रविवार, जून 07, 2009

हरियाए उड़नतश्तरी भेटें चिट्ठा चिट्ठा

बहुत समय पहले की बात है. चिट्ठाकार समीरलाल के पास एक दिन करने को कोई काम धाम नहीं था तो घर में अलसुबह से ही चिट्ठाकारों की नेमप्लेट (चिट्ठों की टैग लाईन) का विश्लेषण करने लगे. एक चिट्ठा खोलते, उसकी टैगलाइन पढ़ते, और उसकी बाल की खाल निकालते. मगर उनका कंप्यूटर बड़ा फास्ट और दिमागदार था जो उनकी सोच को स्वचालित टाइप करता गया. नतीजा ये रहा था:

गीत कलश , राकेश खंडेलवाल

काव्य का व्याकरण मैने जाना नहीं छंद आकर स्वयं ही संवरते गये

समीरलाल-अगर स्वयं ही संवरते हैं तो हम क्या पाप किये हैं, हमारे काहे नहीं संवरते??

उन्मुक्त

भारत के एक कसबे से, एक आम भारतीय।

समीरलाल-बाकि सब क्या खास भारतीय हैं??

ई-पंडित, श्रीश शर्मा

ई-पंडित की ई-पोथी

समीरलाल-अच्छा बता दिये कि ई-पोथी है, नहीं तो हम तो कागजी समझते!!! वैसे जो लोग किताबें निकालते हैं, वो क्यूँ नहीं कहते, कागज की किताब. :)

गिरिराज जोशी "कविराज"

एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...

समीरलाल-पूर्ननिर्मित?? काहे फिर से मेहनत कर रहे हो, इसे पुरात्तव विभाग को दे देते हैं...वहीं ठीक रहेगा!! क्या सोचते हो??

पूनम मिश्रा

कुछ खट्टी ,क़ुछ मीठी ,कुछ आम सी दिनच्रर्या,क़भी कुछ खास पल ...इन सबका नाम है ज़िन्दगी .और उसी का निचोड है यह फलसफा .

समीरलाल-खट्टा मीठा तो ठीक है..मगर निचोड से फलसफा निकले तो रस कहाँ गया??

प्रत्यक्षा

कई बार कल्पनायें पँख पसारती हैं.....शब्द जो टँगे हैं हवाओं में, आ जाते हैं गिरफ्त में....कोई आकार, कोई रंग ले लेते हैं खुद बखुद.... और ..कोई रेशमी सपना फिसल जाता है आँखों के भीतर....अचानक , ऐसे ही

समीरलाल-हवा में टंगे शब्द को पकड़ने का हुनर हमऊ के सिखाये दो, ठकुराईन!!

अनूप शुक्ला

उम्र: २५० साल
(चाहो तो यहाँ क्लिक करके प्रोफाईल पर देख लो)

समीरलाल-हम पहिले ही समझ गये थे कि यह वैदिक कालिन हैं, २५० साल पुराने!! वरना इतनी कम उम्र में लेखन की इतनी ऊँचाईयां...वाह वाह!!

फुरसतिया

हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै

समीरलाल-जब तक जबरिया ना पढ़वाओ तब तक कोई कछू न करिहे!! काहे परेशान हो??

जोगलिखी

संजय बेंगाणी द्वारा कम शब्दों में खरी-खरी बात

समीरलाल- शब्द थोड़े ज्यादा भी हों तो भी चलेगा मगर खरी खरी बात न सुनाओ, दिल दहल जाता है, भाई!!! (भाई, बम्बई वाले), थोड़ा लाग लपेट कर सुनाओगे क्या?

मंतव्य

पंकज बेंगानी का हिन्दी चिट्ठा बेबाक सोच : बेबाक लेखन : बेबाक मंतव्य

समीरलाल-अच्छा किया बता दिया कि पंकज बेंगानी का हिन्दी चिट्ठा --वरना हम तो सोचते ही रह जाते कि कौन सी भाषा में लिखा है???

शुऐब

हिन्दी हैं हम .....................

