गुरुवार, जून 11, 2009

क्‍या भूत प्रेत और जिन्‍न भी प्‍यार करते हैं?

प्यार करना निहायत ही बेसिक मानवीय भाव है.

लेकिन महामंत्री तस्लीम पूछते हुए बरामद हुए कि; "क्‍या भूत प्रेत और जिन्‍न भी प्‍यार करते हैं?" बड़ा कठिन सवाल कर दिया है भाई. भूत-प्रेत की बातों की जानकारी रखना इंसान के लिए मुश्किल काम है. लेकिन इंसान अगर ब्लॉगर हो तो शायद उतना भी मुश्किल नहीं है.

आशा है कि जल्द ही कोई कमेन्ट करके बताएगा कि भूत-प्रेत और जिन् सचमुच प्यार करते हैं या नहीं?

जहाँ महामंत्री-तस्लीम सवाल पूछ रहे हैं वहीँ शंकर फुलारा जी मीडिया को शाबासी दे रहे हैं. वे लिखते हैं;

इतनी जिम्मेदार, जागरूक,जान-जोखिम में डालने वाली पत्रकारिता (न्यूज चैनल्स) और पत्रकार केवल भारत में ही हो सकते हैं। निर्णयात्मकता के साथ-साथ कहानी बनाने और प्रस्तुतीकरण में भी बेजोड़।"

शंकर जी और क्या लिखते हैं, पूरा तो आप उनके ब्लॉग पर ही जाकर पढिये. आखिर आजकल बहुत कम ऐसा देखने में मिलता है कि कोई मीडिया को शाबासी दे.

शंकर जी मीडिया को शाबासी दे रहे हैं तो राजेश रंजन जी ने खबर दी है कि; "मैथिली भाषा में पूरा पूरा का पूरा कम्प्यूटर जारी"

रंजीत जी को इस खबर से हार्दिक प्रसन्नता हुई. सचमुच बढ़िया खबर है. अपनी भाषा में कम्यूटर जारी हो जाना! आने वाले दिनों में सूचना प्रौद्योगिकी और विकसित हो, यही कामना है.

जहाँ गगन शर्मा जी बताते हैं कि सहवाग और धोनी को लेकर मीडिया ने भ्रम फैलाया वहीँ विक्रम प्रताप सिंह का कहना है कि धोनी और सहवाग में मनमुटाव नई बात नहीं.
शंकर फुलर जी मीडिया को 'शाबासी' दे रहे हैं. गगन शर्मा जी बता रहे हैं कि मीडिया ने भ्रम फैलाया और विक्रम जी बता रहे हैं कि सहवाग और धोनी में मनमुटाव की बात सही है.

कहने का मतलब है कि देश में लोकतंत्र जिन्दा है.

आज कंचन जी के ब्लॉग ह्रदय गवाक्ष की दूसरी वर्षगाँठ है. उन्होंने सभी ब्लॉगर को धन्यवाद दिया है.

गुस्ताख जी ने बताया है कि अवाम वाम से दूर हो गया है. वे लिखते हैं;

"पार्टी ने अपना सामाजिक आधार औद्योगिक सर्वहारा से आगे बढ़ाते हुए उसे भूमिहीन मज़दूरों, छोटे किसानों और सीमांत किसानों तक फैलाया। इस समीकरण में वाम मोर्चे ने वर्ग को भी जोड़ा और दलितों और मुस्लिमों का वोट बैंक उसके साथ आ जुड़ा। इस वोट बैंक की वजह से ही वाम की हेजिमनी 2006 के विधानसभा चुनाव तक बरकरार रही।"

वैसे मैंने सुना है कि अब वामपंथी खुद को सर्वहारा का नेता कहने से घबराते हैं. सुनाने में आया है कि आजकल लोग इन लोगों को सर्वहारा-सर्वहारा कहकर चिढाते हैं. किसी नेता ने ओब्जेक्शन किया तो बोलने वाले ने कहा कि; "सब जगह तो हार गए. सर्वहारा न कहें तो और क्या कहें?

गुस्ताख जी का लेख आप उनके ब्लॉग पर पढें.

मेरी पसंद

मत फेंको जूता
यह है शिष्टाचार के खिलाफ़
और कानून के विरुद्ध ।

तुम क्षमा कर दो उन्हे
जो हत्या में लिप्त थे
जरा देखो तो सही !
उनके हाथ अब कितने पाक-साफ है !
वे गले में टांगे घूम हैं
निर्दोष होने का प्रमाण-पत्र !

जरा समझो कि
साँस छोड़ती चन्द जिन्दगियां
धन्य हुई
जिनसे चील कौओं ने तुष्टि पाई;
फड़फड़ाती अकुलाती चिड़ियों की वेदना
धन्य हुई
जिनसे गलत में ही सही
प्रतिशोध की हवस पूरी की
बाज ने और गिद्धों ने
जिनके क्रूर नृत्य से डरता है आकाश
तो तुम सह लो और भूल जाओ
क्योंकि तुम्हारे अपनों की याद
मुँह चिढ़ाती है
आइने में नपुंसकता बन कर
इनके ठाठ-बाठ में शरीक हो जाओ
कि ये तुम्हे क्षमा करके पौरुषवान हो गये
फिर से कहता हूँ
मत फेंको जूता

अब तुमने फेंक ही दिया
तो तुम्हारे फटे मौजे के छेद से
नासूर दिखने लगे
जिसकी पीड़ा
कलम बेच खाने वालों को भी हुई
कहने लगे – तुम्हे
कलम की ताकत पर
भरोसा नहीं रहा
उसकी शक्ति हार गई जूते के आगे
तुम्हारे दर्द ने
व्यवस्था पर
जो आक्रमण किया
वही तो किया था
चील कौओं की राजनीति ने
बाज और गिद्धों के स्वार्थ ने
फ़र्क ही क्या रहा?

तो इस सभ्य समाज की
सारी खुशफ़हमियाँ
बनी रहने दो;
चुनाव के रोज
इठलाती उंगली पर लगी
इतराती हुई काली-
स्याही की कसम
मत फेंको जूता !

-हरिहर झा

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8 टिप्‍पणियां:

  1. कई रचनाएओं को एकत्रित कर टिप्पणी सहित प्रकाशित करने का जो काम किया है वह पसन्द आया।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. टिप्‍पणी जूते के लिए
    मैथिली कंप्‍यूटर के लिए
    जूता जवान है
    तो लोकतंत्र महान है
    इससे सिर्फ नेता परेशान है
    वोटर की आन बान शान है

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  3. सुन्दर! देर से की लेकिन करके डाल तो दी चर्चा।

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  4. आज तो लगा था कि चर्चारहित ही जाने वाला है दिन.पर देर आयद - दुरुस्त आयद.

    कंचन जी के ब्लॉग ह्रदय गवाक्ष की दूसरी वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई.

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  5. शब्दों का यह कोलाज अच्छा लगा

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  6. जिस तरह कुँए...पेड़...बाग..चॉंदनी रात वगैरह वगैरह भूत अपने लिए चुनते सुनाए जाते हैं हमें लगता है कि ये काफी रोमांटिक कौम है... यानि प्रेम करती ही होगी।

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  7. भूत प्रेतों के प्‍यार को शब्‍द देने का शुक्रिया। चर्चा सुरूचिपूर्ण और ज्ञानवर्द्धक है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  8. ghost buster bataa saktey haen pataa nahin kehaa haen !!!!!!!!!!!!!!

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