिर करने का अधिकार आपको है पर किसी अन्य को बेवकूफ समझना तो गलत है न जी ?

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  32. बहुत ही सुंदर चर्चा नीलिमा जी , पोस्टें जब विमर्श और बहस का बायस बनती हैं तब उनकी सार्थकता और बढ जाती है , घुघुती जी ने सानिया मुद्दे पर बहुत कुछ लिख दिया है और अभी आने वाली पोस्टों में उनका जिक्र होता रहेगा ,,बहस यूं ही बढती रहेगी ..और चर्चा भी ..यही सच्ची ब्लोग्गिंग है
    अजय कुमार झा

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  33. दुबई के एक मित्र ने लिखा है -

    [स्टार न्य़ूज़ मे ब्रेकिंग न्यूज़ " शुहैब मलिक हैदराबाद में है" इसके बाद तुरंत पाकिस्तानी टीवी वैनल लगाया और हैरान हो गया जब न्यूज़ चैनल लगाया तो उन्होने इसी खबर को दिखाया था और ये कहते हुये अगली खबर पर गये - " दिल वाले दुल्हनिया ले जायेगे और हिन्दू रहनुमा देखते रह जायेगे" ]

    अर्थात् पाकिस्तान भी इसे ‘राष्ट्र’ को नीचा दिखाने वाले रूप में ही प्रचारित कर रहा है। हमें भी ऐसे राष्ट्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीयता वाली नीति से ही सोचना चाहिए।

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  34. पता किया जाय शोएब को वीसा किसने दिया ?

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  35. सानिया मिर्ज़ा किसी की मिल्कियत नहीं हैं. अगर कोई समझता है तो बेवकूफी है. उन्हें किसी के साथ भी विवाह करने का अधिकार है. शोएब मालिक के स्थान पर कोई भी हो सकता था. यह तो सिर्फ संयोग है कि उन्होंने एक पाकिस्तानी को पसंद किया. और ऐसा करने का उन्हें पूरा अधिकार है. राजनीतिक पार्टियाँ या और कोई इसका विरोध करता है तो इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है?

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  36. apane desh se payar karne wala stri ya purush aisha kabhi nahi karega jo aaj saniya mirja ne kiya hai.
    R.P.Yadav
    Silvassa

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  37. Dr.Amar Kumar Jee ka yah vaky 100% sahi sabit hogi aaj nahi to kal, kyoki unaka itihas hi kuchh aisa hai.
    "सनद रहे कि, निकाह के पहले ही उसके तलाकनामें के मसौदे तैयार किये जा रहे होंगे"
    R.P.Yadav
    Silvassa

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  38. sania mirza has not done well i thik there is no need to give reason
    DR.saksham srivastava

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