समीरलाल-हिन्दी हैं हम...!! और संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू नहीं हो??

Divyabh Aryan

The Only Thing I Know About Myself Is That I Know Nothing... :

समीरलाल-ऐसा लगता तो नहीं, आपको पढ़कर?? अंग्रेजी भी लिख लेते हो. :)

मेरा पन्ना

चौकस निगाह,पैनी कलम और हास्य व्यंग के साथ भारत के राजनीतिक माहौल,देश की समस्याओ और राष्ट्रीय विषयो पर मेरी बेबाक राय ......... जगह नयी....पर.कलम वही

समीरलाल-चौकस निगाह......कहाँ कहाँ लगी हैं यह निगाह......हमें भी तो बताओ!! चौधरी जी महराज!! और यह जगह नयी कब तक रहेगी??

मनीषा

अच्छी चीजों का हिन्दी ब्लाग

समीरलाल-नहीं बतातीं तो हम समझते कि खराब चीजों का अंग्रेजी ब्लाग!!! :)

निठल्ला चिंतन

थोड़ी मस्ती थोड़ा चिंतन

समीरलाल- यार भाई, हर पोस्ट पर लिख दिया करो टैग के साथ कि कौन सी वाली मस्ती है और कौन सी चिंतन-बड़ा मुश्किल होता है छांटने बीनने में!!!

दस्तक, सागर चन्द नाहर

गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं

समीरलाल-आप तो सबसे बड़े शहसवार हैं, कितनी बार गिरे??

इन्द्रधनुष, नितिन बागला

जिन्दगी के अनगिनत रंगों का संकलन; हँसी-मजाक, सुख-दुःख, यारी-दोस्ती,भूली बिसरी यादें, आस-पास के विभिन्न मुद्दों पर मेरे विचार...और भी ना जाने क्या-क्या.....

समीरलाल-और भी ना जाने क्या-क्या.....थोड़ा तो खुलासा करो, मेरे भाई...क्या सब कुछ यहीं लिख डालोगे!!! हूम्म्म्म!!

रचनाकार

इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य के दस्तावेज़ीकरण का एक सार्थक प्रयास...

समीरलाल- सार्थक प्रयास,,,न आप बताते, न हम समझ पाते!! :)

की-बोर्ड का रिटायर्ड सिपाही, नीरज दीवान

ख़बरों की लत ऐसी कि शायद छुटाए नहीं छूटेगी.

समीरलाल- और बाकि की लतें, वो छूट गईं?? :)

आलोक, नौ दो ग्यारह

दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजे आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे

समीरलाल- जिस हिसाब लिखना स्थगित है, उससे लग ही रहा है..कि आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे!! थोड़ा प्यार चिट्ठे पर भी आये तो बात बनें.

सृजन शिल्पी

अपनी मुक्ति के लिए प्रयत्नशील प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में निरंतर उपलब्ध।

समीरलाल- जब भी मुक्ति के लिये प्रयत्नशील होंगे, आपसे संपर्क साधा जायेगा. तब तक ऐसे ही ठीक है!!

एक शाम मेरे नाम, मनीष

जिन्दगी यादों का कारवाँ है.खट्टी मीठी भूली बिसरी यादें.क्यूँ ना उन्हें जिन्दा करें अपने प्रिय गीतों ,गजलों और कविताओं के माध्यम से! अपनी एक शाम उधार देंगे ना उन यादगार पलों को बाँटने के लिये ..

समीरलाल- यार, उधार प्रेम की कैंची है, ऐसा पान वाले ने बताया है. आप ऐसे ही ले जाओ एक शाम!!

दुनिया मेरी नज़र से!!

ये ब्लॉग एक प्रयोग है जहाँ मैं हिन्दी में लिखूँगा। यदि आपको हिन्दी नहीं आती तो मैं माफ़ी चाहूँगा, या तो आप हिन्दी सीखिए अथवा केवल देख कर ही खुश हो ली जिए।

समीरलाल- यह नोटिस बोर्ड उसके लिये जिसे हिन्दी आती ही नहीं!! उन्हीं के लिये तो लगाया है, न??

अभय तिवारी, निर्मल-आनन्द

कानपुर की पैदाइश, इलाहाबाद और दिल्ली में शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद कई बरसों से मुम्बई में टेलेविज़न की दुनिया में मजूरी कर के जीवनयापन।

समीरलाल- शिक्षा के नाम पर टाइमपास-पढ़ कर तो नहीं लगता ऐसा!!

दिल का दर्पण-परावर्तन, मोहिन्दर सिंग

एक सामान्य परन्तु संवेदनशील व्यक्ति हूं

समीरलाल- दोनों एक साथ- सामान्य और संवेदनशील- वाह, यह तो कमाल हो गया!!

पाण्डेय जी के मधुर वचन

बनारस वाले अभिषेक पाण्डेय जी के मधुर वचन - ब्लॉग के रूप मे

समीरलाल- स्व-सम्मान में आत्मनिर्भरता का अनुपम उदाहरण, अपने नाम के साथ जी?? आपका साधुवाद!!

दिल के दरमियाँ, भावना कँवर

मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूँ.........

समीरलाल- भटकते रहने को मन करता है और ज्यादा जानती भी नहीं हैं- कहीं गुम ही न जायें, बड़ी चिंता सी लग गई है??

ई-स्वामी

यहां पर "कुछ" लिखा है!

समीरलाल- देखा, हाँ!! कुछ तो लिखा है.

बिहारी बाबू कहिन

फिलहाल जिंदगी से सीखते हुए आगे बढ़ने की कोशिश जारी है...

समीरलाल- फिलहाल?? आगे क्या बिल्कुल बंद कर दोगे सीखना??

क्या करूँ मुझे लिखना नहीं आता..., गुरनाम सिंह सोढी

ये blog मैने अपनो मित्रों की सलाह पर प्रारंभ किया है। इसमे मेरी कुछ रचनाएँ प्रस्तुत हैं। आशा है कि आपको ये पसंद आएँगी। पिछलो दस मास की मेहनत के उपरांत ये संभव हुआ है। यदि कोई त्रुटि हो जाए तो क्षमा किजीएगा। आपकी किसी भी प्रकार की टिप्पणी का हार्दिक स्वागत है। धन्यवाद

समीरलाल- दस माह की मेहनत-बहुत भयंकर मेहनत की यार ब्लाग प्रारंभ करने में. क्या करते रहे, जरा स्टेप बाई स्टेप समझाना!!

अंतर्मन

देश से बाहर रहने वाला एक भारतीय युवक। अंतरजाल का प्रेमी। हिन्दी लेखन-पाठन में रुचि ।

समीरलाल- हिन्दी लेखन-पाठन में रुचि -अच्छा, लगा लिख दिया वरना लगता कि कोई कार्य बिना रुचि का मजबूरीवश कर रहे हो!!

इधर उधर की

कुछ इधर की, कुछ उधर की, कहीं की ईंट कहीं का रोड़‌ा। या यूँ कहें, विचारों का बेलगाम प्रवाह...

समीरलाल- कुछ इधर की, कुछ उधर की-यह तो नाम से भी समझ आ गया था- इधर उधर की !!

उडन तश्तरी, समीर लाल

--ख्यालों की बेलगाम उडान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से......

समीरलाल- अरे भई!! कुछ तो लगाम दो, ज्यादा ही बेलगाम है, यह अच्छी बात नहीं!!

मुझे भी कुछ कहना है..., रचना बजाज

आप खुद तय कर लीजियेगा कि ये लेख, निबन्ध है या कि कोई कविता है, मेरे लिये तो ये मेरे विचारों की अभिव्यक्ति और शब्दों की सरिता है!!

समीरलाल- अरे, लिखें आप तो आपको तो मालूम ही होगा बस थोड़ा सा लेबल लगा दें कि लेख, निबन्ध या कविता है - सब को आराम हो जायेगा!!

खाली पीली, आशीष श्रीवास्तव

कभी कभार कवितायें लिख लेता हुं. लोगो को अपनी बातो मे बांधे रखने मे मेरा जवाब नही है, बिना किसी विषय के घंटो बोल सकता हुं.

समीरलाल- अच्छा है, पॉडकास्ट वाला ब्लाग नहीं है वरना तो घंटो बोलते रहते!!!

भावनाऐं, रीतेश गुप्ता

इस ब्लाँग के माध्यम से मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहा हूँ ।

समीरलाल- चाहो तो डायरी में भी व्यक्त कर सकते हो या दोस्तों को फोन करके!! सारी नाराजगी क्या ब्लागरों से ही है??

आवारा बंजारा, संजीत त्रिपाठी

कुछ अपनी, कुछ अपने आसपास की, युं कहें कि मैं और मेरी आवारगी

समीरलाल- कुछ अपने आसपास की-वाह भई, वाकई!! मेरी आवारगी!! बहुत सच सच कहते हो!

कुछ विचार, मृणाल कांत

हिन्दी ब्लागि॑ग का एक प्रयत्न - विभिन्न विषयो॑ पर मेरे विचार, आदि। आपकी टिप्पणिया॑ आमन्त्रित है॑।

समीरलाल- टिप्पणियाँ तो सभी के यहाँ आमंत्रित हैं वरना ब्लाग काहे खोलते?


प्रतिभास, अनुनाद सिंग

अकस्मात , स्वछन्द एवम उन्मुक्त विचारों को मूर्त रूप देना तथा उन्हे सही दिशा व गति प्रदान करना - अपनी भाषा हिन्दी में ।

समीरलाल- उद्देश्य तो जबरदस्त हैं- कब दोगे मूर्त रुप और सही दिशा व गति ?


मेरी कठपूतलियाँ, बेजी

POEMS IN HINDI moments....thoughts....emotions....analysis..... descriptions...reflections....expressions....impressions.....my words....my feelings

समीरलाल-बिल्कुल, आपकी ही अनुभूति और आपके ही शब्द. बाकि सारे ब्लागों में दूसरों के शब्द??


॥शत् शत् नमन॥, गिरिराज

दिल मे है कुछ तो गुनगुनाकर देखो ... ग़ज़ल अपनी भी कहाँ "ग़ालिब" से कम है ...

समीरलाल- देखा गुनगुना कर, गालिब टाइप ही लग रही है. कैसे लिख लेते हो ऐसा??

आईना, जगदीश भाटिया

??

समीरलाल- उद्देश्यविहिन यात्रा-कहाँ जा रहे हैं?

आओ कि कोई ख्वाब बुनें.., अनूप भार्गव

न तो साहित्य का बड़ा ज्ञाता हूँ, न ही कविता की भाषा को जानता हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं कवि हूँ, क्यों कि ज़िन्दगी के चन्द भोगे हुए तथ्यों और सुखद अनुभूतियों को, बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं ।

समीरलाल- बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं - कभी इस कला के बारे लिख कर हम सबको भी सिखाईये न!! प्लीज़!!

महाशक्ति, प्रमेन्द्र प्रताप सिंह

जो हमसे टकरायेगा चूर-चूर हो जायेगा

समीरलाल- धमकी दे रहे हो कि सूचना??

होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें , डॉ.प्रभात टंडन

‘डा प्रभात टन्डन की कलम से'

समीरलाल- भईये, जब ब्लाग आपका है, तो कलम तो आपकी ही रहेगी, हम तो आकर लिखेंगे नहीं??

मानसी

कुछ दिल से...

समीरलाल- बस, दिल से-दिमाग से नहीं ? काहे??


मेरी कवितायें, शैलेश भारतवासी

हर बार समय से यही सवाल करता हूँ "मैं कौन हूँ,मुझे बनाने की जरूरत क्या थी?"

समीरलाल- क्या इसी जवाब की तलाश में ब्लागजगत में भटक रहे हैं? गौतम बुद्ध तो इसी तलाश में जंगल गये थे.


नुक्ताचीनी, देबाशीष

तकनीकी मसलों पर बिना लाग-लपेट बेबाक नुक्ता चीनी, और इसके अलावा भी बहुत कुछ!

समीरलाल- इसके अलावा भी बहुत कुछ ?? थोड़ा खुलासा तो करें कभी!!


निलिमा

बहते बदलते समय में......

समीरलाल-बहते बदलते समय में...... क्या कुछ नया होने वाला है??

---

ये टैग-चर्चा अगले हफ़्ते भी जारी रहेगी, क्योंकि तब से तो हिन्दी ब्लॉग गंगा में और भी बहुत सा किसिम किसिम का ब्लॉग कचरा डम्प हो गया है. और, विश्लेषण जारी है. तो... इंतजार कीजिए तब तक....

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22 टिप्‍पणियां:

  1. इन टैग लाइनों के बालों की खाल तो निकल गई अब लोग अपनी-अपनी टैगलाइन बदलने पर ध्यान दे सकते हैं। जिस से दुबारा निकाली जा सके।

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  2. बेनामीजून 07, 2009 7:41 am

    रवि (रतलामी) तथा समीर (लाल) की जुगलबंदी बढ़िया रही।
    अगली टैग चर्चा का इंतज़ार रहेगा

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  3. बाल की खाल निकालने वालों की सामूहिक जय हो.

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  4. चर्चा में भी रिठेल हुआ। जय हो।

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  5. बड़ी पुरानी याद जगाई. :)

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  6. "हरियाए उड़नतश्तरी भेटें चिट्ठा चिट्ठा"
    रवि रतलामी जी।
    चिट्ठा चर्चा अच्छी रही।

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  7. रतलामी जी...हमें तो पता ही नहीं था की हमारी टैग लाएनें इतनी घातक साबित हो सकती हैं और आप उनका ऐसे baind baja सकते हैं....मजा aa गया...aglee kadee की prateekshaa rahegee..

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  8. जोर की चुटकी धीरे धीरे!

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  9. एक लाइना...सावधान...खतरा मण्डरा रहा है:)

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  10. भईये, जब ब्लाग आपका है, तो कलम तो आपकी ही रहेगी, हम तो आकर लिखेंगे नहीं??


    :) बहुत मजेदार..

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  11. कम से कम समीर जी और रवी जी आप दोनो तो खास भारतीय हैं।

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  12. बेनामीजून 07, 2009 10:32 pm

    चलिए हम तो बच गए इस सब से.......हमने तो सिर्फ़ चिट्ठे का नामकरण किया है.....कोई टैगलाइन लगाई ही नहीं....देखा.......हा हा हा

    साभार
    हमसफ़र यादों का.......

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  13. :D :D
    waah samir ji, kya tagline special charcha hai, maza aa gaya :)

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  14. हा हा बहुत मजेदार, रिठेल ही सही हमने तो पहली बार पढ़ा और बहुत मजा आया, अगली कड़ी का इंतजार है।

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  15. मजेदार और अनोखी चर्चा । टैग लाइनें अब महत्वपूर्ण हो चलीं । शेष की प्रतीक्षा ।

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  16. नया अदभुत तरीका ब्लाग जगत को देखने का :)

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  17. खूब लिखा है समीराना अंदाज़ में

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  18. मजेदार टैग चर्चा। समीर भाई को खुद को भी लपेट दिया उन्‍हीं की शैली में।

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  19. ये चर्चा एकदम हट के
    लगे पचासी झटके...

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  20. वाह, खूब बाल की खाल निकाली है, मज़ा आ गया।

    यह नोटिस बोर्ड उसके लिये जिसे हिन्दी आती ही नहीं!! उन्हीं के लिये तो लगाया है, न??

    ई तो बहुत पहले लगाया था, लगता है आप भी काफ़ी अरसा पहले ये सब लिख के रख लिए थे, आशीष भाई का ब्लॉग का लिंक दिए हैं पर उनका लिखना तो बहुत अरसा पहले छूट गया था! :)

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  21. samir ji itni bi bhal ki khal mat nikalo thodai sarsta to rahne do

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